Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/3104

Mulaim Singh - Complainant(s)

Versus

U P Cold Storage - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

19 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/3104
( Date of Filing : 04 May 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Mulaim Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U P Cold Storage
sa
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jan 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-3104/2002

 (जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-79/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.10.2002 के विरूद्ध)

 

मुलायम सिंह राजपूत पुत्र अहिवरन सिंह राजपूत, निवासी-ग्राम कांतला, पोस्‍ट सितौली, थाना जहांगंज, जिला फर्रूखाबाद।

अपीलार्थी/परिवादी

                                               बनाम        

प्रबंधक, यू0पी0 कोल्‍ड स्‍टोरेज, ठण्‍डी सड़क, फर्रूखाबाद।

                                                   प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सद्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से     : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : कोई नहीं।

दिनां:  19.01.2021 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-79/1999, मुलायम सिंह राजपूत बनाम प्रबन्‍धक, यू0पी0 कोल्‍ड स्‍टोरेज में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.10.2002 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अन्‍तर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, फर्रूखाबाद ने परिवाद खारिज कर दिया है।

2.         परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने अपने आलू की फसल कुल 82 बोरा आलू विपक्षी के शीतगृह में भण्‍ड‍ारित किए थे। दिनांक 26.10.1998 को शीतगृह मालिक के कहने पर अंकन 800/- रूपये  प्रति  बोरे  के हिसाब से बेच दिए, जबकि बाजार में अंकन 1,000/-

-2-

रूपये प्रति कुन्‍टल का भाव था। परिवादी को अपने आलू की कीमत अंकन 65,600/- रूपये प्राप्‍त होनी चाहिए थी, परन्‍तु अभी तक केवल 7,535/- रूपये एवं 3,000/- रूपये प्राप्‍त हुए हैं और शेष राशि प्राप्‍त नहीं हुई है। शीतगृह के मालिक द्वारा परिवादी के साथ धोखाधड़ी की गई है और आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है तथा कृषि कार्य प्रभावित हुआ है, जिसमें अंकन 20,000/- रूपये का नुकसान हुआ है।

3.         विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने अंकन 65/- रूपये प्रति कुन्‍टल की दर से कुल 82 बोरा आलू जमा कराए थे। परिवादी सम्‍पूर्ण आलू निकालकर ले जा चुका है। अत: परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात् विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा निष्‍कर्ष दिया गया कि दोनों पक्षकारों के मध्‍य लेन-देन का विवाद है। सेवा से संबंधित कोई कमी नहीं है,  परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के तहत संधारणीय नहीं है, अत: परिवाद कर दिया गया।

5.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी/अपीलार्थी उपभोक्‍ता है। विपक्षी/प्रत्‍यर्थी द्वारा सेवा में कमी की गई है।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी पर नोटिस की तामीला आदेश दिनांक 09.05.2018 द्वारा पर्याप्‍त मानी जा चुकी है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की मौखिक बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

 

-3-

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा तर्क किया गया कि शीतगृह के मालिक ने परिवादी/अपीलार्थी से अंकन 800/- रूपये प्रति कुन्‍टल की दर से आलू खरीदे, परन्‍तु भुगतान नहीं किया, इसलिए वह उपभोक्‍ता है। परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा शीतगृह के मालिक से दो करार किए गए। पहला करार आलू को शीतगृह में सुरक्षित रखना और दूसरा करार इस आलू का शीतगृह के मालिक को ही विक्रय कर देना। यदि शीतगृह में रखा आलू शीतगृह के मालिक की लापरवाही के कारण खराब हो जाता या उसका मूल हा्स हो जाता तब सेवा में कमी माना जा सकता था, परन्‍तु चूंकि आलू विक्रय कर दिया गया है, इसलिए यह दूसरा करार है और यदि विक्रय मूल्‍य अदा नहीं किया गया है तब परिवादी/अपीलार्थी को रिकवरी सूट सक्षम न्‍यायालय में प्रस्‍तुत करने का अधिकार प्राप्‍त है। परिवाद में वर्णित दूसरे करार के अनुसार परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्‍मत है। अपील तदनुसार निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

9.         अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

                     

     (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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