राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या :09/2010
Sharda Yadav, S/o Shri Brij Yadav, R/o House No. D-64/135, Sigra, Ward Dashashwamedh, District Varanasi.
........... Complainant.
Versus
United India Insurance Company, Ltd., Divisional Office-II, C-26/35, 1-J-1, Ram Katora Crossing, Varanasi through Senior Divisional Manager.
……..…. Opposite Party
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
परिवादी के अधिवक्ता : श्री ध्रुवेन्द प्रताप सिंह
विपक्षी के अधिवक्ता : श्री अशोक मेहरोत्रा
दिनांक :………………………
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रश्नगत परिवाद परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध बीमित धनराशि एवं क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के अनुतोष के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी प्रश्नगत बस का पंजीकृत स्वामी है एवं प्रश्नगत बस दिनांक 24.8.2007 से 23.8.2008 तक की अवधि के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी के माध्यम से बीमित थी एवं प्रीमियम की धनराशि परिवादी की ओर से जमा की गई थी। बीमा अवधि के दौरान दिनांक 06.4.2008 को प्रश्नगत बस पर हाई टेंशन तार की चपेट में आ गई और जल गई तथा पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो गई, उपरोक्त घटना की सूचना अविलम्ब थाने पर दी गई एवं बीमा कम्पनी को भी घटना से अवगत कराया गया। परिवादी द्वारा बीमा दावे के संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही की गई एवं सर्वेयर द्वारा रू0 4,00,000.00 साल्वेज का मूल्य निर्धारित किया गया और रू0 17,23,500.00 बीमा के संदर्भ में भुगतान किये जाने हेतु सर्वेयर द्वारा अपनी आख्या इस टिप्पणी के साथ प्रस्तुत की गई कि यदि ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य औपचारिकताऐं पूरी हो, तो उस स्थिति में परिवादी को
-2-
रू0 17,23,500.00 का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किया जा सकता है। विपक्षी/बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को बीमा दावे को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि घटना के समय वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। परिवादी द्वारा वाहन चालक के ड्राइविंग लाइसेंस की फोटोप्रति प्रस्तुत की गई और बीमित धनराशि की बावत रू0 22,11,995.00 का अनुतोष मॉगा गया एवं रू0 10,000.00 मानसिक एवं आर्थिक क्षति और रू0 10,00,000.00 क्षतिपूर्ति तथा रू0 50,000.00 वाद व्यय के संदर्भ में भी अनुतोष मॉगा गया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद का विरोध किया गया और मुख्य रूप से यह अभिवचित किया गया कि वाहन पूर्णत: क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में सर्वेयर द्वारा घटना की तिथि के संदर्भ में रू0 4,00,000.00 साल्वेज के रूप में निर्धारित किया गया एवं सर्वेयर द्वारा बीमा दावे के संदर्भ में रू0 17,23,500.00 बीमा कम्पनी को परिवादी को अदा किये जाने की आख्या इस शर्त के साथ दी गई कि यदि परिवादी द्वारा वैध ड्राइविंग लाइसेंस बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाता है, तो उक्त धनराशि परिवादी को बीमा कम्पनी द्वारा दी जा सकती है एवं परिवादी द्वारा रू0 17,23,500.00 बीमा की धनराशि प्राप्त किये जाने हेतु अपनी लिखित सहमति भी दिनांक 31.7.2008 को दी गई थी, परन्तु घटना के समय वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण उपरोक्त वर्णित बीमित धनराशि की अदायगी परिवादी को नहीं की गई और इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमा दावे को जो निरस्त किया गया है, वह विधि अनुकूल है और प्रश्नगत परिवाद खण्डित किये जाने योग्य है।
प्रश्नगत वाहन का विपक्षी बीमा कम्पनी के माध्यम से बीमित होना एवं बीमा अवधि के दौरान अभिवचित दुर्घटना होना अविवादित है। सर्वेयर द्वारा जो आख्या प्रस्तुत की गई है, उसके संदर्भ में भी ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे सर्वेयर आख्या पर अविश्वास किया जा सके। अविवादित रूप से सर्वेयर आख्या में टोटल लॉस बेसिस पर रू0 21,23,500.00 की हानि निर्धारित की गई थी एवं घटना के समय रू0 4,00,000.00 साल्वेज को घटाते हुए सर्वेयर द्वारा स्पष्ट रूप से निम्नलिखित आख्या प्रस्तुत की गई है:-
-3-
“Keeping in view the above assessment we are of the opinion that the claim may be settled on Net of salvage basis for Rs. 17,23,500.00 only subject to policy terms and conditions as well as subject to approval by insurers.”
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने लिखित में इस आशय का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि परिवादी ने स्वत: सर्वेयर आख्या के अनुसार रू0 17,23,500.00 बीमा की धनराशि प्राप्त किये जाने हेतु अपनी लिखित सहमति दिनांक 31.7.2008 को प्रस्तुत किये जाने के तथ्य को स्वीकार किया गया है, अत: रू0 17,23,500.00 की देयता के संदर्भ में परिवादी द्वारा लिखित सहमति का प्रस्तुत किया जाना भी वर्तमान प्रकरण में अविवादित है।
अविवादित रूप से प्रश्नगत वाहन जो पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो गया था, वह परिवादी के कब्जे में है एवं परिवादी वाहन के साल्वेज के संदर्भ में सर्वेयर आख्या पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, यहॉ पुन: इस बात का उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे सर्वेयर आख्या पर अविश्वास किया जा सके।
सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि परिवादी वर्तमान प्रकरण में वाहन का साल्वेज परिवादी के पास है एवं साल्वेज का मूल्यांकन रू0 4,00,000.00 आंकलन किया है। साल्वेज का मूल्य बीमित धनराशि 21,23,500.00 रू0 में से रू0 4,00,000.00 घटाकर बीमित धनराशि के रूप में रू0 17,23,500.00 विपक्षी बीमाकम्पनी से पाने का अधिकारी है।
यहॉ इस बात का उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि वर्तमान प्रकरण में दुर्घटना वाहन चालक की लापरवाही से होना नहीं पाई जाती है, बल्कि बस का दुर्घटनाग्रस्त हाई टेंशन तार से होना अभिवचित है, ऐसी स्थिति में वाहन चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर बीमा दावे को निरस्त करना विधि अनुकूल नहीं है और इस संदर्भ में परिवादी की ओर से मा0 उच्चतम न्यायालय की नजीर Jitendra Kumar Vs. Oriental Insurance Company 2003 ACJ 1441 की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया गया और इस प्रकार वर्तमान प्रकरण में बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावे को वाहन चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के वैध न होने के
-4-
कारण निरस्त करना विधि अनुकूल नहीं है। यहॉ इस बात का उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि वर्तमान प्रकरण में वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस का होना भी पाया जाता है। अत: सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि परिवादी बीमा कम्पनी से रू0 17,23,500.00 बीमित धनराशि मय ब्याज के प्राप्त करने का अधिकारी है एवं परिवाद परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक उपरोक्त वर्णित धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज दिलाया जाना न्यायसंगत व उचित प्रतीत होता है।
यहॉ इस बात का उल्लेख करना भी उचित प्रतीत होता है कि कि जब बीमित धनराशि पर ब्याज का अनुतोष प्रदान किया जाना उचित पाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में अलग से क्षतिपूर्ति का अनुतोष प्रदान किया जाना उचित नहीं है। वाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 का अनुतोष दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। तद्नुसार प्रस्तुत परिवाद अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह बीमा की धनराशि के रूप में रू0 17,23,500.00 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि अर्थात दिनांक 01.02.2010 से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित अदा करें एवं वाद व्यय के रूप में रू0 5,000.00 परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2