Rajasthan

Jaisalmer

02/14

GUMAN SINGH - Complainant(s)

Versus

U.I.I.CO. - Opp.Party(s)

K.P.SINGH

30 Oct 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 02/14
 
1. GUMAN SINGH
KANOD JAISALMER
...........Complainant(s)
Versus
1. U.I.I.CO.
JAISALMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:K.P.SINGH, Advocate
For the Opp. Party: PARTAP PURI, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 03.01.2014
मूल परिवाद संख्या:- 02/2014


श्री गुमानसिंह पुत्र श्री भंवर सिंह, जाति- राजपुत,
निवासी- बिरमा काणोद, तह. व जिला जैसलमेर    
                                    ............परिवादी।

बनाम

1.    शाखा प्रंबधक, युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कं. लि. कार्यालय षिव रोड, जैसलमेर
2.    मण्डलीय प्रंबधक, यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कं. लि., मोटर डीलर सेल, मण्डलीय आॅफिस, 12-डी, रेजीडेन्सी रोड़ जोधपुर 342003                                                                   .............अप्रार्थीगण

प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री किषन प्रतापसिंह, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    श्री उम्मेदसिंह नरावत,मुरलीधर जोषी अधिवक्तागण अप्रार्थीगण की ओर से।

ः- निर्णय -ः            दिनांक 30.10.2015


1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का वाहन टाटा ।ब्म्.ड।ळज्स् नम्बर. त्श्र15 ज्। 1048 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा कराया जिसकी बीमित अवधि दिनांक 10.01.2012 संे 10.01.2013 तक थी। परिवादी का वाहन दिनांक 24.06.2012 को वाहन के आगें एकदम गाय आने से गाय के बचाव के कारण वाहन पलटी खाकर दूर्घटनाग्रस्त हुआ जिसका चालक जुझारसिंह पुत्र कूपसिंह जाति राजपूत निवासी बिरमा काणोद जिला जैसलमेर था उक्त दूर्घटना कि सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिये जाने पर स्पोट सर्वे किया गया। सर्वेयर द्वारा वाहन की क्षति की जाॅच की गई व वाहन की रिपेयरिंग कराई गई। परिवादी को वाहन का रिपेयरिग मे कुल खर्चो 60,000 रू आया। जिसके समस्त बिल अप्रार्थी बीमा कम्पनी को पेष किये लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनांक 25.11.2013 को बिना किसी कारण व आधार के परिवादी का क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया।
    अतः परिवाद पेष कर क्लैम राषि 60,000रू मय ब्याज व मानसिक हर्जाना 10,000 व परिवाद व्यय 10,000 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2.         अप्रार्थी सं. 1 ने जवाब पेष कर कहा कि परिवादी द्वारा जैसलमेर कार्यालय मे न तो बीमा कराया गया है तथा न ही जैसलमेर कार्यालय मे बीमा क्लैम पेष हुआ है तथा न ही जैसलमेर कार्यालय को कोई इतला दी गई हैै। तथा अप्रार्थी सं. 2 ने जवाब पेष कर कहा कि वाहन बीमित होना स्वीकार है लेकिन उनका जवाब है कि प्रथम बार दिनांक 26.06.2012 को प्रस्तुत दावा सूचना प्रपत्र मे दिनांक 24.06.2012 को थईयात फाटा पर समय 4ः30 बजे अचानक रोड़ पर गाय आ जाने के कारण वाहन का बैलेंस बिगड़ जाने से पलटी खाना बताया है और चालक जुझारसिंह होना कथन किया है। जबकि दिनांक 04.07.2012 को प्रस्तुत वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र मे दिनांक 24.06.2013 को रात 12.00 बजे के बाद थईयात फाटा जोधपुर रोड जैसलमेर मे घर के पास वाहन सड़क किनारे खडा होना व रात्रि मे किसी अज्ञात वाहन द्वारा क्षतिग्रस्त करना लिखा है व चालक का नाम गुमानसिंह होना कथन किया है। इस प्रकार दो विरोधाभाषी कथन किये गये है। परिवादी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाने की कोषिष की है जो पाॅलिसी की शर्तो के विपरित होने के कारण परिवादी क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है क्लैम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है। तथा परिवादी का परिवाद मान्य मंच के क्षैत्राधिकार मे नही है। परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3.         हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4.         विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.            क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.         क्या अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.         अनुतोष क्या होगा ?
5.        बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अपने वाहन टाटा ।ब्म्.ड।ळज्स् नम्बर. त्श्र15 ज्। 1048 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा 5145 रू अदा कर 11,387 रू अदा कर वाहन का बीमा करवाया है। जिसकी बीमित अवधि दिनांक 11.01.2012 से 10.01.2013 है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादीया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6.    बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के वाहन ।ब्म्.ड।ळज्स् नम्बर. त्श्र15 ज्। 1048 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा 10.01.2012 से 10.01.2013 तक बीमा करवाया था तथा परिवादी का वाहन दिनांक 24.06.2012 को दूर्घटनाग्रस्त हुआ जो बीमा अवधि के दौरान ही हुआ है। विद्वान अप्रार्थी सं. 2 अभिभाषक की दलील है कि प्रथम बार दिनांक 26.06.2012 को प्रस्तुत दावा सूचना प्रपत्र मे दिनांक 24.06.2012 को थईयात फाटा पर समय 4ः30 बजे अचानक रोड पर गाय आ जाने के कारण वाहन का बेैैलेंस बिगड जाने के कारण पलटी खाने से दूर्घटना घटित होना व चालक जुझारसिंह होना कथन किया है। जबकि दिनांक 04.07.2012 को प्रस्तुत वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र मे दिनांक 24.06.2012 को रात 12.00 बजे के बाद थईयात फाटा जोधपुर रोड जैसलमेर मे घर के पास सडक किनारे खडा होना रात्रि मे किसी अज्ञात वाहन द्वारा क्षतिग्रस्त करना लिखा है। व चालक का नाम गुमानसिंह कथन किया है। इस प्रकार दो विरोधाभाषी कथन हैै। इससे स्पष्ठ है कि प्रार्थी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाया है जो पाॅलिसी की शर्तों के विपरित होने के कारण प्रार्थी का क्लैम सही खारिज किया गया है। अतः कोई सेवा दोष कारित नही किया है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया। अप्रार्थी सं. 1 के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि जैसलमेर कार्यालय से न तो वाहन का बीमा हुआ है तथा न ही जैसलमेर कार्यालय मे वाहन का बीमा क्लैम पेष हुआ है न ही जैसलमेर कार्यालय को कोई इतला दी गई है।
7.    इनका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान प्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि दिनांक 24.06.2012 को वाहन के आगे एकदम गाय आ जाने से गाय को बचाने के कारण वाहन थईयात फाटा जैसलमेर मे दूर्घटनाग्रस्त हुआ जिसका चालक जुझारसिंह पुत्र कूपसिंह था। उक्त घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिये जाने पर स्र्पोट सर्वे किया गया। ओर सर्वेयर द्वारा वाहन की क्षति की जाॅच की गई ओर सर्वेयर ने क्षति होना माना लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बिना किसी आधार के क्लैम खारिज कर दिया जो सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। उनकी यह भी दलील है कि परिवादी ने किसी भी तथ्य को छुपाने की कोषिष नही की है। न ही कोई विरोधाभाषी कथन किया है। बीमा शर्तो का कोई उल्लघन नही है। क्योकि सर्वप्रथम दूर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी को दिनांक 26.06.2012 को परिवादी गुमानसिंह ने दी थी उसमे यह तथ्य अंकित किया कि अचानक रोड पर गाय आ जाने के कारण टेक्सी का बैलेंस बिगड जाने के कारण टेक्सी पलटी खा गई उस समय जुझारसिंह को डाईवर होना बताया जो आधार बीमा कम्पनी ने वाहन क्लैम खारिज करने मे वाहन के दूर्घटना दावा प्रपत्र मे बताया है वह प्रपत्र परिवादी द्वारा नही लिखा गया वह डीओ आॅफिस जोधपुर द्वारा ही लिखा गया था। उसमे उन्होने उस प्रपत्र मे क्या लिखा इस सम्बंध मे परिवादी को कोई जानकारी नही है। परिवादी ने इस सम्बंध मे अपना शपथ-पत्र भी पेष किया जिसमे दूर्घटना की सूचना देने को सही बताया दावा प्रपत्र की सूचना उसने ही दी हो ऐसा नही है।
8.    उनकी यह भी दलील है कि कम्पनी के स्र्पोट सर्वेयर ने भी दिनंाक 02.07.2012 को रिर्पोट बनाई है उसमे भी जुझारसिंह को डाईवर बताया है तथा दूर्घटना का कारण भी अचानक गाय आ जाने के कारण होना बताया है। उनकी यह भी दलील है कि जुझारसिंह के पास डाईवरिग लाईसंेस व गुमानसिंह के पास भी डाईवरिग लाईसेंस है। जिनकी प्रति पत्रावली मे पेष की है। अतः डाईवर के तथ्य को बिना किसी कारण के छुपाने का कोई कारण नही है। जुझारसिंह के पास डीएल नही होता या गुमानसिंह के पास भी डीएल नही होता तो यह बात तथ्य को छिपाने की मानी जा सकती थी। बिना किसी आधार के जो क्लैम खारिज किया गया है। वह अप्रार्थीगण के सेवा दोष की श्रेणी मे आता है।
9.        उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली को ध्यानपूर्वक परिषिलन किया उक्त विचारणीय बिन्दू पर हमारी राय यह है कि यह स्वीकृत तथ्य है कि बीमित वाहन की दूर्घटना बीमा अवधि के द्वौरान हुई है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो प्रार्थी का वाहन क्लैम खारिज किया गया है वह इस आधार पर खारिज किया गया है कि उसने तथ्यों को छिपाया है। तथा उसके तथा घटना के बाबत् विरोधाभाषी कथन है। लेकिन इस सम्बंध मे परिवादी की साक्ष्य का अवलोकन करे तो परिवादी गुमानसिंह ने अपने परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे यह बताया है कि दिनांक 24.06.2012 को वाहन के आगे एकदम गाय आ जाने से गाय को बचाने के कारण वाहन पलटी खाकर थईयात फाटा जैसलमेर मे दूर्घटनाग्रस्त हुआ इसकी सूचना अप्रार्थी कम्पनी को दी गई जिसका स्र्पोट सर्वे सर्वेयर द्वारा किया गया। उसने अपनी साक्ष्य मे यह भी बताया है कि वक्त दूर्घटना चालक जुझारसिंह पुत्र कूपसिंह था। परिवादी के साक्ष्य की पुष्टि इस बात से भी होती है कि उसने दिनांक 26.06.2012 को अप्रार्थी कम्पनी को दावा सूचना प्रपत्र के तहत् सूचना दी उसमे भी यह तथ्य आया है कि अचानक रोड पर गाय आ जाने से वाहन का बैलेेंस बिगड गया ओर वाहन पलटी खा गई। वक्त दूर्धटनाग्रस्त वाहन का चालक जुझारसिंह था। यह सूचना बीमा कम्पनी को नही दी गई हो ऐसा बीमा कम्पनी की खण्डनीय साक्ष्य नही है। इसी क्रम मे स्र्पोट सर्वे जो दिनांक 02.07.2012 को बीमा कम्पनी के सर्वेयर रादीप कस्यप ने किया उसमे उसने पाया कि जुझारसिंह डाईवर था जिसका डीएल नम्बर आरजे 15/डीएलसी/05/4354 था तथा सर्वेयर ने यह भी माना कि दूर्घटना अचानक गाय के आ जाने के कारण रोड पर टैक्सी का बैलेंस बिगड जाने के कारण जैसलमेर के पास हुई है अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर से भी परिवादी के कथनों की पुष्टि होती है।
10.        जहा तक वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र दिनांक 04.07.2012 का प्रष्न है यह वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र गुमानसिंह द्वारा भरा गया हो ऐसा नही हेै बल्कि डीओ आॅफिस जोधपुर द्वारा भरा गया है। इस वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र मे वाहन को सड़क के किनारे खडा होना ओर उसके टक्कर मारना तथा गुमानसिंह का डाईवर होना किस आधार पर डीओ आॅफिस के द्वारा अंकित किया गया हैै। यह प्रकट नही है। जबकि परिवादी गुमानसिंह ने एक शपथ-पत्र दिनांक 19.11.2014 को पत्रावली मे पेष किया है। उसमे यह तथ्य बताया है कि दिनांक 21.06.2012 को वाहन के आगे एकदम गाय आ जाने के कारण गाय के बचाव के कारण वाहन पलटी खाकर थईयात फाटा जैसलमेर मे दूर्घटनाग्रस्त हुआ जिसका सर्वेयर द्वारा सर्वे किया गया ओर उक्त वाहन का चालक जुझारसिंह ही था। अतः सभी प्रकार से परिवादी ने इस बात की ताईद की है कि वाहन अचानक गाय आ जाने के कारण गाय के बचाव के कारण वाहन पलटी खा गया ओर उसका डाईवर जुझारसिंह था। दिनंाक 21.11.2012 को भी उसने एक पत्र बीमा कम्पनी को लिखा उसमे भी यह बताया कि वाहन के स्र्पोट सर्वे मे वाहन का डाईवर जुझारसिंह ही बताया था। गुमानसिंह तो गाड़ी का मालिक था तथा वाहन दूर्घटना दावा प्रपत्र जो डीओ आॅफिस जोधपुर मे भरा गया। वह किसकी हैडराईटिग मे भरा गया उसका न तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने शपथ-पत्र पेष किया है ओर न ही उसे स्वयं को पेष किया है।
11.        परिवादी इस तथ्य को क्यो छिपाता ऐसा कोई कारण परिवादी के समक्ष नही था क्योकि जुझारसिंह व गुमानसिंह दोनो के पास डीएल था ओर दूर्घटना जिस प्रकार दावा प्रपत्र मे वर्णन किया है उसको वह क्यों बताता। उससे भी क्लैम दावा मे कोई अन्तर नही पड़ रहा था। अतः हमारी विनम्र राय मे परिवादी ने जिस प्रकार से घटना घटित हुई उसका पूर्ण विवरण दिया है। तथा वक्त दूर्घटना चालक कौन था उसका नाम भी तुरंत सूचना मे बताया है। तथा स्र्पोट सर्वेे से भी परिवादी के तथ्यों की पुष्टि हुई है। अतः ऐसी परिस्थति मे परिवादी द्वारा किसी तथ्य को छिपाना साबित नही है। एवम् दूर्घटना भी इस मंच के क्षैत्राधिकार थईयात फाटा जैसलमेर मे हुई है। अतः क्षैत्राधिकार भी इस मंच को है। ऐसी स्थिति मे अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी का वाहन क्लैम खारिज कर अप्रार्थीगण ने सेवा दोष कारित किया है।
    
फलतः बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
12.    बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  परिवादी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । जहां तक क्लेम की राषि का प्रष्न है परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वेयर ने अपनी रिर्पोट दिनांक 27.08.2012 में ।ेेमेेमक राषि समस्त नियमानुसार कटौतियो के उपरांत 23,470 रूश्बतायी है। इस ।ेेमेेमक राषि को न मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है। अतः परिवादी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से 23,470 रू तथा उस पर परिवाद प्रस्तुत होनेे की दिनांक 03.01.2014 से 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज पाने का हकदार है साथ ही परिवादी को मानसिक वैदना के लिये 3,000 /- रूपये अक्षरे रू. तीन हजार तथा परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र दिलाया जाना उचित है।   
ः-ः आदेष:-ः
        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादी को राषि 23,470 रू अखरे तैईस हजार चार सौ सत्तर रूपये तथा उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि दिनांक 03.01.2014 से 9 प्रतिषत वार्षिक दर से तावसूली तक ब्याज अदा करे साथ ही मानसिक वेदना के लिए 3,000 /- रूपये अक्षरे रू. तीन हजार तथा परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार रूपये भी दो माह के भीतर अदा करे ।
 
    ( मनोहर सिंह नारावत )                               (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                                            अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,                                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                                                        जैसलमेर।    

  आदेश आज दिनांक 30.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
 
   ( मनोहर सिंह नारावत )                                       (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                                            अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,                                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                                                    जैसलमेर।    

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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