Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/56

Vinayak Fibres Ltd - Complainant(s)

Versus

U I I Co - Opp.Party(s)

Anoop Kumar

18 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/56
( Date of Filing : 07 Jun 2010 )
 
1. Vinayak Fibres Ltd
a
...........Complainant(s)
Versus
1. U I I Co
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Nov 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद सं0 :- 56/2010

M/S Vinayak Fibres Ltd. Vinayak Bhawan B-1, A-21, Mohan Co-Operative Industrial Estate, New Delhi-110044.

  1.                                                      Complainant  

Versus  

  1. United India Insurance Co. Ltd. 34, Neelam Bata Road, Faridabad, Through it's Branch Manager.
  2. The Chairman, United India Insurance Co. Ltd, Head Office-24, United India House, Whites Road, Chennai.
  3. The Chief Regional Manager, United India Insurance Co. Ltd, Regional Office-II, Core-I, 2nd Floor, Scope Minar Complex, Laxmi Nagar, District Centre, Delhi
  4.                                                                                    Opp. Parties 

   समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता:- कोई नहीं  

विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री बी0पी0 दुबे

दिनांक:-18.11.2024

 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह परिवाद विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध अंकन 49 लाख 73 हजार 616 रूपये की क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।
  2.           परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 23.03.2006 से दिनांक 22.03.2007 की अवधि के लिए स्‍टैण्‍डर्ड फायर एण्‍ड स्‍पेशल पेरिल पॉलिसी अंकन 5 करोड़ 43 लाख रूपये मूल्‍य की प्राप्‍त की गयी थी। दिनांक 24.09.2006 को सुबह 5.30 बजे अग्निकाण्‍ड के कारण मशीनें तथा कपड़े पूर्ण रूप से नष्‍ट हो गये। फायर ब्रिगेड से सम्‍पर्क करने का प्रयास किया गया, परंतु फायर बिग्रेड की ओर से कोई उत्‍तर नहीं दिया गया, इसलिए कर्मचारी द्वारा फायर अग्नि पर नियंत्रण किया गया।
  3.           दिनांक 25.09.2006 को अग्निशमन अधिकारी मथुरा ने मौके का निरीक्षण किया, जिनके द्वारा सर्विस इंजीनियर भी मौजूद थे और रिपोर्ट तैयार की। सर्वेयर द्वारा दिनांक 16.07.2007 को रिपोर्ट प्रस्‍तुत की, जिनके द्वारा दुर्घटनावश अग्निकाण्‍ड होना पाया गया, परंतु विपक्षी द्वारा दिनांक 24.03.2008 को तृतीय सर्वेयर श्री आर0के0 सिंघल एवं कम्‍पनी लिमिटेड नियुक्‍त किया गया, जिनके द्वारा क्षतिपूर्ति की अनुशंसा की गयी, परंतु दिनांक 08.06.2008 के पत्र द्वारा बीमा क्‍लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि क्‍लॉज सं0 7 के अनुसार बीमा क्‍लेम देय नहीं है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  4.           परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र तथा एनेक्‍जर सं0 1 लगायत 7 प्रस्‍तुत किया गया।
  5.           विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में की गयी आपत्ति का सार यह है कि बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत होने पर सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। मशीन मे जो क्षति कारित हुई है, वह पॉलिसी के एक्‍सक्‍लूजन क्‍लॉज में आती है। सर्वेयर द्वारा जो रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी वह बीमा पॉलिसी की शर्तों के अधीन थी, इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है।
  6.           इस लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है।
  7.          परिवादी की ओर से बहस करने के लिए कोई उपस्थित नहीं है। केवल बीमा कम्‍पनी के विद्धान अधिवक्‍ता की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का अवलोकन किया गया।
  8.           बीमा कम्‍पनी की ओर से मुख्‍य बचाव यह लिया गया है कि बीमा पॉलिसी की क्‍लॉज सं0 7 के अनुसार य‍दि मशीन को अत्‍यधिक चलाने, दबाव के अंतर्गत चलाने आदि के कारण क्षति कारित होती है तब बीमा क्‍लेम देय नहीं है। प्रस्‍तुत केस क्‍लॉज सं0 7 की श्रेणी में नहीं आता। मशीनों को अत्‍यधिक चलाने या दबाव के तहत चलाने आदि का कोई सबूत सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में वर्णित नहीं किया। सर्वेयर के अलावा बीमा कम्‍पनी के किसी अन्‍य कर्मचारी को मौके पर जाने का कोई अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ और सर्वेयर द्वारा क्‍लॉज सं0 7 में वर्णित किसी स्थिति का उल्‍लेख अपनी रिपोर्ट में नहीं किया, इसलिए क्‍लॉज सं0 7 के अनुसार बीमा क्‍लेम नकारने का जो आधार बीमा कम्‍पनी द्वारा लिया गया है वह पॉलिसी की शर्तों के अनुकूल नहीं है। अत: बीमा क्‍लेम नकारने का आधार अवैध है।
  9.           अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या परिवादी क्षतिपूर्ति की किस राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है?
  10.           इस प्रश्‍न का उत्‍तर एनेक्‍जर सं0 4 मे तैयार की गयी इन्‍वेस्‍टीगेशन रिपोर्ट पर आधारित किया जा सकता है, जिसमें यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि मौके पर दुर्घटनावश अग्निकाण्‍ड की घटना घटित हुई है और परिवादी क्षतिपूर्ति के लिए अधिकृत है। मशीन में शार्टसर्किट के कारण ही अग्निकाण्‍ड होना पाया गया है, परंतु क्षति का आंकलन इस रिपोर्ट में नहीं किया गया है। क्षति का आंकलन जिस सर्वे रिपोर्ट में प्रस्‍तुत किया गया है, उस रिपोर्ट को बीमा कम्‍पनी की ओर से इस पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया। अत: स्‍पष्‍ट है कि इस रिपोर्ट को छिपाया गया है, जबकि सर्वे रिपोर्ट को प्रस्‍तुत करने का दायित्‍व बीमा कम्‍पनी पर है। अत: उपधारणा की जा सकती है कि यह सर्वे रिपोर्ट बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध थी, इसलिए सर्वे रिपोर्ट पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गयी। सर्वेयर द्वारा की गयी क्षति के आंकलन के अलावा अन्‍य कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, जिसके आधार पर क्षति का आंकलन किया जा सके। फायर ब्रिगेड द्वारा अग्नि का शमन नहीं किया गया, इसलिए अग्निशमन होने के पश्‍चात फायर ब्रिगेड अधिकारी द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को क्षति का आंकलन करने के लिए साक्ष्‍य में ग्रहण नहीं किया जा सकता। अत: इस स्थिति में सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जिस क्षति का आंकलन किया गया है, उस राशि को अदा करने का आदेश दिया जाना साम्‍या  के आधार पर उचित है। अत: यह परिवाद इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है कि स्‍वयं बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर द्वारा क्षति की जिस राशि का आंकलन किया गया है, वह राशि परिवादी को उपलब्‍ध करायी जाए तथा इस राशि को उपलब्‍ध कराने से पूर्व सर्वेयर की रिपोर्ट भी परिवादी को उपलब्‍ध करायी जाए, जिसमें क्षति का आंकलन किया गया है।

 

आदेश

          परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि क्षति का आंकलन करने के लिए जो सर्वेयर रिपोर्ट प्राप्‍त की गयी है, उस रिपोर्ट की प्रति परिवादी को उपलब्‍ध करायी जाए तथा उस रिपोर्ट मे जिस क्षति का आंकलन किया गया है, वह राशि परिवादी को 3 माह के अंदर उपलब्‍ध करायी जाए, जिस पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज भी देय होगा तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी अदा किया जाए।   

उभय पक्ष वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

  •  

 

 

 

               संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

 

   

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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