(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-973/2010
निसार अहमद उर्फ जमीर अहमद तथा एक अन्य बनाम एडिशनल इंजीनियर, विद्युत वितरण खण्ड उतरौला तथा दो अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 25.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-29/2007, निसार अहमद तथा एक अन्य बनाम लाले तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, बलरामपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.4.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. मिश्रा उपस्थित हैं। प्रत्यर्थीगण को नोटिस प्रेषित की जा चुकी है, जिसकी प्रति पत्रावली पर मौजूद है। नोटिस उसी पते पर प्रेषित की गई है, जो पता परिवाद पत्र में अंकित है। अत: तामील की उपधारणा की जाती है। प्रत्यर्थी सं0-1 एवं 2, विद्युत विभाग के नियमित अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हैं। अत: अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 एवं 2 के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-2 एवं 3, विद्युत विभाग को आदेशित किया है कि यदि परिवादीगण लिखित सहमति देते हैं तब सहमति प्राप्त करने की तिथि से 30 दिन की अवधि के अंदर निसार अहमद खां के मकान से कुछ दूरी पर स्थित पोल से नियमानुसार कनेक्शन करके विद्युत आपूर्ति बहाल की जाए।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार विपक्षी सं0-1 ने दबंगई के बल पर दिनांक 21.9.2004 को बिजली कनेक्शन हेतु लगे लकड़ी के खम्भे को उखाड़ कर गिरा दिया और केबिल को निकालकर अपने घर ले गया। शिकायती प्रार्थना पत्र देने के बावजूद बिजली चालू नहीं की गई। बिजली विभाग का कथन है कि परिवादीगण को विद्युत कनेक्शन जारी किया गया है, परन्तु निसार अहमद के घर के सामने तक पोल लगाने की परेशानी है, क्योंकि जगह बहुत कम है, परन्तु निसार अहमद के घर के सामने कुछ दूरी पर खड़े पोल से कनेक्शन लेने की अनुमति दी गई थी, परन्तु उसके द्वारा सहमति प्रदान नहीं की गई, इसी आधार पर विद्वान जिला आयोग
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ने निसार अहमद खां की सहमति से उसके मकान से कुछ दूरी पर स्थित पोल से नियमानुसार विद्युत कनेक्शन जारी करने का आदेश पारित किया है, जिसे निसार अहमद, परिवादी द्वारा इस आधार पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग ने विपक्षी का असत्य कथन स्वीकार किया है। वर्ष 2004 से आज तक कनेक्शन प्रतिस्थापित नहीं किया गया। परिवादीगण ने कभी भी कनेक्शन प्राप्त करने से इंकार नहीं किया।
4. यथार्थ में प्रस्तुत केस में विवादित बिन्दु यह है कि पोल किस स्थान पर स्थापित किया जाए। पोल स्थापित करने की सुगमता, सहजता तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व विद्युत विभाग का है। पोल कहां पर स्थापित किया जाए, इस तथ्य को विद्वान जिला आयोग द्वारा सुनिश्चित नहीं किया जा सकता, इसलिए अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2