राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
परिवाद सं0-78/2011
किसान सहकारी चीनी मिल्स लि0, स्नेह रोड, नजीबाबाद, जिला बिजनौर।
........... परिवादी।
बनाम
सीनियर ब्रान्च मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0, ब्रान्च आफिस, बिजनौर।
............ विपक्षी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित:श्री जय प्रकाश मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित: श्री टी0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 10-04-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध अग्निकाण्ड के कारण कारित क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 37,96,095/- रू0 25 प्रतिशत ब्याज के साथ, मानसिक प्रताड़ना व क्षतिपूर्ति के मद में अंकन 05.00 लाख रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 35,000/- रू0 प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने चीनी मिल के बगास (खोई) का बीमा कराया था, जो गन्ना पिलाई के पश्चात बची रहती है, जिसे सुखाकर अग्नि जलाने के काम में लाया जाता है। यह पालिसी दिनांक 01-01-2010 से 31-12-2010 तक के लिए ली गई थी, जिसका प्रीमियम 3,413/- रू0 अदा किया गया था। बीमित राशि अंकन 75,00,000/- रू0 थी। दिनांक 11-04-2010 को बगास में आग लग गई।
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दिनांक 12-04-2010 के पत्र द्वारा बीमा कम्पनी को सूचित किया गया और टेलीफोन के माध्यम से भी सूचना दी जा चुकी थी। बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर श्री संजय गोयल को नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा दी गई रिपोर्ट संलग्नक सं0-2 है। सर्वेयर को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए थे। फायर ब्रिगेड को भी सूचना दी गई थी। इस अग्निकाण्ड का कारण ट्रक के साइलेंसर से आग लगना अंकित किया गया था। फायर ब्रिगेड द्वारा यह अंकित किया गया था कि ट्रक के साइलेंसर से आग लगी है, जो पास में ही खड़ा हुआ था तथा अंकन 20.00 लाख रू0 की क्षति का आंकलन किया गया। इस रिपोर्ट की प्रति संलग्नक सं0-6 है। बीमा कम्पनी से बार-बार बीमा क्लेम अदा करने के लिए अनुरोध किया जाता रहा, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया। इसलिए वर्तमान परिवाद प्रस्तुत किया गया।
परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक सं0-1 लगायत 15 प्रस्तुत किए गए हैं।
बीमा कम्पनी की ओर से लिखित कथन में बीमा पालिसी जारी करना स्वीकार किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार बगास, जिसकी क्षति कारित हुई, की कुल कीमत अंकन 9.55 लाख रू0 थी, जबकि 37,96,095/- रू0 का क्लेम प्रस्तुत किया गया। दिनांक 15-09-2010 को फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट की प्रति स्वयं परिवादी द्वारा प्रेषित की गई, इसलिए बीमा कम्पनी की ओर से देरी कारित नहीं हुई। बीमा पालिसी की शर्तों के उल्लंघन के आधार पर बीमा क्लेम नकारा गया है, जो विधि सम्मत है।
लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक सं0-ए-1 लगायत ए-4 प्रस्तुत किए गए हैं।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों/साक्ष्यों का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया।
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इस परिवाद के निस्तारण के लिए सर्वप्रथम इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या आग यथार्थ में दुर्घटनावश लगी या स्वयं परिवादी के स्तर पर लापरवाही कारित की गई ?
परिवादी द्वारा सशपथ कथन किया गया है कि बगास के ढेर के पास ही बगास के लदान एवं उतार के लिए ट्रक खड़ा हुआ था, जिसके साइलेंसर से निकलने वाली चिनगारियों के कारण आग लगी। बगास के ढेर के पास चालू हालत में ट्रक खड़ा करना और ट्रक के साइलेंसर से आग की चिनगारियॉं निकलने लगीं और उन चिनगारियों के कारण बगास के ढेर में आग लगना, इस तथ्य का परिचायक है कि परिवादी तथा उसके कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अग्निकाण्ड की घटना हुई, जिसके लिए बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति हेतु उत्तरदायी नहीं है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गई कि फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के अनुसार भी ट्रक के साइलेंसर से चिनगारी निकलने के कारण अग्निकाण्ड की घटना घटित हुई। इस रिपोर्ट पर स्वयं परिवादी द्वारा विश्वास किया गया है। इस रिपोर्ट में चिनगारियों के कारण आग लगने का तथ्य अंकित है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है कि परिवाद पत्र में तथा शपथ पत्र में यह कथन है कि जिस ट्रक के साइलेंसर से चिनगारियॉं निकलीं, वह ट्रक बगास के ढेर के पास खड़ा हुआ था, जो चालू हालत में था। बगास के ढेर के पास चालू हालत में ट्रक खड़ा करना परिवादी तथा उसके कर्मचारियों की लापरवाही का द्योतक है, इसलिए फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के आधार पर भी स्वयं परिवादी तथा उसके कर्मचारियों की लापरवाही जाहिर होती है।
सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि चिनगारियॉं रोकने के लिए आवश्यक संसाधनों को प्रयोग में नहीं लाया गया। यदि ये संसाधन प्रयोग में लाये जाते तो चिनगारियों को रोककर अग्निकाण्ड की घटना से
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बचा जा सकता था और तदनुसार बगास की हानि से बचा जा सकता था। इसी आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम नकारा गया है, जो इस पीठ की दृष्टि में परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अनुसार विधि सम्मत है।
परिवादी की ओर से नजीर न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व अन्य बनाम मुदित रोडवेज, (2024) 3 सुप्रीम कोर्ट केसेज 193 प्रस्तुत की गई, जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि रेपूडेशन लैटर में जो आधार लिया गया है, बीमा कम्पनी उससे बाहर नहीं जा सकती है।
वर्तमान मामले में बीमा कम्पनी ने रेपूडेशन लैटर के बाहर कोई बचाव नहीं लिया है। बीमा कम्पनी द्वारा ब्रोशर आदि से सम्बन्धित कोई आपत्ति नहीं की गई है। बीमा कम्पनी द्वारा केवल यह कथन किया गया है कि स्वयं परिवादी तथा उसके कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अग्निकाण्ड की घटना घटित हुई है। बगास के ढेर के पास चालू हालत में ट्रक खड़ा रखना तथा उसके साइलेंसर से निकली चिनगारियों को रोकने के लिए आवश्यक संसाधनों का प्रयोग न करना स्वयं परिवादी तथा उसके कर्मचारियों की लापरवाही है।
इसी प्रकार परिवादी की ओर से एक अन्य नजीर ओसवाल प्लास्टिक इण्डस्ट्रीज बनाम मैनेजर, लीगल डिपार्टमेण्ट एन0ए0आई0सी0ओ0 लिमिटेड, 2023 लाइवलॉ (एससी) 34 में पारित निर्णय की प्रतिलिपि प्रस्तुत की है। इस केस के तथ्यों के अनुसार बीमित माल के मूल्य के आधार पर क्षतिपूर्ति का आदेश दिया गया।
यह नजीर वर्तमान मामले में सुसंगत नहीं है, क्योंकि यथार्थ में मूल्य के बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। परिवादी एवं उसके कर्मचारियों द्वारा बगास के पास लापरवाही से चालू हालत में ट्रक खड़ा किया गया, जिसके साइलेंसर से निकलने वाली चिनगारियों को रोकने के लिए आवश्यक संसाधनों का प्रयोग नहीं किया गया। स्पष्टत: वर्तमान मामले
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कथित अग्निकाण्ड के लिए परिवादी एवं उसके कर्मचारियों की लापरवाही साबित है, इसलिए बीमा कम्पनी बगास की क्षति के लिए कोई धनराशि देने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
तदनुसार वर्तमान परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान परिवाद खारिज किया जाता है।
परिवाद व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 10-04-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.