Rajasthan

Jhunjhunun

CC/232/2014

Bhopal Singh - Complainant(s)

Versus

U. I. Insurance Company ltd. - Opp.Party(s)

Kamales

18 Aug 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/232/2014
 
1. Bhopal Singh
Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. U. I. Insurance Company ltd.
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:Kamales, Advocate
For the Opp. Party: Bhagavan Singh, Advocate
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 232/14

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

भोपाल सिंह उम्र 52 साल पुत्र मेघसिंह जाति जाट निवासी मोतीलाल कालेज के पास, झुंझुनू तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.)                         - परिवादी
                         बनाम
युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा कार्यालय स्टेषन रोड़, पीरूसिंह सर्किल के पास, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0)            - विपक्षी

        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री कमलेष, अधिवक्ता   -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री भगवान सिंह शेखावत, अधिवक्ता  -  विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 18.08.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         16.04.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी वाहन आर.जे. 18 जी ए 2960 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 03.02.2013 से 02.02.2014 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 07.10.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत पुलिस थाना सालासर में दी गई, जिस पर एफ.आई.आर. संख्या 105/13 दर्ज की गई। वाहन पूर्णतया डेमेज हो गया। परिवादी द्वारा वाहन का क्लेम विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां प्रस्तुत किया गया।  विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को क्लेम की राषि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने विपक्षी को दिनांक     10.03.2014 को नोटिस भिजवाया। विपक्षी ने व्यथित होकर दुराषयपूर्ण आषय से यह अंकित करते हुये कि एफ.आई.आर. में कालूराम को ड्राईवर बताया है जबकि कालूराम का डी.एल. पेष नहीं किया। परिवादी का क्लेम दिनांक 31.03.2014 को रेपुडियेट कर खारिज कर दिया। परिवादी का वाहन वर वक्त घटना चल नहीं रहा था बल्कि रोड की साईड में खड़ा था।वाहन चालक के पास वक्त घटना डी.एल. वैध एवं प्रभावी था लेकिन विपक्षी ने वाहन चालक के पास डी.एल. नहीं होना बताकर परिवादी का क्लेम प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। विपक्षी द्वारा उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 11,00,000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी का वाहन आर.जे. 18 जी ए 2960 विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 03.02.2013 से 02.02.2014 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
 विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी स्वयं ने इस बात को स्वीकार किया है कि दुर्घटना के समय वाहन को कालूराम चला रहा था जिसकी मौके पर मृत्यु हो गई तथा एफ.आई.आर. में वाहन कण्डेक्टर रघुवीर को बताया गया है। एफ.आई.आर. के अनुसार दोनो वाहनों के चलते हुये आमने-सामने टक्कर हुई है। ट्रोला चालक कालूराम चालक सीट पर फंसा हुआ बताया गया है।  वाहन ट्रोला चालक कालूराम के पास वर वक्त दुर्घटना वाहन चलाने के लिए वैध व प्रभावी लाईसेंस नहीं था। वर वक्त दुर्घटना वाहन का वैध व प्रभावी परमिट का Authorization  Authorization    भी नहीं था। परिवादी ने पुलिस से साज कर बाद में चालक रघुवीर को बताया है। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम सही निरस्त किया गया है। 
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा वाहन में हुये नुकसान का अंाकलन गलत किया गया है। बीमा कम्पनी द्वारा वाहन में हुये नुकसान के बाबत सर्वेयर से नुकसान का अंाकलन करवाया गया है। सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार वाहन में सालवेज व एक्सेज क्लोज की राषि आदि कम करने पर 3,35,000/-रूपये के नुकसान का आंकलन किया गया है। परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किये जाने के कारण परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन ट्रोला आर.जे. 18 जी ए 2960 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 03.02.2013 से 02.02.2014 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। 
विद्वान् अधिवक्ता बीमा कम्पनी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि दुर्घटना में लिप्त वाहन के चालक के पास वक्त घटना वैध एवं प्रभावी लाईसेंस नहीं था। बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्षति पूर्ति के लिये उत्तरदायी नहीं है। 
हम विद्वान् अधिवक्ता बीमा कम्पनी के उक्त तर्क से सहमत नहीं है। क्योंकि पत्रावली में प्रस्तुत शपथ पत्र व परिवादी के परिवादपत्र से यह स्पष्ट है कि वक्त घटना परिवादी के उक्त वाहन का चालक रघुवीर उर्फ रूघादास था तथा कालूराम इसका कण्डक्टर था । उक्त वाहन मौके पर रोड की साईड में खड़ा था। रोडवेज के चालक ने गफलत व लापरवाही से खडे हुये ट्रोला के टक्कर मारदी, जिसके कारण उक्त ट्रोला बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। पत्रावली में संलग्न ड्राईविंग लाईसेंस की फोटो प्रति से यह स्पष्ट है कि वाहन चालक रघुवीर उर्फ रूघादास के पास वक्त घटना वैध एवं प्रभावी ड्राईविंग लाईसेंस था। 
विपक्षी बीमा कम्पनी यह साबित करने में असफल रही है कि वक्त घटना उक्त वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावी ड्राईविंग लाईसेंस नहीं हो और बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्लंघन हुआ हो। ड्राईविंग लाईसेंस के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी ने आर.टी.ओ./डी.टी.ओ. की कोई रिपोर्ट भी पत्रावली में पेष नहीं की है। 
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन उक्त दुर्घटना में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना के संबंध में संबंधित पुलिस थाना में एफ.आई.आर. दर्ज हुई है, जिसकी फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है। वक्त घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा सर्वेयर नियुक्त किया गया तथा सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 3,51,569/-रूपये का आंकलन करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जो पत्रावली में संलग्न है। विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट पर अविष्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान नहीं किया है। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-  

 

I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA  VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS,  II (2014) CPJ 593 (NC)-  MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)-  MANJULA DAS  VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.  

 

 

 

उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। 
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में क्षति पूर्ति की राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में अंकित राषि किस आधार पर बताई है, इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है। लेकिन यह तो सही है कि उक्त दुर्घटना में परिवादी का वाहन बूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है, जो पत्रावली में संलग्न फोटो चित्र से भी स्पष्ट है।  
 अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से          3,51,569/-रूपये  (अक्षरे रूपये तीन लाख इक्यावन हजार पांच सौ उनहतर मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी बीमा कम्पनी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 16.04.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
   निर्णय आज दिनांक 18.08.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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