Rajasthan

Jhunjhunun

CC/353/2014

Rajes kumar - Complainant(s)

Versus

U.I.Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Rajiv Mahala

15 Sep 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/353/2014
 
1. Rajes kumar
Udayapurvati, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. U.I.Insurance Company Ltd.
Udayapurvati, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:Rajiv Mahala, Advocate
For the Opp. Party: Gajendar Singh, Advocate
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 353/14

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

राजेश कुमार पुत्र कुरड़ाराम जाति जाट निवासी मैनपुरा तहसील उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू (राज.)                                                  - परिवादी
                         बनाम
युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय, घुमचक्कर के पास, उदयपुरवाटी जिला़, झुंझुनू (राज0)                - विपक्षी

        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री राजीव महला, अधिवक्ता   -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री गजेन्द्र सिंह राठोड़, अधिवक्ता  -  विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 15.09.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         01.07.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी राजेष कुमार वाहन संख्या      RJ-18 CA-6632 EON का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 12.03.2014 से 11.03.2015 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 29.03.2014 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण कर लिया तथा सर्वेयर के कहने पर परिवादी ने अपने वाहन को Shri Ganga vehicles Pvt. Ltd. Near Circuit House, N.H. Road,Sikar पर ठीक करवा लिया जिस  पर कुल  1,27,471/- रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया तो विपक्षी ने परिवादी से कहा कि आप NGB (नो क्लेम पालिसी) के रूपये जमा करवाओ बाद में आपको उक्त राषि दी जावेगी। परिवादी ने दिनांक 29.04.2014 को 1020/-रूपये विपक्षी के यहां जमा करवा दिये। विपक्षी ने परिवादी को NGB  (नो क्लेम पालिसी) की रसीद दी जिसकी फोटो प्रति पत्रावली के संलग्न है। परिवादी ने विपक्षी से उपरोक्त रिपेयर राषि की मांग की तो विपक्षी ने कहा कि परिवादी ने NGB (नो क्लेम पालिसी) के रूपये समय पर जमा नहीं करवाये, इसलिये रिपेयर राषि नहीं दी जा सकती। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 1,27,471/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार लिखित व मौखिक बहस के दौरान परिवादी वाहन संख्या RJ-18 CA-6632 EON  का रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने उक्त वाहन की वर्तमान बीमा से पूर्व की बीमा (Previous Insurance Policy) के संबंध में कोई दावा दर्ज नहीं होना बताकर गलत डिक्लेरेषन देकर तथ्यों को छुपाकर छब्ठ  अर्थात  नो क्लेम बाउन्स  प्राप्त कर उक्त वाहन का बीमा दिनांक 12.03.2014 से 11.03.2015 तक के समय के लिये बीमा पालिसी की शर्तो एवं मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के अधीन बीमा करवाया । उक्त बीमा के लिये पूर्ण बीमा प्रीमियम राषि (एन.सी.बी. कम करके) अदा नहीं की गई थी तथा गलत तथ्य बताकर बीमा संविदा की गई, जिससे उक्त बीमा के सम्बंध में धारा 64 वी.बी. की पालना नहीं हुई। परिवादी द्वारा उक्त वाहन की तथाकथित क्षति के बाद जो एन.सी.बी. की राषि जमा करवाई गई है, वह एन.सी.बी. की राषि जमा होने से पूर्व की तथाकथित क्षति के संबंध में न होकर भविष्य में उक्त बीमा अवधि के दौरान उक्त वाहन में होने वाली क्षति के संबंध में अदा की गई है। इसलिये प्डज् ळत् 27 की बीमा शर्त का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षी से कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि उक्त वाहन की मरम्मत के फाईनल सर्वेयर व लोस असेसर श्री वी.के. गुप्ता की फाईनल सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 82,540/-रूपये का खर्चा हुआ था, जिसकी पुष्टि री-इन्सपेक्षन सर्वेयर एवं लास असेसर इंजिनियर आर. के. मोर्य की री-इन्सपेक्षन रिपोर्ट से भी होती है। इस प्रकार परिवादी द्वारा उक्त वाहन की तथाकथित मरम्मत में 1,27,471/-रूपये का खर्चा होना बढा-चढा कर गलत दर्षाया है। बीमा कम्पनी का क्लेम राषि अदा करने का कोई उतरदायित्व नहीं बनता है। विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद पत्र चलने योग्य नहीं है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन RJ-18 CA-6632 EON का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 12.03.2014 से 11.03.2015 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी ने उक्त वाहन की वर्तमान बीमा से पूर्व की बीमा (Previous Insurance Policy) के संबंध में कोई दावा दर्ज नहीं होना बताकर गलत डिक्लेरेषन देकर तथ्यों को छुपाकर छब्ठ  अर्थात  नो क्लेम बाउन्स  प्राप्त कर उक्त वाहन का बीमा करवाया । उक्त वाहन के बीमा के लिये पूर्ण बीमा प्रीमियम राषि  अदा नहीं होने से बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
 हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। क्योंकि बीमा कम्पनी किस आधार पर कहती है कि परिवादी ने जानबूझकर NGB (नो क्लेम पालिसी) के सम्बंध में तथ्यों को छिपाया है। सामान्यतया नेचुरल कोर्स में यह देखने में आया है कि विपक्षी बीमा कम्पनी, वाहन का बीमा करते समय ग्राहक को बीमा पालिसी के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से वास्तविक जानकारी नहीं देती है। केवल एजेंटों के मार्फत अधिक से अधिक अपने ग्राहक बनाने की चेष्टा रहती है। परिवादी ने बीमा कम्पनी को एक प्रार्थना पत्र के जरिये NGB(नो क्लेम पालिसी) की राषि जमा करवाई है। जिसकी रसीद की प्रति पत्रावली में संलग्न है। पूर्व में उसके भाई द्वारा वाहन का बीमा कराया जाना बताया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने NGB (नो क्लेम पालिसी) के बारे में परिवादी के भाई को कोई जानकारी दी हो तथा वाहन का बीमा कराते समय NGB (नो क्लेम पालिसी) के सम्बन्ध में परिवादी के भाई के द्वारा तथ्यों को छिपाने की कोई दुर्भावना रही हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। वाहन का बीमा कराते समय परिवादी के भाई के मन में कोई नेक नियति का अभाव नहीं था।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक       29.03.2014 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 82,540/-रूपये पेयबल मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। विपक्षी के आदेषानुसार परिवादी ने दिनांक 29.04.2014 को 1020/-रूपये विपक्षी के यहां जमा करवा दिये। विपक्षी ने परिवादी को NGB  (नो क्लेम पालिसी) की रसीद दी है। जिसकी फोटो प्रति पत्रावली के संलग्न है। उपरोक्त तथ्यों को विपक्षी ने अपने जवाब में भी स्वीकार किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-   
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA  VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS,  II (2014) CPJ 593 (NC)-  MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)-  MANJULA DAS  VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.  
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। 
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ ैीतप ळंदहं अमीपबसमे च्अजण् स्जकण् छमंत ब्पतबनपज भ्वनेमए छण्भ्ण् त्वंकए ैपांत के बिल की फोटो प्रति पेष की हैं । परिवादी द्वारा उक्त  बिल में अंकित राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई है। उक्त बिल में राषि किस आधार पर अंकित की गई है, स्पष्ट नहीं है। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से          82,540/-रूपये (अक्षरे रूपये बियासी हजार पांच सौ चालीस मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 01.07.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
   निर्णय आज दिनांक 15.09.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.