(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-548/2017
जे.पी. मोटर प्रा0लि0, 538क/3-बी त्रिवेणी नगर सीतापुर रोड लखनऊ जिला लखनऊ उ0प्र0 226024 द्वारा डायरेक्टर।
परिवादी
बनाम
1. डिवीजनल मैनेजर यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0, डिवीजनल आफिस तृतीय श्रीराम मार्केट 33 कैण्ट रोड लखनऊ उ0प्र0 226001 ।
2. मुख्य प्रबंधक कार्यालय यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0, 24 वाइट्स रोड चेन्नई 600014 ।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. पाण्डेय।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री अशोक कुमार राय।
दिनांक: 04.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण से बीमा क्लेम की राशि रू0 33,28,797.40 पैसे 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से प्राप्त करने के लिए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 55,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान का बीमा दिनांक 12.6.2015 से दिनांक 11.6.2016 की अवधि के लिए कराया था। भवन की सुरक्षा के लिए अंकन 12000000/-रू0, मशीनरी प्लांट के लिए अंकन 20 लाख रूपये, फर्नीचर की सुरक्षा के लिए अंकन 22 लाख रूपये तथा इसी प्रकृति के समान की सुरक्षा के लिए अंकन 25 लाख रूपये, ग्राहकों के व्हीकिल के लिए अंकन 10 लाख रूपये तथा नये व्हीकिल के लिए अंकन 75 लाख रूपये का बीमा सम्मिलित था। प्रीमियम की राशि अंकन 46,747/-रू0 का भुगतान किया गया था। दिनांक 5.1.2016 को सुबह 6.00 बजे शार्ट सर्किट के कारण परिसर में भयंकर आग लग गई, जिसकी सूचना उसी तिथि को बीमा कंपनी को लिखित रूप से दी गई तथा थाना कोतवाली में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई और फायर ब्रिगेड को भी सूचित किया गया, जिनके द्वारा मौके पर आग बुझाई गई और अंकन 26,90,000/-रू0 की अनुमानित क्षति का आंकलन किया गया। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा घटना का स्थलीय निरीक्षण किया गया। सर्वेयर को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए तथा रू0 45,64,674.40 पैसे का दावा प्रस्तुत किया गया। दिनांक 30.3.2017 को बीमा कंपनी द्वारा केवल 12,35,877/-रू0 का भुगतान परिवादी के बैंक खाते में कर दिया गया और कोई कारण क्लेम की राशि की कटौती का नहीं बताया गया। खाते में इस राशि की जानकारी मिलने पर शिकायत की गई तथा क्लेम की राशि को अनुचित बताया गया। परिवादी ने इस राशि को प्राप्त करने की कोई सहमति नहीं दी, इसलिए परिवादी क्लेम की अवशेष राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की गई।
4. बीमा कंपनी का कथन है कि बीमा क्लेम प्राप्त होने पर परिवादी को रू0 12,35,877.32 पैसे उपलब्ध करा दिए गए हैं। श्री आर.सी. वाजेपई विशेषज्ञ की रिपोर्ट दिनांक 24.3.2017 के आधार पर क्लेम की यह राशि सुनिश्चित की गई है। यद्यपि सर्वेयर द्वारा रू0 19,07,539.39 पैसे की क्षति का आंकलन किया गया था, जिसमें कुछ अनियमित्ता पायी गई थी, इसके बाद सर्वेयर को नोटिस दिया गया था। नोटिस के पश्चात सर्वेयर द्वारा गणना को गलत मानते हुए अंकन 18,91,336/-रू0 का आंकलन किया गया, परन्तु इस आंकलन से सक्षम प्राधिकारी सहमत नहीं थे, इसलिए विशेषज्ञ श्री आर.सी. वाजपेई की रिपोर्ट के आधार पर रू0 12,35,877.32 पैसे की क्षति का आंकलन किया गया, जो परिवादी को उपलब्ध करा दिए गए, इसलिए बीमा कंपनी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
5. लिखित कथन के तथ्यों की पुष्टि शपथ पत्र से की गई है।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया त्था पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
7. परिवादी के पक्ष में बीमा पालिसी जारी होना, बीमित अवधि के दौरान बीमा क्लेम प्राप्त होना, बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त करना, सर्वेयर द्वारा क्षति के आंकलन की रिपोर्ट प्रस्तुत करना और बीमा कंपनी द्वारा क्षति की मद में रू0 12,35,877.32 पैसे का भुगतान करने का तथ्य दोनों पक्षकारों को स्वीकार है। अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विवेचना की आवश्यकता नहीं है।
8. इस परिवाद के निस्तारण के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि परिवादी क्षति की किस राशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है ?
9. यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति की जो राशि प्राप्त कराई गई है, वह राशि परिवादी के खाते में जमा कराई गई है। सर्वेयर की रिपोर्ट पत्रावली पर मौजूद है, उनके द्वारा गणना की त्रुटि के निवारण के पश्चात कुल 18,91,336/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि सर्वेयर द्वारा क्षति का आंकलन करने में अनमियत्ता की गई है, परन्तु अनियमित्त की ओर इस पीठ का ध्यान आकृष्ठ नहीं किया गया। लिखित कथन में भी शब्द अनियमित्ता अंकित की गई है, जबकि अनियमित्ता का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। गणना की त्रुटि किसी से भी संभव है, इसलिए सूचना प्राप्त होने पर सर्वेयर द्वारा गणना को दुरूस्त किया गया और अंतिम रूप से अंकन 18,91,336/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया। इस आंकलन के अनुसार परिवादी को अंकन 18,91,336/-रू0 की क्षति कारित हुई है।
10. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा क्षति की राशि का जो विवरण प्रस्तुत किया गया है, उसी के अनुसार क्षतिपूर्ति दिलाया जाना चाहिए, परन्तु यह तर्क पत्रावली पर दस्तावेजी साक्ष्य से समर्थित है। इस राशि का आंकलन करने के लिए कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। सर्वेयर द्वारा मौके पर जाकर प्रत्येक वस्तु में कारित क्षति का आंकलन किया गया है, इसलिए सर्वेयर द्वारा आंकलित राशि को प्रदत्त किया जाना विधिसम्मत है। परिवादी की ओर से नजीर मैसर्स सूपर लेबल एमएफजी कं0 बनाम न्यू इण्डिया इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्रस्तुत की गई है, जिसका निस्तारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया गया है तथा सर्वेयर द्वारा आंकलित राशि को अदा करने का आदेश पारित किया गया है। अत: स्वंय इस नजीर में दी गई व्यवस्था के अनुसार सर्वेयर द्वारा जिस क्षति का आंकलन किया गया है, उस राशि को दिलाया जाना इस केस में भी उचित है। अत: परिवाद तदनुसार इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि परिवादी अंकन 18,91,336/-रू0 की क्षति की राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, जो राशि पूर्व में प्राप्त की जा चुकी है, अर्थात् रू0 12,35,877.32 पैसे घटाने के पश्चात अवशेष राशि रू0 6,55,458.68 पैसे का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर किया जाएगा। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज देय होगा।
परिवादी द्वारा साल्वेज को बीमा कंपनी को उपलब्ध कराया जाएगा और यदि बीमा कंपनी को साल्वेज उपलब्ध नहीं कराया जाता है तब सर्वेयर द्वारा जो क्षति का आंकलन किया गया है, उसमें से 10 प्रतिशत की कटौती के पश्चात अवशेष राशि का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को किया जाएगा।
परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 भी उपरोक्त अवधि में बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को अदा किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3