Rajasthan

Jaisalmer

CC/10/15

TAN SINGH - Complainant(s)

Versus

U.I.I.CO. - Opp.Party(s)

M.S.SODHA

19 Sep 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/10/15
 
1. TAN SINGH
Jaisalmer
...........Complainant(s)
Versus
1. U.I.I.CO.
Jaisalmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:M.S.SODHA, Advocate
For the Opp. Party: U.S.NARAVAT, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 27.02.2015
मूल परिवाद संख्या:- 10/2015


श्री तनसिहं पुत्र श्री खेतसिह,  जाति- राजपूत,
निवासी- विजय नगर तहसील व जिला जैसलमेर
    
                        ............परिवादी।

बनाम

शाखा प्रबन्धक,
यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड,
कार्यालय जैसलमेर                                                                             .............अप्रार्थी।


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री मदन सिहं सोढा अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    श्री उम्मेद सिहं नरावत, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।


ः- निर्णय -ः        दिनांक    ः18.09.2015


1. परिवादी का सक्षिप्त  मे परिवाद इस प्रकार है कि प्रार्थी के नाम पंजीकृत ट्रक नम्बर  त्श्र 19 ळ। 5191 अप्राथी बीमा कम्पनी यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड जैसलमेर के यहा दिनांक 28.12.2012 से 27.12.2013 तक की अवधि के लिए बीमित किया गया था जिसकी पाॅलिसी नम्बर 1411033112च्301514505 है। प्रार्थी का उक्त वाहन दिनांक 01.05.2013 को दूर्धटनाग्रस्त हो गया जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को तुरंत इसकी सूचना दी गई  जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के  सर्वेयर ने मौके पर वाहन का स्र्पोट सर्वे किया व फोटोग्राफी की गई उसके पष्चात परिवादी द्वारा क्रेन से दुर्घटना ग्रस्त  वाहन को जोधपुर ले जाया गया वहा पर दुर्घटना ग्रस्त वाहन की रिपेरिग वह विभिन्न पार्टस लगा कर वाहन को तैयार किया गया  प्रार्थी द्वारा वाहन के रिपेयरिग व पार्ट के पैटे कुल 4,73,898/- रूपये का भुगतान  कर व बिल प्राप्त कर कम्पनी को क्लैम हैतु दिये क्लैम अदायगी के सम्बध मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कई बार निवेदन किया लैकिन उनके द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नही दिया जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवा दोष हैं उसके बाद दिनांक 06.01.2014 को 84537 रूपये का एक चैक दिया जबकि वाहन के रिपेरिग में खर्च ज्यादा हुआ हैं।  कम्पनी के इस रवेये के कारण प्रार्थी को भारी मानसिक, आर्थिक क्षति हुई हैं।  इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य जो सेवा दोष की श्रेणी मे आता है के कारण प्रार्थी को शेष राषि तथा  मानसिक शारीरिक व आर्थिक परेषानी सहित कुल हर्जाना रू 494361 दिलाये जाने का निवेदन किया।


2.   अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार हैं तथा वाहन की दुर्घटना भी बीमित अवधि के भीतर हुई हैं। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर स्पोट सर्वे रिर्पाट तैयार मौके पर जाकर की थी तथ पश्चात वाहन की फाइनल सर्वे रिर्पाट तैयार की गई थी जितनी सर्वेयर ने क्षति का आकलन किया था।उसके अनुसार व पालिसी शर्तो के अनुसार प्रार्थी को 84537 रूपये का भुगतान कर दिया हैं। जिसे प्रार्थी बिना एतराज स्वीकार कर लिया हैं।  प्रार्थी अन्य कोई  हर्जाना राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही है व अप्रार्थी ने कोई सेवा दोष कारित नहीं किया हैं इसलिए परिवादी का प्रार्थना पत्र मय हर्जा खर्चो खारिज किये जाने का निवेदन किया।

      
3    हमने विद्वान अभिभाषक पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।

       
4     विद्वान अभिभाषक पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
    
5     बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।

6.बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील हैं कि परिवादी का वाहन ट्रक संख्या नम्बर  त्श्र 19 ळ। 5191 अप्राथी बीमा कम्पनी यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड जैसलमेर के यहा दिनांक 28.12.2012 से 27.12.2013 तक की अवधि के लिए बीमित किया गया था जिसकी पाॅलिसी नम्बर 1411033112च्301514505 है। उक्त वाहन दिनांक 01.05.2013 को कबीर बस्ती के पास अचानक हिरण आने से असन्तुलित हो कर पलटी खा गया जिसे ट्रक की बाडी पुरी तरह से नष्ट हो गई व अन्य पार्ट भी क्षतिग्रस्त हुए उक्त वाहन के पलटी खा ने की सूचना बीमा कम्पनी के तुरन्त ही दी गई जिस पर बीम कम्पनी का सर्वेयर मौके पर आया व फोटोग्राफी आदि की गई तथा ट्रक को रिपेरिग के लिए ले जाने का कहा उनकी यह भी दलील हैें। तब परिवादी ने उक्त क्षतिग्रस्त वाहन को के्रन से जोधपुर भेजा जिसका खर्चा 7000 रूपये क्रेन को देने पडे तथा उसे उसका बिल लिया। तथा परिवादी ने दुर्घटना ग्रस्त वाहन का जोधपुर में वाहन की रिपेरिग व विभिन्न पार्टस आदि लगा कर वाहन को तैयार किया जिसके समस्त खर्चो की राषि परिवादी द्वारा नकद चुकाई गई उनसे बिल आदि प्राप्त किये उनकी यह भी दलील हैं उक्त क्षति ग्रस्त वाहन के रिपेरिग से सम्बन्धी सम्पूर्ण बिल अप्रार्थी बीमा कम्पनी को क्लेम अदायगी हेतु दिये तथा बिल देने के पश्चात भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बार बार चकर कटवाए गए व कोई सन्तोष जनक जबाव नहीं दिया गया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता हैं। इसके पश्चात काफी समय बाद दिनांक 06.01.2014 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा 84537 रूपये का चैक दिया जबकि वाहन की रिपेरिग मे ज्यादा राषि खर्च हुई थी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कम क्लेम दिया जिस कारण परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति हुई। उनकी अन्त मे यह भी दलील है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी से वाहन की रिपेयरिग की शेष राषि व मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति परिवाद व्यय सहित े कुल 494361 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।

7        इसका विरोध करते  अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील हैं की उक्त ट्रक  संख्या त्श्र 19 ळ। 5191 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा दिनांक 28.12.2012 से 27.12.2013 की अवधि के लिए बीमित था। उक्त ट्रक दिनांक 01.05.2013 को क्षतिग्रस्त हो गया जिस पर अप्रार्थी को सूचना मिलने पर कम्पनी का सर्वेयर तुरन्त मौके पर जाकर क्षतिग्रस्त वाहन की रिर्पोट तैयार की उनकी यह भी दलील हैं की क्षतिग्रस्त वाहन की फाइनल सर्वे रिर्पाेट तैयार करने के पश्चात क्षति का आकलन किया व आकलन करने के पष्चात अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किसी पार्टस की क्षति द्वारा व केवल रिपेरिग लायक क्षति पाई जिसका आकलन कर पालिसी शर्तो के अनुसार परिवादी को 84537 रूपये का चैक दिया जिसे परिवादी ने स्वीकार भी कर लिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नहीं किया हैं। परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने कि प्रार्थना की ।
    
8        उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया व पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्य का भली भाति परिक्षीलन किया गया यह स्वीर्कत तथ्य हैं कि ट्रक संख्या त्श्र 19 ळ। 5191 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा दिनांक 28.12.2012 से 27.12.2013 तक की अवधि के लिए बीमीत था। तथा उक्त वाहन दिनांक 01.05.2013 को क्षतिग्रस्त हुआ हैं जो बीमा अवधि के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ हैं। उक्त वाहन क्षतिग्रस्त होने की सूचना तुरन्त अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी गई तो बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने तुरन्त मौके पर आकर स्र्पाेट सर्वे किया तथा फोटोग्राफी आदि भी की गई थी। परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील हैं की दुर्घटना ग्रस्त गाडी को क्रेन से जोधपुर ले जाया गया जिसका भाडा जगीड के्रन सर्विस जोधपुर को दिया गया। रकम की प्राप्ति पर उसके हस्ताक्षर हैं अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बिल पेष करने के बावजूद भी के्रन के किराये का भुगतान नहीं किया हैं विद्वान बीमा कम्पनी अभिभाषक ने तर्क प्रस्तुत किया इस रसीद को साबित नहीं कराया गया है ओर नही उसकी तरफ से कोई शपथ पत्र पेष हुआ हैं की उसने क्रेन के 7000 रूपये किराये के रूप में प्राप्त किये हो अत यह राषि नहीं दिलाई जा सकती उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य में यह बताया हैं कि बीमा कम्पनी के मौका निरीक्षण के बाद परिवादी ने जागीड के्रन सर्विस से सम्र्पक कर के्रन बुला कर दुर्घटना ग्रस्त वाहन को जोधपुर भेजा जिसका परिवादी द्वारा 7000 रूपये क्रेन वाले को किराया देना पडा जिसकी बिल संख्या 78 दिनांक 23.06.2013 हैं बीमा कम्पनी द्वारा जवाब व साक्ष्य में इस बात का खन्डन नहीे किया गया हैं कि दुर्घटना ग्रस्त वाहन को के्रन से जोधपुर ठीक कराने के लिए नहीं ले जाया गया हो अत परिवादी द्वारा जो बिल पेष किया गया हैं उसे न मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नहीं हैं। यह स्वाभाविक भी  हैं कि दुर्घटना ग्रस्त वाहन को दुर्घटना स्थान से टोचीग करके ही ले जाया जाता है जो बिल पेष किया गया हैं उस पर 7000 रूपये का भाडा दर्षित हैं । उस पर रेवन्यू टिकट लगा कर हस्ताक्षर किये हैं बिल नम्बर व दिनांक भी अकिंत किया हुआ हैं। अत ऐसी स्थिति में इस बिल को नहीं मानने का कोई कारण नहीं हैं। परिवादी को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा यह राषि नहीं दी गई हैं अत परिवादी यह राषि बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी हैं।

9        विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील हैं कि स्टिेयरिग से सम्बधित क्षति के लिए उनको कोई पैसा कम्पनी द्वारा नहींे दिया गया हैं। जबकि परिवादी को स्टिेयरिग व्हील के 840 रूपये , स्टैनथ आर्म आर एच के 925 रूपये ,  स्टैनथ आर्म एल एच के 925 रूपये का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा नहीं किया गया हैं जबकि परिवादी ने बिल पेष किये थे। तथा नहीं कोई कारण बिल खारिज करने का बताया हैं । अत यह राषि दिलाई जावें इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान बीमा कम्पनी अभिभाषक की दलील हैं कि सर्वे रिर्पाट में स्टिेरिग सिसटम में कोई टूट फूट नहीं पाई गई थी इसलिए यह राषि अदा नहीं की गई हैं उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया। इस सम्बन्ध में सर्वे रिर्पोट दिनांक 15.06.2013 एन.के.सुखानी का अवलोकन करें तो लिस्ट आफ डेमेजेज के क्रम संख्या 5 के आगे सर्वेयर ने यह लिखा हैं कि टू बी चैकड अर्थात वाहन को चेक करने पर ही स्टिेरिग सिस्टम के बारे में ही जानकारी मिल सकती हैं। परिवादी ने प्रषान्त आटो मोबाईल्स का बिल संख्या 8932 दिनांक 24.06.2013 पेष किया उसमें स्टिेयरिग व्हील के 840 रूपये , स्टैनथ आर्म आर एच के 925 रूपये ,  स्टैनथ आर्म एल एच के 925 रूपये का परिवादी से वसूल किये तथा बीमा कम्पनी ने असेस्मेन्ट के समय ही 840 रूपये,925 रूपये,925 रूपये का असेस्मेनट किया हैं लेकिन यह राषि क्यों नहीं दी गई इस बाबत कम्पनी का कोई स्पष्टीकरण नहीं हैं तथा न ही ओबजरवेषन में यह बात बताई है कि ं स्टिेरिग से सम्बधिन्त इस राषि का भुगतान क्यो नहीे किया जावे अत परिवादी यह कुल राषि 2690 रूप्ये अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी है।
10 विद्वान परिवादी अभिभाषक की यही भी दलील हैं कि उसको चेसिस बेण्ड होने का पैसा बिमा कंपनी ने नहीं दिया, जबकि उसने 19,500/- रूपये इस बाबत् खर्च किये जिसका बिल नंबर 706 दिनांक 01.07.2013 जो भारत स्प्रींग वक्र्स का बिल है, जिसका शपथ पत्र भी पेष किया गया है, विद्वान बीमा कंपनी अभिभाषक की ददील है कि चैसिस में कोई क्षति नहीं हुई थी तथा लेबर का आंकल करके नियमानुसार लेबर चार्च दे दिया गया है। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया मौका सर्वेयर रिपोर्ट के पैरा लिस्ट आॅफ डिमेजेज के क्रम संख्या 4 पर चैसिस टू चैक लिखा हुआ है, और सुनिल माथूर की फाईनल सर्वे रिपोर्ट के आॅबजेर्वेषन पैरा में यह लिखा है कि ब्ींेेपे स्भ् स्वदह डमउइमते व िब्ींेेपे हवज इमदज ंदक उपेंसपहदण् अतः चैसिस बेण्ड को परिवादी द्वारा ठीक कराया गया ़सषपथ बयानों में कहा है कि ट्रक संख्या त्श्र 19 ळ। 5191 तनसिंह मेरे पास लेकर आया और गेर क्राॅसिंग इंजिन क्राॅस के पास से चैसिस बेण्ड निकाला गया, अतः इसने भी इस तथ्य को साबित किया है कि चैसिस बेण्ड निकाला गया उसकी राषि 19,500/- रू0 प्राप्त की उसको नहीं मानने का कोई कारण  प्रार्थी बीमा कंपनी की ओर से नहीं दिया गया है तथा लेबर के आंकलन में भी बीमा कंपनी ने उसको असेस नहीं किया है, अतः यह राषि भी परिवादी बीमा कंपनी से प्राप्त करने का अधिकारी है अतः उपरोक्त सभी विवेचन से हमारी राय में बीमा कंपनी ने उक्त राषि रूपये 29,190/- (7000़2690़19500)का भुगतान परिवादी को नहीं कर सेवा दोष कारित किया है।

फलतः बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।

11. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है, अतः विनम्र राय में परिवादी अप्रार्थी बीमा कंपनी से पूर्व में भुगतान राषि 84,537/- रू0 के अलावा भी 29,190/- रू0 प्राप्त करने का अधिकारी है, साथ ही परिवादी को अप्रार्थी बीमा कंपनी से मानसिक वैदना के लिए 3,000/- रू. व परिवाद व्यय के 2000/- रू. दिलाये जाना उचित है।

ः-ः आदेश:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी बीमा कंपनी के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को पूर्व में भुगतान की गई क्लेम राषि रूपये 84,537/- रू के अलावा 29,190/- रू. अक्षरे उन्नतीस हजार एक सौ नब्बे रूपये दो माह के भीतर-भीतर अदा करें इसके अलावा मानसिक हर्जाना पेटे रू 3,000/- रूपये तीन हजार रूपये एवं परिवाद व्यय पेटे रू 2000/- रूपये दो हजार मात्र 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।


    आदेश आज दिनांक 18.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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