Rajasthan

Jhunjhunun

CC/237/2015

Motilal - Complainant(s)

Versus

U.I.Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Rajendar Singh

13 May 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/237/2015
 
1. Motilal
Kuva Silavaha Vard No.10,Udaypurwati
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. U.I.Insurance Company Ltd.
Udaypurwati
Jhunjhunui
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 
For the Complainant:Rajendar Singh, Advocate
For the Opp. Party: Harish Joshi, Advocate
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 237/15

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

मोतीलाल पुत्र लक्ष्मणराम जाति गूर्जर निवासी कुआ सिलावाहा वार्ड नम्बर 10 उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू (राज.)                                 - परिवादी
                         बनाम
1.    युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू। 
2.    युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, क्षेत्रीय कार्यालय सहारा चैम्बर्स टोंक रोड़, जयपुर 302015 जरिये मैनेजर।                          - विपक्षीगण

        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री राजेन्द्र सिंह बुडानिया, अधिवक्ता   -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री हरिषचन्द्र जोषी़, अधिवक्ता  -  विपक्षीगण की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 13.05.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         23.07.2015 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी मोतीलाल वाहन संख्या RJ-18 G-3040 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 28.12.2011 से 27.12.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 10.09.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षीगण बीमा कम्पनी को दी गई तथा पुलिस थाना सदर झुंझुनू में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 181/12 दर्ज कराई। उक्त सूचना के क्रम में विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण कर लिया । परिवादी ने वाहन को रिपेयर करवाया जिस पर रिपेयर व अन्य हानि के कुल  2,50,000/- रूपये खर्च हुआ, जिसका भुगतान परिवादी ने कर दिया । परिवादी ने विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया तो विपक्षीगण ने परिवादी को दिनांक 24.07.2014 को पत्र (नोटिस) द्वारा परिवादी का दावा मंजूर करने के लिये कुछ दस्तावेजात मांगे परन्तु विपक्षीगण ने नोटिस गलत भेजा, परिवादी ने एक साल पहले ही विपक्षीगण को  उपलब्ध करवा दिये थे। परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया तथा दिनांक 01.04.2015 को विपक्षीगण को लीगल नोटिस जारी किया गया परन्तु विपक्षीगण ने उसके बावजूद क्लेम देने से इन्कार किया। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 2,50,000/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी वाहन संख्या RJ-18 G-3040 का रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को कोई सूचना नहीं दी गई तथा घटना के तीन दिन बाद दिनांक 13.09.2012 को एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई है। वर वक्त घटना बीमित वाहन ट्रक में किराये पर सवारियां ढोई जा रही थी जिस तथ्य को परिवादी ने जानबूझकर छिपाया है। परिवादी ने वाहन का स्पाॅट सर्वे नहीं करवाया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिनांक 24.07.2014 के नोटिस द्वारा समस्त तथ्यों से अवगत करा दिया गया था तथा विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को कई पत्रों द्वारा सूचित किया कि वह अपने स्वंय का बैंक खाता व आई.डी. प्रूफ की फोटो प्रतियां पेष करे ताकि उसके दावे का नियमानुसार निपटारा किया जा सके परन्तु परिवादी ने कोई दस्तावेजात बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं करवाये। मजबूरन परिवादी की फाईल  बंद करनी पड़ी। इसलिये बीमा शर्तों का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षीगण से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन          RJ-18 G-3040 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक  28.12.2011 से 27.12.2012 तक की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण का बहस के दौरान यह तर्क होना कि वर वक्त घटना बीमित वाहन ट्रक में किराये पर सवारियां ढोई जा रही थी, जिस तथ्य को परिवादी ने जानबूझकर छिपाया है। बीमा कम्पनी ने यात्रियों का कोई प्रीमियम नहीं लिया है तथा बीमा कम्पनी को तुरंत सूचना नहीं दी है। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
   हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। क्योंकि परिवादी की ओर से वाहन के अथोराईजेषन सर्टिफिकेट आफ नेषनल परमिट (गुड्स) की जो फोटो प्रति पेष की गई है, उसके अनुसार उक्त वाहन में Seating Capacity 6 बताई गई है। परमिट की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है। मात्र विपक्षीगण की ओर से वक्त घटना ट्रक में दो व्यक्तियों को किराये पर बैठाया जाना बताया है, जो किसी भी तरह से विष्वसनीयपूर्ण नहीं है। क्योंकि पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि विपक्षीगण यह साबित करने में असफल रहा है कि वक्त घटना दुर्घटना में लिप्त वाहन में दो व्यक्ति यात्री की हैसियत से यात्रा कर रहे हों और उन्होने ट्रक मालिक/चालक को किराया अदा किया हो। विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि ट्रक में 6 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है मात्र दो व्यक्ति जो उनके निजी परिवार के मिलने वाले सदस्य थे, वह यात्री की हैसियत से यात्रा नहीं कर रहे थे।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने जवाब के दौरान तथा प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेज/पत्र दिनांक 24.07.2014 के आधार पर यह तथ्य उजागर हुये हंै कि     उक्त वाहन दावा भुगतान वास्ते बीमाधारी अपना बैंक खाता संख्या व बैंक FSC  कोड बीमा कम्पनी को प्रस्तुत करे ताकि उक्त दावा का भुगतान किया जा सके। जिससे स्पष्ट है कि बीमा पालिसी की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं हुआ है। परिवादी ने क्लेम से सम्बन्धित आवष्यक दस्तावेजात विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां समय पर पेष किया जाना बताया है जो प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से भी स्पष्ट हुआ है। उक्त घटना की सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को तुरंत दिया जाना बताया है। घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट भी पुलिस थाना सदर झुंझुनू में दर्ज करवाई गई है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा घटनास्थल /मौके की जांच सर्वेयर द्वारा नहीं कराई गई। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी की किसी भी शर्त का उल्लंघन हुआ हो यह साबित नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी की ओर से निम्न न्यायदृष्टांत पेष किये गये-2014(2)CCR 1178(Raj)- Atar Singh & Ors Vs Manohar Singh & Ors, 2013(2)CCR 804(Raj)- New India  Assurance Co. Ltd. Vs Kamala & Ors, 2012(1)CCR 82(MP)- United India Insurance Co. Ltd. Vs Smt. Gayatra Bai  & Ors, 2007 RAR 275(Raj)- New India  Assurance Co. Ltd.Vs Hakim & Ors. 2005 RAR 487(Raj)- National Insurance Co. Ltd.Vs Nanda & Ors.

उपरोक्त न्यायदृष्टातों में माननीय न्यायाधिपति महोदय द्वारा जो सिद्धान्त प्रतिपादित किये हैं उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं। लेकिन हस्तगत प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियां भिन्न होने के कारण उपरोक्त न्यायदृष्टांत विपक्षी को कोई मदद नहीं करते। 
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक       10.09.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षीगण बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 73900/-रूपये Net loss Assessed  मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस प्रकार परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षीगण बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-  
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA  VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS,  II (2014) CPJ 593 (NC)-  MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)-  MANJULA DAS  VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.  
  उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर बीमा कम्पनी की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं होने पर विपक्षी, परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। 
  परिवादी ने परिवाद पत्र में वाहन की क्षति की राषि  2,50,000/- रूपये बढा-चढाकर बताई है, जिस पर पूर्ण रूप से विष्वास नहीं किया जा सकता।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षीगण बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 73900/-रूपये (अक्षरे रूपये तेहतर हजार नो सौ) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षीगण से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 23.07.2015 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
   निर्णय आज दिनांक 13.05.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER

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