Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/2305

N I Co - Complainant(s)

Versus

U P Bombay Road Carrier - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

21 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/2305
( Date of Filing : 15 Sep 1998 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I Co
Shahjahanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. U P Bombay Road Carrier
Shahjahanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Feb 2022
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2305/1998

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-133/1997 में पारित निणय/आदेश दिनांक 07.08.1998 के विरूद्ध)

                                    

1. नेशनल इन्‍श्‍योरेन्‍स कं0लि0, द्वारा डिविजनल मैनेजर, डिविजनल आफिस, मोहल्‍ला खिरनी बाग, शाहजहांपुर।

2.  श्री हनुमान इण्‍डस्‍ट्रीज, गांधी गंज, शाहजहांपुर।

अपीलार्थीगण/परिवादीगण

बनाम

मै0 यू.पी. बाम्‍बे रोड कैरियर, 1 राज मार्केट, बिसरत रोड, शाहजहांपुर, द्वारा ओनर श्री धर्मवीर सिंह गंगवार।

                                     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से      : कोई नहीं।

दिनांक:  10.03.2022  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-133/1997, श्री हनुमान इण्‍डस्‍ट्रीज तथा एक अन्‍य बनाम मै0 यू0पी0 बाम्‍बे रोड कैरियर में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.1998 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया है।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी ट्रांसपोर्टर के माध्‍यम से 162 बोरा गेहूँ दिनांक 25.08.1996 को हुगली पश्मि बंगाल कीमत 81,885/- रूपये भिजवाए थे। इस माल को ट्रक संख्‍या-एमएमपी 25 बी/0395 के द्वारा भेजा गया था और बीमा कराया गया था। यह सामान गन्‍तव्‍य स्‍थान तक नहीं पहुँचा। तदनुसार परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षी का कथन है कि एजेन्‍सी का अपना कोई ट्रक नहीं है, वह केवल व्‍यापारी तथा ट्रक मालिक के मध्‍य भाड़ा तय कराने की मध्‍यस्‍थता करता है तथा ट्रक वाले से कमीशन लेता है। परिवादी का माल लादान कराया गया था, जो ट्रक ड्राइवर और मालिक द्वारा हड़प लिया गया, जिसका मुकदमा दर्ज कराया गया।

4.         दोनों पक्षकार की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विपक्षी की जिम्‍मेदारी पर सामान नहीं भेजा गया। विपक्षी द्वारा केवल ट्रक मालिक से कमीशन प्राप्‍त कर माल लादान किया गया। फौजदारी मुकदमे में ट्रक ड्राइवर और मालिक को ही मुल्जिम बनाया गया है, इसलिए विपक्षी का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने त्रुटिपूर्ण गलत साक्ष्‍य की व्‍याख्‍या करते हुए निर्णय/आदेश पारित किया है। यह निष्‍कर्ष त्रुटिपूर्ण है कि विपक्षी ट्रांसपोर्टर नहीं है और केवल कमीशन एजेन्‍ट है। जी0आर0 विपक्षी द्वारा जारी की गई है, परन्‍तु इसकी गलत व्‍याख्‍या की गई है। विपक्षी कमीशन एजेन्‍ट नहीं है। माल गायब होने के लिए वह उत्‍तरदायी है। बीमा कम्‍पनी द्वारा क्षति की पूर्ति कर दी गई है, इसलिए बीमा कम्‍पनी विपक्षी से इस राशि की वसूली करने के लिए अधि‍कृत है, इसलिए उनके द्वारा अपील प्रस्‍तुत की गई है।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रत्‍यर्थी ट्रांसपोर्टर का कार्य करता है, उसके द्वारा ही सामान बुक किया गया, इसलिए सामान के खोने के लिए वह उत्‍तरदायी है। अपील के ज्ञापन के साथ संलग्‍न दस्‍तावेज संख्‍या-11 यू0पी0 बाम्‍बे रोड कैरियर द्वारा हनुमान इण्‍डस्‍ट्रीज के सामान लादान की रसीद है, इस रसीद में ट्रक मालिक और ड्राइवर का नाम अंकित है। ट्रक संख्‍या भी अंकित है, परन्‍तु इस दस्‍तावेज से यह जाहिर नहीं होता है कि प्रत्‍यर्थी कमीशन एजेन्‍ट है, अपितु ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि प्रत्‍यर्थी ट्रांसपोर्ट का कार्य करता है और उसके द्वारा ही सामान बुक किया गया है। ट्रक ड्राइवर और ट्रक मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि प्रत्‍यर्थी अपने सिविल उत्‍तरदायित्‍व से निर्मुक्‍त हो चुका है। यह हो सकता है कि ट्रक में लदा सामान गायब करने के लिए ट्रक मालिक एवं ड्राइवर उत्‍तरदायी हों, परन्‍तु चूंकि प्रत्‍यर्थी द्वारा सामान बुक किया गया, इसलिए इस सामान को पहुँचाने का उत्‍तरदायित्‍व प्रत्‍यर्थी का है। प्रत्‍यर्थी द्वारा ही अंकन 3,000/- रूपये पेशगी किराया प्राप्‍त किया गया है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग का यह निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत नहीं है कि प्रत्‍यर्थी द्वारा केवल किराया प्राप्‍त किया गया और कमीशन प्राप्‍त नहीं किया गया। किराए की रसीद प्रत्‍यर्थी द्वारा जारी की गई है, जिसका तात्‍पर्य यह है कि प्रत्‍यर्थी ने स्‍वंय किराया प्राप्‍त किया है। तदनुसार वह केवल कमीशन एजेन्‍ट नहीं है, अपितु कैरियर का काम करता है। इस व्‍यापार को करने के लिए वह अनेक लोगों से ट्रक किराए पर ले सकता है और उन ट्रकों में लादान का सामान भेज सकता है। कैरियर का काम करने वाले व्‍यक्ति के लिए ट्रक मालिक होना आवश्‍यक नहीं है।

8.         दस्‍तावेज संख्‍या-12 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी को यू0पी0 बाम्‍बे रोड कैरियर द्वारा दिनांक 15.09.1996 को एक पत्र लिखा गया, जिसमें उल्‍लेख है कि उनके द्वारा ट्रक को खोजने का प्रयास किया गया। इस पत्र में इस तथ्‍य से इंकार नहीं किया गया है कि उन्‍होंने सामान बुक नहीं किया और लादान नहीं किया गया। बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर के समक्ष भी इसी आशय का बयान दिया गया कि प्रत्‍यर्थी के ट्रांसपोर्ट से सामान लोड हुआ था। यह पत्र दस्‍तावेज संख्‍या-13 के रूप में मौजूद है। अत: उपरोक्‍त वर्णित दस्‍तावेजी साक्ष्‍य से तथा परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किए गए शपथपत्र से साबित हो जाता है कि प्रत्‍यर्थी द्वारा ही सामान बुक किया गया, उनके द्वारा ही सामान ट्रक पर लादा गया, जो गन्‍तव्‍य स्‍थान तक नहीं पहुँचा। अत: सामान की कीमत ब्‍याज सहित अदा करने के लिए प्रत्‍यर्थी उत्‍तरदायी है।

9.         परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार अंकन 81,885/- रूपये कीमत का सामान प्रेषित किया गया है। कीमत के संबंध में कोई खण्‍डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। चूंकि बीमा कम्‍पनी द्वारा इस राशि का भुगतान परिवादी यानी अपीलार्थी संख्‍या-2 को किया जा चुका है। अत: बीमा कम्‍पनी इस राशि की प्रतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी से करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

10.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। प्रत्‍यर्थी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी संख्‍या-1 को अंकन 81885/- रूपये का भुगतान परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज के साथ 03 माह के अन्‍दर अदा करे। इस अवधि के पश्‍चात ब्‍याज दर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होगी। यह भी आदेशित किया जाता है कि परिवादीगण/अपीलार्थीगण को वाद व्‍यय के रूप में अंकन 5000/- रूपये अदा किए जाए, इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

   सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                   

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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