(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2252/2008
ह्दय नारायण सिंह पुत्र श्री इन्द्र देव सिंह बनाम यूनियन बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 18.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-176/2004, ह्दय नारायण सिंह बनाम अमरेन्द्र प्रसाद मोहन्ती, शाखा प्रबंधक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गाजीपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.5.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.बी. श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अवनीश पाल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि दिवानी प्रकृति का मामला बनता है, क्योंकि साक्ष्य की विस्तृत व्याख्या की आवश्यकता है, परन्तु प्रस्तुत केस के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक की शाखा में दिनांक 24.3.2000 को अंकन 50,000/-रू0 जमा किए गए थे, इस जमा राशि से बैंक द्वारा इंकार नहीं किया गया है, परन्तु बैंक के किसी कर्मी द्वारा गबन किया गया है। अत: यह प्रकरण कदाचित इस स्तर का नहीं है कि विस्तृत साक्ष्य की व्याख्या करते हुए सिविल
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न्यायालय द्वारा इस पर निर्णय पारित किया जाए। परिवादी द्वारा अंकन 50,000/-रू0 की राशि जमा की गई, जो परिपक्वता तिथि पर अंकन 54,654/-रू0 प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत है।
3. विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता कि अंकन 50,000/-रू0 की एफडीआर खाते में है तो लाखों रूपयों का लेन-देन कैसे हो जाएगा। यदि किसी धोखेबाज व्यक्ति से परिवादी का खाते में लेन-देन था तब भी परिवादी अपने द्वारा जमा राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया निर्णय अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.05.2008 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिपक्वता राशि अंकन 54,654/-रू0 अदा की जाए तथा परिपक्वता अवधि के पूर्ण होने के पश्चात इस परिपक्व राशि पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 15,000/-रू0 भी बैंक द्वारा देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2