ASHOK VARMA filed a consumer case on 08 Aug 2014 against TULIP GLOBLE PVT. LTD in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is CC/1330/2012 and the judgment uploaded on 22 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 1330/2012
अशोक वर्मा पुत्र श्री मदन लाल वर्मा, आयु 36 वर्ष, निवासी ग्राम गीला की नांगल, पोस्ट नायला पुलिस थाना कानोता, तहसील बस्सी, जिला जयपुर, राजस्थान
परिवादी
ं बनाम
1. टुलिप ग्लोबल प्राईवेट लिमिटेड जरिए प्रोपराईटर, 305, तीसरी मंजिल, जयपुर टावर, अकाशवाणी भवन के सामने, एम.आई.रोड़, जयपुर 302001
2. युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए रीजनल मैनेजर, सहारा चैम्बर्स, टोंक रोड़, जयपुर (राज0) 302015
3. युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए मैनेजिंग डायरेक्टर, ए-501, गणेश प्लाजा, नवरंगपुरा, अहमदाबाद 38009
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री बाबू लाल शर्मा - परिवादी
श्री नवीन सिघंल - विपक्षी सॅंख्या 1
श्री अमित कुमार चैधरी - विपक्षी सॅंख्या 2 व 3
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 07.11.12
आदेश दिनांक: 18.02.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा एक मुश्त राशि का भुगतान कर प्राप्त किया था । विपक्षी सॅंख्या 1 से प्राप्त व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा सर्टिफिकिट विपक्षी सॅंख्या 3 के द्वारा दिनांक 05.06.2009 को जारी किया गया था जिसकी अवधि 05.06.2009 से 04.06.2013 थी । दिनांक 21.04.2010 को इलेक्ट्रिक शोक से परिवादी दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में फै्रक्चर हो गया और काफी समय तक एस.एम.एस हाॅस्पिटल में ईलाज चला और दिनांक 11.05.2010 को परिवादी का मेजर आॅपरेशन हुआ तथा परिवादी ने अपनी एम.आई.भी करवाई परन्तु डी.एल.स्पाईन इंजरी होने के कारण परिवादी का कमर बंद से नीचे का पुरा हिस्सा काम नहीं करता है तथा वह परमानेंट डिसएबल हो गया है । परिवादी आज भी जैर ईलाज है जो चलने फिरने में पूरी तरह असमथर््ा है तथा नित्यकर्म के लिए एक व्यक्ति की आवश्यकता रहती है ।जिसकी सूचना तुरन्त विपक्षीगण को दे दी गई थी । विपक्षीगण द्वारा वर्ष 2010 के लिए वार्षिक राशि 25000/-रूपए परिवादी को दिए गए थे जो परिवादी को प्राप्त हो गए हैं । मेडिकल बोर्ड द्वारा परमानेंट डिसएबलमेंट सर्टिफिकिट जारी किया गया है । क्लेम राशि प्राप्त करने के लिए दिनांक 15.09.2011 को समस्त दस्तावेज के साथ क्लेम के लिए प्रार्थना-पत्र विपक्षी सॅंख्या 1 के द्वारा विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 के यहां भिजवाया गया था । विपक्षीगण ने आज तक क्लेम के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की ना ही क्लेम राशि अदा की गई है । परिवादी ने विपक्षी से स्थाई अपंगता के पेटे 1,00,000/- रूपए, वर्ष 2011 व 2012 के लिए प्रतिवर्ष 25000/- रूपए के हिसाब से 50,000/- रूपए, हैरानी-परेशानी व मानसिक संताप के पेटे 1,00,000/- रूपए, परिवाद व्यय के 11000/-रूपए, नोटिस खर्च के 2100/-रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से परिवादी को एक व्यक्तिगत दुर्घटना पाॅलिसी उपलब्ध करवाया जाना स्वीकार किया गया है । विपक्षी का कथन है कि मई 2010 को हुई दुर्घटना के फलस्वरूप परिवादी को बीमा कम्पनी ने 25000/- रूपए स्वीकृत कर दिए थे । विपक्षी संख्या 1 का कथन है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत क्लेम को विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 ने निस्तारित नहीं किया है इसमें विपक्षी सॅंख्या 1 की कोई गलती नहीं है ना ही विपक्षी सॅंख्या 1 के कारण परिवादी को कोई सेवादोष कारित नहीं हुआ है । विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से परिवाद उसके विरूद्ध खारिज किए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 की ओर से परिवादी द्वारा बीमा करवाना जाना स्वीकार किया गया है । विपक्षी का कथन है कि एक्सीडेंट डेथ, परमानेंट टोटल डिसएबिलिटी, परमानेंट डिसएबिलिटी हेतु अधिकतम 1 लाख रूपए व दुर्घटना के परिणामस्वरूप बीमित अवधि में हर वर्ष होने वालेे हाॅस्पीटलाईजेशन खर्च की राशि के पुनर्भरण हेतु अधिकतम 25000/- रूपए पर बीमा करवाया गया था । विपक्षी का कथन है कि विपक्षी सॅंख्या 1 द्वारा विपक्षी सॅंख्या 3 को प्राप्त क्लेम दावा प्रपत्र क्लेम दावा सूचना पत्र व उसके साथ संलग्न परिवादी के दिनांकि 23.05.2011 के स्थायी निर्योग्यता प्रमाण पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा केवल मात्र डिसएबिलिटी का क्लेम विपक्षी कम्पनी के समक्ष पेश किया गया था वर्ष 2011 व 2012 के दौरान हाॅस्पीटलाईजेशन होने व 2011 व 2012 के ईलाज के कोई बिल उक्त क्लेम दावा प्रपत्र के साथ संलग्न कर बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं करवाए गए थे । विपक्षी का कथन है कि डिसएबिलिटी के क्लेम पर सद्भावनापूर्वक अवलोकन करते हुए पैनल के डाॅक्टर से फिजिकल इन्सपेक्शन करवाए जाने के लिए परिवादी से बार-बार निवेदन किया परन्तु परिवादी ने असमर्थता जताई और बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का फिजिकल इन्सपेकशन अपने पैनल डाॅक्टर से करवाए बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है तथा परिवाद प्री-मैच्योर स्टेज पर प्रस्तुत किया गया है जो खारिज किए जाने योग्य है ।
मंच दोनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 1 के जरिए प्रीमियम राशि जमा करवा कर विपक्षी सॅंख्या 2 बीमा कम्पनी से एक बीमा पाॅलिसी प्राप्त की थी जिसकी अवधि 05.06.2009 से 04.06.2013 की मध्य रात्रि तक थी । पाॅलिसी के अन्तर्गत स्थाई विकलांगता पर 1,00,000/- रूपए देय था तथा दुर्घटना के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 25000/- रूपए हर वर्ष देय थे । यह भी निर्विवादित है कि परिवादी बीमा अवधि में इलेक्ट्रिक शाॅक से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिससे उसकी रीड की हड्डी में फे्रैक्चर हो गया और वह एस.एम.एस. अस्पताल, जयपुर में भर्ती रहा । परिवादी ने बीमा राशि प्राप्त करने हेतु विपक्षी सॅंख्या 1 के जरिए अपना बीमा विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 को प्रस्तुत किया लेकिन विपक्षी सॅंख्या 2 ने परिवादी के बीमा दावे में से केवल 25,000/- रूपए अस्पताल के खर्चे के अदा किए लेेकिन 1,00,000/- रूपए स्थाई अपंगता के पेटे अदा नहीं किए और द्वितीय वर्ष के 25000/- रूपए अदा नहीं किए ।
विपक्षी सॅंख्या 1 का कथन है कि बीमा स्वीकृत करने का अधिकार विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 को था और उसने परिवादी द्वारा बीमा दावा पेश करने पर समस्त दस्तावेजात विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 को भेज दिए थे तथा यह उनका दायित्व था कि वह परिवादी के बीमा दावे का निस्तारण करते । विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 का कथन है कि परिवादी ने उनके समक्ष इलाज से सम्बन्धित कोई दस्तावेजात प्रस्तुत नहीं किए इसलिए उसके बीमा दावे का निस्तारण नहीं हो पाया ।
प्रस्तुत प्रकरण में एक ओर तो दस्तावेजात के आधार पर विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 ने परिवादी को 25000/- रूपए अस्पताल के खर्चे के दिए हैं तथा दूसरी ओर वह दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना बताता है । यह दोनों विरोधाभाषी कथन है जिन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है । इसके अलावा जब परिवादी ने 1,00,000/- रूपए का बीमा कवर लिया था तो उसका क्लेम प्राप्त नहीं करने की इच्छा उसकी नहीं हो सकती है । पत्रावली पर उपलब्ध रिकाॅर्ड से साबित है कि सवाई मानसिंह अस्पताल जो कि एक प्रतिष्ठित अस्पताल है उसके द्वारा परिवादी की अपगंता 70 प्रतिशत से अधिक आंकी गई थी । जिस पर अविश्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है । इसकेे अलावा परिवादी के चिकित्सा बिल भी रिकाॅर्ड पर उपलब्ध हैं । विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 ने परिवादी का बीमा दावा स्वीकार नहीं कर सेवादोष कारित किया है जिससे स्वभाविक है कि परिवादी को मानसिक संताप और आर्थिक हानि झेलनी पड़ी है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 पृथक-पृथक व सम्मिलित रूप से आज से एक माह की अवधि में परिवादी को स्थाई विकलांगता के लिए बीमित धन राशि 1,00,000/- रूपए अक्षरे एक लाख रूपए व द्वितीय वर्ष की चिकित्सा खर्च की राशि 25000/- रूपए अक्षरे पच्चीस हजार रूपए कुल 1,25,000/- रूपए अक्षरे एक लाख पच्चीस हजार रूपए तथा इस राशि पर दुर्घटना की दिनांक 21.04.2010 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेंगे । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेंगे। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य अध्यक्ष
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