जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।
3. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 16.07.2015
मूल परिवाद संख्या:- 35/2015
राजवीर सिंह पुत्र श्री स्वराजसिंह जाति जाट
मैसर्स चैधरी एंटरप्राईजेस निवासी गांधी काॅलोनी प्लाॅट नम्बर 676 विवेकानन्द मार्ग जैसलमेर(राज.)
.........परिवादी
बनाम
वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक यूनाईटेड इण्डिया इन्षोरेंस कं. लिमिटेड शाखा सत्य कुजं षिव रोड़, जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर राज0
............. अप्रार्थी
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री भगवानसिंह अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिंह नरावत अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से।
ः- निर्णय -ः दिनांक: 18.02.2016
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी की गाड़ी नम्बर त्श्र 15 न्। 0609 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा दिनांक 18.06.2014 से 17.06.2015 तक बीमित था उक्त वाहन दिनांक 06.08.2014 को रात को परिवादी के घर के आगे से अज्ञात चोर चारी कर ले गये दिनंाक 07.08.2014 को परिवादी का भाई ओमप्रकाष उठा तो गाड़ी घर के आगे नही होने से इघर उधर पूछताछ की लेकिन गाड़ी नही मिलने पर दिनांक 08.08.2014 को पुलिस थाना जैसलमेर मे एफआईआर दर्ज करवाई पुलिस ने चोरो को ढूढने का प्रयास किया लेकिन अप्रार्थी की गाड़ी अभी तक बरामद नही हुई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद परिवादी पुलिस के साथ गाड़ी ढूढने में लग गया और अप्रार्थी कार्यालय मे जाकर दिनांक 11.08.2014 को सूचित कर दिया तो अप्रार्थी कार्यालय ने कहा कि गाड़ी नही मिले तो कागजात ओर एफआईआर की कापी हम क्लैम करवा देगें जो 4 लाख 70 हजार का होगा तब परिवादी ने दिनांक 09.09.2014 को अप्रार्थी कार्यालय मे परिवादी ने गाड़ी के कागजात दे दिये तब अप्रार्थी कार्यालय ने कहा कि क्लैम की सूचना आपको भेज देगें। परिवादी अप्रार्थी कार्यालय के चक्कर लगाता रहा लेकिन अप्रार्थी को कोई संतोषजनक जवाब नही दिया गया बाद में नियमों का हवाला देकर क्लैम खारिज कर दिया कि आपने 34 दिन बाद सूचित किया है जबकि परिवादी को बीमा कराते समय यह बताया था कि वाहन डेमेज/चोरी हो जायेगा तो इंष्योरेय कम्पनी उतरदायी रहेगी। जबकि परिवादी कम्पनी के नियमों की जानकारी नही थी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है। जिस पर परिवादी ने क्लैम राषि 4 लाख 70 हजार रू के साथ 1 लाख रू मानसिक,षारीरिक व आर्थिक नुकसान पेटे दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी की तरफ से सक्षिप्त में जवाब इस प्रकार है कि परिवादी उक्त वाहन का पंजीकृत स्वामी नही है। जिस कारण परिवादी स्वयं की व्यक्तिगत हैसियत से परिवाद पेष करने का अधिकारी नही है। बीमा शर्तो के अनुसार वाहन मालिक का दायित्व होता है कि वह अपने वाहन को समूचित व सुरक्षित स्थान पर खड़ा करे व उसकी सुरक्षा की पुख्ता प्रबंध करे जबकि उक्त प्रकरण में वाहन मालिक ने वाहन खुला रात्रि मे बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के खड़ा किया इसलिए बीमा कम्पनी क्लैम हेतु उतरदायी नही है। तथा साथ ही बीमा पाॅलिसी शर्तो मे यह प्रावधान है कि वाहन मालिक अपना वाहन गुम होने के सूचना पाॅलिसी जारीकर्ता कार्यालय को तुरन्त देगा ऐसा न करने पर पाॅलिसी की शर्तो का उल्लघन होने के कारण क्लैम अदायगी का उतरदायित्व बीमा कम्पनी का नही होगा। इस प्रकरण में वाहन दिनांक 06.08.2014 को रात्रि मे चोरी होना बताया है जबकि बीमा कम्पनी को सूचना घटना से 34 दिन बाद दिनंाक 09.09.2014 को दी गई। इसलिए पाॅलिसी शर्तो के उल्लघन के कारण वाहन का क्लैम सही खारिज किया गया है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। उक्त वाहन वाणिज्यिक होने के कारण परिवादी उपभोक्ता नही है। इसलिए परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीया एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या परिवादीया का परिवाद उपभोक्ता अधिनियम के तहत् पोषणीय है ?
3. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
4. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणीय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे यह बताया है कि परिवादी ने अपने वाहन सं. त्श्र 15 न्। 0609 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा 11308 रू प्रीमियम अदा कर अपनी फर्म मैसर्स चैधरी इन्टरप्राईजेज गाॅधी काॅलोनी जैसलमेर के नाम बीमा कवर नोट जारी किया जिसकी बीमित अवधि दिनांक 18.06.2014 से 17.06.2015 है। तथा वाहन दिनांक 06.08.2014 को रात्रि मे चोरी होना बताया है जो बीमा अवधि के दौरान ही है। तथा परिवादी द्वारा पेष ब्वदजतंबजवत म्दसपेजउमदज व्तकमत दिनांक 18.05.2015 मे मैसर्स चैधरी इन्टरप्राईजेज गाॅधी काॅलोनी जैसलमेर फर्म का प्रोपराईटर राजवीरसिंह चैधरी बताया गया है तथा उक्त वाहन प्राईवेट कार पैकेज पाॅलिसी के तहत् बीमित है। तथा वाहन चोरी की निजी एवं गोपनीय प्रतिवेदन दिनांक 03.03.2015 जोकि दौलतसिंह भाटी इन्वेस्टीगेटर द्वारा तैयार किया गया है उसमे भी बीमाधारी का नाम राजवीर सिंह (चैधरी इन्टरप्राईजेज) लिखा है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ?
विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है की अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उनका क्लैम गलत आधारों पर खारिज किया है जबकि परिवादी ने वाहन के चैरी होने के बाद तुरंत पुलिस थाना जैसलमेर मे प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी गई थी। तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी कार्यालय मे जाकर सूचित किया था। उनकी यह भी दलील है कि बीमा शर्ते क्या थी यह भी उन्है बीमा कम्पनी द्वारा नही बताया गया था तथा न ही उन्हे नियमों की जानकारी थी अपने तर्को के समर्थन में माननीय उच्च न्यायालय पंजाब एवम् हरियाणा के विनिषिचय सिविल रिट पीटीसन सं.20796/2012 निर्णय दिनांक 07.07.2014 प्ििबव ज्वापव ळमदतंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्पउपजमक टमतेने टमक च्ंस ंदक व्जीमते व सिविल रिट पीटीसन सं.15052/2013 निर्णय दिनांक 08.12.2014 व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्पउपजमक टमतेने च्ीववस ज्ञंदूंत ंदक व्जीमते व सिविल रिट पीटीसन सं.13498/2014 निर्णय दिनांक 16.07.2014 ठींतजप ।गं ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्पउपजमक टमतेने डेण् डवदन ल्ंकंअ ंदक व्जीमते के पेष किये।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान बीमा कम्पनी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने दिनांक 08.08.2014 को एफआईआर दर्ज कराई गई लेकिन बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना वाहन चोरी दिनांक 06.08.2014 से 1 माह 3 दिन बाद यानि 34 दिन बाद दिनांक 09.09.2014 को दी गई। इस प्रकार बीमा पाॅलिसी की शर्ते 1 का उल्लघन होने के कारण परिवादी का क्लैम दावा सही निरस्त किया गया है अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। अपने तर्को के समर्थन में छंजपवदंस ब्नदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतेेंस ब्वउउपेेपवद छमू क्मसीप त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव.3765 व् ि2014 निर्णय दिनांक 14.01.2015 छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्पउपजमक टे ैनातंउचंस तथा छंजपवदंस ब्नदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतेेंस ब्वउउपेेपवद छमू क्मसीप त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव.4749 व् ि2013 निर्णय दिनांक 16.12.2014 ैीतप त्ंउ ळमदतंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्पउपजमक टे डंीमदकमत श्रंज तथा प्राईवेट कार पैकेज पाॅलिसी की शर्ते पेष की। उनकी यह भी दलील है कि परिवादी पंजीकृत वाहन मालिक नही है इस कारण उसे परिवाद व्यक्तिगत हैसियत से पेष करने का हकदार नही है वाहन मैसर्स चैधरी इन्टरप्राईजेज गाॅधी काॅलोनी जैसलमेर के नाम पंजीकृत है। उनकी यह भी दलील है कि वाहन को सुरक्षित स्थान पर खड़ा नही किया गया न ही उसकी पुख्ता सुरक्षा के प्रबंध किये गये इस कारण परिवादी की लापरवाही के लिए बीमा कम्पनी उतरदायी नही है उनकी अंतिम रूप से यह भी दलील है कि वाहन वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए खरीदा गया था इस कारण परिवादी उपभोक्ता नही है तथा उनकी यह भी दलील है कि प्रार्थी को बीमा शर्तो से अवगत करा दिया गया था। तब ही उसने एक प्रार्थना पत्र लेट सूचना देने के बाबत् लिखा जिसमें लेट सूचना का कारण यह बताया कि गाड़ी की खोज मे लगें हुए थे ओर प्रार्थना पत्र मे यह भी बताया है कि कार्यालय को 09.09.2014 को सूचना दी थी। यदि उनकों नियम व शर्तोे का जानकारी नही होती तो वह यह बता सकता था कि बीमा शर्तो की जानकारी नही होने से यह सूचना देरी से दी गई है अतः परिवादी का परिवादी मय हर्जा खर्चा के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
8. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। सर्वे प्रथम हमे यह देखना है कि बीमा कम्पनी ने परिवादी के वाहन सं. त्श्र 15 न्। 0609 का क्लैम दिनांक 17.06.2015 को जिस आधार पर खारिज किया गया है वह सेवा दोष की तारीफ मे आता है या नही ? अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का जो दावा क्लैम दिनांक 17.06.2015 को खारिज किया है उसका आधार यह लिया है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना 01 माह 3 दिन यानि 34 दिन बाद की गई। जिसके परिणामस्वरूप बीमा कम्पनी चोरी की घटना के तथ्यों के बाबत् जाॅच के अधिकार से वचित हुई है। बीमा पाॅलिसी की शर्त 01 के अनुसार वाहन मालिक को वाहन चोरी की दषा में घटना की तुरंत सूचना बीमा कम्पनी को देने का प्रावधान है। अतः बीमा शर्तो का उल्लघन होने पर परिवादी का दावा क्लेम निरस्त किया गया था। इस सम्बंध मे विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि गलत आधार पर दावा क्लेम खारिज किया गया है जबकि चोरी की घटना के तुरंत बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 08.08.2014 को पुलिस थाना जैसलमेर में दर्ज करा दी गई थी तथा एफआईआर दर्ज कराने के बाद पुलिस के साथ गाड़ी ढूढने मे लग गया और बीमा कम्पनी के कार्यालय मे दिनांक 11.08.2014 को सूचित कर दिया था। अतः सूचना देने मे कोई देरी नही हुई है। इस सम्बंध में हमने परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद व साक्ष्य का अवलोकन किया तो उसमें यह तथ्य आया है कि बीमा कम्पनी को दिनांक 11.08.2014 को सूचना दे दी थी। लेकिन परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र जो बीमा कम्पनी को पेष किया उसमें लेट सूचना देने के बाबत् स्पष्ट्रीकरण दिया है कि मेरी गाड़ी सं. त्श्र 15 न्। 0609 दिनांक 06.08.2014 को मेरे घर से चोरी हो गई मैने आपके कार्यालय में दिनांक 09.09.2014 को सूचना दी थी। देरी से सूचना देने का कारण गाड़ी की खोज मे लगे हुए थे। अतः परिवादी द्वारा दिनांक 11.08.2014 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय में सूचना देने बाबत् तथ्य इस आधार पर गलत साबित होता है। परिवादी द्वारा पेष बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत पत्र को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नहीं है। अतः लिखित पत्र के अनुसार परिवादी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को कार्यालय में दिनांक 09.09.2014 को सूचना देना प्रमाणित है जो काफी विलम्ब से दी गई है।
9. बीमा शर्ते संख्या एक के अनुसार छवजपबम ेींसस इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम ब्वउचंदल पउउमकपंजमसल नचवद जीम वबबनततमदबम व िउल ंबबपकमदजंस सवेे वत कंउंहम पद जीम मअमदज व िंदल बसंपउ ंदक जीमतमंजिमत जीम पदेनतमक ेींसस हपअम ंसस ेनबी पदवितउंजपवद ंदक ंेेपेजंदज ंे जीम ब्वउचंदल ेींसस तमुनपतमण् म्अमतल संजजमत बसंपउ ूतपज ेनउउवदे ंदकध्वत बवचल जीमतमव िेींसस इम वितूंतकमक जव जीम ब्वउचंदल पउउमकपंजमसल वद तमबमपचज इल जीम पदेनतमकण् छवजपबम ेींसस ंसेव इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम बवउचंदल पउउमकपंजमसल जीम पदेनतमक ेींसस ींअम ादवूसमकहम व िंदल पउचमदकपदह चतवेमबनजपवदए पदुनमेज वत ंिजंस पदुनपतल पद तमेचमबज व िंदल वबबनततमदबम ूीपबी उंल हपअम तपेम जव ं बसंपउ नदकमत जीपे चवसपबलण् प्द ब्ंेम व िजीमजि वत बतपउपदंस ंबत ूीपबी उंल इम जीम ेनइरमबज व िं बसंपउ नदकमत जीपे चवसपबल जीम पदेनतमक ेींसस हपअम पउउमकपंजम दवजपबम जव जीम चवसपबम ंदक बव.वचमतंजम ूपजी जीम ब्वउचंदल पद ेमबनतपदह जीम बवदअपबजपवद व िजीम वििमदकमतण् अतः शर्ते के अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी को तत्काल सूचना देना आवष्यक है तथा छंजपवदंस ब्नदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतेेंस ब्वउउपेेपवद छमू क्मसीप त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव.3765 व् ि2014 निर्णय दिनांक 14.01.2015 में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह माना है कि ज्ीम चनतचवेम व ितमुनपतपदह जीम पदेनतमक जव हपअम पउउमकपंजम पदजपउंजपवद व िजीम सवेे व िजीम अमीपबसम जव जीम पदेनतंदबम बवउचंदल पे जव मदंइसम जीम ेंपक बवउचंदल जव पदकमचमदकमदजसल अमतपलि जीम ंससमहमक सवेे ंदक ंेबमतजंपद जीम बपतबनउेजंदबमे पद ूीपबी जीम अमीपबसम बंउम जव इम ेजवसमदण् प् िपउउमकपंजम पदजपउंजपवद व िजीम जीमजि व िजीम अमीपबसम पे दवज हपअमद जव जीम पदेनतंदबम बवउचंदलए पज ूपसस दवज इम चवेेपइसम वित जीमउ जव अमतपलि जीम ंससमहमक जीमजि ंे ंसेव जीम बपतबनउेजंदबमे ेनततवनदकपदह जीम ंससमहमक जीमजिण् । संजम पदजपउंजपवद वइअपवनेसल कममिंजम जीम ंवितमेंपक चनतचवेम ेपदबमए वद ंबबवनदज व िजीम चंेेंहम व िजपउमए जीम मअपकमदबम ूीपबी बवनसक इम ंअंपसंइसम पउउमकपंजमसल वद जीम ींचचमदपदह व िजीम जीमजि उंल दवज इम ंअंपसंइसम जव जीम तमचतमेमदजंजपअम व िजीम पदेनतंदबम बवउचंदलण् अतः उक्त विवेचन के आधार पर हमारी विनम्र राय में परिवादी ने वाहन चोरी होने की सूचना बीमा कम्पनी को तत्काल न देकर बीमा शर्ते सं. 01 का उल्लघन किया है। जहाॅ तक परिवादी को बीमा शर्तो की जानकारी नही होने का प्रष्न है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र जिसमें लेट सूचना देने बाबत् अप्रार्थी बीमा कम्पनी को पत्र लिखा है। उसमें देरी से सूचना बाबत् कारण यह नही बताया है कि उसे शर्तो की जानकारी नही थी यदि इस प्रकार की कोई बात होती तो परिवादी अवष्य बताता बल्कि उसने अपने प्रार्थना पत्र मे विलम्ब से सूचना देने का कारण गाड़ी खोजना बताया है।
अतः सूचना देना परिवादी के ज्ञान में था। उक्त परिस्थितियो में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का दावाकृत क्लेम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है।
अतः बिन्दू सं. 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
10. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 18.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।