Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/1568

Dr Parbrahma Gupta - Complainant(s)

Versus

U P P C L - Opp.Party(s)

T H Naqvi

03 Jan 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/1568
( Date of Filing : 09 Sep 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Dr Parbrahma Gupta
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U P P C L
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jan 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-1568/2009

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-53/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-07-2009 के विरूद्ध)

 

पारब्रह्म गुप्‍ता पुत्र श्री कन्‍हैया लाल गुप्‍ता निवासी भरथना, जिला इटावा।

...........अपीलार्थी/परिवादी।     

बनाम

 

एक्‍जक्‍यूटिव इंजीनियर, विद्युत वितरण खण्‍ड-द्वितीय, इटावा।

                            ............ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ।

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री टी0एच0 नकवी विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता की  

                         कनिष्‍ठ सहायक अधिवक्‍ता सुश्री मीना रावत।   

 

दिनांक : 10-01-2024.

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-53/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-07-2009 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि अपीलार्थी/परिवादी ने एक परिवाद पत्र विद्युत के अधिक देय बिलों से सम्‍बन्धित विद्वान जिला आयोग, इटावा के समक्ष प्रस्‍तुत किया था, जिसे विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय दिनांक 21-07-2009 द्वारा निरस्‍त कर दिया।

अपीलार्थी का यह भी कथन है कि विद्वान जिला आयोग ने मात्र अनुमानों और कल्‍पनाओं पर आदेश पारित किया है तथा न्‍यायिक मस्तिष्‍क का प्रयोग नहीं किया है। किसी प्रकार का विधिक निष्‍कर्ष नहीं दिया गया है। परिवादी लगातार अपने विद्द्युत बिलों का भुगतान दिनांक 31-05-2000 से 20-06-2000 तक कुल  17,209/- रू0, बिल दिनांकित 16-11-2006, 17,209/- रू0, बिल दिनांकित 05-02-2007, 17,767/- रू0, दिनांकित 29-07-2006 रू0 15,447/-, दिनांकित 22-03-2007 रू0 18,412/-, दिनांकित 23-03-2007 रू0 17,234/- कर चुका है। विपक्षी ने इसके बाबजूद भी पुराने भुगतान किये गये बिलों को बकाया दिखाया और इन पर बिना विचार किये विद्वान जिला आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया।  अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार की जाए।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता टी0एच0 नकवी एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा की कनिष्‍ठ सहायक अधिवक्‍ता सुश्री मीना रावत की बहस विस्‍तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया।

हमने परिवाद पत्र का अवलोकन किया, जिसमें परिवादी ने कहा है कि उसने विद्युत अभियन्‍ता से यह प्रार्थना की कि विद्युत विभाग की लापरवाही से विद्युत बिल सही न भेजने के कारण इतनी धनराशि हो गयी है, जिसके कारण अधिक अधिभार हो गया है। परिवादी ने धारा-5 परिवाद पत्र में लिखा है कि – '' यह कि मैंने यह भी प्रार्थना की है कि विद्युत अभियन्‍ता महोदय से कि मैं प्रत्‍येक आगामी बिल के साथ बिल की रम व पिछले बिलों की धनराशि में 1000/- (एक हजार रूपया) प्रत्‍येक बिल के साथ जमा करता रहूँगा। जब तक आपके विद्युत विभाग की धनराशि अदा नहीं हो जायेगी। ''

इस प्रकार परिवादी ने स्‍वयं माना है कि वह बकाया बिलों का भुगतान करता रहेगा।

हमने प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया। विद्वान जिला आयोग ने स्‍पष्‍ट रूप से लिखा है कि परिवादी ने पिछले बिलों को जमा करने की रसीद पेश नहीं की है, इसलिए उसका कथन कि उसने अप्रैल, 2000 तक के बिल जमा कर दिये हैं, स्‍वीकार नहीं किया जा सकता। अत: इसी आधार पर परिवाद निरस्‍त किया गया।

वर्तमान मामले में स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने स्‍वयं बकाया बिल जमा करने की स्‍वीकारोक्ति परिवाद पत्र में की है। अत: ऐसी स्थिति में उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है और इसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-53/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-07-2009 की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

             सदस्‍य                           सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

            सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

दिनांक : 10-01-2024.

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.     

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.