राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1130/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्या-75/2014 में पारित निर्णय दिनांक 02.01.2015 के विरूद्ध)
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशासी अभियंता
विद्युत वितरण खंड, औरैया। ........अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
त्रिभुवन सिंह पुत्र नवाब सिंह निवासी ग्राम भाटपुरा, पोस्ट दखलीपुर
परगना व जिला औरैया व दो अन्य। .......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री
मनोज कुमार, अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 21.06.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 75/2014 त्रिभुवन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा कलैक्टर औरैया व दो अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 02.01.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए बिल राशि अंकन रू. 55480/- को वसूल करने से निषेधित किया है तथा आदेशित किया है कि विद्युत आपूर्ति जारी करने के पश्चात विद्युत बिल वसूला जाए।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा एक रसीद संख्या 474314/97 से दिनांक 24.06.98 को निर्धारित फीस जमा करके कनेक्शन संख्या 985315 प्राप्त किया था। विपक्षी द्वारा बताया गया था कि एक माह में खंभे गाड़ दिये जाएंगे और लाइन चालू हो जाएगी, परन्तु कनेक्शन नहीं दिया गया, लाइन कराने का स्टीमेट भी नहीं
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बनाया गया। वर्ष 2008 में जाकर लाइन बिछाई गई, किंतु विद्युत प्रवाहित नहीं की गई, इसक बावजूद अंकन रू. 55480/- का बिल जारी कर दिया गया। विपक्षी संख्या 1 एवं 2 का कथन है कि उन्हें परिवादी के विरूद्ध कोई आर.सी. जारी नहीं हुई है और विद्युत विभाग द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है, इसलिए विद्युत विभाग के जवाब के अभाव में एकतरफा साक्ष्य पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष दिया है कि यथार्थ में विद्युत आपूर्ति प्रारंभ नहीं हुई, इसके बावजूद विद्युत बिल जारी कर दिया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैध निर्णय पारित किया है। गांव के किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है, इस योजना के तहत कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी, विद्युत का उपयोग अवैध रूप से किया जा रहा है।
4. परिवाद में वर्णित तथ्यों का कोई खंडन चूंकि विद्युत विभाग द्वारा नहीं किया गया, इसलिए अखंडनीय साक्ष्य के अभाव में जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है, फिर यह भी कि विद्युत प्रवाहित करने से संबंधित विभाग में रखे जाने वाली किसी पुस्तिका/रजिस्टर को बतौर साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए माना जाना चाहिए कि विद्युत कभी भी प्रवाहित नहीं की गई और अवैध विद्युत बिल जारी कर दिया गया।
आदेश
5. अपील खारिज की जाती है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2