(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1084/2002
प्रेम शंकर उपाध्याय पुत्र स्व0 दयानिधि उपाध्याय, निवासी मौजा पिपरा, तप्पा गाहासाड़, परगना हसनपुर मगहर, तहसील सहजनवा, जिला गोरखपुर
बनाम
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, सिनेमा रोड, गोल घर, गोरखपुर द्वारा मण्डलीय प्रबंधक
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. शर्मा।
दिनांक : 12.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-620/1997, प्रेम शंकर उपाध्याय बनाम यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 3.4.2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. शर्मा उपस्थित हैं, जिन्हें सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. पत्रावली के अभिलेखों के अनुसार परिवादी द्वरा अपनी दुकान का बीमा दिनांक 31.3.1997 को कराया गया था, जिसमें दिनांक 4.7.1997 को चोरी हो गयी। चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट
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थाने पर नहीं लिखी गयी, इसलिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर को सूचित किया गया।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि चोरी की घटना काल्पनिक है। बीमा क्लेम प्राप्त करने के उद्देश्य से चोरी की घटना दर्शायी गयी है, जिसकी कोई सूचना समय पर दर्ज नहीं करायी गयी। सर्वेयर द्वारा निरीक्षण के समय इसी आशय की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा साक्ष्य का विश्लेषण करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा दुकान की चोरी के संबंध में कोई रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास नहीं किया गया। पत्रावली के अवलोकन से भी जाहिर होता है कि यथार्थ में परिवादी की दुकान में चोरी की घटना के पश्चात प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया, जिसका परिणाम यह है कि चोरी गये समान की खोज पुलिस द्वारा नहीं की जा सकी, इसलिए परिवादी द्वारा बीमा शर्तां का उल्लंघन किया गया है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3