Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/530

Smt Ramrati - Complainant(s)

Versus

U P Sahkari Gram Vikas Bank - Opp.Party(s)

R.D.Karnti

20 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/530
( Date of Filing : 19 Mar 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Smt Ramrati
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U P Sahkari Gram Vikas Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-530/2012

श्रीमती रामरती पत्‍नी स्‍व0 मस्‍तराम सिंह

बनाम

मैनेजर उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 शाखा नूरपुर जिला बिजनौर

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0डी0 क्रांति, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री हेमराज मिश्रा, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :20.08.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.          परिवाद संख्‍या-145/2010, श्रीमती रामरती बनाम मैनेजर उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास लि0 में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 03.12.2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
  2.      जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि ऋण माफी योजना के अंतर्गत परिवादी जिस राशि की सीमा तक माफी की हकदार थी, वह राशि प्राप्‍त हो चुकी है।
  3.       अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादिनी के पति द्वारा खेती के लिए ऋण लिया गया था। भारत सरकार की योजना के अंतर्गत 2008, 2009 समस्‍त कृषकों का ऋण माफ हो गया था। परिवादिनी के पति का कृषि ऋण दिनांक 31.03.2007 से पूर्व प्राप्‍त की गयी थी, इसलिए सम्‍पूर्ण ऋण माफी होनी चाहिए थी जबकि बैंक का यह कथन है कि परिवादिनी के पति द्वारा अंकन 80,000/-रू0 का ऋण प्राप्‍त किया गया था। इस ऋण की अदायगी 06 वर्षों में 14 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ होनी थी। ब्‍याज की गणना छमाही की जानी थी। ऋणी मस्‍तराम दिनांक 28.04.2005 को 19,000/-रू0 बैंक में जमा किये थे। ऋणी को 98,877/-रू0 की छूट दी गयी क्‍योंकि दिनांक 31.12.2007 तक यह राशि बकाया थी, जिसकी वसूली दिनांक 29.02.2008 तक नहीं हुई थी। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बैंक के तर्क को सर्कुलर के अनुसार उचित मानते हुए परिवाद को खारिज किया है।
  4.     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि समस्‍त ऋण माफ किया जाना चाहिए, परंतु प्रपत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि दिनांक 31.12.2007 तक जो राशि बकाया थी, जिसकी वसूली दिनांक 29.02.2008 तक होनी थी। उसी राशि को माफ किया गया है, इसलिए इस निर्णय/आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है।

आदेश

           अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

 

   संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

 

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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