(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-84/2016
(जिला आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-89/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.7.2015 के विरूद्ध)
मैसर्स मयूर इन्टरनेशनल द्वारा प्रोपराइटर अभिषेक अग्रवाल पुत्र डा0 जे.के. अग्रवाल, निवासी स्टेशन रोड, मुरादाबाद।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, स्थित डिविजनल आफिस सिविल लाइन्स, मुरादाबाद द्वारा डिविजनल मैनेजर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी की
कनिष्ठ सहायक सुश्री तरूषी
गोयल।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. शर्मा।
दिनांक: 21.05.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-89/2013, मैसर्स मयूर इन्टरनेशनल बनाम यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.7.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादी ने बीमा की राशि अंतिमता में एवं पूर्ण संतुष्टि के साथ प्राप्त कर ली है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी पैराफिन वेक्स का इम्पोर्टर है और उसने अपने गोदाम का बीमा दिनांक 11.1.2011 से दिनांक 10.1.2012 की अवधि के लिए कराया था। दिनांक 19.8.2011 को रामपुर रोड मुरादाबाद स्थित परिवादी के गोदाम में 3 फिट तक बाढ़ का पानी घुस गया और दो दिन तक लगातार यही स्थिति बनी रही। बाढ़ के पानी से वेक्स का स्टॉक नष्ट हो गया। तत्काल इसकी सूचना विपक्षी को दी गई, उनके द्वारा आलोक शंकर एण्ड कंपनी को सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर ने अंकन 34,77,543/-रू0 की क्षति का आंकलन किया। इस सर्वे रिपोर्ट की पुष्टि के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट श्री आर.सी. बाजपेई को नियुक्त किया गया, उनके द्वारा भी सर्वे रिपोर्ट की पुष्टि की गई। परिवादी के विरोध के बावजूद अंकन 26,14,753/-रू0 प्राप्त करने के लिए यह धमकी दी गई कि यदि डिसचार्ज बाऊचर पर हस्ताक्षर नहीं किए तब उनकी पत्रावली को क्षेत्रीय कार्यालय में बंद कर दिया जाएगा। विपक्षी के वरिष्ठ मण्डलीय प्रबंधक के दबाव में मजबूरन परिवादी को अंकन 26,14,753/-रू0 प्राप्ति के डिसचार्ज बाऊचर पर हस्ताक्षर करना पड़ा। विपक्षी द्वारा बगैर किसी आधार के अंकन 8,62,794/-रू0 की धनराशि काट ली, जबकि एसा करने का कोई अधिकार नहीं था।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि चूंकि सर्वेयर द्वारा अंकन 20 लाख रूपये से अधिक की क्षति का आंकलन किया गया था, इसलिए आर.सी. बाजपेई चार्टर्ड एकाउंटेंट को नियुक्त किया गया था। परिवादी ने स्वंय अंकन 26,14,753/-रू0 के नुकसान का दावा स्वीकार किया था और इस संबंध में पत्र दिनांक 3.1.2013 को प्रस्तुत किया था साथ ही डिसचार्ज बाऊचर को भी हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था और बैंक को दिनांक 7.1.2013 को हस्ताक्षर करने हेतु विपक्षी ने दिया था। पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाने के पश्चात यह राशि प्राप्त की गई थी।
4. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी ने पूर्ण संतुष्टि के साथ अंतिम रूप से बीमित राशि प्राप्त कर ली है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया।
5. इस निर्णय/आदेश को परिवादी द्वारा इस आधार पर चुनौती दी गई है कि परिवादी ने कभी भी स्वेच्छा से यह धनराशि प्राप्त नहीं की है। परिवादी पर दबाव बनाया गया था कि यदि यह राशि प्राप्त नहीं की गई तब पत्रावली मण्डलीय कार्यालय को भेज दी जाएगी और वहां पत्रावली बंद पड़ी रहेगी। विपक्षी द्वारा अनुचित प्रभाव का प्रयोग किया गया और इस बिन्दु पर विद्वान जिला आयोग ने कोई विचार नहीं किया। चूंकि प्रताड़ना के तहत यह राशि प्राप्त की गई है, इसलिए इसे स्वेच्छा से प्राप्त करना नहीं कहा जाएगा।
6. दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने दबाव एवं प्रताड़ना के तहत यह राशि प्राप्त करने का कथन किया है, जबकि प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता ने स्वेच्छा से वांछित धनराशि प्राप्त करने का कथन किया है। यह सही है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के अनुसार यदि कोई पक्षकार वांछित धनराशि से अधिक धनराशि स्वीकार करता है तब जिस पक्षकार पर देयता बनती है तब वह अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है, परन्तु इसके लिए मांगी गई राशि से कम राशि प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र सहमति होनी आवश्यक है। प्रस्तुत केस में परिवादी ने यह कथन किया है कि परिवादी को इस आशय की धमकी दी गई कि यदि कम धनराशि प्राप्त नहीं की गई तब प्रकरण मण्डलीय कार्यालय में भेज दिया जाएगा और वहां पर पत्रावली बंद पड़ी रहेगी। परिवादी के इस कथन की पुष्टि इस आधार पर भी होती है कि सर्वेयर ने जिस क्षति का आंकलन किया है, उसकी पुष्टि चार्टर्ड एकाउंटेंट श्री आर.सी. बाजपेई से कराई है, जिनके द्वारा सर्वेयर की रिपोर्ट को पुष्ट किया गया है यानी कि सर्वेयर द्वारा अंकन 34,77,543/-रू0 की क्षति मानी गई है और उसी क्षति की पुष्टि की गई है। परिवादी ने सशपथ बयान दिया है कि वरिष्ठ मण्डलीय प्रबंधक के दबाव में मजबूरन इस राशि को प्राप्त करने के लिए डिसचार्ज बाऊचर पर हस्ताक्षर करने पड़े।
8. प्रस्तुत केस में चूंकि बीमा कराया जाना, बीमित गोदाम में बाढ़ के पानी के घुसने के कारण क्षति कारित होना, बीमा क्लेम प्रस्तुत करना, सर्वेयर की नियुक्ति करना, सर्वेयर द्वारा अंकन 34,77,543/-रू0 की क्षति का आंकलन करना, चार्टर्ड एकाउंटेंट श्री आर.सी. बाजपेई द्वारा इस क्षति की राशि की पुष्टि करना और इसके बाद परिवादी को केवल 26,14,753/-रू0 प्राप्त कराना दोनों पक्षों को स्वीकार्य है। अत: इस बिन्दु पर विस्तृत विवेचना की आवश्यकता नहीं है। इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादी द्वारा स्वेच्छा से उपरोक्त धनराशि प्राप्त की गई है। इस संबंध में वस्तु स्थिति का उल्लेख ऊपर किया गया है। चूंकि स्वंय परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि उसे धमकी दी गई थी कि यदि यह राशि प्राप्त नहीं की गई तब पत्रावली हेड आफिस भेज दी जाएगी जहां पर पत्रावली बंद पड़ी रहेगी, इसलिए इस धमकी के तहत कम राशि प्राप्त की गई। प्रस्तुत केस में चूंकि सर्वेयर द्वारा आंकलित की गई क्षतिपूर्ति की राशि, की पुष्टि चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा भी की गई है, इसलिए परिवादी के पास इस राशि से कम राशि प्राप्त करने का कोई अवसर नहीं था, सिवाय इसके कि परिवादी को यह धमकी दी गई कि यदि यह राशि प्राप्त नहीं की गई तब पत्रावली हेड आफिस भेज दी जाएगी और वहां पर पत्रावली बंद पड़ी रहेगी। अत: यह स्थिति जाहिर करती है कि परिवादी को दबाव के तहत सर्वेयर तथा चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा पुष्ट की गई क्षतिपूर्ति की राशि से कम राशि प्रदान की गई या दबाव के तहत उपलब्ध कराई गई तब यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी ने यह राशि स्वेच्छा के साथ एवं अंतिम रूप से प्राप्त की है, इसलिए प्रस्तुत केस में स्वेच्छा एवं अंतिम रूप से भुगतान का सिद्धान्त साबित नहीं है। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस बिन्दु पर साक्ष्य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में जिन नजीरों का उल्लेख किया है, उनमें स्वेच्छा से धनराशि प्राप्त करने का उल्लेख साबित था, परन्तु प्रस्तुत केस में स्वेच्छा के साथ आंकलित राशि से कम राशि प्राप्त करने का तथ्य स्थापित नहीं है। परिवादी ने दबाव के तहत कम राशि प्राप्त करने के तथ्य को साबित किया है, इसलिए परिवादी सर्वेयर एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा आंकलित की गई सम्पूर्ण धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार अवशेष राशि अंकन 8,62,794/-रू0 दिनांक 9.8.2011 को किए गए अंतिम भुगतान के समय से 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ इस राशि को प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत है तथा मानसिक प्रताड़ना एवं वाद व्यय दोनों मदों में अंकन 25-25 हजार रूपये भी प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.7.2015 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी को अवशेष राशि अंकन अंकन 8,62,794/-रू0 दिनांक 9.8.2011 से वास्तविक भुगतान तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ 45 दिन के अन्दर अदा की जाए
मानसिक प्रताड़ना एवं परिवाद व्यय दोनों मदों में अंकन 25-25 हजार रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा किए जाए। इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3