Uttar Pradesh

Bareilly-I

CC/355/2022

Vaseem Ur Rahman - Complainant(s)

Versus

Toyota Finance - Opp.Party(s)

28 Aug 2024

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- प्रथम बरेली

                                                                              उपस्थित-  1- राधेश्याम यादव          अध्यक्ष

                                                                                              2- श्रीमती मुक्ता गुप्ता      सदस्या

                                                                                              3- प्रशान्त मिश्रा            सदस्य

           

परिवाद संख्या- 355 सन् 2022
 

  1. वसीम-उर-रहमान पुत्र श्री अब्दुल मलिक, निवासी-352, वार्ड नं0-14, गौटिया, कस्बा रिछा, तहसील बहेडी, जिला-बरेली।
  2. प्रति
  3. प्रबन्धक टोयोटा फाईनेंशियल सर्विस इण्डिया लि0, रामपुर रोड, मिनी बाईपास, बरेली।

परिवाद संस्थित होने की तिथिः01-09-2022

निर्णय उद्घोषित करने की तिथिः28.08.2024

परिवादी के अधिवक्ता- श्री टी.डी. गौतम

विपक्षी के अधिवक्ता-श्री विशाल कुमार सहगल

 

 

  1.     परिवादी वसीर-उर-रहमान ने ऋण धनराशि की अदायगी के पश्चात नो-ड्यूज प्रमाण पत्र की प्राप्ति तथा अन्य मद में क्षतिपूर्ति हेतु विपक्षी के विरुद्ध परिवाद संस्थित किया है।
  2.    परिवाद के संक्षिप्त कथानक के अनुसार परिवादी ने एक चार पहिया वाहन/कार क्रय किये जाने हेतु ₹5,05,000/- का ऋण आवेदन विपक्षी के समक्ष प्रस्तुत किया था। परिवादी एंव विपक्षी के मध्य करार के अनुसार परिवादी को रुपये 10,732/- की दर से 60 मासिक किस्तो में ऋण की धनराशि को अदा करना था। विपक्षी द्वारा परिवादी को यह विश्वास दिलाया गया कि इसके अतिरिक्त अन्य कोई चार्ज वसूल नही किया जायेगा। अनुबन्ध की शर्तो के अनुसार परिवादी रुपये 6,76,116/- अदा कर चुका है, तथा परिवादी पर कोई ऋण धनराशि देय नही है, वर्तमान मे परिवादी ने ऋण की धनराशि रुपये 5,05,000/- पर रुपये 1,71,116/- अधिक ब्याज के रुप में अदा किया है, जबकि विपक्षी द्वारा अपने एकाउन्ट स्टेटमेन्ट में जो देय ब्याज की धनराशि अंकित की गयी है, वह रुपये 1,37,807/- है। परिवादी द्वारा ऋण धनराशि की अन्तिम किस्त दिनांक 30/04/2022 को अदा की गई थी और पन्द्रह दिन के पश्चात परिवादी  अपना नो-ड्यूज सार्टिफिकेट प्राप्त करने हेतु विपक्षी के कार्यालय पर गया तो टाल- मटोल कर नो-ड्यूज सार्टिफिकेट कुछ दिन बाद देने को कहा गया। विपक्षी द्वारा दिनांक 07/06/2022 को एक नोटिस इस आशय का प्रेषित किया गया कि परिवादी पर रुपये 51,804/- देय है। परिवादी के अधिवक्ता द्वारा प्रत्युत्तर विपक्षी को प्रेषित किया जा चुका है। परिवादी द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से प्रत्युत्तर प्रेषित करने के बावजूद भी विपक्षी के एजेन्ट प्रार्थी के घर पर आकर धमकी देने के साथ वाहन खिचवा कर जब्त किये जाने की कार्यवाही करने को कह रहे हैं। परिवादी द्वारा निरन्तर आग्रह करने के बावजूद भी विपक्षी ने नो-ड्यूज सार्टिफिकेट निर्गत नही किया तथा ऋण धनराशि की अदायगी पूर्ण होने के बाद भी रुपये 51,804/- की देनदारी गलत ढंग से विपक्षी द्वारा परिवादी पर दिखायी गयी है। विपक्षी द्वारा परिवादी से धोखाधडी करके विधिक सेवा मे त्रुटि की गई है।
  3.    सूची कागज संख्या-6 से विपक्षी से प्राप्त नोटिस, एकाउन्ट स्टेटमेन्ट, ऋण क्लोजर रिपोर्ट, अंतिम भुगतान रसीद को परिवादी ने प्रलेखीय साक्ष्य के रुप मे प्रस्तुत किया है। परिवादी ने शपथपत्र पर एकपक्षीय साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है।
  4.   विपक्षी की तरफ से प्रस्तुत लिखित कथन के माध्यम से परिवाद के कथानक का खण्डन किया गया है। लिखित कथन में अंकन के अनुसार परिवादी का कथानक कपोलकल्पित एंव भ्रामक है। परिवादी ने वास्तविक तथ्य को छिपाते हुए कपोलकल्पित ढंग से मिथ्या कथन के आधार पर परिवाद संस्थित किया है। परिवादी ने विहित समयावधि मे ऋण किस्त का भुगतान न करके डिफाल्टर रहा है। विपक्षी ने अभिलेख में अंकित देय ऋण धनराशि की प्राप्ति हेतु परिवादी को नोटिस निर्गत किया था। विपक्षी द्वारा निर्गत नोटिस मे उल्लिखित देय ऋण धनराशि के भुगतान हेतु परिवादी बाध्य है। परिवाद पोषणीय नही है। परिवाद के निस्तारण का क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता आयोग को नही है। लिखित कथन के माध्यम से परिवाद को विशेष हर्जा के साथ निरस्त करने की याचना की गई है।
  5.  विपक्षी की तरफ से पार्थ सचदेवा, विधिक प्रबन्धक द्वारा शपथपत्र पर मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत की गई है। विपक्षी द्वारा कोई प्रलेखीय साक्ष्य नही प्रस्तुत की गई है।
  6.  दिनांक 02/08/2023 को विपक्षी की तरफ से शपथपत्र पर साक्ष्य प्रस्तुत करने के उपरान्त निरन्तर तर्क की तिथि पर कोई उपस्थित नही आया। परिवादी एंव उसके विद्वान अधिवक्ता की उपस्थिति का उल्लेख लगातार पत्रावली पर है। परिवादी के अधिवक्ता द्वारा अवगत कराया गया कि फोन से वार्ता करने पर विपक्षी अधिवक्ता ने पैरवी छोड देना बताया था। विपक्षी को तर्क हेतु दस तिथियो पर लगभग एक वर्ष तक पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी तर्क हेतु उपस्थित न आने पर परिवादी के अधिवक्ता का तर्क एकपक्षीय रुप से सुना गया।
  7.     परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क के अनुसार परिवादी ने वाहन कार क्रय करने हेतु रुपये 10,732/- की 60 मासिक किस्त के आधार पर रुपये 5,05,000/- का ऋण लिया था। विपक्षी से ली गयी ऋण धनराशि रुपये 5,05,000/- पर परिवादी ने रुपये 1,71,116/- ब्याज का भुगतान किया है। विपक्षी ने गलत ढंग से लोन एकाउन्ट विवरण मे भुगतान की गई ब्याज की धनराशि रुपये 1,37,807/- दर्शाया है। ब्याज सहित देय धनराशि से अधिक धनराशि परिवादी द्वारा विपक्षी को भुगतान किये जाने के बावजूद भी विपक्षी ने अदेयता प्रमाण पत्र (नो-ड्यूज सार्टिफिकेट) निर्गत नही किया। परिवादी द्वारा अंतिम ऋण किस्त के भुगतान किये जाने के उपरान्त निरन्तर आग्रह के बावजूद भी विपक्षी ने अदेयता प्रमाण पत्र (नो-ड्यूज सार्टिफिकेट) निर्गत नही किया। दिनांक 05/08/2022 को विपक्षी के अभिकर्ता ने परिवादी के घर आकर रुपये 51,804/- की अतिरिक्त धनराशि की माँग करते हुए कार सीज करने की धमकी दिया। विपक्षी द्वारा विधि विरुद्ध ढंग से अतिरिक्त धनराशि की माँग करते हुए अनुचित व्यापार करके विहित सेवा मे त्रुटि की गई है। परिवाद के माध्यम से परिवादी ने विपक्षी से अदेयता प्रमाण पत्र (नो-ड्यूज सार्टिफिकेट) तथा 1,20,000/- क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की याचना किया है।
  8.   परिवादी की तरफ से किये गये तर्क एंव कथन के अनुसार उसने संविदा के अनुरुप 60 मासिक किस्त मे कुल 6,76,116/- का भुगतान विपक्षी ऋण प्रदाता को कर दिया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क के अनुसार रुपये 10,732/- प्रतिमाह की 60 मासिक किस्त के माध्यम से विपक्षी को मात्र रुपये 6,43,920/- का भुगतान किया जाना था। परिवादी द्वारा रुपये 32,196/- की धनराशि अपेक्षाकृत अधिक विपक्षी को भुगतान किए जाने के बावजूद भी अतिरिक्त धनराशि की माँग करके विपक्षी ने विहित शर्त का उल्लंघन किया है। परिवादी की तरफ से प्रस्तुत शपथपत्र पर कथन एंव प्रलेखीय साक्ष्य तथा तर्क को विपक्षी की तरफ से खण्डित नही किया जा सका है। परिवादी की तरफ से प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य अखण्डित होने के कारण परिवाद एकपक्षीय रुप से अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है।

 

  •  

परिवाद एकपक्षीय रुप से अंशतः स्वीकार करते हुए विपक्षी फाइनेन्स कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि सूची कागज संख्या-6 से प्रस्तुत प्रलेखो के समतुल्य ऋण खाते का पुनर्विलोकन करके दो माह की अवधि के अंतर्गत अदेयता प्रमाण पत्र (नो-ड्यूज सार्टिफिकेट) निर्गत किया जाना सुनिश्चित करें। उक्त दो माह की अवधि मे रुपये 10,000/- की धनराशि वाद व्यय के मद मे विपक्षी द्वारा प्रतिवादी को देय होगी।

 

 

            (प्रशान्त मिश्रा)            (मुक्ता गुप्ता)             (राधेश्याम यादव)

               सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

       जिला उप0वि0प्रति0आयोग   जिला उप0वि0प्रति0आयोग    जिला उप0वि0प्रति0आयोग

             प्रथम बरेली।              प्रथम बरेली।               प्रथम बरेली।

        यह निर्णय आज दिनांक 28-08-2024 हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले मंच पर उद्घोषित किया गया।

 

 

             (प्रशान्त मिश्रा)           (मुक्ता गुप्ता)             (राधेश्याम यादव)

               सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

       जिला उप0वि0प्रति0आयोग   जिला उप0वि0प्रति0आयोग    जिला उप0वि0प्रति0आयोग

             प्रथम बरेली।              प्रथम बरेली।               प्रथम बरेली।

       दिनांक- 28-08-2024

 

 

  

 

 

 

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