mukesh filed a consumer case on 27 Feb 2015 against u.i.i.c. in the Tonk Consumer Court. The case no is cc/158/2013 and the judgment uploaded on 12 Mar 2015.
मुकेश कुमार जैन बनाम यूनाईटेंड इण्डिया इन्श्योरेंस क0लि0
परिवाद संख्या 158/2013
27.02.2015
दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके वाहन आर.जे. 26 यू.ए. 1206 का बीमा निर्धारित प्रीमियम लेकर किया गया। बीमित अवधि में वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी तत्काल विपक्षी कम्पनी को सूचना दी गई जिसनें वाहन का सर्वे कराया। उसके पश्चात विपक्षी कम्पनी को क्लेम प्रस्तुत किया गया लेकिन उसका भुगतान नही किया गया। अधिवक्ता के जरिये नोटिस भेंजा गया तब भी भुगतान नही किया अपितु गलत रूप से उसका क्लेम खारिज करने की सूचना भेजी। जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ।
विपक्षी बीमा कम्पनी के जवाब का सार है कि परिवादी नें बीमा पाॅलिसी लेने से पूर्व दिनांक 05.12.2012 को पूर्व की पाॅलिसी के तहत कोई क्लेम प्राप्त नही करनें का झूंठा घोषणा-पत्र प्रस्तुत करके नो-क्लेम बोनस प्राप्त किया और इस प्रकार झंूठे तथ्य प्रकट करके बीमा पाॅलिसी ली जिसके अन्तर्गत विधिनुसार कोई क्लेम देय नही होने से क्लेम सही खारिज किया गया। सेवा में कोई कमी नही की।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा पाॅलिसी, मरम्मत खर्चे के बिल, विपक्षी कम्पनी को प्रेषित नोटिस व पोस्टल रसीद, विपक्षी कम्पनी से प्राप्त क्लेम खारिज पत्र आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। विपक्षी कम्पनी नें प्राधिकृत अधिकारी सावरमल शर्मा के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी की ओर से प्रस्तुत घोषणा पत्र, पाॅलिसी, क्लेम खारिज पत्र, पूर्व बीमा कम्पनी से ई-मेल पर प्राप्त सूचना व सर्वेयर रिपोर्ट आदि की प्रति प्रस्तुत की है।
हमने विचार किया।
विपक्षी कम्पनी नें परिवादी की ओर से प्रस्तुत घोषणा-पत्र दिनांक 05.12.2012 व पूर्व की पाॅलिसी के अन्तर्गत क्लेम प्राप्त करने सम्बन्धी सूचना के दस्तावेज प्रकट करके यह सिद्ध किया है कि परिवादी ने पूर्व की पाॅलिसी के अन्तर्गत क्लेम प्राप्त किया था तथा उनसे पाॅलिसी लेते समय इन तथ्यों को छिपाया तथा यह असत्य घोषणा प्र्रस्तुत की कोई क्लेम नही लिया गया और इस आधार पर नो-क्लेम-बोनस का लाभ दिया गया। प्रश्न उठता है कि क्या इन तथ्यों से विपक्षी कम्पनी विवादित वाहन की जोखिम उठानें में किसी प्रकार सारभूत रूप से प्रभावित हुई है ? यदि परिवादी द्वारा पूर्व की पाॅलिसी पर क्लेम उठानें की सूचना विपक्षी कम्पनी को दी जाती तब भी विपक्षी कम्पनी परिवादी के वाहन का बीमा तो अवश्य करती लेकिन उसका प्रीमियम अधिक ले सकती थी। इससे अधिक प्रभाव उक्त घोषणा का नही है। परिवादी की ओर से पूर्व की पाॅलिसी पर क्लेम के तथ्य को छिपानें सम्बन्धी मामले को सारभूत रूप से बीमा संविदा को प्राभावित करने वाला तथ्य नही माना जा सकता है तथा इसे फण्डामेन्टल भंग की श्रेणी में नही माना जा सकता है। अधिक से अधिक परिवादी के इस आचरण के आधार पर उसके क्लेम को अमानक आधार पर निस्तारित किया जाना चाहिए था। पूरा क्लेम खारिज करना सेवादोष है।
विपक्षी कम्पनी नें परिवादी के वाहन में क्षति आंकलन के सम्बन्ध में सर्वेयर की रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसने वाहन में कुल 9,885/- रूपयें का नुकसान बताया है यह सुस्थापित विधि है कि जब तक सर्वेयर की रिपोर्ट को ठोस एवं तर्कसंगत आधारो पर चुनौती नही दी जाये तब तक वह स्वीकार्य है प्रस्तुत मामले में परिवादी ने सर्वेयर की रिपोर्ट को चुनौती नही दी है। इसलिए सर्वेयर की क्षति आंकलन रिपोर्ट के अनुसार परिवादी अमानक आधार पर 75 प्रतिशत क्लेम पाने का अधिकारी है।
अतः विपक्षी कम्पनी को निर्देश दिये जाते है कि उसके बीमित वाहन की क्षति पेटे 7,714/- रूपयें व इस पर परिवाद प्रस्तुत करने से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित एक माह में परिवादी को भुगतान किया जावे। इसके अलावा मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय की भरपाई हेतु 3,000/- रूपयें पृथक से दिये जावें।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
विष्णु कुमार गुप्ता किरण चैरसिया भगवानदास खण्डेलवाल
(सदस्य) (सदस्या) (अध्यक्ष)
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