Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/123/2002

Smt. Meenu Arora - Complainant(s)

Versus

Trivani Nursing Home - Opp.Party(s)

06 Aug 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/123/2002
 
1. Smt. Meenu Arora
R/o Mukesh Kumar Holi Ka Maidaan Bangla Gaon, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Trivani Nursing Home
Add:- Trivani Nursing Home Maharaja Agarasen Public School, Near Baas Mandi, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   परिवादिनी ने इस परिवादी के माध्‍यम से यह अनुतोष मांगा है कि नार्सिग होम में भर्ती शुल्‍क, दवाइयों आदि के लिए परिवादिनी और उसके पति द्वारा अदा  की गई धनराशि 20,000/-  रूपया विपक्षी सं0-1 से परिवादिनी को दिलायी जाऐ। आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक क्षति की मद में 1,00,000/-  रूपये क्षतिपूर्ति तथा  परिवाद व्‍यय की मद में 1000/-  रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं। इस धनराशि पर परिवादिनी ने 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी चाहा है।
  2.  संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि दिनांक 15/07/2002 को परिवादिनी अपने दायें स्‍तन के नीचे ऊपरी एबडोमन में दर्द के इलाज हेतु विपक्षी सं0-1 के नर्सिग होम पर गई। विपक्षी सं0-1 ने अपेन्डिक्‍स के दर्द की शंका जाहिर करते हुऐ, परिवादिनी की गुदा में ऊँगली डालकर जॉंच की। सन्‍तुष्‍ट होने पर कि दर्द अपेन्डिक्‍स  का है, विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी को बताया कि इसके आपरेशन की तुरन्‍त  आवश्‍यकता है, भर्ती होने में और आपरेशन में कुल 5,000/- रूपया खर्च आयेगा। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी एवं उसके पति से कहा कि किसी प्रकार की अन्‍य जॉंच यथा आल्‍ट्रासाउन्‍ड, एक्‍स-रे, खून, पेशाब आदि की आवश्‍यकता नहीं है। परिवादिनी के पति ने उसी दिन विपक्षी सं0-1 के काउन्‍टर पर 5,000/- रूपया नकद जमा कर दिये। दिनांक 15/07/2002 की शाम को विपक्षी सं;-1 ने परिवादिनी  का आपरेशन कर दिया। आपरेशन के बाद परिवादिनी को 3 वैड वाले कमरे में रखा  गया, वहॉं बद इन्‍तजामी थी। कमरे में केवल एक सीलिंग फेन था, कूलर बहुत आवाज कर रहा था, बल्‍ब की रेशनी तेज थी, टायलेट और पीने के पानी का उचित इन्‍तजाम नहीं था। इसी हालत में दिनांक 18/07/2002 तक परिवादिनी विपक्षी सं0-1 के नर्सिग होम में भर्ती रही। आपरेशन से अगले दिन विपक्षी सं0-1  ने  परिवादिनी से कहा कि वह गरम दूध पीऐ, पनीर, मीट, मुर्गा आदि का सेवन करे। दिनांक 19/07/2002 को विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी को डिस्‍चार्ज कर दिया और दवाइयां खाते रहने को कहा। डिस्‍चार्ज होते समय परिवादिनी के पति ने अस्‍पताल में अदा  की गयी रकम 20,000/-  रूपये की रसीद की मांग की तो परिवादिनी से 1000/-  रूपया अतिरिक्‍त अदा करने को कहा गया और परिवादिनी को रसीद नहीं दी गई।  विपक्षी सं0-1 द्वारा बताई गई  दवाइयां परिवादिनी खाती रही, किन्‍तु उसकी हालत  में सुधार नहीं हुआ तब परिवादिनी के पति परिवादिनी को लेकर दिनांक 18/9/2002 को डा0 अशोक कुमार के नर्सिग होम में गये जहॉं परिवादिनी को बताया गया कि उसे अपेन्डिक्‍स नहीं था और अपेन्डिक्‍स हेतु उसका आपरेशन किये जाने की  आवश्‍यकता नहीं थी। परिवादिनी ने अग्रेत्‍तर कहा कि उसे टी0वी0 की कोई बीमारी नहीं थी इसके बावजूद दिनांक 19/07/2002 के पर्चे की पुश्‍त पर विपक्षी सं0-1 ने टी0वी0 की दवाइयां भी लिखीं और परिवादिनी से उनका सेवन करने को कहा। डा0 अशोक कुमार ने परिवादिनी को टी0वी0 होने की पुष्टि की और उसका इलाज शुरू  किया जिससे परिवादिनी को फायदा होने लगा। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी सं0-1 ने अपेन्डिक्‍स न होते हुऐ भी अपेन्डिक्‍स हेतु उसका आपरेशन कर नर्सिग होम   में सुविधाऐं न देकर एवं  विपक्षी सं0-1 के नर्सिग होम में खर्च हुऐ 20,000/- रूपया न देकर सेवा में कमी की है। परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 को कानूनी नोटिस भी दिनांक 25/10/2002 को  दिलवाया, किन्‍तु विपक्षी सं0-1 ने उसका कोई जबाब नहीं  दिया। परिवादिनी के अनुसार मजबूर होकर उसे फोरम की शरण लेनी पड़ी। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष लिाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/7 दाखिल किया उसके साथ 2 संलग्‍नक भी प्रस्‍तुत किऐ। प्रतिवाद पत्र में विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 15/07/2002 को परिवादिनी का चिकित्‍सीय परीक्षण किया जाना और परिवादिनी को अपेन्डिक्‍स की बीमारी होने की बजह से उसका आपरेशन किया जाना तथा  दिनांक 19/07/2002 को नर्सिग होम से परिवादिनी को डिस्‍चार्ज किया जाना तो  स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों एवं परिवाद में लगाऐ गऐ अरोपों  से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया है कि मेडिकल साइंस में बताई गयी रीति के अनुसार परिवादिनी की अपेन्डिक्‍स की जॉंच की गयी थी इसके अतिरिक्‍त आवश्‍यक परीक्षण कराने की भी परिवादिनी को सलाह दी गई थी। जॉंचें परिवादिनी ने स्‍वयं करायीं उनकी रिपोर्ट देखने के बाद और यह सन्‍तुष्‍ट होने पर कि परिवादिनी को अपेडिन्‍क्‍स की बीमारी है, विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी का अपेन्डिक्‍स का आपरेशन किया। परिवादिनी ने जानबूझकर दिनांक 15/07/2002 का  उत्‍तरदाता विपक्षी का चिकित्‍सीय पर्चा दाखिल नहीं किया क्‍योंकि उस पर्चे मे जॉंच कराने और जॉंच के निष्‍कर्षों का जिक्र किया गया  था। अग्रेत्‍तर कहा गया कि परिवादिनी से आपरेशन और वैड इत्‍यादि हेतु 2,500/- रूपया  फीस  ली  गयी  थी, परिवादिनी का यह कथन मिथ्‍या है कि उससे 5,000/- रूपया लिऐ गऐ थे। परिवादिनी  का यह  कथन भी मिथ्‍या है कि उसे प्राईवेट वार्ड में रखने का वायदा किया गया था, परिवादिनी ने दवाइयां बाहर से स्‍वयं खरीदी थी क्‍योंकि उत्‍तरदाता के नर्सिग होम में कोई मेडिकल स्‍टोर नहीं है। आपरेशन के बाद जिस कमरे में परिवादिनी को  रखा गया था उसमें हवा पानी इत्‍यादि की पर्याप्‍त सुविधायें न हों, ऐसा आरोप मिथ्‍या  है। परिवादिनी का यह भी आरोप गलत है कि आपरेशन से अगले ही दिन उसे  गरम  दूध पीने तथा दूध, पनीर, मीट, मुर्गा खाने की सलाह दी गई हो। परिवादिनी की हालत में पर्याप्‍त सुधार होने पर उसे दिनांक 19/07/2002 को डिस्‍चार्ज किया गया  था वह स्‍वयं चल फिर रही थी और अपने काम स्‍वयं कर रही थी। परिवादिनी  अथवा उसके पति ने कभी भी 20,000/- रूपये की रसीद की मांग उत्‍तरदाता अथवा उसके किसी कर्मचारी से नहीं की। परिवादिनी को टी0वी0 की भी बीमारी थी, जिसकी पुष्टि डा0 अशोक कुमार के चिकित्‍सीय पर्चेसे होती है। परिवादिनी द्वारा गाली-गलौच अथवा अभद्र व्‍यवहार के जो आरोप लगाऐ गऐ हैं वे आधारहीन एवं मिथ्‍या हैं। परिवादिनी को वो सभी सुविधायें दी गयी थी जिनका उससे आपरेशन के लिए भर्ती होने से पूर्व वायदा किया गया था। उत्‍तरदाता विपक्षी ने  अग्रेत्‍तर कहा कि  उसने अपनी योग्‍यता और ईमानदारी के साथ परिवादिनी का इलाज एवं आपरेशन किया है तथा सेवा प्रदान करने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही अथवा कमी नहीं की है। उत्‍तरदाता विपक्षी का यह भी कहना है कि विकल्‍प में यदि उत्‍तरदाता विपक्षी का कोई उत्‍तरदायित्‍व निर्धारित किया जाता है तो उसकी क्षतिपूर्ति की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-2 की होगी क्‍योंकि उत्‍तरदाता विपक्षी ने इस प्रकार के  मामलों की क्षतिपूर्ति हेतु विपक्षी सं0-2 से बीमा करा रखा है। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 ने परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।

4-   विपक्षी सं0-1 ने परिवाद में संशोधन  होने के उपरान्‍त अपना अतिरिक्‍त प्रतिवाद पत्र कागज सं0-33 प्रस्‍तुत किया जिसमें उन्‍होंने परिवाद में संशोधन द्वारा लोअर एबडोमन के स्‍थान पर ऊपरी एबडोमन समाविष्‍ट किया जाना बदनियति पर आधारित होना बताया। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र के साथ दिनांक 15/07/2002 को परिवादिनी द्वारा नर्सिग होम में जमा कराये गऐ क्रमश: 1000/-  रूपया, 80/- रूपया और 1500/- रूपये की रसीदें तथा विपक्षी सं0-2 से कराऐ गऐ बीमा के कवरनोट की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज सं0-10/8 एवं 10/9 हैं।

5-   विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/2  दाखिल हुआ जिसमें विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-1 लगायत  पैरा सं0-22 में उल्लिखित कथनों को एडोप्‍ट किया गया किन्‍तु परिवादिनी द्वारा मांगे गऐ अनुतोष अस्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की गई। विपक्षी सं0-2 की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि विपक्षी सं0-1 उनका उपभोक्‍ता नहीं है विकल्‍प में यह भी कहा गया कि विपक्षी सं0-1 ने चॅूंकि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया है ऐसी दशा में विपक्षी सं0-1 को इन्‍डेमिनी फाई करने का विपक्षी सं0-2 उत्‍तरदायी नहीं है। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज  किऐ जाने की प्रार्थना की गयी

6-   परिवाद के साथ सूची कागज सं0- 4 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-1 और  डा0 अशोक कुमार के चिकित्‍सीय पर्चे, एम0एम0 हास्पिटल की जॉंच रिपोर्टें, एक्‍स-रे तथा विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ नोटिस दिनांक 25/10/2002 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-4/1 लगायत 4/10 हैं।

7-   परिवादिनी ने परिवाद कथनों को सिद्ध करने के लिए अपना साक्ष्‍य  शपथ पत्र कागज सं0- 23 लगायत 23/8 दाखिल किया जिसमें उसने अपने परिवाद कथनों को सशपथ दोहराया। परिवादिनी के समर्थन में उसके पति ओमप्रकाश का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-20 लगायत 20/7, देवर सुरेन्‍द्र  का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-24 लगायत 24/2 तथा परिवादिनी की सास श्रीमती कौशल्‍या देवी का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं0-25 लगायत 25/2 दाखिल  हुआ। वादिनी के समर्थन में बँगला गांव, मुरादाबाद निवासी विशाल भल्‍ला ने  भी साक्ष्‍य शपथत्र कागज सं0-21 लगायत21/2 दाखिल किया। साक्षी विशाल भल्‍ला की ओर से सूची कागज सं0-22 द्वारा त्रिवेणी नर्सिग होम की रसीद, विपक्षी सं0-1 का प्रिस्क्रिप्‍शन, डा0 एच0एस0 पन्‍त को अदा की गई फीस  रसीद, डा0 एच0एस0 पन्‍त के प्रिस्क्रिप्‍शन और विशाल भल्‍ला द्वारा अपने इलाज के सिलसिले में खरीदी दवाइयों के बिलों की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-22/2 लगायत 22/6 हैं।

8-   परिवादिनी के पति ओम प्रकाश ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र में परिवादिनी के कथनों का समर्थन किया। परिवादिनी के देवर एवं परिवादिनी की सास ने  अपने-अपने साक्ष्‍य शपथ पत्रों में दिनांक 15/07/2002 को परिवादिनी के पति के मांगने पर क्रमश: 5,000/- - 5,000/- रूपया उधार लिऐ जाने के कथन करते हुऐ  यह भी कहा कि परिवादिनी ने उन्‍हें बताया था कि विपक्षी सं0-1 ने उसकी गुदा में ऊँगली डालकर अपेन्डिक्‍स डाग्‍यनोस किया था और तुरन्‍त  इमरजेंसी बताकर उसी दिन परिवादिनी का अपेन्डिक्‍स हेतु आपरेशन किया था।

9-    परिवादिनी ने सूची कागज सं0-26 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-1 के  मेडिकल प्रिस्क्रिप्‍शन, डा0 अशोक कुमार के मेडिकल प्रिस्क्रिप्‍शन, परिवादिनी के एक्‍स-रे रिपोर्ट, उसके खून व पेशाब की जॉंच रिपोर्ट, परिवादिनी के इलाज हेतु खरीदी गई दवाइयों के मूल बिल, चिकित्‍सीय जॉंच हेतु दी गई फीस की मूल रसीद, विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ कानूनी नोटिस, डा0 आदर्श मित्‍तल, डा0 नीरज गुप्‍ता के मेडिकल प्रिस्क्रिप्‍शन इत्‍यादि को दाखिल किया गया है,  यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 26/12 लगायत 26/103 हैं।

10- विपक्षी सं0-1 डा0 ए0एस0 कोठीवाल ने अपना साक्ष्‍य शपथ  पत्र कागज सं0-28 लगायत 28/8 दाखिल किया। शपथ पत्र के साथ उन्‍होंने परिवादिनी की डिस्‍चार्ज समरी, परिवादिनी का पोस्‍ट –आपरेशन प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 15/07/2002, परिवादिनी  की  दिनांक 16/07/2002  एवं  17/07/2002 की चिकित्‍सीय रिपोर्ट एवं प्रिस्क्रिप्‍शन तथा आपरेशन से पूर्व परिवादिनी के पति  द्वारा आपरेशन हेतु दिऐ गऐ सहमति पत्र की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली  के कागज सं0-28/9 लगायत 28/14 हैं। विपक्षी सं0-1 ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र में परिवाद में लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार  करते हुऐ अन्‍य के अतिरिक्‍त यह कथन किऐ हैं कि परिवादिनी को चिकित्‍सीय  पद्धति के अनुसार जाचोंपरान्‍त यह पाऐ जाने पर कि परिवादिनी को अपेन्डिक्‍स सार्टस है उसका सुविधा एवं  सफलतापूर्व आपरेशन किया गया था जो चिकित्‍सा  शास्‍त्र के अनुसार बिना किसी देरी के किया जाना अपेक्षित एवं आवश्‍यक था। उन्‍होंने परिवादिनी के इन आरोपों से भी इन्‍कार किया है कि परिवादिनी को आपरेशन से अगले ही दिन पनीर, मीट, मुर्गा इत्‍यादि खाने के लिए उन्‍होंने कहा था।

11- विपक्षी सं0-2 की ओर से बीमा कम्‍पनी के शाखा प्रबन्‍धक श्री कवितान सिंह ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-30 प्रस्‍तुत किया। शपथ पत्र के  साथ उन्‍होंने बीमा कवरनोट और बीमा पालिसी की शर्तों को दाखिल किया गया जो कागज सं0-30/2 लगायत 30/3 हैं। श्री कवितानसिंह ने अपने साक्ष्‍य  शपथ पत्र में विपक्षी सं0-2 के प्रतिवाद पत्र का समर्थन करते हुऐ यह कथन  किऐ कि यदि फोरम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचता है कि विपक्षी सं0-1 ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया है तो बीमा कम्‍पनी विपक्षी सं0-1 को इन्‍डेमनी फाई की उत्‍तरदायी नहीं होगी।

12- जब परिवाद दाखिल हुआ था तब  परिवाद के पैरा सं0-1 में परिवादिनी ने यह कथन किऐ थे कि वह अपने दायें स्‍तन के नीचे लोअर एबडोमन में दर्द के इलाज के सिलसिले में विपक्षी सं0-1 के पास गई थी। कालान्‍तर में  परिवादिनी ने इसमें संशोधन कराया। संशोधन के उपरान्‍त उसने परिवाद के पैरा सं0-1 में लोअर एबडोमन के स्‍थान पर अपर एबडोमन में दर्द होना समाविष्‍ट  कर लिया। इस संशोधन के उपरान्‍त परिवादिनी ने अपना अतिरिक्‍त  साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-37 लगायत 37/11 दाखिल किया। परिवादिनी  के समर्थन में उसके पति ओमप्रकाश ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-34/2 लगायत 34/7 दाखिल किया जिसके साथ उसने डा0 ए0के0 सिंह और  डा0 अशोक कुमार के चिकित्‍सीय पर्चों की फोटोकापी दाखिल कीं जो पत्रावली के कागज सं0-34/8 लगायत 34/11 हैं। परिवादिनी ने सूची कागज सं0-35  के माध्‍यम से डा0 नीरज गुप्‍ता, डा0 अशोक कुमार, डा0 ए0के0 गोयल एवं  डा0 राजकमल रस्‍तौगी के चिकित्‍सीय प्रपत्र भी दाखिल किऐ हैं।

13- विपक्षी सं0-1 ने अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-39 लगायत 39/7 दाखिल किया जिसके साथ उसने पेमेन्‍ट रजिस्‍टर और परिवादिनी द्वारा दिनांक 15/07/2002 से 19/07/2002 के मध्‍य दी गई फीस की रसीद की फोटो प्रतियां को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया, यह संलग्‍नक कागज सं0-39/8 लगायत  39/12 हैं।

14- विपक्षी सं0-1 के अतिरिक्‍त  साक्ष्‍य शपथ पत्र के  उपरान्‍त परिवादिनी ने अपना रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-41/2 लगायत 41/15 दाखिल  किया।

15-  परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई। विपक्षी सं0-2 ने लिखित बहस कागज सं0-48/1 ता 48/2 प्रस्‍तुत की।

16- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।

17- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि बिना कोई  चिकित्‍सीय जॉंच यथा खून, पेशाब, एक्‍सरे, अल्‍ट्रासाउन्‍ड इत्‍यादि कराऐ मात्र रेक्‍टल एग्‍जामीनेशन के आधार पर विपक्षी संख्‍या-1 ने परिवादिनी को अपेन्डिक्‍स की बीमारी बता दी और पैसा ऐंठने के उद्देशय से उसे तत्‍काल आपरेशन करने की सलाह दी और  दिनांक 15/07/2002 को ही परिवादिनी का विपक्षी सं0-1 ने आपरेशन कर  उसकी अपेन्डिक्‍स निकाल दी जबकि परिवादिनी को अपेन्डिक्‍स की कोई बीमारी थी ही नहीं। यह भी कहा गया कि नर्सिगहोम में परिवादिनी की गुदा में ऊॅंगली डालकर उसका फिजीकल एग्‍जामिनेशन किया गया जो नहीं करना  चाहिऐ था। परिवादिनी की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि दिनांक 15/07/2002 को ही परिवादिनी की ओर से आपरेशन हेतु विपक्षी सं0-1 के नर्सिगहोम में 5,000/- रूपया जमा कराऐ गऐ। दिनांक 15/07/2002 से 19/07/2002 तक परिवादिनी  विपक्षी सं0-1 के नर्सिंगहोम में भर्ती रही। इस दौरान दवा इत्‍यादि पर उसका लगभग 20,000/- रूपया खर्चा हुआ जब दिनांक 19/07/2002 को डिस्‍चार्ज होते समय परिवादिनी ने 20,000/- रूपये के खर्चे की रसीद की मांग की तो विपक्षी सं0-1 के कर्मचारी ने 1000/- रूपया अतिरिक्‍त मांगे और कहा कि यदि 1000/- रूपया अतिरिक्‍त नहीं दोगी तो पक्‍की रसीद नहीं मिलेगी। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि भर्ती के दौरान परिवादिनी को आवश्‍यक सुविधाऐं नर्सिगहोग में नहीं दी गई। उसे प्राईवेट कमरा देने का वायदा किया गया था, किन्‍तु उसे ऐसे कमरे में रखा गया जहॉं 3 वैड थे, छत का पंखा केवल एक था, कूलर आवाज कर रहा था, पानी की सही  व्‍यवस्‍था नहीं थी, बल्‍ब की रोशनी तेज थी जो आंखों को चुभती थी, टायलेट की कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी ऐसा करके विपक्षी सं0-1 ने सेवा प्रदान करने में  कमी की। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि दिनांक 19/07/2002 को डिस्‍चार्ज होने के बाद भी परिवादिनी विपक्षी सं0-1 द्वारा बतायी दवायें खाती रही, किन्‍तु उसे आराम नहीं हुआ तब 18/09/2002 को परिवादिनी  के पति ने परिवादिनी को डा0 अशोक कुमार को दिखाया जिन्‍होंने बताया कि परिवादिनी को तो अपेन्डिक्‍स की बीमारी थी ही नहीं और उसका आपरेशन गलत किया गया है। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी  कहा कि परिवादिनी को भर्ती रहने के दौरान मीट, मुर्गा, गरम दूध, पनीर इत्‍यादि का सेवन करने की विपक्षी सं0-1 ने सलाह दी ताकि परिवादिनी के शरीर में ताकत आये जो गलत था। उपरोक्‍त तर्कों के आधार पर परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने कहा कि परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 ने सेवा प्रदान करने में  कमी की है और चिकित्‍सीय लापरवाही बरती है अत: परिवाद में अनुरोधित अनुतोष परिवादिनी को दिलाऐ जाऐं।

18- विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 के, विद्वान अधिकवक्‍तागण ने परिवादिनी पक्ष की ओर से दिऐ  गऐ उपरोक्‍त तर्कों का प्रतिवाद किया और समस्‍त आरोपों से इन्‍कार करते हुऐ तर्क दिया कि ना तो परिवादिनी को सेवा प्रदान करने में कोई  कमी की गई और ना ही विपक्षी सं0-1  ने परिवादिनी के इलाज/ आपरेशन में किसी प्रकार की कोई चिकित्‍सीय लापरवाही बरती। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार विपक्षी सं0-1 डा0 ए0एस0 कोठीवाल वरिष्‍ठ एवं योग्‍य चिकित्‍सक हैं उन्‍हें नाहक परेशान करने और अनुचित दबाव बनाकर पैसा ऐंठने के उद्देश्‍य से परिवादिनी ने असत्‍य कथनों एवं झूठे आरोपों के आधार पर यह  परिवाद योजित किया गया है जो विशेष व्‍यय सहित खारिज होने योग्‍य है।

19- विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद में विपक्षी सं0-1 पर  लगाऐ गऐ आरोपों का बिन्‍दुबार उत्‍तर दिया। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार चिकित्‍सा शास्‍त्र में अपेन्डिक्‍स के डायग्‍नोसिस के लिए  गुदा परीक्षण किया जाना आवश्‍यक है, चिकित्‍सीय जॉंच यथा अल्‍ट्रासाउन्‍ड, एक्‍स-रे, खून अथवा पेशाब की जॉंच इत्‍यादि आवश्‍यक अथवा महत्‍वपूर्ण नहीं हैं। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार इसके बावजूद विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी के आपरेशन से पूर्व उसकी चिकित्‍सीय जॉंचें करायी थीं। इस सन्‍दर्भ में उन्‍होंने परिवादिनी की डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-28/9  लगायत 28/14 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया। डिस्‍चार्ज समरी के पृष्‍ठ-28/9 के अवलोकन से प्रकट है कि आपरेशन से पूर्व परिवादिनी के खून, पेशाब की जॉंचें करायी गयी थीं और उसके पेट का अल्‍ट्रासाउन्‍ड भी कराया गया था। प्रकट है कि परिवादिनी द्वारा आपरेशन से पूर्व चिकित्‍सीय जॉंच न कराऐ जाने विषयक विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध लगाऐ गऐ आरोप नि:तान्‍त मिथ्‍या हैं।

20- Linde की ‘’ Operative Gynecology ‘’ के सातवे संस्‍करण में उल्‍लेख है कि अपेन्डिक्‍स  की बीमारी में पेट का एक्‍स-रे अथवा अल्‍ट्रासाउन्‍ड कराया जाना सहायक नहीं है। Lloyd की Mastery of Surgery के तृतीय संस्‍करण के वाल्‍यूम-2 में भी उल्‍लेख है कि अपेन्डिसाईसिटस के डायग्‍नोसिस के लिए लैबोरेट्री टेस्टिंग अथवा एक्‍स-रे कराया जाना आवश्‍यक नहीं है। Linde की ‘’ Operative Gynecology ‘’ के सातवे संस्‍करण में यह उल्‍लेख है  कि गम्‍भीर अपेन्डिसाईटिस का डायग्‍नोसिस मरीज के चिकित्‍सीय इतिहास और उसके फिजीकल एग्‍जामीनेशन पर आधारित होती है। इस मेडिकल लिटलेचर में यह स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि अपेन्डिसाईटिस के मामलों में रेक्‍टल एग्‍जामीनेशन किया जाना आवश्‍यक  है। हैमिलटन वैलीज डियान्‍ट्रेशन आफ फिजीकल साइन्‍स इन क्‍लीनीकल सर्जरी के सोलहवे संस्‍करण में यह उल्‍लेख है कि अपेन्डिसाईटिस की शंका यदि हो तो मरीज का रेक्‍टल  एग्‍जामीनेशन किया जाना आवश्‍यक है। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 ने मेडिकल लिटलेचर के अनुरूप परिवादिनी का रेक्‍टल एग्‍जामीनेशन करके कोई गलती अथवा चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं की। परिवादिनी का स्‍वयं का कथन है कि  अपने पेट दर्द के इलाज के सिलसिले में दिनांक 15/07/2002 को विपक्षी सं0-1 के पास आयी थी। परिवादिनी की डिस्‍चार्ज समरी के प्रथम पृष्‍ठ जो  पत्रावली का कागज सं0-28/9  है, के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादिनी द्वारा बताऐ गऐ गऐ क्‍लीनिकल फीचर्स अपेन्डिसाईटिस की ओर  इशारा कर रहे थे और ऐसी दशा में चिकित्‍सा शास्‍त्र के अनुसार विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी का फिजीकल और  रेक्‍टल एग्‍जामीनेशन कर कोई गलती नहीं की। यहॉं यह  उल्‍लेख करना भी  आवश्‍यक है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी के खून, पेशाब इत्‍यादि की जॉंचें भी करायीं थीं और उसके पेट का अल्‍ट्रासाउन्‍ड भी  कराया था।

21-  परिवादिनी का आरोप है कि विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 15/07/2002 को  उसका अपेन्डिक्‍स का आपरेशन कर दिया जबकि उसे अपेन्डिक्‍स की बीमारी नहीं थी। इन आरोपों के समर्थन में कि उसे अपेन्डिसाईटिस नहीं थी, परिवादिनी ने डा0 अशोक कुमार का अबलम्‍व लिया है। डा0 अशोक कुमार के चिकित्‍सीय पर्चे त्रावली में दाखिल है, उनमें भी यह कहीं उल्‍लेख नहीं है कि  परिवादिनी को अपेडिसाईटिस नहीं थी और उसका आपरेशन करने की कोई  आवश्‍यकता नहीं थी। ‘’ Harrison’s Principles of Internal Medicine ‘’ के चौदहवें संस्‍करण के वाल्‍यूम-2 में यह उल्‍लेख है कि अपेन्डिसाईटिस के मामलों में तत्‍काल आपरेशन किया जाना आवश्‍यक है। हैमिलटन वैली के ‘’ डियान्‍सट्रेशन  आफ फिजीकल साइन्‍स इन क्‍लीनीकल सर्जरी ’’ के सातवें संस्‍करण में यह उल्‍लेख  है कि अपेन्डिसाईटिस के मामलों में आपरेशन करने में देरी नहीं की जानी चाहिऐ। प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी का बिना किसी अनावश्‍यक देरी के आपरेशन करके कोई गलती नहीं की, उन्‍होंने चिकित्‍साशास्‍त्र  के अनुरूप कार्य किया है। तत्‍सम्‍बन्‍धी परिवादिनी के आरोप आधारहीन हैं।

22- परिवादिनी का एक आरोप यह है कि दिनांक 15/07/2002 को आपरेशन  से पूर्व विपक्षी सं0-1 ने उसके पति से 5,000/- रूपये जमा कराऐ। इस आरोप का विपक्षी सं0-1 की ओर से खण्‍डन करते हुऐ यह कहा गया है कि परिवादिनी के आपरेशन हेतु मात्र 2,500/- रूपये चार्ज  किये गये थे। विपक्षी सं0-1 के यह कथन कि परिवादिनी से आपरेशन हेतु मात्र 2,500/- रूपये चार्ज किऐ  गऐ थे, अभिलेखीय साक्ष्‍य से पुष्‍ट होते हैं। विपक्षी सं0-1 के नर्सिगहोम के पेमेन्‍ट रजिस्‍टर की नकल  कागज सं0-39/8  व 39/9 तथा रसीद बुक की फोटो प्रतियों कागज सं0-39/10 लगायत 39/12 से प्रकट है कि  परिवादिनी की ओर से आपरेशन हेतु दिनांक 15/07/2002 को 1000/- रूपये और 19/07/2002 को 1500/- रूपया विपक्षी सं0-1 के नर्सिंगहोम में जमा  किऐ गऐ थे। परिवादिनी की ओर से ऐसा कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया गया  जिससे यह प्रकट हो कि आपरेशन के पूर्व आपरेशन हेतु उससे 5,000/- रूपया जमा कराऐ गऐ थे। तत्‍सम्‍बन्‍धी परिवादिनी के आरोप आधारहीन एवं मिथ्‍या है।

23- परिवादिनी का एक आरोप यह है कि दिनांक 19/07/2002 को नर्सिगहोम से डिस्‍चार्ज होते समय उसके पति ने जब नर्सिगहोम के कर्मचारियों से इलाज व आपरेशन में खर्च हुऐ 20,000/- रूपये की रसीद की मांग की तो पक्‍की  रसीद देने के लिए 1000/- रूपया अतिरिक्‍त देने की मांग की गयी। इस सन्‍दर्भ में विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-27 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया जिसमें उल्‍लेख है  कि विपक्षी सं0-1 के नर्सिगहोम में इन्‍डोर मेडिकल स्‍टोर नहीं है जो भी दवाइयां आवश्‍यक थी वे परिवादिनी पक्ष ने स्‍वयं बाहर के मेडिकल स्‍टोर से खरीदी थीं। विपक्षी सं0-1 के इस कथन का परिवादिनी की ओर से प्रतिवाद नहीं किया जा सका है और परिवादिनी यह नहीं दर्शा पायी कि विपक्षी सं0-1  के नर्सिगहोम में इन्‍डोर मेडिकल स्‍टोर है। प्रकट है कि तत्‍सम्‍बन्‍धी विपक्षी सं0-1 पर लगाऐ गऐ आरोप असत्‍य है

24-  परिवादिनी की ओर से  विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध लगाऐ गऐ यह आरोप  भी असत्‍य प्रमाणित हुऐ हैं कि विपक्षी सं0-1 ने आपरेशन  के बाद परिवादिनी को ताकत के लिए मीट, मुर्गा, पनीर खाने और गरम दूघ पीने की सलाह दी  थी। इस सन्‍दर्भ में परिवादिनी की डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-28/9 लगायत 28/14 का अवलोकन  किया जाना आवश्‍यक  है। स्‍वीकृत रूप से परिवादिनी  का आपरेशन दिनांक 15/07/2002 को हुआ था। विपक्षी सं0-1 के नर्सिगहोम से वह दिनांक 19/07/2002 को डिस्‍चार्ज हुई।डिस्‍चार्ज समरी में उल्‍लेख है  कि आपरेशन के बाद परिवादिनी को प्रेसक्राइब किया गया था कि उसे ना कुछ खाना है और ना कुछ पीना है। आपरेशन से अगले दिन उसे सूप पीने की सलाह दी गई थी। दिनांक 17/07/2002 को परिवादिनी को सलाह दी गई कि वह ओरल ल्क्यिूड तथा सेमीसोलिड ले सकती है। परिवादिनी के यह आरोप की उसे  मीट, मुर्गा, पनीर  खाने तथा गरम दूध पीने की सलाह विपक्षी सं0-1 ने दी थी,  प्रमाणित नहीं  है। परिवादिनी कोई ऐसा प्रमाण दाखिल नहीं कर सकी जिससे उक्‍त आरोपों का समर्थन अथवा उनकी पुष्टि होती हो।

25-  पत्रावली में जो साक्ष्‍य सामग्री और चिकित्‍सीय पर्चे उपलब्‍ध हैं उनके आधार पर हमारा सुवि‍चारित मत है कि परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 के ऊपर अनावश्‍यक आधारहीन एवं अनर्गल आरोप लगाऐ हैं जो मिथ्‍या प्रमाणित हुऐ  हैं। परिवादिनी के पति श्री ओमप्रकाश, उसके देवर सुरेन्‍द्र, उसकी सास श्रीमती कौशल्‍या देवी तथा पड़ोसी विशाल भल्‍ला ने अपने-अपने साक्ष्‍य शपथ पत्रों द्वारा विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवादिनी द्वारा लगाऐ गऐ आरोपों को प्रमाणित करने का असफल प्रयास किया है। विपक्षी सं0-1 डा0 ए0एस0  कोठीवाल द्वारा परिवादिनी के डायग्‍नोसिस, आपरेशन एवं  इलाज में किसी प्रकार की कोई चूक अथवा चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं बरती बल्कि उन्‍होंने चिकित्‍सा शास्‍त्र के अनुरूप कार्य किया है। परिवाद विशेष व्‍यय सहित खारिज होने योग्‍य है।मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत हम इस मत के हैं कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-26 के अधीन परिवादिनी पर विशेष व्‍यय अधिरोपित किया जाये जो हमारे अभिमत में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) अभिनिर्धारित किया जाना न्‍यायोचित एवं पर्याप्‍त होगा।

आदेश

  परिवाद विशेष व्‍यय सहित खारिज किया जाता है। परिवादिनी को आदेशित किया जाता है कि वह आज की तिथि से एक माह के भीतर  विपक्षी सं0-1 को विशेष व्‍यय के रूप में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) अदा  करें।

 

      (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)               (पवन कुमार जैन)

           सदस्‍य                            अध्‍यक्ष

       जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद                 जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        06.08.2015                     06.08.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 06.08.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

         

         (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)               (पवन कुमार जैन)

               सदस्‍य                            अध्‍यक्ष

            जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद                 जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

             06.08.2015                     06.08.2015

 

 

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