Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1049

Anjana Yadav - Complainant(s)

Versus

U I I Co - Opp.Party(s)

R K Mishra

26 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1049
( Date of Filing : 29 May 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Anjana Yadav
a
...........Appellant(s)
Versus
1. U I I Co
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Nov 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1049/2008

श्रीमती अंजना यादव पत्‍नी श्री राजेश यादव

बनाम   

यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0  

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 मिश्रा, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री वी0पी0 शर्मा, विद्धान अधिवक्‍ता  

दिनांक :26.11.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.      परिवाद सं0-5300/2000, श्रीमती अंजना यादव बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 मे विद्धान जिला आयोग,  गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.05.2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुना गया। पत्रावली एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।   
  2.            जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि दुर्घटना की तिथि पर परिवादिनी के पास वैध चालक लाइसेंस नहीं था, इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है।
  3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार वाहन सं0 यू0पी0 14-6765 का बीमा दिनांक 15.03.1999 से 14.03.2000 की अवधि के लिए कराया गया था, जो दिनांक 01.05.1999 को गोवर्धन से मथुरा आते समय पलट गयी और गड्ढे में गिरने के कारण क्षतिगस्‍त हो गया। विपक्षी के समक्ष क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, उनके द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। वाहन की मरम्‍मत में 1,36,700/-रू0 तथा पारिश्रमिक के मद में अंकन 37,700/-रू0 खर्च हुआ, परंतु बीमा क्‍लेम डी0एल0 न होने के आधार पर निरस्‍त कर दिया गया।
  4.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने भी यह निर्धारित किया कि दुर्घटना की तिथि को वैध डी0एल0 नहीं था।
  5.          इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि दुर्घटना के पूर्व डी0एल0 समाप्‍त हो चुका था, जिसे नवीनीकरण के लिए आवेदन दिया गया था, जो दिनांक 11.05.1999 से 10.05.2002 की अवधि नवीनीकृत किया गया, डी0एल0 11 वर्ष पूर्व बना था। दुर्घटना के पश्‍चात  भी पूर्व में 08.04.1996, 07.04.1999 की अवधि के लिए डी0एल0 का नवीनीकरण हुआ था। दस्‍तावेज सं0 36 पर डी0एल0 की प्रति मौजूद है, जिससे जाहिर होता है कि डी0एल0 का नवीनीकरण कराया गया है। अत: नवीनीकरण होने की स्थिति में दुर्घटना की तिथि को भी वैध डी0एल0 माना जायेगा। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वार वैध डी0एल0 न होने के कारण परिवाद निरस्‍त करने का आदेश अनुचित है।
  6.        प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से  नजीर नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम गिरीश व तीन अन्‍य प्रस्‍तुत की गयी है। पुनरीक्षण आवेदन सं0 958/2020 का निस्‍तारण करते हुए माननीय एनसीडीआरसी  में यह व्‍यवस्‍था दी गयी है कि ड्राइवर के पास दिनांक 29.03.2011 से दिनांक 28.03.2014 की अवधि के लिए जो डी0एल0 था, उस पर दुर्घटना की तिथि दिनांक 04.12.2016 को संबंधित प्राधिकारी का पृष्‍ठांकन नहीं था। उपरोक्‍त केस में डी0एल0 दिनांक 29.03.2011 से 28.03.2014 की अवधि के लिए मान्‍य था, जबकि दुर्घटना दिनांक 04.12.2016 को हुई थी। प्रस्‍तुत केस में प्रारंभ में डी0एल0 दिनांक 11.01.1988 से 10.01.1991 तक वैध था, इसके पश्‍चात दिनांक 15.03.1992 से दिनांक 14.09.1996 तक वैध रहा। दिनांक 08.04.1996 से दिनांक 07.04.1999 तक वैध रहा। इसके पश्‍चात दिनांक 11.05.1999 से दिनांक 10.05.2002 तक वैध रहा। दुर्घटना की तिथि दिनांक 01.05.1999 है, जबकि 07.04.1999 तक वाहन चालक के पास वैध डी0एल0 था। दिनांक 11;05.1999 को नवीनीकरण हुआ है। अत: यह नवीनीकरण निरंतरता में माना जायेगा। अत: स्‍पष्‍ट है कि दुर्घटना की तिथि को वैध डी0एल0 मौजूद था।
  7.        अब इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्षतिपूर्ति की क्‍या राशि होनी चाहिए?  स्‍वयं बीमा कम्‍पनी द्वारा अंकन 49,176/-रू0 का क्षति का आंकलन किया है। चूंकि परिवादी की ओर से मरम्‍मत में खर्च राशि की कोई रसीद प्राप्‍त नहीं करायी गयी है। अत: इस स्थिति में सर्वेयर द्वारा क्षति का आंकलन किया गया है, उसी राशि को दिलाये जाने का आदेश पारित करना विधिसम्‍मत है।  
  8.  

          अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि बीमा कम्‍पनी, अपीलार्थी/परिवादी को बीमित वाहन की दुर्घटना में कारित क्षति की पूर्ति के लिए सर्वेयर द्वारा आंकलित राशि अंकन 49,176/-रू0 अदा करे तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज भी अदा करे तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी बीमा कम्‍पनी द्वारा अदा किया जाए।

                उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

       प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

       आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।        

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

          संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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