(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 93/2002
Kashi Medical, Centre. Through Sri V.K. Mehrotra, (H.U.F.) its Sole Proprietor, 97 Shivaji Nagar, Mehmoorganj, Varanasi.
…………Complainant
Versus
1. U.P. Power Corporation Through Its Chairman. Shakti Bhawan, Lucknow. (Erstwhile U.P.S.E.B.)
2. Deputy General Manager, (Superintending Engineer) Urban Distribution Division, (U.P. Power Corporation) Sigra, Varanasi.
3. Executive Engineer, Urban Electricity Distribution-1, (U.P. State Power Corporation) Varanasi.
………..Opposite Parties
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
3. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से : श्री विजय कुमार यादव, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 08.07.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद परिवादी काशी मेडिकल सेन्टर द्वारा अंतर्गत धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विपक्षीगण यू0पी0 पावर कार्पोरेशन व दो अन्य के विरुद्ध रू0 1,35,655/- की वसूली मय ब्याज, सेन्टर द्वारा वैकल्पिक ऊर्जा श्रोत का प्रयोग किए जाने हेतु क्षतिपूर्ति रू0 3,88,800/- विपक्षी द्वारा की गई कथित अवैध वसूली 3,21,304/-रू0 वापस किए जाने एवं रू0 7,37,500/- परिवादी द्वारा उठायी गई क्षतिपूर्ति तथा 5,00,000/-रू0 मानसिक कष्ट के लिए दिलाये जाने हेतु योजित किया गया है।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी काशी मेडिकल सेन्टर यूनाइटेड ग्रुप आफ इंडिया है जिसकी शाखायें भोपाल के अतिरिक्त अन्य जगहों पर ही हैं। यहां पर चिकित्सीय सुविधा, सिटी स्कैन एवं अल्ट्रा साउण्ड इत्यादि प्रदान की जाती हैं। परिवादी को 74 किलोवाट का लोड विपक्षी द्वारा सेंशन किया गया था तथा इसकी कनेक्शन की स्थापना के लिए आधा व्यय स्वयं परिवादी ने वहन किया था। आरम्भ में उक्त लोड का प्रयोग परिवादी की ओर से किया गया, परन्तु बाद में अधिक व्यय होने के कारण कई मशीनें एवं एयर कंडीशनर बिजली की खपत को घटाने के लिए कम कर दिया गया, किन्तु विपक्षी द्वारा न्यूनतम चार्ज की नीति विद्युत कार्पोरेशन द्वारा अपनायी गई और परिवादी द्वारा बहुत कम विद्युत व्यय किए जाने के बावजूद 74 किलोवाट पर उसे न्यूनतम व्यय देना पड़ा जिसका परिवादी ने लोड 74 किलोवाट से घटाकर 34 किलोवाट किए जाने हेतु दि0 04.11.1999 को आवेदन किया और इस सम्बन्ध में आवश्यक धनराशि चालान के माध्यम से जमा की। परिवादी के अनुसार इलेक्ट्रिक सप्लाई (उपभोक्ता) रेगुलेशन, 1984 के नियम 10बी के अनुसार परिवादी को विद्युत लोड घटाने का अधिकार है जिसके लिए आवश्यक धनराशि 450/-रू0 परिवादी ने दि0 04.11.1999 को जमा की, किन्तु विपक्षी ने परिवादी का आवेदन पेंडिंग रखा और विद्युत लोड नहीं घटाया। इसके अतिरिक्त गलत गणतीय आगणन के आधार पर अत्यधिक धनराशि की बिल परिवादी को भेजे जिनके सम्बन्ध में परिवादी आरम्भ से ही प्रतिवाद करता रहा, जिस पर विपक्षीगण ने परिवादी को अनावश्यक बिल जमा करने की अनुमति दे दी। इस सम्बन्ध में पत्र दिनांकित 25.04.2000, 13.09.2000 तथा दि0 07.11.2000 के पत्र अभिलेख पर हैं। विपक्षी की ओर से घटे हुए विद्युत लोड के सम्बन्ध में बिल जारी नहीं किए गए जिस कारण परिवादी बढ़े हुए लोड के अनुसार विद्युत बिल अदा करने के लिए बाध्य रहा। दि0 26.10.2000 को विपक्षी ने स्थायी तौर पर परिवादी का विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया जिसके उपरांत बिना परिवादी को सुनवाई का मौका दिए हुए वसूली अधिनियम के अंतर्गत एक नोटिस दि0 12.02.2001 रू0 4,70,522/- के लिए जारी किया। परिवादी द्वारा इस वसूली के विरुद्ध आपत्ति प्रस्तुत की गई, किन्तु कोई उत्तर प्राप्त न होने पर परिवादी ने जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी को मध्यस्थता हेतु सम्पर्क किया, जिस पर विपक्षी सं0- 3 अधिशासी अभियंता अर्बन इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन द्वारा एक संयुक्त पत्र दिनांकित 19.03.2001 जारी किया गया जिसमें रिकवरी सार्टीफिकेट वापस किए जाने हेतु तहसीलदार को लिखा गया था, जिस पर तहसीलदार सदर वाराणसी ने पत्र दिनांकित 04.06.2001 के माध्यम से वसूली सार्टीफिकेट वापस कर दिया। इस स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट के हिदायत के अनुसार परिवादी ने रू0 50,000/- की धनराशि दि0 21.03.2001 को तथा 25,000/-रू0 की दो धनराशियां दि0 30.03.2001 को जमा कर दी। परिवादी के अनुसार परिवादी, विपक्षी की दया पर आधारित था, क्योंकि उनके द्वारा आवेदन के बावजूद विद्युत का लोड कम नहीं किया गया और इसके अतिरिक्त धनराशि की मांग परिवादी से की गई। स्वयं विपक्षी द्वारा यह मानते हुए कि परिवादी से वसूली की गणना त्रुटिपूर्ण है, वसूली वापस ले ली थी। परिवादी लगातार विद्युत लोड को कम किए जाने हेतु अपनी प्रार्थना पर बल देता रहा और उसके द्वारा डिप्टी डायरेक्टर (सुपरिटेंडेंट इंजीनियर) को प्रार्थना पत्र दि0 07.11.2000 का निस्तारण करने के लिए कहा गया, जिस पर सुपरिटेंडिंग इंजीनियर ने दि0 27.11.2000 को अधिशासी अभियंता से इस पर रिपोर्ट मांगी कि किन परिस्थितियों में लोड कम करने हेतु धनराशि जमा की गई है। इसके उपरांत परिवादी को कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई एवं अशासकीय रूप से परिवादी को यह सूचना मिली कि उसकी पत्रावली मिसप्लेस हो गई है। परिवादी के अनुसार पत्र दिनांकित 08.02.2001 उसे विपक्षी सं0- 3 अधिशासी अभियंता से प्राप्त हुआ जिसमें यह कथन किया गया था कि एल0एम0वी0-2 वर्ग के उपभोक्ता को लोड कम करवाने का अधिकार प्राप्त नहीं है। इस कारण परिवादी का विद्युत लोड कम नहीं किया जा सकता। परिवादी के अनुसार यह आदेश गलत व विधि के प्रतिकूल है, क्योंकि विद्युत सप्लाई (उपभोक्ता रेगुलेशन, 1984 10(b)) के अनुसार प्रत्येक उपभोक्ता को विद्युत लोड कम करने का अधिकार है। इस रेगुलेशन में एल0एम0वी0-2 वर्ग के उपभोक्ताओं के सम्बन्ध में कोई विशेष निर्देश नहीं दिए गए हैं। परिवादी के अनुसार उसने मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष रिट पिटीशन सं0- 28249/2001 वसूली की कार्यवाही के विरुद्ध मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में प्रस्तुत की है जिसमें वसूली अगले निर्देश तक रोके जाने के आदेश पारित किए गए हैं। परिवादी के अनुसार यह रिट पिटीशन अभी भी लम्बित है।
3. परिवादी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को अनियमित विद्युत सप्लाई की गई एवं बोल्टेज में उतार-चढ़ाव रहा। परिवादी द्वारा शिकायत करने पर यह कमी दूर नहीं की गई जिससे महंगे अस्पताल के उपकरणों को हानि हुई। परिवादी द्वारा परिवाद के प्रस्तर 27 में अपने उत्तरदायित्व एवं अदा की गई धनराशियों का विवरण दिया गया है। परिवादी के अनुसार बोल्टेज के उतार-चढ़ाव एवं अनियमित विद्युत प्रवाह के कारण आधुनिक चिकित्सीय उपकरणों को क्षति हुई जिसमें CT Tube 6,25,000/-रू0 तथा PCBs 62,500/-रू0 इंजीनियर आदि की कास्ट रू0 50,000/-रू0 कुल 7,37,500/-रू0 का नुकसान परिवादी को हुआ है। परिवादी ने परिवाद की धारा 35 में विभिन्न मदों में वसूल की गई धनराशि की वापसी, कलेक्शन चार्ज की वापसी आदि के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की है।
4. विपक्षी की ओर से वादोत्तर दिनांकित 20.05.2005 प्रस्तुत किया गया है जिसमें 74 किलोवाट का लोड होना एवं परिवादी को विद्युत कनेक्शन होना स्वीकार किया गया। विपक्षी द्वारा कथन किया गया कि परिवादी की ओर से चालान के माध्यम से 450/-रू0 जमा किए जाने का ज्ञान विपक्षी को नहीं है। विद्युत नियमों के अनुसार व्यावसायिक कनेक्शन के लोड को कम करने के लिए कोई उपबंध विद्युत नियमों के अंतर्गत नहीं है। परिवादी की ओर से विद्युत लोड को कम करने के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त विपक्षी का कोई उत्तरदायित्व विद्युत लोड को कम करने के सम्बन्ध में नहीं है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गए पत्र दिनांकित 07.11.2000, दि0 25.04.2000 एवं दि0 13.09.2000 आदि विपक्षी द्वारा प्राप्त नहीं किए गए थे। परिवादी ने विद्युत कनेक्शन के विच्छेदन स्वयं अपने विकल्प पर स्वीकार किया था जिस कारण विपक्षी की ओर से विद्युत विच्छेदन कर दिया गया जो परिवादी ने अपनी इच्छा से चाहा था। परिवादी का स्थायी विच्छेदन दि0 06.11.2000 को स्वीकार किया गया। दि0 06.12.2000 को मीटर हटा लिया गया था। परिवादी पर उचित प्रकार से बिलों के देयक बकाया हैं, जिन्हें परिवादी भली-भॉंति जानता है। विपक्षी द्वारा यह भी कथन किया गया कि परिवादी द्वारा विद्युत विभाग से सम्पर्क करने पर विभाग ने सहानुभूति पूर्वक रिकवरी सार्टीफिकेट वापस लिए जाने के आदेश पारित कर दिए। यह रिकवरी सार्टीफिकेट परिवादी द्वारा बकाया धनराशि जल्द ही अदा करने के आश्वासन पर किया गया था। विपक्षी के अनुसार परिवादी के पत्र दिनांकित 07.11.2000 प्राप्त होने पर परिवादी को सूचित किया गया कि वह विद्युत लोड कम करने का अधिकार नहीं रखता है। पत्र दिनांकित 08.02.2001 के माध्यम से परिवादी को इसकी सूचना दे दी गई थी। वसूली प्रमाण पत्र वापस लिया जाना मात्र परिवादी को स्थायी अनुतोष दिया जाना था और परिवादी पर अभी तक रू0 2,31,304/- बकाया है। परिवादी को उनके पक्ष में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित निषेधाज्ञा दिनांकित 16.08.2001 समय बाधित अनुतोष है। परिवादी द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उक्त रिट पिटीशन की वर्तमान में क्या स्थिति है। विपक्षी का यह भी कथन है कि मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष रिट पिटीशन के माध्यम से परिवादी ने अविधिक उपचार का प्रयोग लिया है और उसी वाद के कारण के आधार पर यह परिवाद लाना अविधिक है और इस कारण यह परिवाद पोषणीय नहीं है। विपक्षी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के माध्यम से धनराशि की वापसी का अनुतोष प्राप्त नहीं किया जा सकता है। विपक्षी के अनुसार विभाग में कभी भी अधिक धनराशि का बिल परिवादी को नहीं दिया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया चार्ट गलत है। परिवादी के पक्ष में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाद का कोई कारण उत्पन्न नहीं होता है। परिवाद अस्वीकार एवं निरस्त किए जाने योग्य है।
5. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री विजय कुमार यादव तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
6. उभयपक्ष के अभिवचनों के आधार पर परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित बिन्दु अवधारित किए गए:-
1. क्या परिवादी ने प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन का लोड कम करने हेतु आवेदन किया है।
2. क्या परिवादी के कनेक्शन का विद्युत लोड नियमानुसार कम किए जाने योग्य न होने के कारण उचित प्रकार से मना किया गया।
बिन्दु सं0- 1 के सम्बन्ध में
7. परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि उसने दि0 04.11.1999 को उसके प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन लोड को 74 किलोवाट से घटाकर 34 किलोवाट करने के लिए आवेदन किया था। विपक्षीगण की ओर से इस तथ्य से इंकार किया गया एवं यह कहा गया है कि उन्हें इस आवेदन की कोई सूचना प्राप्त नहीं है। इस सम्बन्ध में अपने समर्थन में परिवादी की ओर से फार्म सं0- 43AFH की प्रतिलिपि प्रस्तुत की गई है जो परिवाद पत्र के संलग्नक 01 के रूप में अभिलेख पर है, जिसके अवलोकन से स्पष्ट होता है कि इस चालान से कालम सं0- 3 में विश्लेषण जमा धन और अधिकारी का पूर्ण विवरण यदि कोई हो के मद में अंकित है कि ''रिडक्शन आफ LC 109165/0831'' अंकित है। इसी चालान के क्रम सं0- 4 में रकम रू0 450/- भी अंकित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि यह चालान विद्युत कनेक्शन LC 109165/0831 के लोड को कम करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है।
8. परिवादी की ओर से एक्जीक्यूटिव इंजीनियर यू0पी0एस0ई0बी0 को दिया गया पत्र दिनांकित 25.04.2000 एवं दि0 13.09.2000 की प्रतिलिपि भी अभिलेख पर प्रस्तुत की गई है जिसमें अधिशासी अभियंता, भेलूपुर वाराणसी को सम्बोधित करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि दि0 04.11.1999 को उसके द्वारा अपने कनेक्शन का लोड 74 किलोवाट से 40 किलोवाट करने का आवेदन दिया गया है। इसका कोई उत्तर विद्युत विभाग की ओर से दिया गया यह स्पष्ट नहीं है।
9. पुन: परिवादी की ओर से डिप्टी डायरेक्टर उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन, वाराणसी को दिए गए पत्र दिनांकित 07.11.2000 की प्रतिलिपि भी अभिलेख पर लगायी गई है जिस पर उक्त प्राधिकारी द्वारा इंद्राज दिनांकित 27.11.2000 अंकित किया गया है। इस इंद्राज में अधिशासी अभियंता ई0डी0डी0-1, वाराणसी से इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी गई है कि परिवादी के वर्तमान लोड, उसके द्वारा जमा किए गए धनराशि के सम्बन्ध में रिपोर्ट दी जाए। मांगी गई रिपोर्ट अभिलेख पर नहीं है, किन्तु पत्र दिनांकित 08.02.2001 द्वारा ''अधिशासी अभियंता'' सम्बोधित ''मै0 काशी मेडिकल सेन्टर महमूरगंज, वाराणसी'' अभिलेख पर है जिसमें अंकित है कि ''आपके पत्र दिनांकित 07.11.2000 के सम्बन्ध में आपको अवगत कराना है कि एल0एम0वी0 9 टैरिफ विद्युत विभाग नगर निगम के नियमानुसार कम नहीं किया जा सकेगा सूचनार्थ प्रेषित है।'' इस पत्र में कहीं भी अंकित नहीं है कि परिवादी द्वारा लोड कम करने का कोई आवेदन नहीं दिया गया, बल्कि यह अंकित किया गया है कि निगम के नियमानुसार विद्युत लोड कम नहीं किया जा सकता है। अत: परिवादी की ओर से प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने साक्ष्य से यह साबित किया है कि उसने रू0 450/- चालान के साथ जमा करके प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन का लोड कम कराने हेतु आवेदन किया था, जिसे विभाग द्वारा मना कर दिया गया।
10. परिवाद के निस्तारण हेतु निर्धारित उपरोक्त बिन्दुओं में से द्वितीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षीगण का कथन है कि 74किलोवाट का कनेक्शन का लोड कम नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह तत्कालीन नियमों के विरुद्ध है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से सम्बन्धित विद्युत नियम प्रस्तुत किए गए। उक्त नियमों में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई (कंज्यूमर) रेगुलेशन, 1984 का पृष्ठ 464 परिवादी की ओर से प्रस्तुत है जिसमें अंकित है कि विद्युत कनेक्शन का लोड घटाया जा सकता है। इस नियमावली में 76 K.W./100B.H.P. के लोड के उपभोक्ताओं के विद्युत लोड को घटाये जाने का उपबंध है, जिसमें संदर्भित करते हुए दिया गया है। इस नियमावली में यह भी अंकित है कि 76 किलोवाट तक लोड रहने पर रिडक्शन चार्ज नहीं वसूल किया जायेगा। नियमावली में कहीं अंकित नहीं है कि 74 किलोवाट से कम लोड करने का कोई प्राविधान नहीं है। नियमावाली के रेगुलेशन-10 में दिया गया है कि- The U.P. Electricity Supply (Consumers) Regulations, 1984 Published vide Notification No. 1891/CU-2-C-4, dated July 10, 1984, published in the U.P. Gazette (Extraordinary), dated 14th June, 1985.
11. रेगुलेशन 10(b) में विद्युत कनेक्शन के लोड में कमी कराने हेतु आवेदन किए जाने का प्राविधान है एवं इसमें भिन्न-भिन्न लोड पर पृथक-पृथक नियम दिए गए हैं। उपरोक्त रेगुलेशन 10 में चार वर्गीकरणों में विद्युत कनेक्शन के लोड को कम करने के वर्ग दिए गए हैं जो निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
1. Large and Heavy Power Consumer (above 75 KW/100
BHP)
2. Steel Arc Furnace Industries
3. Small and Medium Industrial Power Consumers (Up to 75
KW/100 BHP)
4. Private Tube-wells Pumping Sets
12. उपरोक्त वर्गीकरण के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि इसमें 75 किलोवाट तक के लोड के कनेक्शन को लघु एवं मध्यम व्यावसायिक ऊर्जा उपभोक्ता के वर्ग में रखा गया है जिसके लिए विशिष्ट रूप से रेगुलेशन प्रदान किया गया है। रेगुलेशन 10 निम्नलिखित प्रकार से है:-
(a) Application for additional load. - If a consumer, in whose name the service is connected, wishes to have his sanctioned load increased, he shall submit an application thereof, giving full particular of the additional load required by him. Such an application will be dealt with in the same manner as an application for a new connection and the full cost of strengthening of the service line, etc., if any, as well as of laying new service line of adequate strength as may be necessary will have to be paid by the consumer in accordance with Regulation 5 (1) above and the supply will remain disconnected while the necessary alterations, additions, or repairs to the service connection are being carried out. During the period of such disconnection, no exemption or rebate in minimum charges/minimum consumption guarantee shall be allowed.
If a consumer increases his contracted load or contracted demand without permission of the supplier, the supplier may assess the consumption in accordance with the guidelines given in Annexure-I without prejudice to its other rights including the right of disconnection of the supply summarily without notice.
(b) Application for reduction of load. - If a consumer, in whose name the service is connected, wishes to have his contracted load reduced, he shall submit an application thereof, giving full particulars of reduction of load required by him. The reduction in the contracted load of various categories of power consumers on such an application shall be allowed by the supplier on the terms and conditions detailed below, after completion of necessary formalities by the consumer, which are subject to revision by the supplier from time to time.
Large and Heavy Power Consumer (above 75 KW/100 BHP)-
(i) A revised B & L form for the load to remain connected under the reduced contracted demand shall be furnished by the consumer for purposes of record.
(ii) It shall be invariably, ensured that trivector meter/M.D.I. is existing at the premises of the consumer and recording correctly, failing which the M.D.I. will be got installed/replaced to have a watch over the load of the consumer.
(iii) The existing Board's equipment (line, transformer and switchgear, etc.) installed for feeding the existing load will be replaced by the equipment adequate for giving power to the extent of the reduced contracted load and the expenditure incurred by the Board on dismantling and erection including the cost of cartage, labour and unsalvaged materials, if any, will be paid by the consumer.
(iv) The existing agreement will stand terminated with effect from the date of allowing reduction in load and the consumer will be required to sign a fresh agreement for the reduced load effective from the date of allowing reduction of load.
(v) The consumer will be required to deposit additional amount of security to bring the security at the current rates as may be in force from time to time.
(vi) No reduction in line rental, being paid by the consumer, will be allowed and the consumer will continue to pay the line rental as hitherto.
(vii) No refund will be allowed to the consumer on account of the cost of line and sub-station which the consumer may have deposited initially at the time of taking the connection.
(viii) Any request of the consumer made in future for load beyond the reduced contracted load, will be treated a new requisition and shall be considered in accordance with the priorities fixed by the Board/Government from time to time.
(ix) In the case of consumer whose load is reduced during the compulsory period of the agreement, no further reduction in load will be allowed during the compulsory period of the revised agreement.
(x) No reduction charges will be charged from such consumers provided the load is reduced to such an extent that the reduced contracted load remains more than 74 KW or 100 BHP irrespective of the fact whether compulsory period of agreement has expired or not.
However, if the load is reduced below 101 BHP, then the consumer will be required to pay reduction charges Rs. 400.00 per BHP on the quantum -of load reduced below 101 BHP.
(xi) Subject to fulfilment of the above conditions and completion of necessary formalities, reduction in load will generally be made effective from first day of the month following the month in which the consumer applies for reduction of his load.
(xii) Reduction in loads under the above conditions will be allowed by the Executive Engineer concerned provided the consumer remains at least in the category of Large Power (above 75 KW or 100 BHP) after reduction of load.
Steel Arc Furnace Industries-
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Small and Medium Industrial Power Consumers (Up to 75 KW/100 BHP)-
(i) It will be ensured that the consumer has already completed the compulsory period of agreement.
(ii) The consumer will deposit reduction charges for the quantum of reduction in B.H.P. allowed at the rate of Rs. 400.00 per B.H.P.
However, reduction in load of the consumer having load above 10 B.H.P and upto 25 B.H.P. may be allowed without realisation of reduction charges up to a maximum of 5 B.H.P. only, if the application is made after the expiry of compulsory period of agreement/declaration.
Accordingly reduction in load of the consumer having load up to 10 B.H.P. may also be allowed without realisation of reduction charges up to a maximum of 2.5 B.H.P. only, if the application is made after the expiry of compulsory period of the agreement/declaration.
Similarly the reduction in load up to a limit as specified above shall also be allowed before the expiry of the compulsory period of the agreement/declaration provided the consumer pays the minimum charges/minimum consumption guarantee on the quantum of load reduced at the current rates for the unexpired period of agreement/declaration.
(iii) The consumer will be required to deposit additional amount of security to bring the security at the current rates as may be in force from time to time.
(iv) B & L form for the reduced load will be furnished by the consumer and carefully verified as per physical checking at site. The following methods will be adopted for ascertaining the capacity of motor(s)/checking the contracted load :
(1) In respect of power consumers of 75 B.H.P. and above, a M.D.I. will be installed at the premises of the consumer and watched for ½ hour with full load running, and if the demand recorded is correct, the reduction may be allowed. The M.D.I. will be provided at the cost of the consumer and will remain installed permanently. The reading and re-setting of the same will be done every month at the time of meter reading. Meter readings of these consumers and re-setting of the demand meters shall be the duty of the Junior Engineer Incharge of the Section.
(2) In respect of power consumer up to 75 B.H.P. the capacity of motor(s) will be ascertained with the help of frame sizes (which are governed by the I.S.I. specifications) and no load current.
After checking the motor(s) as above, a distinctive mark shall be provided on the motor(s) to avoid the possibility of changing of motor(s) by the consumer at the later date.
The details and parameters of the motor installed will be entered in the test report.
(v) The existing agreement will stand terminated with effect from the date of allowing reduction in load and the consumer will be required to execute a fresh agreement for the reduced load effective from the date of allowing reduction in load.
(vi) The reduction in load will be allowed after the execution of the agreement for the reduced load and completion of all formalities provided herein.
(vii) Any request made by the consumer in future for load beyond the reduced load, will be treated as a new requisition and shall be considered in accordance with the priority fixed by the Board/Government from time to time.
(viii) No reduction in line rental, being paid by the consumer, will be allowed and the consumer will continue to- pay the line rental as hitherto.
(ix) No refund will be allowed to the consumer on account of the cost of line or sub-station which the consumer may have deposited initially at the' time of taking the connection.
(x) If at a later stage, B.H.P. of the motor in actual operation at the time of checking is found to be higher than the declared B.H.P. (as entered in the new B & L form), the consumer will be liable to pay the full minimum consumption charges on the B.H.P. of the motor found to be in operation, from the date, reduction of load was allowed plus a penal charge of three times the minimum consumption charge leviable for the period from the date of declaration of change of motor. The consumer will be liable to be disconnected without notice if a higher B.H.P. is found to be in actual operation and shall remain disconnected till the full amount of the bill levied against him are deposited by him in the Board's office. In addition the consumer will be liable to be prosecuted for pilferage of energy from the Board's mains.
(xi) The reduction of load under above conditions will be allowed by the Executive Engineer concerned. Cases not covered under above conditions will be allowed by the Chief Zonal Engineer concerned.
Private Tube-wells Pumping Sets-
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13. उक्त नियमावली से स्पष्ट होता है कि 74 किलोवाट से अधिक रहने पर रिडक्शन चार्ज नहीं लिया जायेगा। इससे कम लोड होने पर विभाग द्वारा चार्ज वसूल किए जाने पर विद्युत चार्ज लिया जायेगा। दूसरी ओर विभाग की ओर से नियमावली का ऐसा कोई उपबंध प्रस्तुत नहीं किया जा सका जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि 74 किलोवाट से लोड कम नहीं किया जा सकता है तथा यह नियम के विरुद्ध है। जब कि उपरोक्त रेगुलेशन 10(b) में लघु व मध्यम व्यावसायिक उपभोक्ता के रूप में 75 किलोवाट लोड के उपभोक्ताओं के लोड कम करने के उपबंध होना परिलक्षित होता है। अत: नियमों के अभाव में यह मानना उचित है कि परिवादी द्वारा विद्युत लोड कम करने के लिए आवेदन दिया गया था जिसका कोई समुचित उत्तर विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से नहीं दिया गया एवं उससे अधिक लोड का बिल वसूल किया जाता रहा। इस प्रकार विपक्षी की ओर से सेवा में कमी की गई है, अत: सेवा में कमी के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त होने योग्य है।
14. परिवादी द्वारा अनुतोष में 1,35,655/-रू0 मय ब्याज मांगे गए है जिसे वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के साथ दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।
15. परिवादी की ओर से रू0 3,88,800/- वैकल्पिक विद्युत लिए जाने हेतु अनुतोष मांगा गया है जिसके सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि परिवादी ने कब-कब, किस प्रकार व कितना वैकल्पिक विद्युत का उपयोग किया, अत: यह धनराशि उसे दिलाया जाना उचित नहीं है।
16. परिवादी की ओर से रू0 7,37,500/- वोल्टेज में फ्लकचुएशन होने के आधार पर विद्युत उपकरण खराब होने की बात कही गई है। इस सम्बन्ध में भी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, अत: यह धनराशि परिवादी को दिलाये जाने का औचित्य प्रतीत नहीं होता है। परिवादी की ओर से 3,21,304/-रू0 की वसूली रोके जाने की बात कही गई है। इस सम्बन्ध में विपक्षी को यह निर्देश दिया जाता है कि वे 40 किलोवाट से विद्युत उपभोग की धनराशि निर्धारित करते हुए उक्त धनराशि के सम्बन्ध में नए बिल परिवादी को प्रदान करें। इसके अतिरिक्त परिवादी रू0 10,000/- भी विपक्षीगण से प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादी द्वारा शेष मांगे गए अनुतोष अस्वीकार किए जाते हैं। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
17. परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे 1,35,655/-रू0 मय 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक परिवादी को अदा करें तथा रू0 3,21,304/- की वसूली रोके जाने के सम्बन्ध में भी विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे 40 किलोवाट से विद्युत उपभोग की धनराशि निर्धारित करते हुए उक्त धनराशि के सम्बन्ध में नए बिल परिवादी को प्रदान करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण 10,000/-रू0 वाद-व्यय के रूप में भी परिवादी को अदा करेंगे। परिवादी द्वारा शेष मांगे गए अनुतोष अस्वीकार किए जाते हैं।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
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निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
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शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2