राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-70/2019
(सुरक्षित)
अवधेश बहादुर सिंह, पुत्र श्री महावीर सिंह, निवासी-521, सिविल लेन, रायबरेली, उत्तर प्रदेश-229001
........................परिवादी
बनाम
1. टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स प्रा0लि0, हेड आफिस स्थित नं0 24, 10वां तल, कैनेरा ब्लॉक, विट्ठल माल्या रोड, बैंगलोर-560001, कर्नाटक, द्वारा डायरेक्टर/मैनेजिंग डायरेक्टर
2. सनी टोयोटा, स्थित निकट अमौसी एयरपोर्ट, कानपुर रोड, लखनऊ 226005, द्वारा मैनेजर/अधिकृत प्रतिनिधि
.......................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित :श्री ऋषभ राज,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित : सुश्री नन्दिता भारती,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से उपस्थित : श्री पी0एन0 भार्गव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 25.07.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी अवधेश बहादुर सिंह द्वारा विपक्षी संख्या-1 टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स प्रा0लि0 एवं विपक्षी संख्या-2 सनी टोयोटा के विरूद्ध योजित किया गया है।
परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी संख्या-1 टोयोटा एसयूवी, मॉडल फॉर्च्यूनर 3.0 L2WD कार का निर्माता है तथा विपक्षी संख्या-2 विपक्षी संख्या-1 का डीलर है। विपक्षीगण
-2-
द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि उनकी निर्मित कारें/वाहन शानदार हैं व विभिन्न विशेषताओं से संपन्न हैं तथा यह कि उनके द्वारा निर्मित कार/वाहन के यात्रियों की सुरक्षा एयर बैग की स्थापना से सुरक्षित हैं, जो कार का महत्वपूर्ण घटक है। किसी भी अवस्था में वाहन की टक्कर में कार में लगा एयर बैग स्वचालित रूप से खुल जाता है, जिससे छोटी या बड़ी दुर्घटना में यात्री/वाहन सवार घायल होने से बच जाते हैं, चाहे वाहन एक ही जगह पर स्थिर क्यों न हो।
परिवादी द्वारा विपक्षीगण द्वारा दिए गए आश्वासन व सुरक्षा के वायदों से प्रभावित होकर एक कार/वाहन मॉडल नंबर टोयोटा एसयूवी मॉडल फॉर्च्यूनर 3.0 L2WD को 32,00,000/-रू0 का भुगतान कर क्रय किया गया। परिवादी द्वारा अपने परिवार की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए व कार/वाहन में स्थापित सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए विपक्षीगण के शीर्ष मॉडल को क्रय-प्रयोग हेतु चुना गया।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 10.11.2018 को प्रातः लगभग 6.25 बजे उपरोक्त वाहन को परिवादी का विश्वसनीय ड्राइवर चला रहा था, जो परिवादी के पुत्र को एयरपोर्ट छोड़ने के लिए अमौसी हवाई अड्डे लखनऊ की ओर जा रहा था। वाहन में परिवादी का पुत्र, परिवादी का गनर व ड्राइवर सवार थे। वाहन परिवादी के घर से निकल कर लगभग 90 किमी/घंटा की गति सीमा के भीतर चलाया जा रहा था। बछरांवा कस्बे के पास, जो कि रायबरेली-लखनऊ राजमार्ग पर एक छोटा सा कस्बा है, पर एक तेल-टैंकर ट्रक को बीच सड़क पर रिवर्स किया जा रहा था तथा मुख्य राजमार्ग पर कुछ आवारा जानवर भी भ्रमण कर रहे थे तभी ट्रक के अचानक चलने के कारण, परिवादी के वाहन का चालक सुरक्षित दूरी पर ब्रेक लगाने में असमर्थ/असफल था तथा वह ऐसा तभी कर सका जब वाहन तेल टैंकर के बेहद करीब था। ड्राइवर पूरी
-3-
तरह दाहिनी ओर वाहन को घुमाता चला गया, जिससे वाहन सड़क पर बने डिवाइडर से दो बार टकराया, जिसके बाद वाहन स्ट्रीट लाइट के खंभे से टकरा गया तथा उपरोक्त के पश्चात् वाहन लंबवत रूप से फिसल गया और अपने हैच पोस्ट पर उतर गया, जिससे वाहन अंततः सड़क पर घूम आया। वाहन बुरी तरह लगभग 100% दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। विपक्षीगण द्वारा दिए गए आश्वासन के विपरीत कार/वाहन में लगे एयर बैग नहीं खुले, जिसके परिणामस्वरूप वाहन में बैठे लोगों को चोटें आईं। कथन किया कि यदि एयर बैग खुल जाते तो वाहन में बैठे लोगों को चोट नहीं लगती।
परिवादी का कथन है कि कार/वाहन के एयरबैग न खुलने के कारण कार/वाहन के चालक व गनर को चोटें आईं, परिवादी के पुत्र को आंतरिक मामूली चोटें आईं क्योंकि वह कार/वाहन के पीछे बैठा था और घटना के पश्चात् पूरी तरह से सदमे की स्थिति में था। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि गनर की कार्बाइन राइफल दो हिस्सों में टूट गई। दुर्घटना के बावजूद कार/वाहन में स्थापित कोई भी एयरबैग नहीं खुला, जो पूरी तरह से विपक्षीगण के दावों को झुठलाता है। विपक्षी कम्पनी द्वारा अपने वाहन की सुरक्षा, सुविधाओं, मानक व गुणवत्ता के संबंध में भारत में बाजार सुरक्षित करने के लिए जनता को धोखा देने के लिए गलत प्रचार किया गया है। ऐसा करते हुए विपक्षीगण द्वारा गंभीर अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी गयी व अपर्याप्त सेवाएं प्रदान की गयी।
परिवादी का कथन है कि परिवादी रायबरेली के एक बेहद संपन्न राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखता है तथा स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष है। परिवादी लगभग दैनिक आधार पर अपने सामाजिक कर्तव्यों को निभाने के लिए अपने गृहनगर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर, नई दिल्ली लगभग 535 किलोमीटर की दूरी तथा निकटवर्ती जिले लखनऊ की यात्रा करता है।
-4-
परिवादी द्वारा यह वाहन केवल इस कारण खरीदा गया था कि इसमें उच्च स्तरीय सुरक्षा विशेषताएं हैं और अक्सर यात्रा करते समय इसकी आवश्यकता होती है। परिवादी द्वारा अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वाहन खरीदा गया, उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि विपक्षीगण के आश्वासन झूठे, पूर्व-निर्धारित, मनमाने और भ्रामक थे। अनुचित व्यापार प्रथाओं का शिकार बनाए जाने तथा विपक्षीगण द्वारा अपर्याप्त सेवाओं का शिकार होने के अलावा परिवादी को विपक्षीगण के व्यवहार, रवैये और कार्यों के कारण ठगा हुआ महसूस होता है।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 10 नवंबर, 2018 की सुबह जब वाहन के गंभीर दुर्घटनाग्रस्त होने के बावजूद कार में लगे एयरबैग नहीं खुले, तो बिना किसी संदेह के यह स्थापित हो गया कि कोई गंभीर खराबी/विनिर्माण दोष वाहन के एयरबैग सिस्टम में मौजदू है, जिसमें वाहन के inflator और propellant उपकरण भी शामिल होते हैं। विपक्षीगण द्वारा इन उपकरणों को अत्यधिक उच्च गुणवत्ता वाला और दुनिया में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकियों के रूप में प्रमाणित होने के लिए प्रचारित किया गया है। वाहन के एयरबैग सिस्टम के सुरक्षित होने पर हमेशा जोर दिया गया है, जिसे विपक्षी संख्या-1 द्वारा वाहन खरीदते समय स्पष्ट रूप से दोहराया व प्रभावित किया गया है। विपक्षी वास्तव में परिवादी को दोषपूर्ण वाहन बेचने के दोषी हैं और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 15.11.2018 को वाहन का सर्वेक्षण सरकार द्वारा अनुमोदित सर्वेक्षक, हानि निर्धारक एवं अन्वेषक, श्री संजय कुमार सिंह द्वारा किया गया, जिनके द्वारा उल्लिखित किया गया कि दुर्घटना की भयावहता को देखते हुए वाहन में एयर बैग खुल जाने चाहिए थे।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 16.11.2018 को परिवादी
-5-
द्वारा विपक्षीगण को दुर्घटना से अवगत कराते हुए एक लिखित पत्र प्रेषित किया गया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि ऐसे परिदृश्य में एयरबैग का न खुलना वाहन के एयर बैग सिस्टम में खराबी का संकेत देता है। यह भी उल्लेख किया गया था कि परिवादी की आवश्यकता पर उचित विचार-विमर्श के बाद विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को टोयोटा फॉर्च्यूनर का सुझाव दिया गया था। यह भी बताया गया कि वाहन में बैठे लोगों को भी गंभीर चोटें आई हैं और कार लगभग 100% क्षतिग्रस्त स्थिति में है। वाहन में आई समस्याओं और परिवादी को एक दोषपूर्ण वाहन बेचे जाने के कारण परिवादीगण द्वारा वाहन को वापस लेने की मांग की गयी तथा नुकसान के लिए 95,00,000/-रू0 और वाहन में बैठे घायल लोगों के लिए 10,00,000/-रू0 का मुआवजा मांगा।
परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा भेजे गए लिखित पत्र की प्राप्ति पर विपक्षीगण द्वारा दिनांक 27.11.2018 को विशेषज्ञों की एक टीम तैनात की, जिन्होंने उस स्थान का दौरा किया जहॉं दुर्घटना के बाद वाहन खड़ा था। तकनीशियनों में से एक श्री मुकेश द्वारा की गई प्रथम दृष्टया समीक्षा से पता चला कि उक्त दुर्घटना में कार के एयरबैग को सामान्य रूप से खुल जाना चाहिए था। इसी आशय के लिखित समर्थन के अनुरोध पर विपक्षीगण के तकनीशियनों द्वारा परिवादी को बताया गया कि उन्हें कार/वाहन की स्थिति या वाहन में किसी भी खराबी के बारे में विवरण प्रकट करने की अनुमति नहीं है और विपक्षीगण द्वारा बाद में उन्हें सूचित किया जावेगा।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 29.11.2018 को दुर्घटना और वाहन को बदलने के संबंध में विपक्षीगण और विपक्षीगण के वैश्विक प्रधान कार्यालयों को एक ई-मेल भेजा गया था, परन्तु विपक्षीगण द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं
-6-
की गयी। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को बार-बार आश्वासन दिया गया और आश्वस्त किया गया कि मामले में उचित जांच की जाएगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। विपक्षीगण द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि जब तक भुगतान नहीं हो जाता, कोई भी मरम्मत कार्य नहीं किया जायेगा।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 12.12.2018 को परिवादी द्वारा की गई शिकायत के संबंध में परिवादी को एक रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया कि दुर्घटना में वाहन के हेडलैम्प, बम्पर और फेंडर क्षतिग्रस्त हो गए। रिपोर्ट में बहुत ही चालाकी से यह उल्लेख किया गया कि दुर्घटना में वाहन के बायीं ओर चोट लगी थी, जो बिल्कुल गलत है क्योंकि गाड़ी को सामने से टक्कर लगी है, साइड से नहीं। यहॉं यह उल्लेख करना भी उचित है कि वाहन के इंटीरियर को भी अत्यधिक नुकसान पहुंचा था, एयर-बैग बॉक्स (वह स्थान जहां एयर-बैग आमतौर पर रखा जाता है) पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था, इतना कि वह विकृत हो गया था। विंडशील्ड बीम के साथ-साथ कार के इंटीरियर की छत को भी नुकसान पहुंचा था, जिससे यह साबित होता है कि दुर्घटना का प्रभाव कार के इंटीरियर पर भी काफी हद तक पहुंचा था।
परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दिनांक 24.12.2018 को एक और इलेक्ट्रॉनिक संचार भेजा गया था, जिसमें विपक्षीगण को चेतावनी दी गई थी कि उनके ढुलमुल रवैये के कारण परिवादी को काफी नुकसान हुआ है और अब वह अपने दावे के निपटारे के लिए उचित प्राधिकारी से संपर्क करेगा, परन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी के उक्त संचार दिनांक 24.12.2018 का कोई उत्तर नहीं दिया गया।
परिवादी का वाहन रायबरेली में परिवादी के स्कूल प्रांगण में
-7-
क्षतिग्रस्त पड़ा है। विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवाओं में कमी जानबूझकर की गई तथा परिवादी से कपटपूर्ण, गलत बयानी और धोखाधड़ी की गयी।
सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी से यह निर्विवादित है कि कई टोयोटा कारों और फॉर्च्यूनर मॉडलों में अंतर्निहित एयर बैग दोष देखा गया है और भारत को छोड़कर दुनिया भर में कई टोयोटा वाहनों को कम्पनी द्वारा मरम्मत हेतु वापस बुला लिया गया है। इस प्रकार यह बिल्कुल स्पष्ट है कि दुनिया भर में विपक्षी संख्या-2 के वाहन प्रमुख विनिर्माण दोषों से ग्रस्त हैं, विशेष रूप से खराब एयरबैग के कारण, जिसके दोषपूर्ण तैनाती से छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में कई चोटों के साथ-साथ मृत्यु भी हो सकती है।
कथन किया गया कि वर्ष 2012-2015 में ऑस्ट्रेलिया में विपक्षी संख्या-2 के वाहनों को बड़े पैमाने पर वापस बुलाया गया है। इतने बड़े पैमाने पर रिकॉल का कारण एयर बैग सिस्टम और उसके सेंसर में खराबी और एयर बैग से जुड़ी अन्य खामियां थीं। दुनिया भर में एयर बैग संबंधी डिफॉल्ट के कारण लाखों वाहनों को वापस बुलाया गया है। उक्त दोष वर्ष 2002 और 2015 के बीच बेचे गए मॉडलों में माना गया है। परिवादी को सेवाओं में कमी, अनुचित व्यापार प्रथा, लापरवाही और विपक्षीगण द्वारा गलत प्रतिनिधित्व के कारण मूल्यवान समय की हानि के अलावा गंभीर उत्पीड़न, गंभीर असुविधा, मानसिक पीड़ा, हताशा और मौद्रिक हानि का सामना करना पड़ा है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध इस न्यायालय के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गयी:-
i. DIRECT the opposite parties to refund an amount of Rs.32,00,000/- along with interest from date of the payment till the date of the refund and to take back the defective car.
-8-
ii. DIRECT the opposite parties to discontinue the Unfair Trade Practice and to pay a consolidated amount of Rs.50 Lakhs towards compensation and Damages to the complainant.
iii. DIRECT the opposite parties to pay appropriate Punitive Damages to the complainant in view of the serious deficiency in services.
iv. Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs.1,00,000/- (Rupee One Lakh Only) towards cost of the case.
v. Any other order which this Hon'ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवाद पत्र का विरोध करते हुए मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी इस न्यायालय के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आया है, क्योंकि परिवादी ने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया है कि उसने वर्तमान मामले के लंबित रहने के दौरान वर्ष 2021 में पहले ही संबंधित वाहन बेच दिया है और इस प्रकार वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता नहीं रह जाता है और ऐसी परिस्थितियों में परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी ने वर्ष 2023 में इस आयोग के समक्ष पुराना पंजीकरण प्रमाण पत्र दाखिल किया है, इस तथ्य के बावजूद कि परिवादी द्वारा वाहन पहले ही वर्ष 2021 में किसी अन्य व्यक्ति श्री जितेंद्र सिंह के पक्ष में बेचा गया और हस्तांतरित किया गया था, लेकिन उसने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया है। दिनांक 10-11-2018 को संबंधित वाहन की दुर्घटना के समय, एक तेल टैंकर सड़क के किनारे खड़ा था, जिसे स्पष्ट रूप से प्रश्नगत वाहन के चालक द्वारा देखा गया था। जब प्रश्नगत वाहन काफी आगे तेल टैंकर के करीब आया और चूंकि उक्त समय पर ब्रेक लगाना संभव नहीं था, इसलिए ड्राइवर ने वाहन को आगे
-9-
एकदम दाहिनी ओर बढ़ाया, जिसके कारण वाहन का बाईं ओर का अगला बम्पर टैंकर के पिछले हिस्से को छू गया, जिससे वाहन सड़क के डिवाइडर पर चढ़ने के बाद पोल से टकराया और बाईं ओर पलट गया।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी द्वारा इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी और यहॉं तक कि डीलरशिप को भी सूचना नहीं दी गई थी। इसके विपरीत दिनांक 27-11-2018 को (घटना के 17 दिनों के बाद) विपक्षीगण के विशेषज्ञों की टीम द्वारा कस्टमर लोकेशन पर वाहन का दौरा किया गया, जिन्होंने वाहन का निरीक्षण किया और पाया कि वाहन में कोई बड़ी क्षति नहीं हुई थी। प्रभाव केबिन क्षेत्र में स्थानांतरित नहीं हुआ, एयरबैग सेंसर और चेतावनी प्रकाश संचालन पूरी तरह से चालू था और कोई असामान्यता नहीं पायी गयी। विपक्षीगण की तकनीकी टीम द्वारा संपूर्ण निरीक्षण रिपोर्ट दिनांक 27-11-2018 प्रस्तुत की गयी। घटना के समय वाहन का बीमा नहीं था और परिवाद में इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि दुर्घटना के समय एयरबैग के खुलने की स्थिति नहीं थी, क्योंकि प्रभाव वाहन के बाईं ओर प्रमुख रूप से देखा गया था और केबिन क्षेत्र में स्थानांतरित नहीं हुआ था। इसके अलावा चूंकि दुर्घटना के समय ऑफ-सेट टक्कर होने के कारण एयरबैग सेंसर के साथ कोई संपर्क नहीं था, इसलिए दुर्घटना के समय एयरबैग खुल नहीं सका। परिवादी को न तो वाहन की मरम्मत में रुचि थी और न ही किसी तकनीकी सलाह में, लेकिन उसने वाहन के प्रतिस्थापन की अपनी एकल मांग उठाई जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है क्योंकि वाहन में कोई विनिर्माण दोष नहीं था। दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन के एयरबैग खुल नहीं सके क्योंकि वाहन के चेसिस पर कोई प्रहार नहीं हुआ था, जो
-10-
कि सामने बाईं ओर प्रमुख रूप से टकराया था और उसके बाद पलट गया था, जिससे वाहन के इंजन हुड, बम्पर और प्लास्टिक के हिस्से को नुकसान पहुंचा था। दुर्घटनाग्रस्त वाहन की तस्वीरों से स्पष्ट है कि वाहन के केबिन के अंदर डैशबोर्ड को कोई नुकसान नहीं हुआ था, इसलिए दुर्घटना के समय एयरबैग भी नहीं खुला था।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी की ओर से कोई वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। कथित तौर पर सर्वेक्षक और हानि मूल्यांकनकर्ता संजय कुमार सिंह द्वारा दी गई दिनांक 15-11-2018 की रिपोर्ट की कोई प्रासंगिकता नहीं है। परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवाद पत्र का विरोध करते हुए मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी साफ-सुथरे हाथों से नहीं आया है। वाहन में स्थापित एयर बैग मामूली टक्कर होने पर अपने आप खुल नहीं पाता है तथा यह कि प्रश्नगत वाहन में मामूली टक्कर हुई है। परिवादी का ड्राइवर कथित दुर्घटना के समय वाहन को बहुत लापरवाही से चला रहा था, वाहन की गति 110 किमी प्रति घंटा थी और ड्राइवर ने लापरवाही से ऑयल टैंकर को ओवरटेक किया। यह जानते हुए भी कि दुर्घटना हो सकती है, उसने वाहन की गति तेज कर दी, जिससे वाहन नियंत्रण से बाहर हो गया और वाहन को मामूली टक्कर लगी। कथित दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा कोर्इ एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं करायी गयी।
विपक्षी संख्या-2 का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 दुनिया भर में वाहन का एक प्रतिष्ठित निर्माता है तथा उसके विरूद्ध लगाया गया यह आरोप कि उसके द्वारा भारत में जनता को धोखा देने के लिए झूठा प्रचार किया गया बिल्कुल झूठ, मनगढ़ंत और आधारहीन है। विपक्षी पक्ष किसी भी अनुचित व्यापार प्रथाओं/प्रक्रियाओं में
-11-
शामिल नहीं हैं। विपक्षी संख्या-2 की ओर से सेवाओं में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को बदनाम करने और विपक्षीगण से अवैध रूप से भारी मात्रा में धन निकालने के लिए झूठा परिवाद प्रस्तुत किया गया है। श्री संजय कुमार सिंह वाहनों के एयर बैग से संबंधित मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं, उनकी रिपोर्ट बिल्कुल झूठी है।
विपक्षी संख्या-2 का कथन है कि परिवादी द्वारा लिखित संचार पर विपक्षीगण द्वारा मामले का सर्वेक्षण करने के लिए तकनीशियन टीम को मौके पर भेजा गया, जिसमें पाया गया कि संबंधित वाहन लापरवाही से चलाया गया था। ड्राइवर ने 110 KMPH की स्पीड से तेल टैंकर को ओवरटेक किया, जिससे गाड़ी को मामूली टक्कर लगी। टेक्नीशियन मुकेश ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी कि दुर्घटना के समय गाड़ी का एयर बैग खुलना जरूरी था। यह बिल्कुल गलत है कि विपक्षीगण ने परिवादी को वाहन बेचते समय परिवादी के साथ धोखाधड़ी की है। वाहन में कोई खराबी नहीं थी और न ही उसके एयर बैग में कोई खराबी थी।
विपक्षी संख्या-2 का कथन है कि परिवादी ने भारत में इस विशेष मॉडल को वापस बुलाने का उल्लेख नहीं किया है, इसलिए यह एक सामान्य कथन है और ऑस्ट्रेलिया में उपयोग के लिए निर्मित वाहनों में भारत की तुलना में भिन्न विशेषताएं हैं। परिवादी की गलती के कारण कथित दुर्घटना मामूली प्रभाव के साथ हुई। टोयोटा अपने वाणिज्यिक और लक्जरी वाहनों के लिए 1930-40 से जापान की अच्छी तरह से स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय कार निर्माता कंपनी है, जिसका निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण प्रभाग द्वारा किए गए बहुत सारे शोध और परीक्षण के बाद किया जाता है। परिवादी किसी भी क्षति का हकदार नहीं है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
-12-
परिवादी की ओर से साक्ष्य में परिवादी अवधेश बहादुर सिंह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षी संख्या-1 की ओर से साक्ष्य में प्रदीप सिंह परमार, सीनियर आफिसर, टेक्निकल डिपार्टमेन्ट, कस्टमर सर्विस डिवीजन का शपथ पत्र मय संलग्नक प्रस्तुत किया गया। विपक्षी संख्या-2 की ओर से साक्ष्य में अलका उपाध्याय, जनरल मैनेजर (सर्विस) का शपथ पत्र मय संलग्नक प्रस्तुत किया गया।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री ऋषभ राज, विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता सुश्री नन्दिता भारती तथा विपक्षी संख्या-2 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री पी0एन0 भार्गव को सुना गया तथा उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्रावली पर संलग्नक-3 श्री संजय कुमार सिंह, सर्वेक्षक, हानि निर्धारक एवं अन्वेषक की रिपोर्ट दिनांक 15.11.2018 की प्रति है, जिसमें निम्न तथ्य उल्लिखित किया गया है:-
“This is to bring to your kind notice that I have inspected Vehicle No. UP33AK2777, TOYOTA FORTUNER, Which was met with an accident, I have inspected that vehicle is badly damaged. Front Bumper broken and front member also got bent, but SRS Air bag not opened. Whereas during these kind of accidents it should be opened. I have done insurance survey of many accidental vehicles, in this type of scenario, air bag had opened.”
श्री संजय कुमार सिंह, सर्वेक्षक, हानि निर्धारक एवं अन्वेषक की उपरोक्त रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत दुर्घटना में परिवादी के प्रश्नगत वाहन के एयरबैग खुल जाने चाहिए थे तथा यह कि पत्रावली पर उपलब्ध दुर्घटनाग्रस्त वाहन की तस्वीरों को
-13-
देखने से यह नहीं कहा जा सकता है कि वाहन में कोई मामूली टक्कर हुई है। वाहन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है और इस परिस्थिति में वाहन के एयर बैग का न खुलना वाहन के मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट (निर्माण त्रुटि) की ओर इंगित करता है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्रावली पर संलग्नक-4 के रूप में परिवादी द्वारा विपक्षी प्रबंधक/क्षेत्र प्रबंधक, सनी टोयोटा, अमौसी हवाई अड्डे के पास, कानपुर रोड, लखनऊ को प्रेषित पत्र दिनांकित 16.11.2018 की प्रति है, जिससे स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी को उक्त पत्र प्रश्नगत वाहन के विनिर्माण सम्बन्धी दोष व सेवा में गम्भीर कमी के कारण क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए दुर्घटनाग्रस्त वाहन की तस्वीरों के साथ प्रेषित किया गया, जो पंजीकृत डाक के माध्यम से दिनांक 22.11.2018 को विपक्षी को प्रेषित किया गया, डाक रसीद की फोटो प्रति पत्रावली पर उक्त पत्र के साथ उपलब्ध है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्रावली पर संलग्नक-8 के रूप में उपलब्ध प्रपत्र/रिपोर्टस् से स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा एयर बैग सिस्टम से जुड़ी खामियों के कारण दुनिया भर में वर्ष 2002 और 2017 के बीच के बेचे गए वाहन मॉडलों को वापस बुलाया गया, जिससे स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा निर्मित वाहन दोषपूर्ण एयरबैग से प्रतिरक्षित नहीं हैं।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों/साक्ष्यों के सम्यक परीक्षण व परिशीलन के उपरान्त हम इस मत के हैं कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जो वाहन बेचा गया, उसमें मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट था, जिस कारण प्रश्नगत दुर्घटना में वाहन के एयर बैग खुल नहीं सके, जिसके परिणामस्वरूप वाहन में बैठे लोगों को चोटें आईं, जो विपक्षीगण की अनुचित व्यापार पद्धति एवं सेवा में कमी को
-14-
परिलक्षित करता है। अत: विपक्षीगण से परिवादी को त्रुटिपूर्ण वाहन बेचे जाने के संबंध में क्षतिपूर्ति 20,00,000/-रू0 (बीस लाख रूपए मात्र), हर्जाना 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपए मात्र) तथा परिवाद व्यय 25,000/-रू0 (पच्चीस हजार रूपए मात्र) दिलाया जाना उचित है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को क्षतिपूर्ति 20,00,000/-रू0 (बीस लाख रूपए मात्र) परिवाद योजित किए जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के साथ इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में भुगतान करे।
इसके साथ ही विपक्षीगण द्वारा परिवादी को हर्जाना 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपए मात्र) तथा परिवाद व्यय 25,000/-रू0 (पच्चीस हजार रूपए मात्र) इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में भुगतान किया जावे अन्यथा उक्त धनराशि (1,00,000/-रू0 एवं 25,000/-रू0) पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1