जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 08.09.2015
मूल परिवाद संख्या:- 51/2015
श्री राजेष कुमार मोयल पुत्र श्री पूनमचन्द मोयल, जाति- मोयल,
निवासी- गांधी काॅलोनी जैसलमेर तह. व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
शाखा प्रंबधक, युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेस कम्पनी लिमिटेड जिला जैसलमेर
.............अप्रार्थी।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री महेष कुमार माहेष्वरी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिंह नरावत अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांकः 04.02.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का पंजीकृत वाहन संख्या त्श्र.15.ब्।.0703ए ब्भ्म्टत्व्स्म्ज् व्च्ज्त्। ैत्ट अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा दिनांक 25.01.2013 से 24.01.2014 तक बीमित था। परिवादी अपने उक्त वाहन के बीमा समाप्ति से पूर्व अप्रार्थी के कार्यालय मे दिनांक 19.01.2014 को गया तो कार्यालय के बीमा एजेन्ट नभीभकष के द्वारा कहा की आपके उक्त वाहन का बीमा 16,101 रू मे होगा तब परिवादी ने एजेन्ट को चेक देकर पुनः पाॅलिसी संख्या 1411033113पी106826912 जारी की जिसकी वैद्यता दिनांक 25.01.2014 से 24.01.2015 तक थी प्रार्थी का उक्त वाहन दिनांक 12.08.2014 को शाम 5 बजे देचू के पास दूघर्टनाग्रस्त हो गया जिसकी सूचना परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी तो अप्रार्थी द्वारा मौके पर सर्वेयर भेजकर सर्वे करने के पश्चात् वाहन को रिर्पेयरिग हैतु जोधपुर ले जाया गया जिस पर वाहन के रिपेयरिग पर कुल 304990 रू खर्च हुए जिसका वाहन क्लैम प्राप्त करने हेतु समस्त कागजात अप्रार्थी कार्यालय को दिये कुल समय पश्चात् दिनांक 19.01.2015 को अप्रार्थी कार्यालय ने एक रजिस्टर्ड पत्र भेजकर परिवादी का क्लैम एन.सी.बी के आधार पर खारिज कर दिया जबकि प्रपोजल फार्म पर परिवादी के हस्ताक्षर नही है तथा बीमा कराते समय एजेन्ट द्वारा भी समस्त नियम नही बताये गये तथा बीमा कम्पनी परिवर्तन से पूर्व की बीमा कम्पनी से भी समस्त जानकारी नही ली गई अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है।
प्रार्थी ने वाहन की बीमित राषि 3,05000 रूश्व मानसिक हर्जाना पेटे 80,000 रू व परिवाद व्यय 10,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी की ओर से जवाब पेष कर प्रकट किया कि परिवादी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित होना स्वीकार है लेकिन परिवादी द्वारा क्लैम न लेने का झुठ लिखकर व वास्तविक तथ्य छिपाकर एन.सी.बी का अनुचित लाभ प्राप्त करने के कारण पाॅलिसी शर्तो एवं बीमा प्रावधानों का उल्लघन किया है तथा बीमा करते वक्त प्रपोजल फार्म भरा जाता है जिस पर बीमा कम्पनी के एजेंट द्वारा पूर्व मे एन.सी.बी. बाबत् समझाने व पूछने पर परिवादी ने पुरानी पाॅलिसी मे कोई क्लैम नही होने व एन.सी.बी. का लाभ दिलाने का कथन किया व परिवादी ने हस्ताक्षर कर बीमा कम्पनी से नौ क्लैम बोनस का लाभ प्राप्त किया। जबकि परिवादी द्वारा अपनी पूर्व की बीमा कम्पनी न्यू इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी की पाॅलिसी सं. 33130231120100007245 क्लैम नम्बर 33130231120190000850 के जरिये दिनांक 02.02.2013 की दूर्घटना की क्लैम राषि 7,780 रू प्राप्त की है जो मिस एपरोपिऐषन आॅफ फेक्ट है बीमा शर्तो के उल्लघन के कारण परिवादी नियमानुसार कुल क्लैम राषि 154838.09 रू प्राप्त करने का अधिकारी नही था इसलिए क्लैम सही खारिज किया है। अप्रार्थी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषक प्रार्थी की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषक परिवादी द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5 बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अपने वाहन स त्श्र.15.ब्।.0703ए ब्भ्म्टत्व्स्म्ज् व्च्ज्त्। ैत्ट का अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा 16,101 रू प्रीमियम जमा कराकर दिनांक 25.01.2014 से 24.01.2015 तक की अवधि के लिए बीमा कराया जिसकी बीमा पाॅलिसी सं. 1411033113पी106826912 जारी की गई। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2;1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 01 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6 बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि प्रार्थी का क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने एन.सी.बी.के आधार पर खारिज किया है वह गलत है। उनकी यह भी दलील है कि प्रपोजल फार्म पर प्रार्थी के हस्ताक्षर नही है किसी व्यक्ति की आॅड़ी तिरछी लकीरे है जो प्रार्थी नही बता सकता कि उक्त हस्ताक्षर किसके है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के किसी कर्मचारी या उसके एजेन्ट द्वारा एन.सी.बी. के नियम नही बताये गये न ही पाॅलिसी देतें समय यह बताया गया। उनकी यह भी दलील है कि एक बीमा कम्पनी से दूसरी बीमा कम्पनी से पूर्व ही प्रार्थी द्वारा बीमा करा दिया था तो वर्तमान अप्रार्थी बीमा कम्पनी पूर्व की बीमा कम्पनी से वाहन के एन.सी.बी. के बारे मे पूछ सकती थी करीब 7-8 महीने के पश्चात् वाहन की दूर्घटना होने पर क्लैम न देने की नियत से उक्त नियम को लागु कर परिवादी के साथ धोखाधडी की है जो कृत्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। परिवादी के विद्वान अभिभाषक ने अपने तर्को के समर्थन मे राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जयपुर की अपील सं. 1700/2010 श्रीमति नोरत देवी बनाम यू.इ.कम्पनी लि. व अन्य का विनिष्चय पेष किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी का जो क्लैम एन.सी.बी के आधार पर खारिज किया गया है वह सही है परिवादी ने बीमा कराते समय प्रपोजल फार्म भरा उस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के एजेन्ट द्वारा पूर्व मे एन.सी.बी. बाबत् समझाने व पूछने पर परिवादी ने लिखकर दिया कि कृपया पुरानी पाॅलिसी मे कोई क्लैम नही है एन.सी.बी. दिलावें। इस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा एन.सी.बी. की राषि 5,791.36 रू का लाभ बीमा प्रीमियम मे देकर कुल बीमा प्रीमियम 16,101 रू का चंेक लेकर वाहन का बीमा किया गया लेकिन इस प्रकरण मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पूर्व बीमा कम्पनी न्यू इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी शाखा बीकानेर को दिनांक 12.11.2014 को पत्र लिखकर प्रार्थी द्वारा पूर्व मे क्लैम लिया या नही बाबत् जानकारी चाही तो पूर्व बीमा कम्पनी ने प्रार्थी द्वारा पूर्व मे क्लैम प्राप्त करने का लिखा गया ओर अप्रार्थी कार्यालय द्वारा आॅनलाईन डिटेल प्राप्त की गई तो जिसमे आॅडी क्लैम के रूप मे प्रार्थी द्वारा 7,780 रू क्लैम प्राप्त करना बताया गया इस क्लैम को जानबुझकर छिपाते हुए परिवादी द्वारा एन.सी.बी. का लाभ प्राप्त किया है जो मिस एपरोपिऐषन आॅफ फेक्ट है। इसलिए क्लैम सही खारिज किया गया है अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के एजेंट नब्बी बक्ष जिसका नाम परिवादी ने भी अपने शपथ-पत्र मे बताया उसने भी अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि परिवादी ने घोषणा पत्र मे पुरानी पाॅलिसी मे कोई क्लैम नही है एन.सी.बी. का लाभ दिया जावें तथा अपने लधु हस्ताक्षर किये थे यह हस्ताक्षर अप्रार्थी बीमा कम्पनी या एजेंट ने बनावटी बनाये हो ऐसा भी नही है क्योकि कोई हीत बीमा कम्पनी का प्रभावित नही हो रहा था बल्कि यदि एन.सी.बी. नही हो तो उसे बीमा प्रीमियम ओर अधिक मिलता ब्लकि परिवादी ने ही अपने फायदे के लिए एन.सी.बी. का फार्म भरा था अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लैम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है। परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने की प्रार्थना की अपने तर्को के समर्थन मे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली की रिविजन पीटीसन सं. 4470/2014 निर्णय दिनांक 02.01.2015 का भी विनिष्चय पेष किया।
8. उभयपक्षांे के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली का भलीभाती रूप से परीक्षण व परिषिलन किया गया हमें सर्व प्रथम यह देखना है कि क्या बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम एन.सी.बी. के आधार पर जो खारिज किया है वह सही है या नही ? इस सम्बंध मे सर्वे प्रथम परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे यह बताया है कि प्रपोजल फार्म पर उसके हस्ताक्षर नही है। किसी व्यक्ति की आड़ी तिरछी लकीरे की है जो प्रार्थी नही बता सकता कि वह हस्ताक्षर किसके है तथा अपने साक्ष्य मे यह भी बताया है कि पाॅलिसी मे कोई क्लैम नही है एन.सी.बी. दिलावें यह इबारत भी उसने नही लिखी है।
9. इसके खण्डन मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से पेष ग्वाह नब्बी बक्ष जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी का एजेंट है जिसके एजेंट कोड़ ।ळक्0084205 है। परिवादी ने भी उसका नाम अपने शपथ-पत्र मे भी बताया है। उसने प्रार्थी वाहन का बीमा किया था नब्बी बक्ष ने अपने ब्यानों मे कहा है कि दिनांक 20.01.2014 को इस प्रकरण के परिवादी श्री राजेष कुमार जी मेरे पास अपने वाहन संख्या त्श्र.15.ब्।.0703 का बीमा करवाने आये व पुरानी बीमा पाॅलिसी जो न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि. साथ लाये जो दिनांक 24.01.2014 को समाप्त हो रही थी व मुझे अपने वाहन का आगामी अवधि 25.01.2014 से 24.01.2015 तक अवधि के लिए बीमा करने को कहा जिस पर मैने उसे पाॅलिसी प्लान के बारें में विस्तृत रूप से समझाया व पूर्व की अवधि की उक्त बीमा कम्पनी से कोई ओ.डी. क्लैम प्राप्त करने बाबत् पूछा तो उन्होने कोई क्लैम प्राप्त न करना बताया। मैने उन्है नो क्लैम बोनस के बारे मे विस्तृत रूप से समझाया था कि यदि आपने पूर्व की बीमा कम्पनी से कोई क्लेम प्राप्त किया है तो आपको प्रीमियम मे कोई छुट नही मिलेगी ओर यदि आपने ओ.डी. क्लैम प्राप्त नही किया है तो आपको ओ.डी. प्रीमियम का 35 प्रतिषत का लाभ दिया जायेगा जिस पर वाहन मालिक श्री राजेषकुमार ने मुझे पूर्व की बीमा पाॅलिसी से कोई क्लैम न लेने का विष्वास दिलाया था जिस पर मैने नो क्लैम बोनस की राषि 5,791.36 रू का लाभ बीमा नियमानुसार देतें हुए कुल बीमा प्रीमियम 14,329$1771 सर्विस टेक्स $01 स्टांप डयूटी=16100 रू का चेंक लेकर उक्त वाहन का बीमा किया था व उक्त तथ्यों बाबत् वक्त बीमा प्रार्थी से एक प्रपोजलफार्म भी भरावाया गया था जिसके विभिन्न काॅलमों के विवरण जैसे प्रार्थी ने बताये उसी प्रकार लिखे गये व बीमित प्रार्थी द्वारा घोषणा पत्र पर प्रार्थी स्वयं द्वारा मेरे सामने ‘‘कृपया पुरानी पाॅलिसी मे कोई क्लैम नही है एन.सी.बी. दिलावें‘‘ लिखा गया था व फिर अपने लघु हस्ताक्षर किये थें। प्रार्थी द्वारा साक्ष्य में प्रस्तुत शपथ-पत्र के पैरा सं. 7 मे प्रार्थी ने जिस प्रकार कथन बयान किया है वह गलत है। प्रार्थी को अपने वाहन का बीमा करते वक्त मैने बीमा व एन.सी.बी. के बारे मे समझा दिया था व उन्होेंने पूर्व में किसी प्रकार का बीमा न लेने का मुझे बताने पर ही मैने प्रीमियम में एन.सी.बी. का उन्हे लाभ दिया था। जब भी कोई कम्पनी बदलकर दूसरी कम्पनी से बीमा करवाता है तो उससे प्रपोजल फार्म भरवाया जाता है। जिसके सत्य होने की घोषणा की जाती है। प्रार्थी द्वारा प्रपोजल फार्म में एन.सी.बी. का लाभ पूर्व में न प्राप्त करने की घोषणा की गई है व उस पर लघु हस्ताक्षर प्रार्थी स्वयं ने मेरे समक्ष किये है जिन्हें प्रार्थी गलत नियत से अस्वीकार कर रहा है।
10. अतः इस गवाह ने भी अपनी साक्ष्य से साबित किया है कि परिवादी ने मिथ्या घोषणा कर पुरानी पाॅलिसी से कोई क्लैम न लेने व एन.सी.बी. लेने के लिए लिखा था उस पर उसके लधु हस्ताक्षर है इस गवाह की साक्ष्य को नही मानने का कारण हमारे समक्ष नही है इस एजेंट का कोई दूराषय हो ऐसा भी प्रकट नही है ब्लकि परिवादी को प्रपोजल फार्म भरने से फायदा दिया गया जो परिवादी ने स्वीकार कर एन.सी.बी. की राषि 5,791.36 रू का लाभ लेकर बीमा प्रीमियम 16,101 रू लिया यदि परिवादी यह बात अपने क्लैम फार्म मे न लिखता व अपने लघु हस्ताक्षर नही करता तो बीमा कम्पनी पुरी राषि प्रीमियम के रूप मे वसूल करती तथा बीमा कम्पनी ने यह प्रपोजल फार्म में इबारत व लघु हस्ताक्षर गलत बनाये हो ऐसा हमारी राय मे प्रकट नही है साथ ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी गवाह जयदेवसिंह पेष हुआ है उसने भी अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि बीमित राजेष कुमार के वाहन संख्या त्श्र.15.ब्।.0703 का बीमा करवाते वक्त दिनांक 20.01.2015 को प्रपोजल फार्म बीमित द्वारा हमारी कम्पनी के एजेंट श्री नब्बी बक्ष द्वारा भरवाया जाकर उसके द्वारा बीमा किया गया था। प्रपोजल फार्म की प्रति संलग्न है हमारी बीमा कम्पनी द्वारा पूर्व मे बीमाकृत कम्पनी न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि. की शाखा बीकानेर को दिनांक 12.11.2014 को पत्र लिखकर प्रार्थी द्वारा कोई क्लैम लिया गया या नही के बारे मे पूछा गया तो उन्होनें पूर्व की पाॅलिसी सं. 33130231120100007245 में एक क्लैम प्रार्थी द्वारा प्राप्त करने का हमें लिखा गया जिसकी प्रति भी पत्रावली मे संलग्न है व हमारे कार्यालय द्वारा आॅनलाईन क्लैम डिटेल भी प्राप्त की गई जिसमे आडी क्लैम के रूप मे प्रार्थी द्वारा 6,890$890=7,780 रू दिया जाना पाया गया। प्रार्थी ने जानबुझकर पूर्व मे क्लैम न प्राप्त करने की घोषणा कर सत्य तथ्य छिपाकर बीमा प्रीमियम मे नो क्लैम बोनस का लाभ प्राप्त किया है जो डपेतमचतमेमदजंजपवद व् िथ्ंबज है इसलिए प्रार्थी यह क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है अतः इस गवाह से भी इस बात की पूष्टि होती है कि परिवादी ने ही बीमा कम्पनी के एजेंट के समक्ष प्रपोजल फार्म में लिखकर लघु हस्ताक्षर किये।
11. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पूर्व की पाॅलिसी सं.33130231120100007245 मे पूर्व की बीमा कम्पनी न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि. की शाखा बीकानेर से 7,780 रू का आॅड़ी क्लैम प्राप्त करने का जो कथन किया है उसका खण्डन परिवादी द्वारा अपने परिवाद व साक्ष्य मे नही किया गया है इसलिए यह तो माना जायेगा कि परिवादी द्वारा पूर्व में 7,780 रू का ओडी क्लैम प्राप्त किया था तथा बाद मे इस तथ्य को छिपाकर नो क्लैम बोनस का लाभ प्राप्त किया जो डपेतमचतमेमदजंजपवद व् िथ्ंबज है जो बीमा पाॅलिसी की शर्तों का उल्लघन है। तथा माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली की रिविजन पीटीसन सं. 4470/2014 निर्णय दिनांक 02.01.2015 में अभिनिर्धारित किया है कि श्ैपदबम जीम बवदेमदज व िजीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल जव जीम प्देनतंदबम च्वसपबल ूीपबी पे दवजीपदह इनज ं बवदजतंबज इमजूममद जीम पदेनतमत ंदक जीम पदेनतमक ूंे वइजंपदमक इल उपेतमचतमेमदजंजपवद ंदक तिंनकए जीम ेंपक बवदजतंबज पे अवपकंइसम ंज जीम वचजपवद व िजीम प्देनतंदबम ब्वउचंदलण् ब्वदेमुनमदजसलए जीम पदेनतमत ूंे रनेजपपिमक पद तमचनकपंजपदह जीम बसंपउ वद ंबबवनदज व िजीम ंवितमेंपक उपेतमचतमेमदजंजपवद उंकम इल जीम चमजपजपवदमतण् थ्वत जीम तमंेवदे ेजंजमक ीमतमपदंइवअमए ूम पिदक दव उमतपज पद जीम तमअपेपवद चमजपजपवदण् ज्ीम तमअपेपवद चमजपजपवद पेए जीमतमवितमए कपेउपेेमकण्श् अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लैम एन.सी.बी. के आधार खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है।
अतः बिन्दू सं. 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
12. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 04.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।