Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/120

Gyan Kishan - Complainant(s)

Versus

U I I Co - Opp.Party(s)

V S Bisaria

04 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/120
( Date of Filing : 20 Jan 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Gyan Kishan
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U I I Co
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Sep 2024
Final Order / Judgement

                                              (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-120/2010

(जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-649/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.11.2009 के विरूद्ध)

                                    

ज्ञान किशन पुत्र श्री गोपाल किशन मेहरोत्रा, निवासी मोहल्‍ला चौक, शाहजहांपुर, प्रोपराइटर मैसर्स रवि ट्रेडिंग कं0 शाहजहांपुर।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

यूनाइटेड इंडिया इं‍श्‍योरेंस कं0लि0, चौक, शाहजहांपुर, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

       प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री वी.एस. बिसारिया।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : श्री वी.पी. शर्मा।

दिनांक:  04.09.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-649/1993, ज्ञान किशन बनाम यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.11.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.         इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादी ने बीमा कंपनी के स्‍तर से सेवा में कमी के तथ्‍य को साबित नहीं किया है।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी चू्ड़ा बेचने का व्‍यापार रवि ट्रेडिंग कंपनी के नाम से रोजा शाहजहांपुर में करता है। परिवादी ने ट्रांसर्पोटेशन के लिए एक बीमा पालिसी दिनांक 9.9.2001 को प्राप्‍त की थी। परिवादी द्वारा ट्रक के माध्‍यम से 266 बोरी चूड़ा वजन 50 किलो मैसर्स कपूर चन्‍द शान्‍ती कुमारी मालवाड़ी आसाम वालों को बजरिए दलाल अम्‍बे प्रसाद, श्‍याम मोहन एण्‍ड कंपनी गांधी गंज, शाहजहांपुर भेजा, जहां से माल आसाम जाना था। यह ट्रक दिनांक 10.10.1991 को गोपाल गंज बिहार के निकट दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसके कारण चूड़ा पानी में भीग कर नष्‍ट हो गया, जिसकी सूचना बीमा कंपनी को दी गई, इस दुर्घटना की रिपोर्ट ट्रक मालिक ने थाना सेलमपुर में दिनांक 16.10.1991 को कराई तथा विपक्षी को सूचना दिनांक 23.10.1991 को दी गई। सर्वेयर ने मौके पर जांच कर कुल क्षति 70,458/-रू0 आंकी थी, परन्‍तु बारदाने की कीमत अंकन 532/-रू0 गलत घटा दी गई साथ ही विपक्षी द्वारा केवल 38,000/-रू0 क्‍लेम लेने के लिए कहा गया। परिवाद संख्‍या-384/1992, अनुपस्थिति के कारण दिनांक 16.10.1992 को निरस्‍त हो गया था, इसके अलावा एक अन्‍य परिवाद संख्‍या-530/1992 गलत विपक्षी बनाए जाने के कारण दिनांक 6.1.1993 को खारिज हो गया था। इस प्रकार स्‍वंय परिवाद पत्र के उल्‍लेख से यह साबित होता है कि परिवादी द्वारा परिवाद संख्‍या-384/1992 दायर किया गया था, जो अनुपस्थिति के कारण खारिज होना बताया गया। अत: इस स्थिति में इसी परिवाद का पुनर्स्‍थापन कराया जाना चाहिए था। अनुपस्थिति के कारण खारिज होने के कारण सी.पी.सी. के आदेश नियम 9 के प्रावधान प्रभावी होंगे। अनुपस्थिति में खारिज होने वाले वाद को पुनर्स्‍थापित कराया जा सकता है, परन्‍तु वादकारण पर नया परिवाद प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता, इसके बाद परिवादी में उल्‍लेख है कि परिवाद संख्‍या-530/1992 गलत पक्षकार बनाए जाने के कारण दिनांक 6.1.1993 को खारिज हुआ है। दिनांक 6.1.1993 को परिवाद खारिज होने के पश्‍चात अपील प्रस्‍तुत की जानी चाहिए और गलत पक्षकार को विचारण के दौरान रिकार्ड से हटाया जाना चाहिए था। दिनांक 6.1.1993 को इस परिवाद के खारिज हो जाने के पश्‍चात केवल अपील का उपचार परिवादी को उपलब्‍ध था न कि इसी वादकारण पर नया परिवाद प्रस्‍तुत करने का।

4.         अत: स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा Res judicata के सिद्धान्‍त का उल्‍लंघन किया गया है। Res judicata के सिद्धान्‍त का उद्देश्‍य है कि यदि किसी एक विषय-वस्‍तु पर उन्‍हीं पक्षकारों के मध्‍य कोई विवाद विचारित हो चुका है और उस पर निर्णय पारित हो चुका है, जैसा कि परिवाद संख्‍या-530/1992 में पारित हुआ है तब उसी विषय पर दूसरा परिवाद प्रस्‍तुत नहीं हो सकता। परिवादी का यह कथन नहीं है कि बीमा कंपनी को उस केस में पक्षकार नहीं बनाया गया था। बीमा कंपनी उस केस में पक्षकार थी और प्रस्‍तुत केस में भी पक्षकार है। इस प्रकार परिवाद संख्‍या-384/1992 के खारिज होने के पश्‍चात इस परिवाद को पुनर्स्‍थापित कराने की कार्यवाही की जानी चाहिए थी। अत: उपरोक्‍त वर्णित विधिक आधारों पर परिवादी का परिवाद ही संधारणीय नहीं है। अत: इस आधार पर परिवाद के विरूद्ध प्रस्‍तुत अपील भी संधारणीय नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

5.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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