AJAY KUMAR filed a consumer case on 25 Feb 2015 against U.I.I.CO.LTD in the Barmer Consumer Court. The case no is CC/121/13 and the judgment uploaded on 30 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, बाड़मेर (राजस्थान)
अध्यक्ष: श्री मिथिलेश कुमार शर्मा
सदस्या: श्रीमती ममता मंगल
सदस्य : श्री अशोक कुमार सिंधी
परिवाद संख्या 121/2013
परिवादी:
अजय कुमार पुत्र पदमाराम जाति मेघवाल
निवासी सोखरू तहसील व जिला बाड़मेर (राज.)
बनाम
विप्रार्थी:
मण्डलीय प्रबन्धक,
युनाईटेड इण्डिया इश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा स्टेशन रोड़, बाड़मेर।
उपस्थित:-
1. परिवादी की ओर से श्री अमित धनदे एडवोकेट।
2. विप्रार्थी की ओर से श्री श्यामलाल सिंघल एडवोकेट।
ःःनिर्णय:ः दिनांक: 25.02.2015
1. परिवादी ने यह परिवाद इन तथ्यों का पेश किया है कि परिवादी ने जयपुर थार ग्रामीण बैंक शाखा बिशाला जिला बाड़मेर से ऋण राशि 30,000/- रूपये प्राप्त कर 20 बकरिया व एक बकरा क्रय किया था तथा उक्त खरीदसुदा पशुओं (20 बकरी व एक बकरा) का बीमा विप्रार्थी बीमा कम्पनी से करवाया गया था। विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के पक्ष में बीमित पशुओं की बीमा पाॅलिसी संख्या 141100/47/06/41/0000070 जारी की गई थी। विप्रार्थी द्वारा बीमा पाॅलिसी में संविदा की गई थी कि बीमित अवधि में पशुओं के मरने पर उसकी क्षतिपूर्ति बीमा कम्पनी विप्रार्थी द्वारा परिवादी को प्रदान की जावेगी।
2. परिवादी की 20 बकरिया व एक बकरा जो विप्रार्थी से बीमित थे कि दिनांक 22.08.2006 को ग्राम मलवा तहसील बाड़मेर में आई बाढ़ में बह गये जिसका क्लेम दावा परिवाद द्वारा विप्रार्थी से सक्षम उसी दरम्यान प्रस्तुत कर दिया था।
3. परिवादी के मरने वाले 20 बकरियां व एक बकरा बाढग्रस्त इलाकों में जिला प्रशासन के आदेशानुसार मृत पशुओं के निस्तारण हेतु माहामारी फैलने से रोकने हेतु पशुओं को ग्राम सरपंच, पटवारी व मौजिज ग्रामीणों के रूबरू दफनाने का आदेश दिया था तब परिवादी के मृत पशु पटवारी, ग्राम सेवक व सरपंच की मौजूदगी में दफनाये गये।
4. परिवादी द्वारा बाढ़ एवं अतिवृष्टि से मरे अपने बीमित पशुओं का क्लेम राशि प्राप्त करने के लिए विप्रार्थी के समक्ष अपना क्लेम दावा प्रस्तुत किया मगर आज दिन तक विप्रार्थी ने जानबूझ कर अपनी लापरवाही के कारण परिवादी को क्लेम राशि नहीं मिल पाई जो कि विप्रार्थी द्वारा परिवादी को देय उपभोक्ता सेवाओं में त्रुटि की तारीफ में आता है।
5. परिवादी ने विप्रार्थी को क्लेम दावा राशि प्राप्त करने के लिये अपने अधिवक्ता के मार्फत रजिस्टर्ड काूननी नोटिस दिनांक 15.09.2011 को भेजकर क्लेम राशि देने की मांग की गई, मगर विप्रार्थी द्वारा न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही आज दिन तक परिवादी के क्लेम दावे का न तो निस्तारण किया है और न ही क्लेम राशि प्रदान की है।
6. परिवादी कई बार विप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय में गया और क्लेम राशि देने की मांग की गई लेकिन परिवादी को सिर्फ दिलासा देकर हर बार खाली हाथ लौटाया गया। आज से चार पांच दिन पूर्व परिवादी ने विप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय जाकर क्लेम दावे के संबंध में पूछताछ की तब बताया गया कि आपका क्लेम खारिज कर दिया गया है तब परिवादी ने क्लेम खारिज होने बाबत् प्रमाण पत्र मांगा तो बीमा कम्पनी अधिकारी ने देने से मना कर दिया।
7. परिवादी को बीमा अधिकारी द्वारा क्लेम दावा खारिज होने की मौखिक सूचना देने की तिथि से उक्त परिवाद पत्र अन्दर म्याद श्रीमान् के समक्ष प्रस्तुत है।
8. परिवादी को विप्रार्थी के कृत्य व सेवा में त्रुटि के कारण भारी मानसिक व आर्थिक क्षति कारित हुई है जिसके कारण परिवादी विप्रार्थी से मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति पेटे 10,000/- रूपये प्राप्त करने की अधिकारी है।
9. इस मंच को क्षैत्राधिकार होने का तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है।
10. विप्रार्थी की ओर से उक्त परिवाद के तथ्यों का जवाब पेश किया गया है जिसमें यह वर्णित है कि परिवादी द्वारा अपने प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत किये गये दस्तावेजात में केवल बीमा पाॅलिसी की फोटो प्रति प्रमाणित की हुई पेश की गई है, उसके अलावा अन्य कोई दस्तावेजात परिवादी द्वारा पेश नहीं किये गये है।
11. परिवादी के जानवर 20 बकरियां व एक बकरा दिनांक 22.08.2006 को ग्राम मलवा में मरने की बात अस्वीकार है। इसी प्रकार परिवादी द्वारा अपने मृत पशुओं का मुआवजा का दावा पेश करने की बात भी अस्वीकार है। इस संबंध में परिवादी द्वारा कोई दस्तावेज पेश नहीं किये गये है।
12. परिवादी के मृत पशुओं को सरपंच, पटवारी व मौजीज ग्रामीणों के रूबरू दफानाने के आदेश होने व उस आदेश के अनुसार परिवादी के मृत पशु तत्कालीन पटवारी, ग्राम सेवक व सरपंच की मौजूदगी में दफानाये जाने की बात अस्वीकार है क्योंकि इस संबंध में परिवादी द्वारा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है।
13. विप्रार्थी बीमा कम्पनी को अपने मृत बीमित पशुओं की क्लेम राशि प्राप्त करने के लिए कोई प्रार्थना पत्र पेश नहीं किया गया ऐसी सूरत में परिवादी को विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की कमी का मामला नहीं बनता है।
14. परिवादी द्वारा विप्रार्थी बीमा कम्पनी को अपने मृत पशुओं के संबंध में कोई दावा पेश नहीं किया गया तो विप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनांक 15.09.2011 को अगर कोई नोटिस भी दिया गया है तो वह गलत है क्योंकि मात्र नोटिस देने से क्लेम प्रस्तुत करना नहीं माना जा सकता।
15. परिवादी द्वारा विप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय में अपने मृत पशुओं के क्लेम के संबंध में चक्कर लगाने व उसे आश्वासन देने एवं क्लेम खारिज करने की सूचना देने की बात बिलकुल गलत दिखाई है। इस संबंध में भी परिवादी द्वारा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है परिवादी द्वारा यह परिवाद गलत पेश किया गया है।
16. परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद स्पष्ट रूप से म्याद बाहर है क्योंकि परिवादी ने अपने पशुओं की मृत्यु दिनांक 22.08.2006 को होना बताया है जिसके लगभग 7 वर्ष बाद यह प्रार्थना पत्र पेश किया गया है जो स्पष्ट रूप से म्याद बाहर है।
17. परिवादी को दी जाने वाली सेवाओं में कोई कमी नहीं की गई है अपने क्लेम प्रार्थना पत्र के साथ बीमित पशुओं की मृत्यु के संबंध में जब कोई दस्तावेज ही नहीं है तो यही माना जायेगा की परिवादी के बीमित पशुओं की मृत्यु दिनांक 22.08.2006 को हुई ही नहीं।
18. परिवादी के बीमित पशुओं की मृत्यु के संबंध में कोई प्रमाण नहीं होने के कारण परिवादी का यह परिवाद विद्वान मंच के क्षेत्राधिकार का नहीं है और यह प्रार्थना की है कि परिवाद खारिज किया जावे।
19. उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया।
20. विद्वान अभिभाषक परिवादी ने परिवाद में वर्णित तथ्यों का समर्थन दस्तावेजात व शपथ पत्र से होने का हवाला देकर परिवाद स्वीकार करने की दलील दी।
21. विद्वान अभिभाषक विप्रार्थी ने जवाब के तथ्यों का समर्थन शपथ पत्र व दस्तावेजात से होने की दलील देते हुए परिवाद खारिज करने की दलील दी।
22. विद्वान अभिभाषक विप्रार्थी की यह भी दलील है कि बाढ़ को आधार बनाकर फर्जी दावे पेश किये गये है जो म्याद बाहर है उन्होंने परिवादी द्वारा प्रस्तुत बाढ़ पीडि़तों की सूची व परिवाद के तथ्यों में अन्तर होने का हवाला देते हुए परिवाद खारिज करने की दलील दी और उन्होंने अपनी दलीलों के समर्थन में निम्नलिखित नजीर भी पेश की।
पण् 2014;3द्ध ब्च्त् 397 ;छब्द्ध क्ववंइ म्गपउ च्अजण् स्जकण् ज्ीतवनही पजे डंदंहपदह क्पतमबजवत टध्ै म्गचवतज ब्तमकपज ळनंतंदजमम ब्वतचवतंजपवद व िप्दकपं ;। ळवअजण् व िप्दकपं म्दजमतचतपेमण्
23. जवाबी बहस में परिवादी के अभिभाषक की दलील है कि संबंधित बैंक द्वारा कार्यवाही की जाती रही इस लिए विलम्ब हुआ है जिसे माफ किया जावे और परिवाद स्वीकार करने की दलील दी।
24. उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि परिवादी ने परिवाद में जो तथ्य वर्णित किये उनके संदर्भ में वर्ष 2006 में 20 बकरियां व 1 बकरा मरने का तथ्य वर्णित किया है, सरपंच ग्राम पंचायत दूदाबेरी का प्रमाण पत्र दिनांक 27.08.2006 पेश किया है जिसमें परिवादी की 20 बकरियां 1 बकरा मरने उन्हें दफनाये जाने का प्रमाण पत्र दिया है वर्ष 2006 बाढ़ पीडि़तों के सर्वे की सूची पेश की है जिसके क्रमांक 166 पर परिवादी अजय कुमार पुत्र पदमाराम की बकरी 7, ऊंट 1, भेड़ 9, गाय 7 मरने का तथ्य वर्णित है। ऐसी सूरत में परिवादी का जो अभिलेख है वह परिवाद के तथ्यों से समर्थित नहीं है सरपंच ने प्रमाण पत्र किस आधार पर जारी किया है इसका कोई विवेचन प्रमाण पत्र में नहीं है तथा उक्त प्रमाण पत्र में सर्वे रिपोर्ट से विरोधाभाषी तथ्य है जो परिवाद के तथ्यों पर संदेह पैदा करते है।
25. दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य है कि परिवाद के चरण 2 में दिनांक 22.08.2006 को बाढ़ आने व उक्त बाढ़ में परिवादी की बकरिया मरने का तथ्य वर्णित किया है दिनांक 22.08.2006 से लगभग 6) वर्ष बाद यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है और इस संबंध में जयपुर थार ग्रामीण बैंक जोधपुर के पत्र दिनांक 12.03.2011 का आधार लिया है उक्त पत्र से यह स्पष्ट होता है कि जयपुर थार ग्रामीण बैंक शाखा बिशाला द्वारा पशुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, बीमा क्लेम फाॅर्म के साथ विप्रार्थी बीमा कम्पनी के बाड़मेर कार्यालय को प्रेषित किये थे जो दिनांक 15.11.2006 को पेश किये गये थे जिसकी स्वीकृति अथवा खारिज होने की सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
26. प्रथम तो इस पत्र के साथ बैंक शाखा बिशाला द्वारा प्रेषित पत्र की कोई प्रति तथा क्लेम आवेदन पत्र व पशुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की प्रतिलिपियां न तो पत्र के साथ संलग्न की है और न ही परिवाद के साथ संलग्न की है ऐसी सूरत में इस पत्र का आधार थार ग्रामीण बैंक शाखा बिशाला का पत्र होने से और उस पत्र की कोई प्रति तथा पत्र के साथ संलग्न स्वास्थ्य प्रमाण पत्र तथा क्लेम आवेदन पत्र की प्रति नहीं होने से उक्त पत्र को म्याद बढ़ाये जाने का आधार माना जाना उचित नहीं है।
27. इसी संदर्भ में मेरे समक्ष प्रस्तुत नजीर में यह स्पष्ट किया गया है कि-
ब्वउचसंपदंदज पे तम.ुनपतमक जव ेीवू ेनििपबपमदज बंनेम ूीपबी चतमअमदजमक ीपउ तिवउ पिसपदह बवउचसंपदज ूपजीपद चमतपवक व िसपउपजंजपवद व िजूव लमंते तिवउ कंजम व िबंनेन व िंबजपवद ंे चतमेबतपइमक नदकमत ेमबजपवद 24।.म्गचसंदंजपवद वित कमसंल पद पिसपदह व िबवउचसंपदजण्
28. प्रकरण के तथ्यों से बाढ़ दिनांक 22.08.2006 को आई और 22.08.2006 से 2 वर्ष की अवधि 22.08.2008 को पूर्ण हो गयी उसके पश्चात् म्याद अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक दिवस को विलम्ब के संबंध में परिवादी को स्पष्टीकृत करना है परिवादी ने यह परिवाद दिनांक 18.03.2013 को प्रस्तुत किया है जो लगभग 4) वर्ष की अवधि के अवांछनीय विलम्ब से प्रस्तुत किये जाने के कारण म्याद बाधित होने से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। खारिज किये जाने योग्य है।
ःः आदेष:ः
अतः परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करंेगे।
(श्रीमति ममता मंगल) (श्री अशोककुमार सिंधी) (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
निर्णय व आदेश आज दिनांक 25.02.2015 को खुले मंच पर लिखवाया जाकर सुनाया गया।
(श्रीमति ममता मंगल) (श्री अशोककुमार सिंधी) (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.