(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 749/2005
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद सं0- 70/2003 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 29.03.2005 के विरुद्ध)
मेसर्स सरस्वती मेडिकल स्टोर केराकत, जौनपुर जरिये प्रो0 संजय कुमार सिंह पुत्र रामजनम सिंह साकिन मोहल्ला कासीदासपुर, जिला जौनपुर।
..........अपीलार्थी
बनाम
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 रूहट्टा जिला जौनपुर। द्वारा शाखा प्रबंधक।
.........प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री आर0के0 गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री वी0पी0 शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 21.06.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 70/2003 मै0 सरस्वती मेडिकल स्टोर बनाम शाखा प्रबंधक यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 में जिला उपभोक्ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 29.03.2005 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. अपीलार्थी/परिवादी का कथन परिवाद में इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी मेडिकल स्टोर सरस्वती मेडिकल स्टोर के नाम से था जो प्रत्यर्थी/विपक्षी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 रूहट्टा जौनपुर से बीमित था। दि0 10.11.1999 को सुबह 6:00 बजे अपीलार्थी/परिवादी को ज्ञात हुआ कि उसकी दुकान में चोरी हो गई है जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट उसी दिन अपराध सं0- 288/99 धारा 457/380 ता0हि0 के तहत सरकार बनाम अज्ञात में दर्ज हुई। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार मेडिकल स्टोर से रू0 95,795/- की दवायें तथा रू0 4500/- नकद चोरी हो गया जिसकी विवेचना स्थानीय थाने पर हुई एवं अभियुक्तगण तसौब्बर व प्रदीप गिरी के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत हुआ। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उसने बीमे के क्लेम को प्रस्तुत करने के लिए बार-बार प्रार्थना पत्र दिया तथा सम्बन्धित शाखा बीमा कम्पनी से सम्पर्क हुआ, परन्तु बीमा कम्पनी क्लेम देने को तैयार नहीं हुई जिस कारण परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद के दौरान जवाबदावा प्रस्तुत किया गया जिसमें अपीलार्थी/परिवादी के दुकान में चोरी होने के तथ्य से इंकार किया गया। प्रत्यर्थी/विपक्षी के अनुसार उनको चोरी की सूचना होने पर सर्वेयर श्री उमेश चन्द्र वर्मा को जांच करने हेतु नियुक्त किया गया, जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट दिनांकित 21.08.2001 बीमा कम्पनी को उपलब्ध करायी जिसमें यह पाया गया था कि अपीलार्थी/परिवादी के दुकान में वास्तव में चोरी हुई थी। प्रत्यर्थी/विपक्षी के अनुसार सर्वेयर की रिपोर्ट तथा पत्रावली पर उपलब्ध पुलिस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया था कि अपीलार्थी/परिवादी ने फर्जी क्लेम प्राप्त करने हेतु दावेदारी की थी। वास्तव में कोई चोरी नहीं हुई थी। अपीलार्थी/परिवादी ने चोरी गए माल, स्टाक बुक तथा कोई विवरण परिवाद पत्र में अंकित नहीं कराया है। पुलिस विवेचना में मांगे जाने पर तथा सर्वेयर को भी अपीलार्थी/परिवादी उक्त विवरण उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा, अत: उचित प्रकार से बीमा के दावे को निरस्त किया गया है।
4. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय व आदेश दि0 29.03.2005 में पुलिस रिपोर्ट व सर्वेयर के आधार पर चोरी न पाये जाने पर बीमे के दावे को उचित नहीं माना एवं दावे को अस्वीकार किया जाना उचित मानते हुए अस्वीकार किया गया, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गई है।
5. अपील में मुख्य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने बिना साक्ष्य का सम्यक रूप से परिशीलन व विवेचन किए मनमाने तरीके से निर्णय पारित किया है जो निरस्त होने योग्य है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने यह गलत अवधारित किया है कि अभियुक्त का पता नहीं चला तथा पुलिस रिपोर्ट के अनुसार चोरी नहीं हुई थी। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने पुलिस द्वारा चार्जशीट का अवलोकन नहीं किया है तथा सर्वेयर रिपोर्ट को भी ध्यान से नहीं पढ़ा। चार्जशीट द्वारा मुलजिम तसौब्बर उर्फ साहू व प्रदीप गिरी का चालान किया गया था। सर्वेयर ने मामले में गलत आख्या दी है। सर्वेयर रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से था कि न्यायालय द्वारा चोरी की रिपोर्ट गलत या सही दिया जाना सम्भव है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा चोरी की गई दवाओं की कीमत 95,795/-रू0 तथा नकद रू04500/- चोरी किए जाने का कथन किया गया है। इन कथनों को नजरंदाज करते हुए प्रश्नगत निर्णय व आदेश पारित किया गया है।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
7. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इन आधारों पर वाद खारिज किया है कि पुलिस विवेचना में अपीलार्थी/परिवादी के यहां चोरी होने की घटना की पुष्टि नहीं हुई है। इस सम्बन्ध में अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि अभियुक्तगण तसौब्बर तथा प्रदीप गिरी नामक व्यक्तियों के विरुद्ध चार्जशीट की गई है। सम्बन्धित प्रथम सूचना रिपोर्ट का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि यह प्रथम सूचना रिपोर्ट वेद प्रकाश गुप्ता नामक व्यक्ति ने अपनी दुकान में चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करायी है। रिपोर्ट में मात्र एक जगह उल्लेख है कि इसी प्रकार ''सरस्वती मेडिकल स्टोर'' में भी उसका शटर उठाकर चोरी हुई है। उक्त अपीलार्थी/परिवादी वेद प्रकाश गुप्ता ने अपनी दुकान एस0के0 एजेंसी चोरी होना दर्शाया है जिसके सम्बन्ध में मुकदमा अपराध सं0- 288/1999 दर्ज हुआ है एवं अभियुक्तगण तसौब्बर उर्फ साहू तथा प्रदीप गिरी पर आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। इस प्रकार जो प्रथम सूचना रिपोर्ट व आरोप पत्र की प्रतिलिपियॉं अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गई हैं वह उक्त वाद के परिवादी ''वेद प्रकाश गुप्ता'' के दुकान के सम्बन्ध में चोरी होने को प्रथम दृष्टया साबित करती है। स्वयं अपीलार्थी/परिवादी की दुकान ''सरस्वती मेडिकल स्टोर'' में चोरी होने की पुष्टि आरोप पत्र से नहीं होती है। इस सम्बन्ध में पुलिस विवेचना में क्या उल्लेख आया है? इसका भी कोई साक्ष्य अथवा प्रथम दृष्टया साक्ष्य नहीं आया है जब कि यह तथ्य अपीलार्थी/परिवादी को ही सिद्ध करना है कि उसकी दुकान में वास्तव में चोरी हुई और अमुक वस्तुयें, दवाइयॉं आदि चोरी हुईं, जिनका विवरण तथा साक्ष्य भी अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिया जाना है। प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से कथन किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादी, पुलिस-विवेचना तथा सर्वेयर रिपोर्ट यह विवरण देने में असमर्थ रहे हैं कि जिससे स्पष्ट होता है कि पुलिस अपनी विवेचना में विवरण के अभाव में अपीलार्थी/परिवादी की दवाइयों की दुकान में चोरी होने की पुष्टि नहीं कर सकी है। यह अपीलार्थी/परिवादी का दायित्व था कि पुलिस के विवेचना में आये उक्त विवरण को अपने साक्ष्य से तथा कम-से-कम प्रथम दृष्टया रूप से साबित करता इससे उसके बीमे की दावेदारी पुष्टि हो सकती थी।
8. किन्तु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। यह तथ्य भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी/परिवादी ने न तो विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपने परिवाद में न ही बीमा कम्पनी के समक्ष अपनी दुकान में हुई चोरी के माल का विवरण दिया है। पुलिस के समक्ष भी यह विवरण अपीलार्थी/परिवादी द्वारा नहीं दिया गया।
9. उपरोक्त परिस्थितियों में अपीलार्थी/परिवादी के दुकान की चोरी का स्पष्ट विवरण न आने तथा साक्ष्य से पुष्ट न होने के आधार पर प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उचित प्रकार से बीमे के क्लेम को अस्वीकार किया गया है एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा भी बीमा कम्पनी के उक्त निर्णय को पुष्ट किया गया है और अपीलार्थी/परिवादी की ओर से स्पष्ट साक्ष्य न आने के कारण उक्त निर्णय उचित प्रतीत होता है जिसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता अपील के स्तर पर नहीं प्रतीत होती है, अतएव प्रश्नगत निर्णय व आदेश पुष्ट होने योग्य एवं अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
10. अपील निरस्त की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है तथा अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0, कोर्ट नं0-2