राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-100/1996
(सुरक्षित)
लेडी परसन कौर चेरिटेबुल ट्रस्ट (एजूकेशनल सोसाइटी) सरदारनगर गोरखपुर द्वारा उप महाप्रबन्धक।
....................परिवादी
बनाम
1. उ0प्र0 बी0 एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पंतनगर पो0आ0 हल्दी जिला नैनीताल द्वारा चेयरमैन।
2. उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पन्तनगर पो0आ0 हल्दी, 263146 जिला नैनीताल द्वारा प्रबन्धक निदेशक।
3. संयुक्त मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी, उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लि0 पादरी बाजार, गोरखपुर।
4. संयुक्त मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी (3 एवं गुनि) उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पन्तनगर हल्दी नैनीताल।
5. उप कुलपति नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय नरेन्द्र नगर पो0 कुमारगंज फैजाबाद-224229 (उ0प्र0)
6. उप निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था सी-212 अशोक नगर, बशारतपुर गोरखपुर-273004
7. निदेशक उ0प्र0 राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ए-284 सेक्टर 5 इन्दिरानगर लखनऊ-226016 (उ0प्र0)
8. निदेशक, कृषि निदेशालय उ0प्र0 (बीज एवं प्रक्षेत्र अनुभाग) मदन मोहन मालवीय मार्ग लखनऊ-226001
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं01ता4 की ओर से उपस्थित : सुश्री अल्का सक्सेना,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं05ता8 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 02-03-2020
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मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादी लेडी परसन कौर चेरिटेबुल ट्रस्ट (एजूकेशनल सोसाइटी) सरदारनगर गोरखपुर ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण (1) उ0प्र0 बी0 एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पंतनगर पो0आ0 हल्दी जिला नैनीताल द्वारा चेयरमैन, (2) उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पन्तनगर पो0आ0 हल्दी, 263146 जिला नैनीताल द्वारा प्रबन्धक निदेशक, (3) संयुक्त मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी, उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लि0 पादरी बाजार, गोरखपुर (4) संयुक्त मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी (3 एवं गुनि) उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड पन्तनगर हल्दी नैनीताल (5) उप कुलपति नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय नरेन्द्र नगर पो0 कुमारगंज फैजाबाद-224229 (उ0प्र0), (6) उप निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था सी-212 अशोक नगर, बशारतपुर गोरखपुर-273004, (7) निदेशक उ0प्र0 राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ए-284 सेक्टर 5 इन्दिरानगर लखनऊ-226016 (उ0प्र0) और (8) निदेशक, कृषि निदेशालय उ0प्र0 (बीज एवं प्रक्षेत्र अनुभाग) मदन मोहन मालवीय मार्ग लखनऊ-226001 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(क) यह कि 4 कुन्तल प्रति हेक्टेयर पैदावार
कम हुआ, क्योंकि 25% पौधे मिश्रित होने
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के कारण पहले ही झड़ गए जिसका मूल्य
मुवलिंग- 91,800-00
(ख) यह कि उत्पादित धान बीज के योग्य न
होने के कारण हानि मुवलिंग- 2,00,000-00
(ग) यह कि आधारीय बीज का मूल्य निरी-
क्षण शुल्क व पंजीकरण शुल्क मुवलिग- 28,931-00
(घ) यह कि उपरोक्त धनराशि का 18%के हिसाब
से दो वर्ष का सूद मुवलिंग- 1,15,463-00
(ड0) यह कि परिवादी के अधिकारियो कर्म-
चारियो का यात्रा भत्ता पत्राचार खर्च
मानसिक उत्पीड़न एवं श्रम हानि मु0- 2,25,000-00
(च) यह कि कानूनी सलाह आदि में खर्च मु0 20,000-00
कुल योग रू0- 6,81,194-00
(छ: लाख इक्यासी हजार एक सौ चौरानबे रूपये मात्र)
अत: निवेदन है कि उत्तरवादी गण से मु06,81,194-00 (छ: लाख इक्यासी हजार एक सौ चौरानबे रूपये) मय सूद एवं खर्चा मुकदमा दिला दिया जाय और यदि परिवादी किसी अन्य अनुतोष का अधिकारी न्यायालय की दृष्टि में पाया जाय तो उसकी भी डिग्री बहक परिवादी खिलाफ उत्तरवादीगण पारित किया जाय।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी के पास एक कृषि फार्म है, जिसमें तरह-तरह की फसलों एवं बीजों का
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उत्पादन वह करता है। विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 के कार्यालय में निर्धारित पंजीकरण शुल्क जमा कर उसने बीज उत्पादन के लिए पंजीकरण कराया है और वह पंजीकृत बीज उत्पादक है। उसने बीज उत्पादन हेतु दिनांक 23.05.1994 को विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 से नरेन्द धान ''80'' मात्रा 19-20 कुन्तल 855/-रू0 प्रति कुन्तल की दर से 16,416/-रू0 का निरीक्षण शुल्क 9,900/-रू0 जमा कर प्राप्त किया। पुन: उसने दिनांक 27.06.1994 को 855/-रू0 प्रति कुन्तल की दर से उपरोक्त बीज धान 03 कुन्तल और विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 से क्रय किया और उपरोक्त धान के सभी बीज को उसने अपने कृषि फार्म लुहसी, बेला, हरपुर, कुसम्ही एवं सथरी में 54 हेक्टेयर यानी 135 एकड़ जमीन के लिए नर्सरी में डाला। दिनांक 14.06.1994 को बीज के अंकुरण के सम्बन्ध में परिवादी ने विपक्षी संख्या-3 से शिकायत की तो उन्होंने पत्र दिनांक 05.07.1994 के द्वारा सूचित किया कि बीज का अंकुरण ठीक है क्योंकि ताजा व प्रमाणित बीज की आपूर्ति परिवादी को की गयी है। तदोपरान्त उपरोक्त बीज से तैयार नर्सरी को रोपने के बाद यह पाया गया कि 25 प्रतिशत धान की फसल में ही फल व फूल लग रहे हैं। 75 प्रतिशत में मात्र फूल लग रहा है फल नहीं। अत: शिकायत विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 से की गयी, जिस पर उनके कर्मचारी श्री छेदी प्रसाद ने मौका मुआइना दिनांक 31.08.1994 को किया और शिकायत सही पाया। तदोपरान्त विपक्षी संख्या-3 का पत्र दिनांक 22.09.1994 परिवादी को प्राप्त हुआ तब उसने
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विपक्षीगण संख्या-1 ता 5 व श्री भोलानाथ तिवारी आई0ए0एस0 कृषि उत्पादन आयुक्त को पत्र दिया। परिवादी बराबर बीज में मिश्रण की शिकायत विपक्षीगण से लिखित एवं मौखिक रूप से करता रहा। अन्त में विपक्षीगण संख्या-6 व 7 द्वारा फसल के खेत की निरीक्षण रिपोर्ट में अन्य प्रजाति के पौधे मानक से अधिक होने के कारण बीज के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया और मिश्रित बीज के कारण परिवादी को हुई हानि की क्षतिपूर्ति का उत्तर न मिलने के बाद परिवादी द्वारा कई पत्र विपक्षीगण संख्या-1 ता 5 व 8 को लिखा गया, जिस पर विपक्षी संख्या-8 द्वारा पत्र दिनांक 11.07.1995 द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि आधारीय बीज का मूल्य एवं निरीक्षण शुल्क तथा पंजीयन शुल्क निगम द्वारा वापस करा दिया जायेगा। उसके बाद परिवादी इस सन्दर्भ में बराबर प्रयासरत रहा कि उसकी जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति करायी जाये, परन्तु उसकी कोई निर्णायक वार्ता विपक्षीगण से नहीं हो सकी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति की मांग की है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि प्रश्नगत बीज विपक्षी संख्या-5 (नरेन्द्र देव एग्रीकल्चर एण्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी) द्वारा तैयार किया गया था और प्रमाणित किया गया था। विपक्षी संख्या-5 द्वारा ही बीज की आपूर्ति की गयी थी, जिसका वितरण विपक्षीगण संख्या-1
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ता 4 ने परिवादी एवं अन्य किसानों को किया था। लिखित कथन में विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 ने कहा है कि विपक्षीगण संख्या-5, 6, 7 व 8 और परिवादी ने सीधे बीज के दोष के सम्बन्ध में वार्ता की है। विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु उत्तरदायी नहीं है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में आर0बी0 सिंह परिवादी के लीगल एडवाइजर का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्रीमती नमिता सिंह, लॉ आफिसर का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण संख्या-5 ता 8 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हुए हैं और विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री अल्का सक्सेना उपस्थित हुईं हैं। विपक्षीगण संख्या-5 ता 8 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 की ओर से प्रस्तुत श्रीमती नमिता सिंह के शपथ पत्र का संलग्नक 1 ज्वाइन्ट चीफ सीड प्रोडक्सन
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आफिसर का प्रमाण पत्र है, जिससे स्पष्ट है कि䋔 परिवादी के प्रश्नगत धान के बीज का जमाव 92-94% रहा है।
विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 की ओर से प्रस्तुत श्रीमती नमिता सिंह के शपथ पत्र एवं उसके संलग्नक 3 से स्पष्ट है कि सीड सर्टीफिकेसन एजेन्सी के सक्षम अधिकारी और विपक्षी संख्या-5 की नरेन्द्र देव एग्रीकल्चर एवं रिसर्च युनिवर्सिटी के सक्षम अधिकारी के संयुक्त निरीक्षण में परिवादी के प्रश्नगत बीज में 3% से 6% अन्य प्रजातियों के बीज पाये गये हैं, जो सम्भवत: नरेन्द्र 118 के बीज थे। अत: यह मानने हेतु उचित व युक्तिसंगत आधार है कि परिवादी को आपूर्ति किये गये धान के नरेन्द्र 80 के बीज में दूसरी प्रजातियों के बीज का मिश्रण था और बीज दोषपूर्ण था। प्रश्नगत धान के आधार बीज नरेन्द्र 80 का उत्पादन विपक्षी संख्या-5 द्वारा किया गया था और प्रमाणित विपक्षीगण संख्या-6 व 7 द्वारा किया गया था, जो विपक्षी संख्या-5 के एजेन्ट माने जायेंगे। अत: बीज में दोष हेतु विपक्षी संख्या-5 उत्तरदायी है।
प्रश्नगत नरेन्द्र 80 धान के बीज से परिवादी द्वारा उत्पादित धान के बीज को दूसरे प्रजातियों का मिश्रण मानक से अधिक होने के कारण विपक्षीगण संख्या-6 व 7 द्वारा बीज के लिए अयोग्य घोषित किया गया था। अत: उसकी बिक्री बीज के रूप में नहीं हुई है, परन्तु उसे चावल बनाने हेतु प्रयोग किया जा सकता है। अत: परिवादी द्वारा उत्पादित धान में जो दूसरी प्रजातियों के धान का मिश्रण बीज के दोष के कारण आया है और परिवादी द्वारा
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उत्पादित धान बीज के लिए अयोग्य पाया गया है, उसकी क्षति की पूर्ति हेतु परिवादी को विपक्षी संख्या-5 से परिवाद पत्र की अनुतोष ख में याचित क्षतिपूर्ति 2,00,000/-रू0 दिलाया जाना उचित है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत आर0बी0 सिंह के शपथ पत्र का संलग्नक 34 पत्र दिनांक 11.07.1995 में कहा गया है कि आपूर्ति किये गये धान के आधारीय बीज नरेन्द्र 80 में मिलावट होने के कारण प्रबन्ध निदेशक, उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम, पन्तनगर, नैनीताल द्वारा सूचित किया गया है कि आधारीय बीज का मूल्य, निरीक्षण शुल्क तथा पंजीयन शुल्क निगम द्वारा परिवादी को वापस कर दिया जायेगा। दौरान बहस परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि उपरोक्त मदों में 28981/-रू0 परिवादी को विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 द्वारा वापस किया जा चुका है।
25 प्रतिशत परिवादी के धान की फसल पहले ही झड़ गयी इस बात का कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए परिवाद पत्र में याचित अनुतोष क, ग, घ और ड0 स्वीकार करने हेतु उचित आधार नहीं है, परन्तु उपरोक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि 2,00,000/-रू0 पर परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित है।
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परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-5 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है और उसे आदेशित किया जाता है कि वह 2,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करे। इसके साथ ही वह परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी दे।
परिवाद विपक्षीगण संख्या-1 ता 4 के विरूद्ध निरस्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1