(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1756/2009
Alok Pandey S/O Sri R.D. Pandey
Versus
M/S United India Insurance Co. Ltd
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :31.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-60/2008, आलोक पाण्डेय बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 में विद्वान जिला आयोग, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.09.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि बीमा क्लेम की औपचारिकतायें नियमानुसार परिवादी द्वारा पूरी नहीं की गयी, इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई लापरवाही नहीं की गयी है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 28.05.2006 की रात्रि में लगभग 9.30 बजे बीमित वाहन सं0 यूपी 84बी 4687 विवाह समारोह में चोरी हो गयी। दिनांक 28.05.2006 को कोतवाली मैनपुरी में सूचना दी गयी, परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसके बाद सी0जे0एम0 मैनपुरी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिस पर पारित आदेश के आधार पर दिनांक 11.01.2007 को मुकदमा पंजीकृत हुआ। विवेचना के बाद पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गयी। कलेम प्रस्तुत किया गया, परंतु बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया न ही क्लेम का निस्तारण किया गया।
4. बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवादी की लापरवाही से बीमित वाहन चोरी हुआ है। परिवादी द्वारा अवैधानिक रूप से चाभी बनवायी गयी है। चोरी होने के बाद मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। अंतिम रिपोर्ट स्वीकार करने का आदेश बीमा कम्पनी को प्राप्त नहीं कराया गया है। कम्पनी के पक्ष में लेटर आफ सब्रोगेशन नहीं लिखा गया है। लेटर आफ इन्डेमिनिटी तथा पॉवर आफ एटार्नी भी नहीं दी गयी, इसलिए बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं हो सका। बीमा कम्पनी द्वारा लिये गये आधारों को जिला उपभोक्ता आयोग ने साबित मानते हुए परिवाद खारिज किया है।
5. अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पर विचार नहीं किया। परिवादी द्वारा सभी दस्तावेज बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये गये थे, परंतु अवैधानिक रूप से बीमा क्लेम नकार दिया गया है।
6. परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार बीमित वाहन दिनांक 28.05.2006 को चोरी हो हुआ है। इस तिथि को पुलिस के समक्ष रिपोर्ट लिखाने के संबंध में की गयी कार्यवाही का कोई विवरण परिवाद पत्र में अंकित नहीं किया गया है। केवल यह उल्लेख है कि लिखित में सूचना दी गयी थी, परंतु लिखित सूचना की प्रति प्राप्त नहीं करायी गयी है। यदि पुलिस द्वारा सूचना नहीं लिखी गयी तब पुलिस अधीक्षक को तत्समय धारा 154 सीआरपीसी के प्रावधान के अनुसार कोई शिकायत नहीं की गयी है। धारा 156 (3) के आवेदन में 2006 को एस0पी0 को सूचना भेजे जाने का उल्लेख है, परंतु एस0पी0 को सूचना उसी दिन दी जानी चाहिए, जिस दिन पुलिस द्वारा लिखित तहरीर लेने के बावजूद दर्ज नहीं की, इसलिए बाद में सूचना भेजा जाना विधिक राय पर आधारित है। अत: त्वरित रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का तथ्य साबित नहीं है और तदनुसार बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है, चूंकि परिवादी द्वारा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। यही कारण है कि बीमा कम्पनी को परिवादी के स्तर से समस्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये हैं, जिसके कारण क्लेम का निस्तारण नहीं हो सका, परंतु प्रस्तुत परिवाद खारिज करने के बजाए क्लेम का निस्तारण करने का आदेश पारित किया जाना चाहिए था। अत: यह अपील आंशिक रूप से इस प्रकार स्वीकार होने योग्य है कि बीमा कम्पनी द्वारा एक माह के अंदर बीमा क्लेम का निस्तारण गुणदोष पर किया जाए।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह बीमा क्लेम का निस्तारण एक माह के अंदर गुणदोष पर किया जाए।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2