(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2455/2011
Sevaram Verma S/O Sri Rameshwar Dayal Verma
Versus
M/S Uttar Pradesh Power Corporation Ltd & Other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :13.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-141/2008, सेवाराम वर्मा बनाम अधिशासी अभियंता व अन्य में विद्वान जिला आयोग, शाहजहॉपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 14.11.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि राजस्व निर्धारण के विरूद्ध उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा विद्युत कनेक्शन 31.03.2008 से प्राप्त किया गया है। परिवादी नियमित रूप से विद्युत बिल का भुगतान कर रहा है। दिनांक 26.02.2008 को नोटिस प्राप्त हुआ कि उपभोक्ता द्वारा कटिया डालकर विद्युत का उपभोग किया जा रहा था। दिनांक 15.01.2008 को विद्युत चोरी करने की घटना बतायी गयी, जबकि मौके पर विद्युत लाईन मौजूद नहीं थी, इसलिए विद्युत चोरी का प्रश्न ही नहीं उठता।
4. विद्युत विभाग का कथन है कि दिनांक 15.01.2008 को प्रवर्तन दल द्वारा आकस्मिक चेकिंग की गयी थी। मौके पर चेकिंग रिपोर्ट तैयार की गयी थी। चेकिंग रिपोर्ट की एक प्रति परिवादी को उपलब्ध करायी गयी। परिवादी ने मौके पर ही शमन शुल्क जमा कर दिया था, इसी कारण प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी थी। इसके बाद राजस्व निर्धारण किया गया। राजस्व निर्धारण के अनुसार वसूली नोटिस जारी किया गया है। परिवादी इसी राशि को अदा करने के लिए उत्तरदायी है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त निष्कर्ष के अनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि दिनांक 15.01.2008 को मौके पर चेक करने की कहानी फर्जी है क्योंकि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी है। मौके पर चेक करने के पश्चात यदि विद्युत चोरी करना पाया जाता है तब प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना आज्ञात्मक प्रावधान नहीं है। विशेषत: उस परिस्थिति में जबकि परिवादी द्वारा शमन शुल्क मौके पर ही जमा कर दिया गया। जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष विधि से समर्थित है कि चेकिंग के पश्चात राजस्व निर्धारण के विरूद्ध उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता ने दस्तावेज सं0 15 की ओर इस पीठ का ध्यान आकृष्ट किया है, जिसमें यह कहा गया है कि इस पर परिवादी के हस्ताक्षर नहीं है, परंतु चेकिंग रिपोर्ट की प्रति प्राप्त की गयी है और इस पर परिवादी के हस्ताक्षर भी मौजूद है। परिवादी ने परिवाद पत्र में प्राप्ति रसीद पर अपने हस्ताक्षर होने से इंकार नहीं किया है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2