Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/2480

Virendra Kumar - Complainant(s)

Versus

U I I Co - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh,Vijay Pratap Singh ,Varun Pal

12 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/2480
( Date of Filing : 10 Oct 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Virendra Kumar
Moradabad
...........Appellant(s)
Versus
1. U I I Co
Moradabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Feb 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2480/2002

वीरेन्‍द्र कुमार पुत्र श्री गोपाल सिंह, शॉप स्थित लोको शेड चन्‍द्र नगर, पुलिस स्‍टेशन सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद, निवासी मकान नं0-2/695, बुद्धि विहार, थाना मझोला, मुरादाबाद

 

बनाम

 

यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कंपनी लि0, ब्रांच आफिस ए-62, गांधी नगर, मुरादाबाद, द्वारा ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कंपनलि लि0, मुरादाबाद तथा तीन अन्‍य

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित           : श्री विजय प्रताप सिंह।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित    : श्री वी.पी. शर्मा।

प्रत्‍यर्थी सं0-3 व 4 की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक : 12.02.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-771/1998, वीरेन्‍द्र कुमार बनाम यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 व तीन अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.9.2002 के विरूद्ध स्‍वंय परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विजय प्रताप सिंह तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 एवं 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी.पी. शर्मा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-3 एवं 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

 

-2-

2.        विद्वान जिला आयोग ने बीमित परिसर में अग्निकाण्‍ड के कारण कारित क्षतिपूर्ति के लिए अंकन 12,150/-रू0 12 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत अंकन 50,000/-रू0 का ऋण प्राप्‍त कर स्‍टेशनरी का कार्य प्रारम्‍भ किया गया था। परिवादी की दुकान में पीसीओ, मानिटर, फैक्‍स मशीन, सीबीटी बैट्री आदि स्‍थापित थे। बीमित अवधि के दौरान दिनांक 22/23.6.1998 की रात्रि में परिवादी की दुकान में आग लग गयी, जिसकी सूचना विपक्षी सं0-4, अग्नि शमन अधिकारी को दी गयी, जिनके द्वारा आग पर काबू किया गया, परन्‍तु इस बीच परिवादी की दुकान में अंकन 45,000/-रू0 की पीसीओ मशीन तथा अंकन 40,000/-रू0 की स्‍टेशनरी तथा अंकन 20,000/-रू0 के फर्नीचर आदि का नुकसान हो चुका था। बीमा क्‍लेम प्राप्‍त होने पर बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर द्वारा केवल 12,150/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया, जिसे अदा करने के लिए आदेश पारित किया गया।

4.        इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा गलत निर्णय पारित किया गया है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत की गयी बीमा पालिसी को विचार में लिया गया, जबकि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी बीमा पालिसी को विचार में नहीं लिया गया।

 

 

-3-

5.        दोनों पक्षकारों द्वारा अपने-अपने कथन तथा अपील के ज्ञापन के समय तर्क प्रस्‍तुत किये गये, जिसको पुन: दोहराने की आवश्‍यकता नहीं है।

6.        इस अपील के विनिश्‍चय के लिए विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि परिवादी द्वारा ली गयी बीमा पालिसी में स्‍टेशनरी तथा उससे संबंधित किस-किस समान को बीमित किया गया था, इस संबंध में विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि स्‍टेशनरी की खरीदारी के लिए जो कर्ज प्रदान किया गया था, उसकी सुरक्षा हेतु बीमा कराया गया था, इसलिए सर्वेयर द्वारा स्‍टेशनरी की हानि की मद में जिस राशि का आंकलन किया गया, वह राशि परिवादी प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। विपक्षी सं0-3, बैंक द्वारा प्रस्‍तुत लिखित कथन के अवलोकन से जाहिर होता है कि बैंक का यह कथन है कि बीमा स्‍वंय परिवादी द्वारा स्‍वतंत्र रूप से कराया गया था, इसलिए प्रत्‍यर्थी बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल प्रतीत नहीं होता है कि बैंक द्वारा जो ऋण प्रदान किया गया था, उसकी सुरक्षा के लिए बीमा कराया गया था, अपितु अपीलार्थी द्वारा अपने व्‍यापारिक परिसर का बीमा स्‍वंय कराया गया था, जो एक स्‍वतंत्र बीमा था, इस बीमा का ऋण से कोई संबंध नहीं है, इसलिए विद्वान जिला आयोग का यह निष्‍कर्ष तथ्‍यात्‍मक नहीं है कि केवल ऋण से संबंधित राशि का बीमा कराया गया था।

7.        अब इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि यथार्थ में परिवादी किस राशि की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। इस संबंध में  महत्‍वपूर्ण  साक्ष्‍य  सर्वेयर द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट है। सर्वेयर

-4-

द्वारा अंकन 24,429/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। अत: परिवादी इस राशि को विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रदत्‍त राशि के अतिरिक्‍त बतौर क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.        प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान  जिला  आयोग  द्वारा  पारित  निर्णय/आदेश दिनांक 6.9.2002 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी अंकन 12,150/-रू0 (बारह हजार एक सौ पचार रूपये) की क्षतिपूर्ति के अलावा पीसीओ आदि की हानि की मद में अंकन 24,429/-रू0 (चौबिस हजार चार सौ उनतिस रूपये) भी बीमा कंपनी से प्राप्‍त करेंगे, इस अतिरिक्‍त राशि पर भी परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की ति‍थि तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देय होगा। यहां यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि पूर्व में दी गयी राशि अंकन 12,150/-रू0 के साथ इस पीठ द्वारा दी गयी अतिरिक्‍त क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 24,429/-रू0 पर (दोनों राशियों पर) केवल 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक देय होगा। शेष निर्णय/आदेश यथावत रहेगा।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

               प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा  की  गई  हो  तो  उक्‍त  जमा  धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

-5-

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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