राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :3605/1999
(जिला मंच, श्रावस्ती द्धारा परिवाद सं0 19/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.8.1999 के विरूद्ध)
1 Executive Engineer, Electricity Distribution Division, U.P. Power Electricity Board, Behraich,
2 Junior Engineer, Electricity Sub Distribution Division, U.P. State Electricity Board, Payadpur, Shravasti.
3 U.P. State Electricity Board, Behraich through Executive, Engineer Electricity Distribution Division, Behraich.
........... Appellants/Opp.Parties.
Versus
Triveni Prasad, S/o Keshri Prasad, R/o village Raghurampur, Dakhill Jairaura, Pargana, Ekauna, tehsil Payadpur, Distt. Shravasti.
- Respondent/Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री दीपक मेहरोत्रा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री उमेश कुमार शुक्ला
दिनांक :03/7/2015
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-19/1999 त्रिवेनी प्रसाद बनाम अधिशाषी अभियंता, विद्युत विभाग, बहराइच व अन्य में जिला मंच, श्रावस्ती द्वारा दिनांक 28.8.1999 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को व्यक्तिगत एवं संयुक्त रूप से आदेश दिया जाता है कि वे आदेश प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर परिवादी को हुए मानसिक कष्ट एवं असुविधा की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5,000.00 अदा करें एवं उसका विद्युत कनेक्शन संयोजित करके नियमित विद्युत आपूर्ति उपरोक्त निर्धारित अवधि के अन्दर सुनिश्चित करें। विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वे दिनांक 27.9.1998 से पुनर्सयोजन की तिथितक कोई भी विद्युत मूल्य परिवादी से वसूल नहीं करेंगे।"
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उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित आये। यह प्रकरण वर्ष-1999 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अत: पीठ द्वारा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार परिवादी द्वारा विपक्षी विद्युत विभाग की योजना के अन्तर्गत विद्युत कनेक्शन हेतु दिनांक 28.8.1998 को रू0 600.00 विपक्षी के विभाग में जमा कर कनेक्शन प्राप्त किया एवं विपक्षी सं0-2 द्वारा दिनांक 27.9.1998 को परिवादी के खेत में लगा विद्युत खम्भा, जिससे परिवादी का विद्युत कनेक्शन चल रहा था, को गिरवा दिया और परिवादी का कनेक्शन विच्छेदित हो गया, इस संबन्ध में परिवादी ने सम्बन्धित थानाध्यक्ष को सूचना दिया तथा दिनांक 29.9.1998 को विपक्षी सं0-1 को प्रार्थनापत्र दिया एवं अनेक बार विपक्षी सं0-1 व 2 से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु निवेदन किया, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। अत: परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति प्राप्त किये जाने हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। जिला मंच द्वारा विपक्षीगण को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस निर्गत किया गया, जो वापस नहीं आया। अत: विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया।
उभय पक्ष के अभिवचन एवं तर्कों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा प्रश्नगत उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
अपीलार्थी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया था कि जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सके थे और इस संदर्भ में अपीलार्थी की ओर से यह अभिवचित किया गया कि वर्तमान परिवाद जिला मंच, बहराइच में योजित किया गया था एवं नया जिला श्रावस्ती गठन होने के पश्चात यह परिवाद श्रावस्ती में स्थानांतरित किया गया और दूसरा परिवाद, परिवाद सं0-19/1999 के रूप में पंजीकृत हुआ एवं नया जिला बनने के कारण कोई कार्य नहीं हो रहा था और नियत तिथि को कोई पैरोकार भी विद्युत विभाग का उपस्थित नहीं हुआ था और उसके हस्ताक्षर भी नहीं थे। ऐसी स्थिति में श्री
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शान्ति देव त्रिपाठी, बहराइच द्वारा अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और इस प्रकार वर्तमान प्रकरण में विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा अपने मामले को जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क में बल पाया जाता है।
यहॉ इस बात का उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि प्रत्यर्थी की ओर से यह कहा जाता है कि उसे विद्युत कनेक्शन अभी तक प्राप्त नहीं कराया गया और विद्युत विभाग द्वारा विद्युत उपयोग का बिल भेजा जा रहा है, अत: वर्तमान प्रकरण में यह भी आवश्यक है कि विद्युत का उपभोग परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा किया जा रहा है अथवा नहीं और यदि किया जा रहा है, तो किस तिथि से किया जा रहा है।
अत: वर्तमान प्रकरण में न्यायसंगत यह प्रतीत होता है कि प्रस्तुत प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रति-प्रेषित किये जाने योग्य है कि वे दोनों पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए मामले का निस्तारण त्वरित गति से करना सुनिश्चित करें।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, श्रावस्ती द्धारा परिवाद संख्या-19/1999 त्रिवेनी प्रसाद बनाम अधिशाषी अभियंता, विद्युत विभाग, बहराइच व अन्य में पारित आदेश दिनांक 28.8.1999 को अपास्त करते हुए प्रस्तुत प्रकरण सम्बन्धित जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित किया जाता है कि वे दोनों पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए गुण-दोष के आधार पर परिवाद का निर्णय त्वरित गति से करना सुनिश्चित करें।
इस निर्णय/आदेश की एक-एक सत्य प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाय।
(जे0एन0 सिन्हा) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-3