Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1812

Narendra Singh - Complainant(s)

Versus

U P P C L - Opp.Party(s)

A K Singh

27 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1812
( Date of Filing : 15 Sep 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Narendra Singh
A
...........Appellant(s)
Versus
1. U P P C L
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Feb 2024
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ

 

अपील संख्या 1812  सन 2004

 

नरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री मूला सिंह निवासी ग्राम कसेरवा खुर्द तहसील शामली, जिला मुजफ्फरनगर ।

........................अपीलार्थी

-बनाम-

 

उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि9 लखनऊ द्वारा इक्‍जी0 इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिवीजन दवतीय शामली, जिला मुजफ्फरनगर एवं अन्‍य ।

   .................... प्रत्‍यर्थीगण

 

 समक्ष

 

मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष ।

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य ।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – कोई नहीं ।

प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता   - कोई नहीं ।

 

दिनांक - 27.02.2024

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

 

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग,  मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या 177 सन 2001 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 27.03.2004  के विरूद्ध योजित की गयी है।

      पुकार हुयी। कोई पक्ष उपस्थित नहीं है।

     अपील विगत 20 वर्षो से लम्बित है। संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं  कि परिवादी ने नलकूप कनेक्‍शन हेतु लाइन आदि के व्‍यय हेतु 2560.00 रू0 दिनांक 01.11.1998 को जमा किए थे किंतु उसका कनेक्‍शन चालू नहीं किया गया । इस  सम्‍बन्‍ध में उसने उच्‍च अधिकारियों को कई पत्र लिखे कोई सुनवाई न होने पर जिला फोरम के समक्ष परिवाद योजित किया । विपक्षी की ओर से उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने प्रार्थना पत्र देकर कनेक्‍शन लेने से इन्‍कार कर दिया था और उसने लाइन नहीं खिचवाई ।

     विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकृत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी की विद्युत लाइन बनाकर आपूर्ति चालू करें तथा प्रॉंकलन धनराशि जमा करने की तिथि से 3 माह छोड़कर दिनांक 01.03.92 से विद्युत आपूर्ति करने तक हुई हानि के मद में रू0 2000.00 वार्षिक की दर से मानसिक सन्‍ताप व शारीरिक कष्‍ट के मद में रू0 1500.00 तथा अन्‍य खर्चे रू0 2000.00 तथा वाद व्‍यय के मद में 1000.00 परिवादी को अदा करे। आदेश का अनुपालन नियत अवधि में न किए जाने पर उपरोक्‍त सभी धनराशियों पर वाद योजित करने की तिथि से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज देय होगा।

     उक्‍त आदेश के विरूद्ध अपील योजित की गयी है ।

     पत्रावली पर उपलब्‍ध आदेशपत्र से यह स्‍पष्‍ट होता है कि जिला आयोग द्वारा पारित आदेश इस न्‍यायालय द्वारा न तो स्‍थगित किया गया है और न ही उसमें किसी प्रकार का अनुतोष अंगीकरण के समय प्रदान किया गया है। जिला आयोग द्वारा विदयुत आपूर्ति विद्युत लाइन बिछाकर देने का आदेश पारित किया गया है एवं अन्‍य अनुतोष जो ऊपर उल्लिखित हैं, के संबंध में विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा कोई अपील प्रस्‍तुत नहीं की गयी। अर्थात विद्युत विभाग उक्‍त आदेश से विभाग सन्‍तुष्‍ट था । पत्रावली के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि जिला आयोग के आदेश का अनुपालन किया जा चुका है।

     समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए अपील अन्तिम रूप से निस्‍तारित की जाती है।

     पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए ।

    

                 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   ( विकास सक्‍सेना)

अध्‍यक्ष                              सदस्‍य

  सुबोल श्रीवास्‍तव

 (पी0ए0(कोर्ट नं0-1)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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