जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 11/2013 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-07.01.2013
परिवाद के निर्णय की तारीख:-14.12.2022
अमित कुमार त्रिपाठी आयु लगभग 25 वर्ष पुत्र श्री प्रद्युम्न कुमार त्रिपाठी, निवासी 250 एम0आई0जी0 सेक्टर जी आशियाना लखनऊ।
............परिवादी।
बनाम
- यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड क्षेत्रीय कार्यालय आरिफ चेम्बर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय तल कपूरथला काम्पलेक्स अलीगंज, लखनऊ 226024 ।
- यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बी0ओ0 5, 126/14 बी0एन0 रोड लालबाग लखनऊ। ............विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री शंकर लाल मिश्र।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अशोक कुमार राय।
आदेश द्वारा-श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण से 4,00,000.00 (चार लाख रूपया मात्र) नुकसान की भरपाई हेतु दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी गाड़ी संख्या यू0पी0 32 डी एच 6600 महिन्द्रा एक्सलो का स्वामी है, जिसका बीमा यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बी0ओ0 5, 126/14 बी0एन0 रोड लखनऊ से दिनॉंक 09.08.2011 को कराया था जो दिनॉंक 09.08.2012 तक प्रभावी था। परिवादी की गाड़ी का बीमा काल में ही दिनॉंक 13.07.2012 को एक्सीडेन्ट सीतापुर में हो गया था।
3. परिवादी ने अपनी गाड़ी मरम्मत हेतु गोमती ऑटो सेल्स एण्ड सर्विस प्रा0लि0 महेन्द्रा सिटी सर्विस कार्ड इन्फेक्शन चेक सीट दिनॉंक 14.07.2012 को दिया था। दिनॉंक 14.07.2012 को ही परिवादी ने विपक्षीगणों को क्लेम हेतु सूचना दी जिसका क्लेम संख्या 823033112019000047 है। परिवादी ने गाड़ी गोमती ऑटो सेल्स एवं सर्विस प्रा0लि0 महेन्द्रा सिटी सर्विस अर्जुनगंज सुल्तानपुर रोड लखनऊ पर सर्विस हेतु जमा किया।
4. परिवादी की गाड़ी एक्सीडेन्ट हो जाने के बाद मरम्मत के लिये दिनॉंक 14.07.2012 से 14.12.2012 तक उक्त सर्विस स्टेशन पर रही। दिनॉंक 14.12.2012 को पत्र के माध्यम से विपक्षी संख्या 01 द्वारा सूचित किया गया कि उसे गाड़ी का क्लेम नहीं दिया जायेगा जबकि गाड़ी विपक्षीगण से बीमित थी। परिवादी ने क्रमश: दिनॉंक 26.07.2012 को 10,000.00 रूपये दिनॉंक 09.11.2012 को 30,000.00 रूपये तथा दिनॉंक 20.11.2012 को 10,000.00 रूपये तथा दिनॉंक 14.12.2012 को 36,000.00 रूपये सर्विसिंग चार्जेज के रूप में कुल 86,000.00 (छियासी हजार रूपया मात्र) कम्पनी को भुगतान किया। पूर्व में दिनॉंक 09.11.2012 को 30,000.00 रूपये का भुगतान किया था तथा दिनॉंक 26.07.2012 को 10,000.00 रूपये का भुगतान किया। बीमा कम्पनी ने उक्त 86,000.00 रूपये परिवादी को अभी तक नहीं दिया। विपक्षीगणों द्वारा बीमा राशि न देने के कारण परिवादी को गाड़ी सर्विस सेन्टर से उठाने में अत्यधिक विलम्ब हो गया।
5. परिवादी की गाड़ी लगातार पॉच माह तक सर्विस में कम्पनी में खड़ी होने के कारण परिवादी को अन्य गाड़ी किराये पर लेनी पड़ी जिसका प्रतिदिन का किराया 1600.00 रूपये परिवादी को देना पड़ा जिसका पॉंच माह का किराया 2,40,000.00 (दो लाख चालीस हजार रूपया मात्र) होता है तथा सर्विसिंग चार्जेज 86,000.00 रूपये मिलाकर कुल 3,26,000.00 (तीन लाख छब्बीस हजार रूपया मात्र) का भुगतान हुआ जिसकी जिम्मेदारी विपक्षीगणों की होती है। परिवादी को कुल रू0 3,26,000.00 की धनराशि विपक्षीगणों द्वारा देयता बनती है।
6. विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया तथा कथन किया कि परिवादी ने कथित दुर्घटना के संबंध में दिनॉंक 14.07.2012 को विपक्षीगण को सूचित किया और उसका दावा क्रमांक 082303/31/12/01/9000470 है। विपक्षी ने परिवादी के दावे के निपटारे में देरी नहीं की। दावे को संसोधित करने के बाद जब विपक्षीगण ने पाया कि पालिसी के तहत दावा देय नहीं था, इसलिये इसका जोरदार खण्डन किया गया, और भुगतान नहीं किया गया।
7. परिवादी ने कथित वाहन के संबंध में दिनाक 14.07.2012 को टेलीफोन पर विपक्षीगण को सूचित किया। विपक्षीगण ने गाड़ी में नुकसान आंकलन के लिये सर्वेयर श्री संतोष कुमार श्रीवास्तव को नियुक्त किया। सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण एवं आंकलन किया और देय नुकसान 60,656.00 रूपये निर्धारित किया था और उन्होंने उक्त में से धनराशि 7386.00 रूपये कटौती के उपरान्त 53,270.00 रूपये परिवादी को देय हो सकती है।
8. विपक्षीगण ने निपटान के लिये दावे की प्रक्रिया के दौरान पाया कि परिवादी ने विपक्षीगण को एन0सी0बी0 (नो क्लेम बोनस) का भुगतान न करने के संबंध में गलत जानकारी देकर पालिसी के नियमों का उल्लंघन किया। दिनॉंक 14.12.2012 को पत्र के माध्यम से अस्वीकृति का कारण बताया गया। परिवादी ने अपने वाहन यू0पी0 32-डी0एच0 6600 के लिये दिनॉंक 10.08.2011 से 09.08.2012 की अवधि के लिये उपरोक्त पालिसी ली थी।
9. यह बताते हुए कि चोलामण्डलम एम0एस0 से उनके कवर के माध्यम से पिछली पालिसी ली थी। दिनॉंक 10.08.2010 से 09.08.2011 की अवधि के लिये और पिछले बीमाकर्ता से कोई दावा नहीं लिया और इसलिये विपक्षी से एन0सी0बी0 के लिये मॉंग की है। विपक्षी ने बीमाधारक को एन0सी0बी0 की पुष्टि के लिये पिछले बीमाकर्ता को पत्र भेजा। पिछले बीमाकर्ता चोलामण्डलम एम0एस0 ने कंपनी को सूचित किया कि पालिसी में दावा भुगतान किया गया है।
10. विपक्षी के मुताबिक परिवादी ने पालसी लेते समय झूठे बयान देकर विपक्षी से एन0सी0बी0 लिया और ऊपर बतायी गयी परिस्थितियों में परिवादी दावा पाने का हकदार नहीं है। परिवादी ने पालिसी लेने से पहले प्रस्ताव फार्म में घोषित किया है “मैने घोषित किया कि नो बॉन्स क्लेम की दर सही है और समाप्ति अविध में कोई दावा उत्पन्न नहीं हुआ है और आगे यह मानता हॅूं कि यदि यह घोषणा गलत पायी जाती है तो पालिसी के अन्तर्गत सेक्सन 01 में इश्योरेंस कम्पनी के संबंध में सभी लाभ जब्त कर लिये जायेगें” ।
11. परिवादी का कथानक है कि उसका वाहन क्रमांक यू0पी0 32 डी0एच0-6600 का बीमा दिनॉंक 10.08.2011 से 09.08.2012 तक प्रभावी था। परिवादी ने कथित दुर्घटना के बारे में दिनॉंक 14.07.2012 को टेलीफोन पर विपक्षीगण को सूचित किया, तब गाड़ी गोमती ऑटो सेल्स एण्ड सर्विस वर्कशाप में भी विपक्षीगण के सर्वेयर श्री संतोष कुमार श्रीवास्तव को वाहन के निरीक्षण एवं नुकसान के ऑकलन के लिये नियुक्त किया। विपक्षीगण का कथानक है कि परिवादी के उत्तर पत्र के पैरा 17 की सामग्री गलत है। दावे का भुगतान करने के लिये विपक्षीगण का दायित्व पालिसी के प्रावधानों के अनुसार ही हैऔर मनमाना नहीं है। विपक्षी संख्या 01 एवं 02 के उत्तर पत्र के पैरा 03 में स्वीकार किया गया कि सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण और भुगतान योग्य नुकसान का आँकलन 60656.00 रूपये में किया, लेकिन 7386.00 रूपये उक्त राशि से कटौती के लिये उत्तरदायी है और उक्त कटौती के बाद शुद्ध देय राशि 53270.00 रूपये है। यदि पालिसी के नियम शर्ते इसके लिये अनुमति देती हैं।
12. विपक्षी के अनुसार परिवादी ने एन0सी0बी0 (नो क्लेम बोनस) के भुगतान के संबंध में गलत जानकारी देकर पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया।
13. परिवादी ने साक्ष्य शपथ दिया और विपक्षीगण के कथनों को गलत बताते हुए कहा कि उनका कथन असत्य है और विपक्षी ने पूर्व में वादोत्तर की धारा 03 में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की है। वादोत्तर की धारा 17 असत्य एवं अस्वीकार है, क्योंकि परिवादी की गाड़ी एक्सीडेन्ट के बाद खड़ी होने के कारण 3,46,000.00 रूपये परिवादी को ही देना पड़ा। विपक्षी के द्वारा किया गया बीमा दिनॉंक 09.08.2011 से दिनॉंक 09.08.2012 तक प्रभावी था तथा चोलामण्डलम बीमा की तिथि समाप्त होने के बाद ही परिवादी ने अपने वाहन बीमा यू0पी0-32 डी0एच0 महिन्द्रा एक्सलो 6600 का बीमा कराया था जो कि बीमाकाल में ही दिनॉंक 13.07.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ इस कारण विपक्षी ही बीमा की देयता के जिम्मेदार है।
14. परिवादी द्वारा अपने दाखिल दस्तावेजों में साक्ष्य व शपथ पत्र के साथ गोमती ऑटो सेल्स के परीक्षण की कापी, पंजीकरण प्रमाण पत्र का फार्म, फिटनेस सर्टिफिकेट इत्यादि दाखिल किया है।
15. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
16. विदित है कि परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत में हुए व्यय की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के संबंध में प्रस्तुत परिवाद दाखिल किया गया है, और यह कहा गया कि उसके वाहन का बीमा यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से दिनॉंक 09.08.2011 से लेकर 09.09.2012 तक प्रभावी थी। इसी बीच घटना हो गयी थी और उसकी मरम्मत कराने हेतु वाहन सर्विस सेन्टर पर लाया गया और सर्वेयर द्वारा भी उसका सर्वे किया गया और सर्वेयर ने भी भुगतान हेतु संस्तुति दी थी। परन्तु इसके बावजूद विपक्षीगण द्वारा कोई भुगतान परिवादी को नहीं किया गया, तथा उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया। विपक्षीगण ने अपने कथानक में यह कहा कि उसके दावे के निपटारे में कोई देरी नहीं की गयी थी और विपक्षीगण ने यह पाया कि दावा देय नहीं है। इसलिए भुगतान नहीं किया गया।
17. इस परिप्रेक्ष्य में यह भी कहा गया कि वाहन चोला मण्डलम से दिनॉंक 10.08.2010 से 09.08.2011 तक बीमित था, और वहॉं पर एक कम्पनी के माध्यम से उन्होंने एक क्लेम लिया था, और चोला मण्डलम ने उसको भुगतान भी किया था। जब इन्श्योरेंस कम्पनी कोई भुगतान करती है तो उसमें इस तथ्य का उल्लेख करना पड़ता है कि क्या पूर्व में कोई भुगतान क्लेम लिया था या नहीं। वर्तमान पालिसी में भुगताने करने के संबंध में उन्होंने यह कहा कि पूर्व पालिसी के तहत कोई भुगतान नहीं किया गया है। परिवादी ने चोला मण्डलम से भुगतान प्राप्त किया है।
18. विपक्षीगण द्वारा अपने साक्ष्य के तहत प्रपोजल फार्म दाखिल किया है जिसमें यह लिखा है कि उन्होंने एन0सी0बी0 नहीं लिया है और सर्वेयर की भी रिपोर्ट लगी है जिसमें 60,656.00 रूपये नुकसार का आंकलन किया है। अर्थात दुर्घटना में 60,656.00 रूपये का उसे भुगतान किया गयागया। अन्जनी गुप्ता बनाम फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड निर्णय दिनॉंकित 12 दिसम्बर 2007 पिटीशन नम्बर-1051/2017 में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह कहा गया कि:-
“ It would threrfore be seen that if No Claim Bonus is wrongfull taken by the insured, the claim would still be payable on a non-standard basis, if the insurer had the means to verify the correctness of the declaration made by the insured, while claiming the No Claim Bonus. In the present case also, the respondent had an opportunity to verify the correctness or otherwise of the declaration made by the petitioner/complainant by making necessary enquiry from the concerned insurer. That having not been done, the complainant is entitled to reimbursement of thje loss sustained by him, subject of course to proportionate deduction. Since the No Claim Bonus was availed by the complainant @ 25% the amount payable to the complainant/petitioner has to be reduced in the same proportion.
अर्थात इस नवीन कम्पनी को यह वेरीफाई करना था कि उन्होंने नो क्लेम बोनस लिया है या नहीं। अगर वेरीफाई किया है तो परिस्थिति अलग हो जायेगी और नहीं किया है तो परिस्थिति अलग होगी। विपक्षीगण की ओर से जैसा कहा गया कि उन्होंने नो क्लेम बोनस के संबंध में वेरीफाई किया था। रेपुडिएशन के परिशीलन से भी विदित है कि no claim has arisen in the expiring policy period, I further undertake the it this declaration is found to be incorrect, all benefits under the policy in respect of section 1 of the policy will stand forfeited.
विपक्षी का यह कहना कि परिवादी ने गलत सूचना दी थी इस कारण उनको क्षतिपूर्ति नहीं दिलायी जा सकती संलग्नक-7 के रूप में विपक्षीगण द्वारा 23 नवम्बर 2012 को चोला मण्डलम को मेल भेजा गया है कि क्या अमित कुमारी त्रिपाटी ने जो आपसे पालिसी ली थी उन्होंने कोई पहले क्लेम लिया था या नहीं।
19. यह दुर्घटना दिनॉंक 13.07.2012 को हुई है और दिनॉंक 09.08.2011 से 09.08.2012 तक इन्श्योरेंस प्रभावी था। चॅूंकि दुर्घटना की तिथि 13.07.2012 के बाद दिनॉंक 23 नवम्बर 2012 का मेल इन्श्योरेंस कम्पनी ने चोला मण्डलम को भेजा था अर्थात दुर्घटना होने के बाद का किया गया है। उपरोक्त विधि व्यवस्था के तहत यदि परिवादी का क्लेम फर्जी था तो तुरन्त ही उन्हें वेरीफाई कर लेना चाहिए था। इसलिये अगर गलत सूचना दी गयी है तो इसका इस स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि तत्काल कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। अत: जैसा कि इन्श्योरेंस कम्पनी विपक्षीगण ने यह कहा कि आप कोई भी क्लेम पाने के अधिकारी नहीं है, यह विधि सम्मत नहीं माना जायेगा।
20. उपरोक्त व्यवस्था के तहत यह आदेश पारित किया गया है कि 25 प्रतिशत की धनराशि काटकर भुगतान कर देना चाहिए। इसलिये रेपुडिएशन गलत हुआ है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह मुबलिग 60,656.00 रूपये में से 25 प्रतिशत की धनराशि काटकर मुबलिग 45498.00 (पैतालिस हजार चार सौ अट्ठानबे रूपया मात्र) क्लेम देयता की तिथि से मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय के 45 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी विपक्षीगण अदा करेगें। यदि निर्धारित अवधि 45 दिन में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
निर्णय की प्रति उभयपक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-14.12.2022