जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 11.06.2014
मूल परिवाद संख्या:- 33/2014
स्वरूपाराम पुत्र श्री बाबूराम जाति माली
हाल निवासी भाटिया मुक्तिधाम के पास,गीता आश्रम,जैसलमेर ............परिवादी।
बनाम
शाखा प्रबन्धक, युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि. शिव रोड, जैसलममेर । .............अप्रार्थी
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री ए आर मेहर, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री आर डी सेवक, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांकः 27.03.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी के नाम पंजीबद्व एक टाटा इण्डिगो सं. आर जे 15 सी ए 0881 बीमा कं. के यहां बीमा अवधि दिनांक 05.12.12 से 04.12.13 तक बीमित था। जिसके पालीसी नम्बर 1411033112च्159417913 है। दिनांक 24.08.13 को गाव खारा के पास नील गाय आने से उक्त वाहन पलटी खा गया। जिसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिये जाने पर सर्वेयर द्वारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन का मुआयना किया गया बाद सारी विधिवत कार्यवाही के पश्चात सर्वेयर द्वारा 166124 रूप्ये का भुगतान नुकसान योग्य माना लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सर्वे रिपोर्ट को बदल कर ए 122721 रूपये का भुगतान परिवादी को किया जो उक्त कृत्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवा मे कमी है अतः अप्रार्थी से क्षतिपूर्ति पेटे कम की गई राषि 43403 रूप्ये व हर्जाना राषि 10000 रूप्ये परिवाद व्यय 2000 रूप्ये दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी ने अपना जबाब पेष कर वाहन के बीमित होने का कथन स्वीकार किया एवं कथन किया कि कम्पनी द्वारा जारी गईड लाइन के अनुसार यदि बीमीत वाहन के मालिक द्वारा पुराने अथवा डिस्पोजल मुख्य पार्टस वाहन में लगाए जाते है तो उक्त पार्ट की नई
कीमत का 35 प्रतिषत से अधिक देय नही होगी तथा उस पार्ट पर डेप्रिरिसिएषन एवं सालवेज वेल्यू भी घटाये जाने का प्रावधान है। अत उक्त बीमा शर्तो के अनुसार आन डेमेज डिस्काउट राषि की काटौती के पश्चात जो कलेम दिया है वह सही है अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारीत नही किया हैंै। तथा परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है - 1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी के विभाग से वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी के विद्वान अभिभाषक की दलील है दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वेयर द्वारा सर्वे किया गया है। उसमें 3,27,411 रूपये का नुकसान होना माना तथा कटौती के बाद 166124 रूपये का भुगतान होने योग्य माना था। लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दबाव मे पुन सर्वे रिपोट बनाई गई जिसमे 133624 रूप्ये का भुगतान होने योग्य माना जो भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा नही दे कर केवल 122721 रूप्ये का ही भुगतान किया जो अप्रार्थी का मनमाना तरीका है अत प्रार्थी को 43403 रूपये ओर दिलाये जावे तथा 10000 रूपये हर्जाना राषि व 2000 रूपये परिवाद व्यय दिलाये जाने का निवेदन किया तथा यह भी तर्क प्रस्तुत किया की दिनाकं 13.01.2014 को सर्वे रिपोट बनाई थी। उसमे 30 प्रतिषत डेप्रिरिसिएषन काटकर 165124.30 रूपये असेसड एमाउन्ट माना था। तथा दूसरी सर्वे रिपोट दिनाकं 05.03.2014 को बनाई गई थी। जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अनुचित दबाव मे आकर बनाई गई है। जिसमें असेसड एमाउन्ट डिसपोजल पार्टस पर अधिकतम 35 प्रतिषत डेप्रिरिसिएषन काटकर 10 प्रतिषत अन्य कटौती मान कर 133624.30 रूपये असेसड एमाउन्ट बताया गया था। ये दोनो सर्वे रिपोट एक ही सर्वेयर द्वारा तैयार की गई है। यदि दूसरी रिर्पाट को माना भी जावे तो भी कम्पनी द्वारा भुगतान कम किया गया है। जो एक सेवा दोष की श्रेणी मे आता हैंै।
7. इस का प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अभिभाषक की दलील हैं की बीमीत वाहन की पुरानी बाडी इण्डिगो की 95000 रूपये मे खरीदने के जो बिल दिनाकं 04.10.2013 का प्रस्तुत किया गया है इसमे बीमा कम्पनी की गईड लाइन के अनुसार वाहन
की बाडी के सम्बन्ध मे 35 प्रतिषत राषि अधिकतम व उस पर डेप्रिरिसिएषन व सालवेज की राषि की कटौती कर कलेम की राषि तय की गई है। बीमा कम्पनी द्वारा 127263 रूपये का कलेम पारित किया गया था। उस राषि पर आन डेमेजेज डिस्काउन्ट राषि 4557 रूपये कम कर 122700 रूपये का कलेम राषि अदा कर दी गई है बीमा कम्पनी का कोई सेवा दोष नहीें है। अतः परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया हैं।
8. इस सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन करे तो यह स्वीकृत तथ्य है कि वाहन टाटा इण्डिगो सं. आर जे 15 सीए 0881 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमीत है जो दिनाकं 05.12.2012 से 04.12.2013 तक वैध है ओर उक्त बीमा पैकेज पालीसी हैं तथा बीमा अवधि के दोरान दिनाकं 24.08.2013 को उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ तथा यह भी स्वीेकृत तथ्य है की परिवादी द्वारा दुघर्टना की सूचना देने पर सर्वेयर द्वारा सर्वे किया गया तथा दिनाकं 13.01.2014 को सर्वेयर अषोक कुमार सोनी द्वारा जो एमाउन्ट असेसड किया गया था वह 165124.30 रूपये था लेकिन बीमा कम्पनी की गाईड लाइन के अनुसार क्रम सं. 12 पर वाहन के पुराने पार्टस की कुल कीमत का 35 प्रतिषत ही अधिकतम देय है। उसको असेसड करते हुए, ध्यान मे रखते हुए सर्वेयर अषोक कुमार सोनी ने दिनाकं 05.03.2014 को दुसरी सर्वे रिपोर्ट में जो असेसड रिपोर्ट बनाई उसमें कपेचवेंस चंतजे ंससवूक / 35ः ंबबवतकपदहसल बवेज व िइवकल ेीमसस ंउमदकमकए व 10 प्रतिषत मेटल पार्टस पर डिडेकसन करते हुए सभी पार्ट का विस्तृत रूप से हवाला देते हुए तथा सालवेज को कम करते हुए 133624.30 रूपये असेसड एमाउन्ट माना हैं इसलिए दिनाकं 05.03.2014 की सर्वेयर की इस रिपोर्ट को नही मानने का कारण या आधार हमारे समक्ष नही है अतः बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी को 10903 रूपये का भुगतान कम किया गया है जो बीमा कम्पनी के सेवा दोष की श्रेणी मे आता है तथा परिवादी अभिभाषक की यह दलील की दिनाकं 13.01.2014 के असेसडमेन्ट के अनुसार राषि दिलाई जावें उसमे हम बल नही पाते है क्योंकि बीमा कम्पनी की गईड लाइन के अनुसार पुराने पार्टस पर अधिकतम 35 प्रतिषत ही भुगतान किया जा सकता हैं। फलतः बिन्दु संख्या 2 आषिकं रूप से परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
9. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है परिवादी दुर्घटना ग्रस्त वाहन की आकलन की गई कम क्षतिपूर्ति रूपये 10903 अप्रार्थी बीमा कम्पनी से पाने का अधिकारी है । अतः परिवादी की क्षतिपूर्ति के कम आकलन बबात रूप्ये 10903/- अक्षरे रूप्ये दस हजार नौ तीन रूपये मात्र, परिवाद प्रस्तुत किये जाने की दिनाकं 11.06.2014 से उक्त राषि पर 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज तथा मानसिक वेदना के 1000 रूपये अक्षरे रू एक हजार मात्र व परिवाद व्यय के 1000 रू अक्षरे रू एक हजार मात्र अनुतोष दिलाया जाना उचित है।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व आषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादी को दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति पेटे रू. 10903/- अक्षरे रू दस हजार नौ तीन रूपये मात्र परिवाद प्रस्तुत किये जाने की दिनाकं 11.06.2014 से उक्त राषि पर 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज तथा मानसिक वेदना के 1000 रूपये अक्षरे रू एक हजार मात्र व परिवाद व्यय के 1000 रू अक्षरे रू एक हजार मात्र अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 27.03.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।