Shivnarayan varma filed a consumer case on 23 Feb 2016 against Tramf Motors in the Kota Consumer Court. The case no is CC/250/2012 and the judgment uploaded on 24 Feb 2016.
शिवनारायण वर्मा बनाम ट्रम्फ मोटर्स, कोटा व अन्य
परिवाद संख्या 250/2012
23.02.2016 दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि विपक्षी-ट्रम्फ मोटर्स, कोटा के प्रोपराईटर विपक्षी-अतुल सेठ के आश्वासन पर विपक्षी-शेवरलेट जनरल मोटर्स इण्डिया प्राईवेट लि. (निर्माता) द्वारा निर्मित ओप्ट्रा कार आर.जे. 20 सी.सी. 0482 दिनांक 27.01.12 को कुल 10,15,000/-रूपये में खरीदी थी जिसकी एक वर्ष की वारन्टी दी गई थी, पुस्तिका में उक्त कार में विभिन्न विशेषतायें, फीचर्स बताये गये तथा किसी भी पार्ट के टूटने पर गाड़ी बदलने का भी आश्वासन दिया गया। उपयोग में लाने पर पाया गया कि कार में बतायी गई विशेषतायें नहीं हैं, निर्माण दोष है व घटिया है। मई, 2012 के तीसरे सप्ताह में उक्त कार चलते समय अचानक साधारण पत्थर पर चढ़ जाने से उसके आगे केे दोनों व्हील टूट गये । विपक्षी विक्रेता को शिकायत की गई तो पहले वाहन बदलवाने का आश्वासन दिया लेकिन बाद में इंकार हो गये । क्षतिग्रस्त व्हील्स को भी नहीं बदला। विपक्षीगण को लीगल नोटिस भेजा गया इसके बावजूद सुनवाई नहीं की। परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी-ट्रम्फ मोटर्स, कोटा (विक्रेता) के जवाब का सार है कि परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का बीमा-कम्पनी से क्लेम उठाया है जो आवश्यक पक्षकार है लेकिन उसे पक्षकार नहीं बनाया है। वाहन की वारन्टी शर्तों के अन्तर्गत निर्माता-कम्पनी द्वारा ही दी गई है, चूंकि वाहन दुर्घटना में परिवादी की लापरवाही के कारण ही क्षतिग्रस्त हुआ इसलिये वारन्टी समाप्त हो गई । वाहन में कोई खराबी या निर्माण-दोष नहीं है। वाहन बदलने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया। दुर्घटना में खराब हुये व्हील व टायर नये लगाये गये जिनके पेटे स्वयं परिवादी ने रू0 5930 /- अदा किये शेष राशि बीमा कम्पनी द्वारा दी गई। सेवा में या मरम्मत में कोई कमी नहीं की गई।
विपक्षी-निर्माता के जवाब का सार है कि वाहन उच्च गुणवत्ता का है उसमें कोई खराबी या निर्माण-दोष नहीं है। शर्तों के अन्तर्गत सर्विस व पाट्र्स की ही वारन्टी दी गई। वाहन बदलने या कीमत लौटाने की कोई वारन्टी नहीं थी। परिवादी का वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ इसलिये वह वारन्टी का लाभ पाने का अधिकारी नहीं हैै। वाहन स्वयं परिवादी की लापरवाही से ही क्षतिग्रस्त हुआ है। परिवादी को 26.05.12, 09.06.12, 30.08.12, 06.11.12 आदि तिथियों पर संतोषपूर्ण सेवायें दी गई कोई लापरवाही नहीं की गई। खरीदने से 06.11.12 तक परिवादी की ही लापरवाही से वाहन तीन बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। वाहन में हुई क्षति के लिये स्वयं परिवादी ही उत्तरदायी है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा वाहन खरीद बिल, समय-समय पर अदा की गई राशि, बीमा पालिसी, विपक्षीगण को प्रेषित लीगल नोटिस, पोस्टल रसीद व ए.डी., फोटोज आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं। विपक्षी-विके्रता की ओर से प्रवीण जैन के शपथ-पत्र के अलावा बीमा कम्पनी को दी गई सूचना, क्लेम फार्म, उससे प्राप्त राशि, रिटेल इनवाइस 02.06.12, जवाब नोटिस, पोस्टल रसीद आदि की प्रतियां प्रस्तुत की गई हैं। विपक्षी-निर्माता की ओर से रमा वर्मा का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया है।
हमने विचार किया।
परिवादी ने वाहन में निर्माण-दोष या अन्य यांत्रिक खराबी होने के बाबत् कोई विशेषज्ञ की जाॅंच रिपोर्ट या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है। केवल उपधारणा या कल्पना के आधार पर निर्माण-दोष या यांत्रिक खराबी सिद्ध होना नहीं माना जा सकता ।
परिवादी ने ऐसी कोई दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं की है कि परिवादी को वाहन बदलने का कोई आश्वासन दिया गया था।
जहाॅं तक वारन्टी का प्रश्न है यह विवादरहित है कि परिवादी का वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ था। जिसकी सूचना उसने संबंधित बीमा कम्पनी को दी थी। निर्माता एवं विक्रेता का स्पष्ट केस है कि दुर्घटना में वाहन के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में वारन्टी लागू नहीं है। हमारे समक्ष परिवादी ने ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है कि दुर्घटना के फलस्वरूप क्षति होने के बावजूद निर्माता या विक्रेता द्वारा वारन्टी के तहत कोई सुविधा या लाभ दिया जायेगा। निर्माता एवं विक्रेता ने शपथ-पत्रों के आधार पर यह भी सिद्ध किया है कि जब-जब वाहन को सर्विस या मरम्मत के लिये लाया गया तब-तब वारन्टी के अधीन परिवादी के संतोष के अनुसार सेवा उपलब्ध कराई गई थी। परिवादी ने ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है कि विपक्षीगण ने वाहन की मरम्मत में कोई लापरवाही की हो या सर्विस मेें कोई कमी की हो।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर आते हैं कि परिवादी विपक्षीगण की लापरवाही अथवा सेवा में कमी या अनुचित व्यापार प्रथा की कहानी को सिद्ध करने में विफल रहा है इसलिये परिवाद खारिज होने योग्य है।
अतः परिवाद खारिज किया जाता है।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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