/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)/
प्रकरण क्रमांक:- सी.सी./2014/50
प्रस्तुति दिनांक:- 14/03/2014
कमल किशोर पटेल, आ. नेहरूलाल पटेल,
उम्र लगभग 30 वर्ष, पेशा-वकालत,
निवासी फ्लैट नं. 202 सप्तश्रृंगी अपार्टमेंट,
पुराना बस स्टैण्ड के पास, बिलासपुर ............आवेदक/परिवादी
(विरूद्ध)
1.यू.बी. इंश्योरंेस एसोसियेट (एप्स डेली क्लेम डिवीजन)
एस 204 एवं 205 सूरज प्लाजा, 196/8, 25 वां क्रास,
8 वां मेन, जयनगर, तीसरा ब्लाक, बैंगलौर, 56011 कर्नाटक
दूरभाष क्रमांक 08041258884/08041258885
2. न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमि0
2-बी, यूनिटी, बी एल डी जी एस एन्नेक्स पी. कलींगा राॅय रोड़,
बैंगलौर 560027
3. शंकर आहुजा, प्रोपाईटर, आहुजा मोबाईल,
सूर्या हाॅटल के नीचे, पुराना बस स्टैण्ड,
बिलासपुर, जिला बिलासपुर छ0ग0 ..........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
(आज दिनांक 04/03/2015 को पारित)
1. आवेदक कमल किशोर पटेल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से मोबाईल रिपेयरिंग का खर्च 19,500/-रू. को क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 29.11.2013 को अनावेदक क्रमांक 3 के दुकान से 41,900/-रू. में आई फोन कंपनी का मोबाईल क्रय किया और अनावेदक बीमा कंपनी से उसका बीमा कराया। बीमा अवधि में उक्त मोबाईल के स्क्रीन डेमेज होने पर आवेदक, अनावेदक क्रमांक 3 के माध्यम से बीमा कंपनी से बात किया । बीमा कंपनी द्वारा उसे ईमेल के जरिए फार्म उपलब्ध कराया गया। साथ ही रिपेयरिंग कोटेशन बिल, केनसल्ड चेक, पेन कार्ड एवं डेमेज मोबाईल का फोटो भेजने का निर्देश दिया गया, जिसका आवेदक द्वारा परिपालन किया गया, किंतु अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आई फोन के अधिकृत सर्विस सेंटर के .एन.एस. टेक्नालाॅजी रायपुर के कोटेशन को मान्य नहीं किया गया, फलस्वरूप आवेदक द्वारा पुनः दिनांक 21.02.2014 को आहूजा मोबाईल से कोटेशन कर भेजा गया, किंतु उसके बाद भी उसे क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया, अतः उसके द्वारा यह परिवाद पेश करना बताया गया है।
3. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा पृथक-पृथक जवाब पेश कर परिवाद का विरोध समान रूप से इस आधार पर किया गया कि आवेदक की शिकायत पर उनके द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध कर कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर का कोटेशन मांग किया गया, किंतु आवेदक द्वारा अनाधिकृत सर्विंस सेंटर का कोटेशन पेश किया गया। फलस्वरूप आवेदक के पाॅलिसी शर्तों के अनुरूप कार्य नहीं किए जाने के कारण वह कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं । साथ ही यह भी कहा गया कि उनके द्वारा बाजार मूल्य के आधार पर प्रश्नाधीन मोबाईल के वास्तविक क्षति का आंकलन 7,670/-रू. किया गया और उसकी सूचना भी आवेदक को प्रदान की गई, किंतु उसके बाद भी आवेदक द्वारा अधिकृत सर्विस सेंटर में प्रश्नाधीन मोबाईल नहीं दिया गया है। उक्त आधार पर उन्होंने सेवा में कमी से इंकार करते हुए आवेदक का परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
4. अनावेदक क्रमांक 3 की ओर से प्रकरण में कोई जवाबदावा पेश नहीं किया गया है।
5. अनावेदक क्रमांक 1 व 3 की अनुपस्थिति के कारण आवेदक तथा अनावेदक क्रमांक 2 के अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है। प्रकरण का अवलोकन किया गया।
6. देखना यह है कि क्या अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक को क्षतिपूर्ति का भुगतान न कर सेवा में कमी की गई ?
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदक द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी से प्रश्नाधीन मोबाइ्रल का बीमा कराए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है।
8. आवेदक का कथन है कि बीमा अवधि में मोबाईल का स्क्रीन डेमेज होने पर उसने दुकानदार के माध्यम से अनावेदक बीमा कंपनी से संपर्क किया और बीमा कंपनी के निर्देश पर फार्म भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया, किंतु उसके बाद भी बीमा कंपनी द्वारा उसे क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया और इस प्रकार सेवा में कमी की गई, फलस्वरूप उसने यह परिवाद पेश करना बताया है।
9. इसके विपरीत अनावेदक बीमा कंपनी का कथन है कि उनके द्वारा आवेदक की शिकायत पर प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर का कोटेशन मांग किया गया, किंतु आवेदक द्वारा अधिकृत सर्विस सेंटर के बजाए अनाधिकृत सर्विस संेटर का कोटेशन पेश किया गया, जो मान्य नहीं था। आगे यह भी कहा गया है कि आवेदक द्वारा अधिकृत सर्विस सेंटर का कोटेशन प्रस्तुत नहीं करने के बाद भी उनके द्वारा बाजार मूल्य पर प्रश्नाधीन मोबाईल की क्षति का आंकलन 7,670/-रू. में किया गया और उसकी सूचना आवेदक को दी गई, किंतु उसके बाद भी आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन मोबाईल अधिकृत सर्विस सेंटर में नहीं दिया गया।
10. अनावेदक के उपरोक्त कथन का कोई विरोध आवेदक की ओर से मामले में नहीं किया गया है, फलस्वरूप यह तथ्य स्पष्ट होता है कि आवेदक द्वारा मामले में सही तथ्य को छुपाया गया है। अतः हमारे मतानुसार आवेदक इस मामले में अनावेदक द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की राशि ही प्राप्त करने का अधिकारी है।
11. अतः हम निम्न आदेश पारित करते हैं:-
अनावेदक, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह के भीतर 7,670/-रू. (सात हजार छः सौ सत्तर रूपये) की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करेगा तथा इसमें चूक की दशा में आवेदक को उक्त रकम पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा। इसके अलावा प्रकरण की परिस्थिति में आवेदक अन्य कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य