Uttar Pradesh

StateCommission

A/1356/2016

Smt Shivani - Complainant(s)

Versus

U P Avas Evam Vikas Parishad - Opp.Party(s)

Sudhanshu Chauhan

01 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1356/2016
( Date of Filing : 06 Jul 2016 )
(Arisen out of Order Dated 27/05/2016 in Case No. 143/2013 of District Meerut)
 
1. Smt Shivani
R/O Kalina Distt, Meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. U P Avas Evam Vikas Parishad
Through Additional Housing Comm. Office Complex Sector 9 Shastri Nagar Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Dec 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-1356/2016

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-143/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27/05/2016 के विरूद्ध)

Smt Shivani Wife of Sri Swaraj Singh, Resident of Kalina District Meerut

  1.                                                                                            Appellant

Versus

  1. U.P. Avas Evam Vias Parishad through Additional Housing Commissioner Office Complex, Sector-9 Shastri Nagar, Meerut
  2. U.P Avas Evam Vikas Parishad Through Sampatti Prabhandhak Adhikari MiG-108 Circular Road, MuzaffarNagar
  3.                                                                                      Respondents

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री सुधांशु चौहान के कनिष्‍ठ अधिवक्‍ता

                              श्री विनय कुमार    

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री एन0एन0 पाण्‍डेय  

दिनांक:-01.12.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-143/2013 श्रीमती शिवानी बनाम उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.05.2016 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने उपभोक्‍ता परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है।
  2.           परिवाद के तथ्‍यों के अवलोकन से जाहिर होता है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण द्वारा की गयी नीलामी के तहत एक भूखण्‍ड की नीलामी कार्यवाही में भाग लिया और अंकन 8,400/- रूपये प्रति वर्गमीटर की दर से उक्‍त बोली लगायी। इसी बोली के आधार पर परिवादिनी को भूखण्‍ड आवंटित कर दिया गया और विपक्षी द्वारा अंकन 50,000/- रूपये का ड्राफ्ट रख लिया गया। आवंटन पत्र पंजीकृत डाक से भेजने के लिए कहा गया, परंतु दिनांक 03.04.2013 को एक पत्र प्राप्‍त हुआ, जिसमें उल्‍लेख था कि दिनांक 27.02.2013 की बोली को निरस्‍त कर दिया गया है। उल्‍लेखनीय है कि नीलामी द्वारा की गयी कार्यवाही को जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुष्‍ट नहीं कर दिया जाता, तब तक नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने मात्र से किसी व्‍यक्ति को नीलाम की जाने वाली सम्‍पत्ति को क्रय करने का अधिकार प्राप्‍त नहीं होता, फिर यह भी कि नीलामी की कार्यवाही करने वाला व्‍यक्ति उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता।
  3.                इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित यूनियन टेरिटरी आफ चंडीगढ़ प्रति अमरजीत सिंह व अन्‍य प्रकाशित 2009 वाल्‍यूम IV SCC PAGE 660  में पारित निर्णय माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय का निर्णय उल्‍लेखनीय है, जिसमें यह निर्णीत किया गया है कि सार्वजनिक नीलामी में क्रय किये जाने पर भूखण्‍ड स्‍वामी, जिसने सार्वजनिक नीलामी में बोली लगायी है, वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है। इस निर्णय को माननीय  सर्वोच्‍च न्‍यायालय के एक अन्‍य निर्णय मदन लाल प्रति जिला मजिस्‍ट्रेट सुलतानपुर व अन्‍य प्रकाशित 2009 (वॉल्‍यूम 9) SCC PAGE 79 में पुन: दोहराया गया है।
  4.            इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित एक अन्‍य निर्णय संजय कुमार जोशी प्रति मुनिसिपल बोर्ड प्रति लक्ष्‍मणगढ़ प्रकाशित 2015 वॉल्‍यूम 12 SCC PAGE 709  का उल्‍लेख करना भी उचित होगा। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा इस निर्णय में यह निर्णीत किया गया है कि सार्वजनिक नीलामी में यदि भूखण्‍ड अथवा भवन क्रय किया जाता है तो केवल उस दशा में क्रेता को उपभोक्‍ता की श्रेणी में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (1) (डी) के अंतर्गत माना जा सकता है जबकि यह क्रय जीविकोपार्जन हेतु किया जाये। प्रस्‍तुत मामले में परिवादिनी द्वारा ऐसा कोई अभिकथन परिवाद पत्र में नहीं किया गया है, जिससे स्‍पष्‍ट होता हो कि परिवादिनी ने यह क्रय सार्वजनिक नीलामी में जीविकोपार्जन हेतु किया है। अत: इस मामले में परिवादिनी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं मानी जा सकती है। यहां पर यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि आवास विकास परिषद की नीलामी की प्रक्रिया में यह शर्त दी गयी थी कि नीलामी को रद्द करने का अधिकार हाउसिंग कमिश्‍नर आवास विकास परिषद को है, यदि वह पाता है कि क्षदम नीलामी बोलने वालों द्वारा प्रक्रिया का दुरूपयोग किया गया है। अत: वर्तमान परिस्थिति में परिवादिनी को उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को उपभोक्‍ता न मानने के आधार पर खारिज किया गया परिवाद का आदेश पूर्णता: विधिसम्‍मत है।  
  5.  

अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।                   

अपील में उभय पक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

              आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

           (विकास सक्‍सेना)                      (सुशील कुमार)

               सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

         संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-2

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.