राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2307/2002
(जिला उपभोक्ता फोरम, बंदायू द्वारा परिवाद संख्या-04/1998 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.08.2002 के विरूद्ध)
1. हर प्रसाद।
2. नेत राम।
3. सिया राम।
4. नेत्रपाल, पुत्रगण श्री छोटे लाल, निवासीगण ग्राम नगरिया, पोस्ट आफिस मिआंऊ, परगना उसहत, जिला बदांयू।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम्
1. यू0पी0 स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड नाऊ नोन, यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0, शक्ति भवन, लखनऊ।
2. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन डिवीजन, बदांयू।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 18.12.2015
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील पिछले 13 वर्ष से अधिक समय से निस्तारण हेतु सूचीबद्ध है। वर्णित परिस्थितियों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 की उपधारा (2) के अन्तर्गत निर्मित उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उप नियम (6) में दिये गये प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि इस अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये।
यह अपील, जिला फोरम, बंदायू द्वारा परिवाद संख्या-04/1998 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.08.2002 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके द्वारा प्रश्नगत परिवाद खारिज किया गया है।
पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्य प्रकाश में आता है कि अपीलार्थीगण के पिता श्री छोटे लाल की दिनांक 08.05.1991 को मृत्यु हो गयी थी। प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन सं0-008024 श्री छोटे लाल के ही नाम पर था। विद्युत कनेक्शन मई 1992 तक चालू रहा, परन्तु अपीलार्थीगण इस स्थिति में नहीं थे कि वह उक्त् कनेक्शन को चालू रख सकते, इसलिए उनके द्वारा मई 1992 का बिल रू0 2,626/- जमा करते हुए विद्युत कनेक्शन को जून 1992 में समर्पित कर दिया गया। उसके बावजूद भी अपीलार्थीगण को एन0आर0 के बिल प्राप्त होते रहे हैं। विपक्षीगण द्वारा दिसम्बर 1997 में रू0 92,000/- की वसूली हेतु रिकवरी भेज दी गयी, जिससे क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद अपीलार्थीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया और यह तर्क किया गया कि अपीलार्थीगण के पिता के नाम विद्युत कनेक्शन था, जिसका पूर्ण भुगतान करने के उपरान्त जून 1992 में प्रश्गनत विद्युत कनेक्शन समर्पित कर दिया गया है और अब कोई बकाया शेष नहीं रह गया, इसके बावजूद भी अपीलार्थीगण के यहां एन0आर0 के बिल भेजे जा रहे हैं और रिकवरी भेजी गयी है। प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष परिवाद का विरोध करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन दिनांक 22.10.1993 को चलता हुआ पाया गया और क्षेत्र में कार्यरत अवर अभियन्ता ने केबिल को हटवाकर कनेक्शन नान पेमेंट पर काट दिया। अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने श्री छोटे लाल की मृत्यु की सूचना विपक्षीगण को नहीं दी और न ही प्रश्नगत कनेक्शन को स्थानांतरित कराने का अनुरोध किया और न ही मई 1992 में कनेक्शन समर्पित करने का कोई प्रार्थना पत्र दिया। इस प्रकार परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता नहीं है। तदनुसार जिला फोरम ने पत्रावली का अवलोकन करने के उपरान्त यह निष्कर्ष दिया कि दिनांक 22.10.1993 को प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन चलता हुआ पाया गया। इससे स्पष्ट है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण चोरी छिपे कनेक्शन को इस्तेमाल कर रहे थे, जिसके कारण वह विपक्षीगण द्वारा भेजे गये विद्युत बिलों के भुगतान हेतु बाध्य हैं। तदनुसार जिला फोरम ने परिवादीगण का परिवाद बल न पाते हुए निरस्त कर दिया।
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी है। चूंकि अपील योजित करने के पश्चात् से वह उपस्थित नहीं हो रहे हैं और न ही उनके अधिवक्ता ही उपस्थित हो रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि अपीलार्थीगण को इस अपील में कोई रूचि नहीं है। पीठ द्वारा पत्रावली का अवलोकन करने के उपरान्त यह पाया गया कि प्रश्नगत मामला विद्युत चोरी से सम्बन्धित है, अत: मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा U. P. Power Corporation Ltd. & Ors. Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) में यह अवधारित किया गया है कि विद्युत चोरी, विद्युत देयो से सम्बन्धित एवं असेसमेण्ट से सम्बन्धित प्रकरण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत पोषणीय नहीं हैं। ऐसी स्थिति में इस प्रकरण में हमारे द्वारा गुणदोष पर कोई अभिमत व्यक्त करना न्यायोचित एवं विधि अनुकूल नहीं होगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला फोरम, बंदायू द्वारा परिवाद संख्या-04/1998 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.08.2002 की पुष्टि की जाती है।
पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।
(आलोक कुमार बोस) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-4