Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/2240

Anil Kumar Sharma - Complainant(s)

Versus

U P P C L - Opp.Party(s)

S K Shukla

06 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/2240
( Date of Filing : 01 Dec 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Anil Kumar Sharma
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U P P C L
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Aug 2024
Final Order / Judgement

                                              (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2240/2008

(जिला आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-52/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.8.2008 के विरूद्ध)

                                    

अनिल कुमार शर्मा पुत्र राम किशन शर्मा, निवासी मोहल्‍ला महादेव मण्‍डी घनौरा, पोस्‍ट घनौरा, जनपद ज्‍योतिबाफूलेनगर (अमरोहा)।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1.    उ0प्र0 राज्‍य विद्युत परिषद द्वारा अधिशासी अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड गजरौला पोस्‍ट घनौरा, जनपद ज्‍योतिबाफूलेनगर (अमरोहा)।

2.    अवर अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड (गजरौला) सब स्‍टेशन मण्‍डी घनौरा, जनपद ज्‍योतिबाफूलेनगर (अमरोहा)।

3.    बाबूराम पेट्रोलियम विद्युत सब स्‍टेशन घनौरा जनपद ज्‍योतिबाफूले नगर, अमरोहा, उ0प्र0।

       प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री एस.के. शुक्‍ला।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : श्री दीपक मेहरोत्रा।

दिनांक:  06.08.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-52/1998, अनिल कुमार शर्मा बनाम उ0प्र0 राज्‍य विद्युत परिषद तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.08.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अंकन 3,000/-रू0 क्षतिपूर्ति एवं अंकन 1,000/-रू0 वाद व्‍यय अदा करने के लिए आदेशित किया है।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने वर्ष 1995 में 6 हार्स पावर का विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त करने के लिए अंकन 3,274/-रू0 जमा किए थे। दिनांक 9.11.1995 को विद्युत आपूर्ति प्रारम्‍भ की गई, परन्‍तु एक माह पश्‍चात ही विद्युत आपूर्ति में बाधा कारित हुई। फरवरी 1996 से विद्युत आपूर्ति पूर्णत: ठप कर दी गई। अधिशासी अभियन्‍ता को भी शिकायत की गई, परन्‍तु विद्युत आपूर्ति प्रारम्‍भ नहीं की गई और प्रति दिन 200/-रू0 का नुकसान कारित हुआ। विद्युत बिलों का भुगतान करने के बावजूद मीटर भी हटा लिया गया, परन्‍तु बिल भेजना बंद नहीं किया गया।

3.         विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी को नियमित रूप से बिल भेजे गए, परन्‍तु भुगतान नहीं किया गया, इसलिए विद्युत कनेक्‍शन दिनांक 31.12.1995 को अस्‍थायी रूप से विच्‍छेदित किया गया। दिनांक 30.12.1995 तक  परिवादी पर अंकन 4,700/-रू0 बकाया हैं तथा विद्युत संयोजन के समय प्रतिभूति की राशि अंकन 1,800/-रू0 जमा की थी, इस राशि पर जो ब्‍याज बनता है, वह अंकन 4,700/-रू0 में से समायोजित कर दिया गया है। अवशेष राशि के लिए परिवादी उत्‍तरदायी है।

4.         पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि दिनांक 31.12.1995 को अस्‍थायी रूप से विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित किया गया, इसके 13 वर्ष पश्‍चात दिनांक 31.03.2008 को स्‍थायी रूप से विच्‍छेदित किया गया। परिवादी पर अंकन 4,700/-रू0 का बिल बकाया था। अंकन 1800/-रू0 की राशि बतौर सेक्‍यूरिटी जमा थी, इस राशि पर ब्‍याज की राशि को जोड़ते हुए अंकन 4,700/-रू0 में से घटाने के पश्‍चात अंकन 2,096/-रू0 अवशेष बचते थे, जो परिवादी द्वारा दिनांक 24.04.2008 को जमा कर दिया गया, जिसकी रसीद भी प्रस्‍तुत की गई, इसलिए परिवादी पर कोई विद्युत शुल्‍क बकाया नहीं था। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील स्‍वंय परिवादी द्वारा इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने अत्‍यधिक कम राशि की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है, इस आदेश को निरस्‍त कर वास्‍तविक क्षतिपूर्ति दिलाई जाए।

6.         उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि स्‍थायी विच्‍छेदन के बावजूद परिवादी के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया और परिवादी को राजस्‍व न्‍यायालय में बंद किया गया, इसके बाद पुन: दिनांक 17.7.1999 से दिनांक 30.7.1999 की अवधि तक एक आर.सी. जारी की गई, इस राशि के तहत भी परिवादी को हवालात में बंद किया गया, जबकि स्‍थायी विच्‍छेदन के पश्‍चात आर.सी. जारी करने का कोई औचित्‍य अवशेष राशि अंकन 2096/-रू0 जमा करने के पश्‍चात नहीं था। चूंकि प्रस्‍तुत केस की विषम स्थिति यह है कि दिनांक 31.12.1995 को अस्‍थायी रूप से विच्‍छेदन कर दिया गया, इसलिए 6 माह की अवधि के पश्‍चात स्‍थायी विच्‍छेदन स्‍वमेव माना जाना चाहिए था और इसलिए 6 माह की अवधि तक परिवादी केवल न्‍यूनतम विद्युत शुल्‍क अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है। 13 वर्ष तक विद्युत कनेक्‍शन को लम्बित रखने का कोई औचित्‍य नहीं था। अत: विद्युत विभाग की आरे से गंभीर लापरवाही कारित की गई है, जबकि विद्वान जिला आयोग ने केवल 3,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है। इस अपील के ज्ञापन के साथ परिवाद पत्र की प्रति प्रस्‍तुत नहीं की गई है, इसलिए यह जानकारी प्राप्‍त नहीं हो पा रही है कि परिवादी द्वारा किस अनुतोष की मांग की गई है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 10,000/-रू0 निश्चित की जानी चाहिए थी न कि अंकन 3,000/-रू0 और परिवाद व्‍यय अंकन 1,000/-रू0 के स्‍थान पर अंकन 2,000/-रू0 दिलाया जाना चाहिए। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.08.2008 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद स्‍वीकार करते हुए विद्युत विभाग को आदेशित किया जाता है कि इस निर्णय/आदेश की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को अंकन 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) की क्षतिपूर्ति 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज के साथ परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा किया जाए और परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) भी उपरोक्‍त अवधि में अदा किए जाए।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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