Rajasthan

Jaipur-IV

CC/66/2013

Smt. Urmila Sethia - Complainant(s)

Versus

Trackon Corier P, Ltd & Others - Opp.Party(s)

Vizzy Agrawal

31 Mar 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                    पीठासीन अधिकारी:-
                          डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                         श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
                                
परिवाद संख्या:-66/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1481/2011)
श्रीमती उर्मिला सेठिया पत्नी श्री निरन्जन कुमार सेठिया, आयृु 48 वर्ष, जाति जैन, निवासी- पी-13, सहदेव मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर ।  
परिवादिनी
बनाम
01.ट्रेकाॅन कोरियर्स प्रा.लि., सी-143, नारायणा इण्डस्ट्रीयल एरिया, फेज-1, नई  
  दिल्ली जरिये मैनेजर ।
02.शुभम कोरियर्स फ्रेंचाईजी ट्रेकाॅन कोरियर्स प्रा.लि., लक्ष्मी धर्मकांटा के पास, बाईस  
  गोदाम, जयपुर जरिये प्रोपराईटर ।    
           विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादिनी की ओर से श्री विज्जी अग्रवाल, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री राजीव अग्रवाल, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही

निर्णय    
          दिनांकः-31.03.2015

 यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 26.08.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादिनी ने प्रसिद्ध दुकान ’वसांसी जयपुर’ से दिनांक 15.11.2010 को 3,850/-रूपये की दर से दो साडि़यां क्रय की थी । और फिर इन साडि़यों पर  परिवादिनी द्वारा रेशम, बूटी एवं गोटा वर्क आदि करवाया गया । जिसके पेटे परिवादिनी ने 25,500/-रूपये की राशि दिनांक 28.12.2010 को अदा की । बाद मंें परिवादिनी ने उक्त दोनों साडि़यों को सूरत (गुजरात) मेें रहने वाले अपने परिचित      श्री प्रवीण डागा को भेजे जाने हेतु विपक्षी संख्या 1 कोरियर कम्पनी के फ्रेंचाईजी विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से सूरत (गुजरात) भेजा था । जिसके तोल के अनुसार कोरियर चार्ज के रूप में विपक्षीगण ने परिवादिनी से 105/-रूपये वसूल किये थे । ये साडि़यां कोरियर से भेजे जाने के एक सप्ताह बाद भी गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंची तो परिवादिनी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस दिया । जिस पर भी विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादिनी की साडि़यां गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाकर सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षीगण से साडि़यों की कीमत 6,930/-रूपये, उस पर लगे रेशम, बूटी, गोटा वर्क, आदि पर व्यय की गई राशि 25,500/-रूपये के साथ-साथ परिवाद के मद संख्या 15 में अंकित अन्य अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादिनी ने ब्वदेपहदउमदज की बुकिंग के समय रखे गये सामान की कीमत की घोषणा नहीं की थी, इसलिए विपक्षी संख्या 1 का केवल मात्र सीमित दायित्व बनता    हैं । परिवादिनी ने ब्वदेपहदउमदज के संबंध में 30 दिवस की अवधि में कोई जानकारी नहीं ली थी । इसलिए भी अब परिवादिनी कोई कार्यवाही करने में सक्षम नहीं हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादिनी निरस्त किया जावें ।
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध दिनांक 15.06.2012 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये गये ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादिनी श्रीमती उर्मिला सेठिया ने स्वयं शपथ पत्र के साथ कुल 08 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी संख्या 1 की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री संजय सिंह एवं श्री वाई.एस.यादव के शपथ पत्र एवं दो पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम परिवादी एवं विपक्षी संख्या 1 सुनी गई तथा पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 के माध्यम से उसकी फ्रेंचाईजी विपक्षी संख्या 2 के जरिये दिनंाक 03.01.2011 को प्रवीण डागा को 1.5 किलोग्राम वजन का एक ब्वदेपहदउमदज प्रदर्श सी-3 रसीद के माध्यम से भेजा था । इस तथ्य को स्वयं विपक्षी संख्या 1 ने अपने जवाब में स्वीकार किया हैं । इसके बाद यह ब्वदेपहदउमदज गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचा तो दिनंाक 03.01.2011 के बाद  परिवादिनी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया । उनकी ओर से जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 को कानूनी नोटिस प्रदर्श सी-4 एवं एवं विपक्षी संख्या 2 को कानूनी नोटिस प्रदर्श सी-5 दिनंाकित 31.07.2011 भिजवाये । जिस पर भी विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की और परिवादिनी को गन्तव्य स्थान पर ब्वदेपहदउमदज पहुंचाने के संदर्भ में संतुष्ट नहीं किया तो परिवादिनी ने यह परिवाद मंच के समक्ष दिनांक 26.08.2011 को प्रस्तुत किया हैं । प्रकरण की कार्यवाही के दौरान भी विपक्षीगण के स्तर पर च्ण्व्ण्क्ण् या अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई हैं जिससे यह प्रमाणित हो सकें कि विपक्षीगण ने परिवादिनी द्वारा भेजा गया ब्वदेपहदउमदज गन्तव्य स्थान पर पहुंचा दिया ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादिनी द्वारा भेजे गये ब्वदेपहदउमदज को गन्तव्य स्थान पर उपलब्ध नहीं करवाया है, यह तथ्य उपरोक्त विवेचन के आधार पर सिद्ध   हैं । इसके साथ ही विपक्षीगण का यह दायित्व भी था कि वे परिवादिनी से इस ब्वदेपहदउमदज को प्राप्त करते समय परिवादिनी से उसमें रखे गये सामान की कीमत के संदर्भ में सूचना प्राप्त करते । जो विपक्षीगण द्वारा जान-बूझकर अपने उत्तरदायित्व को कम करने के लिए किया गया हैं । और अब विपक्षीगण इस परिस्थिति का लाभ यह कहकर नहीं ले सकते कि परिवादिनी ने भेजे गये सामान की घोषणा कोरियर कम्पनी के समक्ष नहीं की थी । इसलिए हमारे विनम्र मत में परिवादिनी के सामान के खो जाने की स्थिति में विपक्षीगण का सीमित उत्तरदायित्व नहीं बनता हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण ने परिवादिनी के ब्वदेपहदउमदज को गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाकर सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षीगण से दोनों साडि़यों की कीमत के रूप में 6,930/-रूपये तथा इन साडि़यों में लगाये गये रेशम, बूटी, गोटा वर्क आदि की कीमत के रूप में 25,500/-रूपये प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं । परिवादिनी कोरियर राशि 105/-रूपये भी विपक्षीगण से प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं क्योंकि विपक्षीगण ने उक्त ब्वदेपहदउमदज गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाकर सेवादोष कारित किया हैं । परिवादिनी को विपक्षीगण के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । 
 आदेेश
 उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादिनी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादिनी विपक्षीगण से दोनों साडि़यों की कीमत के रूप में 6,930/-रूपये, इन साडि़यों पर लगाये गये रेशम, बूटी, गोटा वर्क आदि की कीमत के रूप में 25,500/-रूपये तथा कोरियर चार्ज राशि 105/-रूपये प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं । परिवादिनी को विपक्षीगण के उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । 
 विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादिनी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेेंगे ।

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा          डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य         सदस्या      अध्यक्ष

निर्णय आज दिनांक 31.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा          डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य         सदस्या      अध्यक्ष

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