जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 15.07.2014
मूल परिवाद संख्या:- 44/2014
श्रीमति सुमन पत्नी श्री राधेष्याम शर्मा निवासी सी.वी. सिंह कालोनी, जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर। ............परिवादीनी
बनाम
युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी, जरिये शाखा प्रबन्धक, युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि., षिवरोड, जैसलमेर । ...........अप्रार्थी ।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री गिरिराज पुरोहित परिवादीनी की ओर से।
2. श्री राणीदान सेवक अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
:- निर्णय -ः दिनाकंः 24.03.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीनी का एक वाहन महेन्द्रा लोगिंन नं0 आर जे 15 टीए 0403 का बीमा दिनांक 02.03.2011 से 01.03.2012 तक पालिसी संख्या 141103/31/10/01/00005093 के जरिये अप्रार्थी बीमा कम्पनी से करवाया । दिनांक 28.07.11 को वाहन की ट्रक से कदमकन्डी के पास टक्कर हो गयी । जिसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी जिस पर कम्पनी के सर्वे ने स्पोर्ट चेकिग की तथा कम्पनी के निर्देष अनुसार वाहन को बीकानेर ले जाया गया तथा वहा कम्पनी द्वारा रिपेरिग की गई। परिवादीनी ने कुल क्लेम राषि रू 3,63,535/- के क्लेम हेतु प्रार्थना पत्र बीमा कं. को पेष किया। दिनांक 31.8.12 को क्लेम खारीज कर दिया गया इस बाबत नोटीस दिया परन्तु कोई जबाब नहीं दिया इस प्रकार घोर लापरवाही व सेवा में कमी की गयी जिस पेटे अप्रार्थी से क्लेम राषि रू 3,62,535 रू, परिवाद व्यय के 10,000 रू व मानसिक क्षति के 100000 रू दिलाने का निवेदन किया ।
2. अप्रार्थी ने अपना जबाब पेष कर वाहन के बीमित होने का कथन स्वीकार किया एवं कथन किया कि वाहन के रिपेयरिंग के बिल पेष नहीं किये गये । योग्य सर्वेयर से सर्वे रिपोर्ट तैयार करवायी गयी व क्षति का अंाकलन करवाया गया। परन्तु अनेकों बार नोटीस देने के बाद भी रिपेयरिंग के बिल पेष नहीं किये। जो डी एल पेष किया गया वह भी हलके वाहन चालाने हेतु वेद्य था जबकि परवादी का वाहन परिवहन यान था जो बीमा शर्तो का उलंघन था अतः अप्रार्थी ने सेवाओं में कमी नहीं की। अतः परिवाद सव्यय खारीज करने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीनी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीनी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादीनी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादीनी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी के विभाग से वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादीनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; (1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादीनी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीनी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादीनी का वाहन महेन्द्रा लोगिंन नं0 आर जे 15 टीए 0403 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 02.03.11 से 01.03.12 तक बीमीत है ।जिसकी प्रीमियम राषि 13346 रूपये अदा की गई थी। परिवादीनी का उक्त वाहन दिनांक 28.07.11 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया जो बीमा अवधि के दौरान ही है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने यह भी स्वीकार किया है कि उक्त वाहन के दुघटना ग्रस्त होने पर सर्वेयर द्वारा वाहन का स्पोर्ट सर्वे किया गया तथा इस पर मोके पर सवेयर ने सर्वे रिपोर्ट तैयार की ओर ।ेेमेमक ।उवनदज 217972 रूपये का कुल नुकसान बताया गया है। लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी अभिभाषक की दलील है कि दुर्घटना ग्रस्त वाहन चालक के पास केवल हल्का वाहन चलाने हेतु वैद्य लाइसेंस था जबकि उक्त वाहन टैक्सी परमीट था। जिसे चलाने का अधिकार वाहन चालक नरेन्द्र कुमार को नही था। अत चालक के पास विधि अनुसार डाईवरिगं लाईसेंस नहीं था इसलिए वाहन की बीमाषर्तो का उलंघन किया गया । इसलिए क्लेम सही खारीज किया है कोई सेवा त्रुटी नहीं की है । अपने तर्को के समर्थन में 2009 क्छश्र ;ैब्द्ध च्।ळम् 949 व्तपमदजंस प्देनतंदबम बवउचंदल स्जकण् अध्े ।दंहंक ज्ञवस - वजीमत का विनिष्चिय पेष किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए प्रार्थीनी के अभिभाषक की दलील है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन का चालक नरेन्द्र कुमार था। जिसके पास एलएमवी लाइसेंस नं. आर जे 15 /डीएलसी/11/30757 था जो उक्त वाहन को चलाने के लिए वैद्य एवं प्रभावी लाइसेंस था । परिवादी ने अपने तर्क के समर्थन में सीविल अपील संख्या 4834/2013 ै प्ल्।च्।छ टध्ै डध्ै न्छप्ज्म्क् प्छक्प्। प्छैन्त्।छब्म् ब्व्डच्।छल् स्ज्क्ण् - व्ज्भ्म्त् का विनिष्चय पेष किया तथा यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय 2009 क्छश्र ;ैब्द्ध च्।ळम् 949 व्तपमदजंस प्देनतंदबम बवउचंदल स्जकण् अध्े ।दंहंक ज्ञवस - वजीमत मे ।ैभ्व्ज्ञ ळ।छळ।क्भ्।त् ड।त्।ज्भ्। टध्ै व्तपमदजंस प्देनतंदबम तथा छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टध्े
।ददंचचं प्तंचचं छमेंतपं को आधार मानते हुए विनिष्चय पारीत किया गया है। तथा उनकी यह भी दलील है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने हाल में दिये गये निर्णय ै प्ल्।च्।छ टध्ै डध्ै न्छप्ज्म्क् प्छक्प्। प्छैन्त्।छब्म् ब्व्डच्।छल् स्ज्क्ण् - व्ज्भ्म्त् में ।ैभ्व्ज्ञ ळ।छळ।क्भ्।त् ड।त्।ज्भ्। टध्ै व्तपमदजंस प्देनतंदबम तथा छंजपदंस प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टध्े ।ददंचचं प्तंचचं छमेंतपं आदि को भी कन्सीडर करते हुए नवीनतम निर्णय पारित किया है जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय की डबल बैंच ने यह माना है कि बीमा कम्पनी अपने दायित्व से इस आधार पर नहीं बच सकती की चालक के पास लाइट मोटर व्हीकल को चलाने का लाइसेंस था और लाइट मोटर व्हीकल परिवहन यान के रूप में काम आ रहा था । केवल चालक लाइसेंस पर यह इंडोरसमेंट की कामर्षियल व्हीकल के लिए नहीं है उचित नहीं माना। उनकी यह भी दलील हैं कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय 2009 क्छश्र ;ैब्द्ध च्।ळम् 949 में जो विवादग्रस्त वाहन था। वह गुडस व्हीकल था जबकि परिवादीनी का वाहन टैक्सी परमीटी महेन्द्रा लांगिन है। अत वाहन भिन्न होने के कारण भी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय इस मामले पर आगू नहीं होता हैं। उनकी यह भी दलील हैं कि वाहन का एस्टीमेन्ट एमाउन्ट 3,16,133.19 रूपये था जबकि बीमा कम्पनी ने गलत आधारों पर ।ेेमेमक ।उवनदज 217972 रूपये किया हैं जो सरासर गलत है अन्त में परिवादीनी अभिभाषक की यह भी दलील है कि जो परिवादीनी का क्लेम खारिज किया गया हैं। वो गलत आधारों पर खारिज किया गया है। यह कृत्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवा दोष की श्रेणी मे आता है।
8. उपभयपक्ष के तर्को पर मनन किया गया प्रस्तुत विनिष्चयों का समग्र अध्ययन किया गया, पत्रावली पर उपस्थित साक्ष्य के आधार पर हमारी राय इस प्रकार है ।
9. अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जबाब में जो आपत्ति है कि वक्त दुर्घटना वाहन चालक नरेन्द्र कुमार के पास केवल हल्के वाहन चलाने का लाइसेंस था जबकि परिवादीनी का वाहन टैक्सी परमीट वाहन था जिसे चलाने का अधिकार वाहन चालक नरेन्द्र कुमार को नही था। बीमा शर्तो का उलंघन होने के कारण क्लेम खारीज किया गया है । इस सम्बन्ध में परिवादीनी के साक्ष्य का अवलोकन करें तो उसने अपनी परिवाद व साक्ष्य में बताया है कि परिवादी का एक वाहन महेन्द्रा लोगिंन नं0 आर जे 15 टीए 0403 है जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमित है । जिसकी पालीसी संख्या 141103/31/10/01/00005093 है जिसकी बीमा अवधि 02.03.2011 से 01.03.2012 तक हैं उक्त वाहन के पंजीयन का अवलोकन करें तो उसमें यह वाहन लाईट मोटर व्हीकल महेन्द्रा लोगिंन के रूप में पंजीकृत है । जिसका वजन 1140 किलो है । मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 की धार 2 (21) में हल्का मोटर यान से अभिपे्रत है कि ’’ऐसा कोई परिवहन यान या बस जिसमें से किसी का सकल मान भार ऐसी मोटर कार या ट्रेक्टर या रोड रोलर जिसमें से किसी का लदान रहित भार 7500 किलो से अधिक नहीं ’’ ।
10 अतः उक्त वाहन महेन्द्रा लोगिंन भी हल्के वाहन की श्रेणी में आता है । इसी सम्बन्ध में वाहन चालक नरेन्द्र कुमार का ड्राइविंग लाइसेंस का अवलोकन करें तो वह दिनांक 10.03.2011 से 09.03.2031 तक वैद्य है । जिसका लाइसेंस नं. आर जे 15 /डीएलसी/11/30757 है इस प्रकार वाहन चलाक के पास हल्के वाहन को चलाने का वैद्य लाइसेंस था । माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने नवीनतम निर्णय दिनांक 1 जुलाई 2013 ै प्ल्।च्।छ टध्ै डध्ै न्छप्ज्म्क् प्छक्प्। प्छैन्त्।छब्म् ब्व्डच्।छल् स्ज्क्ण् - व्ज्भ्म्त् के विनिष्चय में डबल बैंच ने यह माना है कि भ्मदबमए पद वनत बवदेपकमतमक वचपदपवदए जीम पदेनतमत बंददवज कपेवूद पजे सपंइपसपजल वद जीम हतवनदक जींज ंसजीवनही जीम कतपअमत ूंे ीवसकपकदह ं सपबमदबम जव कतपअम ं सपहीज उवजवत अमीपबसम इनज इमवितम कतपअपदह सपहीज उवजवत अमीपबसम नेमक ंे बवउउमतबपंस अमीपबसमए दव मदकवतेमउमदज जव कतपअम बवउउमतबपंस अमीपबसम ूंे वइजंपदमक पद जीम कतपअपदह सपबमदबमण्
11. प्रष्नगत मामले में महेन्द्रा लोगिंन जो ट्रेक्सी परमिट है तो जो हल्के परिवहन यान की श्रेणी में आता है। वाहनचालक नरेन्द्रकुमार के पास हल्के वाहन को चलाने का वैध एवं
प्रभावी ड्राईविंग लाइेसंस है। केवल ड्राईवर के ड्राईविंग लाइसेंस में यह इंडोर्समेन्ट कि वह महेन्द्रा लोंगिन ट्रेक्सी कार को चलाने के लिए सक्षम है, अंकित नहीं होने से यह नहीं माना जा सकता कि वह उक्त वाहन को चलाने के लिए अयोग्य है। अत‘ः अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा इस आधार पर परिवादीनी का क्लेम खारिज किया गया है, जो सेवा दोष की श्रेणी में आता है ।
12. परिवादीनी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि दुर्घटना ग्रस्त वाहन के असल बिल वाउचर बीमा कम्पनी के यहां पेष कर दिये गये है । और कुल क्लेम राषि रू 3,16,133.19 रूपये थी । लेकिन उक्त राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अदा नहीं की है । जिसे दिलाया जावें इस सम्बन्ध में हमनें लक्ष्मीनारायण व्यास जो सर्वेयर व असेसर हैं उसके एसटीमेन्ट सीट का पूर्ण अवलोकन किया गया उसमें एसटीमेन्ट एमाउन्ट 316133.19 रूपये बताया गया है जबकि असेसड लोस 217972 रूपये बताया गया है यह राषि इषयोइन्ड डेप्रिसेसन वेल्यू जो वाहन की थी को ध्यान मे रखते हुए तथा सालवेज व पालीसी की शर्तो को ध्यान में रखते हुए काटने के पश्चात् निर्धारित की गई हैं। अत सर्वेयर रिपोर्ट आर्टीकल के नुकसान के निर्धारण हेतु सर्वेयर परिक्षण करके प्रत्येक रिलेवेंट फेक्टर को ध्यान में रखते हुए तैयार करता है जो एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है अतः इस सर्वेयर रिपोर्ट को नहीं मानने का हमारे समक्ष कोई कारण नहीं है । अतः हमारे विनम्र मत में जब सर्वेयर रिपोर्ट पूर्ण विवरण सहित पेष की है तो उसे रिपोर्ट में ।ेेमेेमक स्वेे 217972 रूपये को परिवादीनी को दिलाया जाना उचित समझते है । फलतः बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के विरूद्व निस्तारित किया जाता है ।
13. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के विरूद्व निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादीनी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है । जो स्वीकार किया जाकर परिवादीनी को क्लेम राषि रूप्ये 217972 परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 15.07.2014 से तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करने व मानसिक हर्जाना पेटे रू 5000/- एवं परिवाद व्यय पेटे रू 1000/- अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिलाया जाना उचित है ।
ः-ः आदेश:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को क्लेम राषि रूपये 217972 रू दो लाख स़त्रह हजार नौ सौ बहत्तर रू मात्र एवं इस राषि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 15.07.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज अदा करें, इसके अलावा मानसिक हर्जाना पेटे रू 5000/- रूप्ये पाच हजार मात्र एवं परिवाद व्यय पेटे रू 1000/- रूप्येे एक हजार मात्र 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 24.03.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।