मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवादप्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग,मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या 113 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.05.2008 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1021 सन 2008
रामसेवक शर्मा पुत्र श्री जगन्नाथ प्रसाद शर्मा निवासी 192 भरतवाल शहर व जिला मैनपुरी ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
अधिशासी अभियंता उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0 देवी रोड शहर व जिला मैनपुरी ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री दीपक मेहरोत्रा।
दिनांक:- 22.12.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या 113 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.05.2008 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में, वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी विद्युत कनेक्सन संध्या 075087 का उपभोक्ता है। माह जनवरी 1995 में विपक्षी का कर्मचारी हरी सिंह परिवादी का मीटर व मेनपोल से केबिल उखाड़ कर ले गया जिसकी सूचना वादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय ने मौखिक रूप से दे दी गयी। परिवादी द्वारा प्रतिवादी से बार बार मीटर यथा स्थान लगवाने की प्रार्थना की गयी जिससे उसकी बिजली चालू हो सके परन्तु विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। मजबूरन परिवादी ने दिनांक 01.02.1995 एवं 03.03.1995 को विपक्षी को लिखित प्रार्थना पत्र दिया । परन्तु इसके बावजूद उसके घर पर न तो मीटर लगवाया गया और न ही वादी की बिजली चालू करवाई गयी और उसे रू० 50083.00 रू0 का बिल भेज दिया जो अवैध हैं तथा जिसकी वादी की कोई देनदारी नहीं है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह भी कहा गया है कि वादी ने दिनांक 24.05.2002 को एक परिवाद इसी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जो अदम मौजूदगी में दिनांक 04.10.2005 को निरस्त कर दिया गया। इसलिए यह वाद दुबारा दायर किया जा रहा है।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि वादी ने दिनांक 24.05.2002 को एक परिवाद जिला आयोग मैनपुरी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जो अदम मौजूदगी में दिनांक 04.10.2005 को निरस्त किया गया था।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में प्राविधानित नियमों के अनुसार अपने द्वारा पारित निर्णय में हस्तक्षेप का अधिकार फोरम को नहीं है इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा परिवाद काल बाधित योजित किया गया जिसके कारण विद्वान जिला आयोग ने परिवाद को खारिज किया है।
पत्रावली का सम्यक अवलोकन करने तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त प्रस्तुत अपील, जो इस न्यायालय के सम्मुख विगत – 15 वर्षों से लम्बित है में मेरी राय में कोई विधिक बिन्दु सन्नहित नहीं है और न ही प्रश्नगत निर्णय में किसी प्रकार की कोई त्रुटि पायी जाती है।
तदनुसार अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)