Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1799

Ganga Ram - Complainant(s)

Versus

U P State Electricity Board - Opp.Party(s)

O P Srivastav

23 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1799
( Date of Filing : 18 Sep 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Ganga Ram
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U P State Electricity Board
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Apr 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-1799/2008

गंगा राम पुत्र श्री हरीश

बनाम

यू0पी0 स्‍टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड (अब यू0पी0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड) व एक अन्‍य

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,  

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 23.04.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद संख्‍या-469/1999 गंगाराम बनाम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.08.2008 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 16 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता  श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन विपक्षीगण द्वारा दिनांक 30.12.1998 को भुगतान न होना दर्शित करते हुए विच्‍छेदित कर दिया गया। तत्‍पश्‍चात् विपक्षीगण द्वारा दिनांक 31.12.1998 से दिनांक 31.08.1999 तक की अवधि के 5 बिल परिवादी को भेजे गये, जिसमें अन्तिम बिल              44,838/-रू0 का था। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 जूनियर इंजीनियर से सम्‍पर्क किया गया  तथा  कनेक्‍शन  संयोजित  किये

 

 

 

-2-

जाने हेतु प्रार्थना की गयी, जिस पर विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा परिवादी से दिनांक 17.01.1999 को 11,300/-रू0 लिया गया, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा न तो उक्‍त धनराशि की असल रसीद दी गयी तथा न ही विद्युत कनेक्‍शन संयोजित किया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदन के बाद भी अवैध रूप से त्रुटिपूर्ण बिल भेजे गये तथा वसूली वारण्‍ट के द्वारा जबरन दिनांक 19.02.2000 को 10,670/-रू0 की वसूली की गयी। अत: क्षुब्‍ध  होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता   आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध दिनांक 07.02.2003 को एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-1 उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 द्वारा अधिशासी अभियन्‍ता की ओर से उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी का कनेक्‍शन दिनांक 19.11.1999 को विच्‍छेदित किया गया था। विपक्षी संख्‍या-2 को दिनांक 17.01.1999 को परिवादी द्वारा 11,300/-रू0 अदा करने की बात गलत है। परिवादी द्वारा भुगतान की गयी समस्‍त धनराशि समायोजित की जा चुकी है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा 17.01.99 को कनेक्‍शन जुड़वाने के लिये विपक्षी 2 द्वारा मांगी गई धनराशि रू0 11300.00 जो विपक्षी 2 को परिवादी ने अदा की थी वह राशि

 

 

 

-3-

परिवादी की ओर देय राशि में समायोजित की जाये और 17.01.99 की तिथि से 11300.00 रू0 की राशि पर अधिरोपित किया गया अधिभार भी बिल की राशि में से कम किया जाये और तदनुसार संशोधित बिल निर्गत किया जाये। विपक्षी 1 विभाग को यह अधिकार होगा कि 11300.000 रू0 की यह राशि तथा इस राशि पर अधिरोपित अधिभार कम किये जाने से बिल की कम होने वाली राशि को विपक्षी 1 विभाग विपक्षी 2 से उसके वेतन से कटौती करके वसूल कर सकता है, चूंकि विपक्षी 1 विभाग की होने वाली यह क्षति विपक्षी 2 की त्रुटि से उत्‍पन्‍न हुई है। परिवादी का परिवाद अन्‍य अनुतोषो के लिये खारिज किया जाता है।''

प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता            आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता               आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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