राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1953/2017
(जिला फोरम, मैनपुरी द्धारा परिवाद सं0-82/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.8.2017 के विरूद्ध)
PHI Seeds Private Limited 3rd Floor, Babukhan’s Millennium Centre, 6-3-1099/1100 Somajiguda, Hyderabad, Andhra Pradesh.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
1- Totaram Yadav, S/o Shripal Yadav, Gram-Dhutara, Tehsil-Bhogaon, District-Mainpuri, Uttar Pradesh.
…….. Respondent/ Complainant
2- Kisan Khadya Kendra Farukhabad Road, Bevar, District- Mainpuri, Uttar Pradesh.
…….. Respondent/ Opp. Party
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री हरि शंकर
प्रत्यर्थी सं0-1 के अधिवक्ता : श्री आलोक यादव
प्रत्यर्थी सं0-2 के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 07.12.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-82/2014 तोता राम यादव बनाम किसान खाद केन्द्र, फर्रूखाबाद रोड़, वेवर जिला मैनपुरी व एक अन्य में जिला फोरम, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 31.8.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
-2-
आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।
विपक्षीगण को संयुक्त रूप से एवं प्रथक-प्रथक रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को इस निर्णय एवं आदेश के उपरांत एक माह में 75,000.00 (पचहत्तर हजार रूपया मात्र) प्रदान कर दें। यदि विपक्षीगण उपरोक्त समय में ऐसा न करे तो परिवादी इस फोरम के माध्यम से प्राप्त कर सकेगा।
विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 2,000.00 (दो हजार रूपया मात्र) अदा करेंगे।
विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को वाद व्यय के रूप में 500.00 (पॉच सौ रूपया मात्र) अदा करेंगे।
विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे उपरोक्त धनराशि यदि एक माह में अदा न करें तो वास्तविक रूप से अदा करने तक उपरोक्त धनराशि पर निर्णय के दिनांक से 07 प्रतिशत (सात प्रतिशत) वार्षिक ब्याज अदा करेंगे।”
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी सं0-2 पीएचआई सीड्स प्रा0लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
-3-
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री हरि शंकर और प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक यादव उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी सं0-2 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गई है, जो अदम तामील वापस नहीं आई है। अत: नोटिस का तामीला उन पर पर्याप्त माना गया है, फिर भी उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमनें अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है। मैंने लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी सं0-1 ने अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी सं0-2 है का पैदा किया हुआ बीज मक्का 31वाई 45, 40 किलो प्रत्यर्थी सं0-2 जो परिवाद में विपक्षी सं0-1 है से दिनांक 15.3.2014 को खरीदा। बीज खरीदते समय प्रत्यर्थी सं0-2 ने उसे बताया कि 31वाई 45 प्रजाति का मक्का यह बीज 75 कुन्तल प्रति हैक्टेयर के अनुसार उत्पादन देता है। तब उसने प्रत्यर्थी सं0-2 को 10,000.00 रू0 देकर 40 किलो मक्का का यह बीज खरीदा और मक्का का यह बीज उसने दो हैक्टेयर भूमि में खेत की जुताई व तैयारी कर बोया। तदोपरांत मक्के की फसल की सिंचाई, निराई व गुडाई करवायी और दो बार में
-4-
पॉच बोरी यूरिया खाद भी डलवाया। परन्तु जब मक्के की फसल में भुटटे निकलने का समय आया तो पौधों में भुटटे नहीं निकले। कुछ पौधों में भुटटे आये भी तो उसमें दाने ही नहीं पडे। प्रत्यर्थी/परिवादी ने भुटटों को खोल कर देखा और अन्य लोगों को दिखाया तो सभी ने बताया कि या तो मक्के का बीज पुराना दिया है अथवा फसल के अनुसार नहीं दिया है। तदोपरांत प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी से शिकायत की तो उन्होंने उसकी शिकायत पर खेत में खडी मक्का की फसल को देखा और सूक्ष्मता से फसल का निरीक्षण किया तथा अपनी रिपोर्ट दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी सं0-2 ने उसे जो अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा पैदा किया गया बीज विक्रय किया था वह खराब था जिससे मक्का की फसल उसे नहीं मिली है और उसे घोर मानसिक कष्ट हुआ है। अत: उसने अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 एवं प्रत्यर्थी सं0-2 से क्षतिपूर्ति करने का निवेदन किया। परन्तु उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। तब क्षुब्ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
11- यह कि परिवादी को लागत में कुल आर्थिक क्षति 24 बीघा खेत की तैयारी यानी जुताई में 15000.00 रूपया खर्चा आया तथा घूरा डलवाने में करीब 48000.00 रूपया दो ट्राली प्रति बीघा के हिसाब से मजदूरी खर्चा निराई गुडाई 7500.00 तथा डी0ए0पी0 5 बोरी 5650.00 रूपया मक्काके बीज की खरीद में 10000.00 रूपया, 8 पानी 14880.00 रूपया तथा 700.00 रूपया मजदूरी परेवट खर्चा 1860.00 रूपया
-5-
कीटनाशक दवाई तथा छिडकाव 4000.00 रूपया व लेवर चार्ज 800.00 रूपया यूरिया 5 बोरी 1700.00 रूपया तथा मक्का की पैदावार 144 कुन्तल 1500.00 रूप प्रति कुन्तल के हिसाब से 216000.00 रूपया का नुकसान हुआ।
12- यह कि मानसिक परेशानी हेतु 50,000.00 रू0 तथा परिवाद का खर्चा तथा फीस अधिवक्ता 7000.00 रू0 भी परिवादी से कुल मुवलिग 3,83,010.00 रू0 विपक्षी सं परिवादी को मय ब्याज दिलाया जाना न्यायहित में आवश्यक है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी सं0-2 ने लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा है कि दिनांक 15.3.2014 को उसने 31वाई 45 पाइनियर मक्का का बीच प्रत्यर्थी/परिवादी को विक्रय किया था। जिसे उसने किसान खाद भण्डार वेवर से दिनांक 05.3.2014 को विधिवत क्रय किया था जिसे खाद भण्डार वेवर ने अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी सं0-2 है के क्षेत्रीय डीलर पारेख इन्टरग्रेटेड सर्विसिज प्रा0लि0 ई-195 ट्रांसपोर्ट नगर कानपुर रोड़ लखनऊ से दिनांक 10.01.2014 को क्रय किया था। परन्तु अपीलार्थी विपक्षी के उपरोक्त क्षेत्रीय डीलर को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: परिवाद में आवश्यक पक्षकार न बनाये जाने का दोष है। लिखित कथन में प्रत्यर्थी सं0-2 जो परिवाद में विपक्षी सं0-1 है ने कहा है कि अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी सं0-2 है की कम्पनी अच्छी शाख वाली बीज उत्पादक कम्पनी है वह उच्च गुणवत्ता के बीजों का उत्पादन कराकर वैज्ञानिक विधि से जॉच कराकर उनका विपणन करती हैं।
-6-
प्रत्यर्थी सं0-2 ने लिखित कथन में कहा है कि उसने प्रत्यर्थी/परिवादी को विक्रीत बीजों की पैदावार के सम्बन्ध में कोई गारण्टी अथवा वारण्टी नहीं दिया था। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया है।
प्रत्यर्थी सं0-2 जो परिवाद में विपक्षी सं0-1 है ने लिखित कथन में कहा है कि अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या दिनांक 08.6.2014 से स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने दिनांक 07.6.2014 को किस गाटा संख्या में लगी फसल की मौके पर जाकर एक पक्षीय रूप से जॉच की थी। लिखित कथन में उसने आगे कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी राजनैतिक व्यक्ति है जिसके प्रभाव में आकर अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी ने असत्य आख्या प्रस्तुत की है। किसी अन्य व्यक्ति ने बीज की शिकायत नहीं की है।
अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी सं0-2 है की ओर से भी लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवाद पत्र में बीज का बैच नंबर, लौट नंबर, निर्माण की तिथि आदि अंकित नहीं है। इसके साथ ही अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी सं0-2 है की ओर से लिखित कथन में कहा गया है कि मक्का की फसल अत्याधिक तापमान परागण आदि से प्रभावित होती है। यदि किसान समय से सिंचाई नहीं करेगा तो परागण नहीं होगा। प्रत्यर्थी/परिवादी की फसल में कमी हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने
-7-
फसल बोने की प्रक्रिया का वर्णन नहीं किया है। उसने यह भी नहीं बताया है कि खेत कब तैयार किया गया और बीज कब बोया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि परिवाद में कथित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। अत: जिला फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि धारा-13 (1) (सी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार नमूने का प्रयोगशाला से विश्लेषण कराये बिना और आख्या प्राप्त किये बिना परिवाद चलने योग्य नहीं है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि उससे प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोई शिकायत नहीं की है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा पैदा किया गया बीज मानक के अनुरूप नहीं था इस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी को मक्का की फसल से उपज प्राप्त नहीं हुई है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित रूप से खरीदे गये मक्का के बीज का परीक्षण धारा-13
-8-
(1) (सी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विशेषज्ञ से नहीं कराया गया है। अत: बीज दोषपूर्ण मानने हेतु उचित आधार नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या से बीज दोषपूर्ण होना प्रमाणित नहीं होता है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मक्का की बुआई विलम्ब से किये जाने एवं सिंचाई आदि उचित ढंग से न किये जाने के कारण मक्के में भुटटा नहीं निकला है और दाना नहीं पडा है। मक्का में भुटटा न आने व दाना न पडने का कारण बीज की गुणवत्ता नहीं वरन समय से बुआई न किया जाना और सिंचाई समय से न किया जाना है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा Zimidar Agro Center and Anr. Vs. Sukhdev Singh and Anr. के वाद में पारित निर्णय जो 2017 (4) CPR 241 (NC) में प्रकाशित है में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर अपर जिला कृषि अधिकारी की आख्या अविश्वसनीय एवं महत्वहीन है।
उपरोक्त निर्णय में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने फसल का भौतिक निरीक्षण कर कृषि अधिकारी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट व बीज कम्पनी की लेबोरेट्ररी की आख्या पर विचार कर निम्न मत व्यक्त किया है:-
“…Had the manufacturer not produced valid reports from a duly accredited laboratory in respect of lot from
-9-
which seeds were sold to the complainant, the fora below would have been justified in accepting the report of the Agriculture Officer based upon the site inspection. But, when report from the accredited laboratories is produced, validating the quality of the seeds of a particular lot of a particular variety and it is shown that seeds of the same lot, of the same variety, were purchased by the complainant, it would not be justified to rely upon the report of the Agriculture Officer based upon the site inspection alone. This is more so, when no witness is associated with the field inspection and the complainant frustrates the scheduled final inspection by the Agriculture Officer by levelling the field before the said scheduled inspection.”
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा तैयार किये गये 31वाई 45 मक्का का बीज प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी सं0-2 जो परिवाद में विपक्षी सं0-1 है से क्रय किया और खेत की पूर्ण तैयारी कर उसकी बुआई की। उसने खेत की सिंचाई व निराई भी की परन्तु मक्के में भुटटा नहीं आया और जो भुटटा आया उसमें दाना नहीं पडा। ऐसा मात्र बीज की गुणवत्ता में कमी के कारण हुआ है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत पर अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी ने निरीक्षण कर अपनी आख्या दिया है। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि फसल में लगभग 50 प्रतिशत पौधों में भुटटा नहीं बना है और जिन
-10-
पौधों में भुटटा बना है उसमें दाना बहुत कम पडा है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी ने यह माना है कि बीज की गुणवत्ता संदिग्ध होने के कारण पौधों में भुटटा न आने और दाना न पडने की शिकायत है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय तथ्य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रत्यर्थी सं0-2 ने जिला फोरम के निर्णय व आदेश के विरूद्ध अपील नहीं प्रस्तुत की है।
क्रय किये गये बीज की गुणवत्ता के सम्बन्ध में विवाद उपभोक्ता विवाद है और परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य है।
अपीलार्थी बीज उत्पादक कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को बिक्री किये गये बीज की लेबोरेट्ररी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया है।
बीज की अब विशेषज्ञ से जॉच कराया जाना सम्भव नहीं है क्योकि बीज की बुआई किये जाने के बाद फसल (भुटटा) न आने की समस्या उत्पन्न हुई है। ऐसी स्थिति में धारा-13 (1) (सी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत बीज का परीक्षण विशेषज्ञ से कराया जाना सम्भव नहीं है। ऐसी स्थिति में अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की
-11-
आख्या बीज की गुणवत्ता के निर्धारण हेतु महत्वपूर्ण साक्ष्य है। अपीलार्थी उत्पादक कम्पनी ने बीज की लेबोरेट्ररी जॉच की आख्या प्रस्तुत नहीं किया है। अत: अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या पर विश्वास न करने हेतु उचित आधार नहीं है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 जो परिवाद में विपक्षी सं0-1 है ने लिखित कथन में स्वीकार किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उत्पादित 31वाई 45 मक्का के बीज की बिक्री दिनांक 15.3.2014 को प्रत्यर्थी/परिवादी को की है। परिवाद पत्र एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के शपथपत्र के कथन से स्पष्ट है कि उसने इस बीज की बुआई अपने खेत में की है और खेत की निराई और सिंचाई की है। परन्तु भुटटा नहीं आया है और जिन पौधों में भुटटा आया है उसमें दाना कम पडा है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र व शपथपत्र में किये गये कथन का समर्थन अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या से होता है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने मक्का के खेती से सम्बन्धित लेख प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार बसंत ऋतु (Spring Season) में मक्का की बुआई हेतु समय First week of February होना अंकित है। परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी द्वारा निर्मित बीज प्रत्यर्थी सं0-2 से दिनांक 15.3.2014 को क्रय किया है और उसके बाद बोया है। बसंत ऋतु (Spring Season) में बुआई का समय समाप्त होने के बाद बसंत ऋतु (Spring Season) के बीज की बिक्री बाजार में किया जाना अपने आप में अनुचित व्यापार पद्धति और सेवा में कमी है। अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या
-12-
से स्पष्ट है कि उन्होंने दिनांक 07.6.2014 को प्रत्यर्थी/परिवादी के मक्क की फसल का निरीक्षण किया तो पाया है कि 50 प्रतिशत पौधों में भुटटे नहीं लगे हैं और 50 प्रतिशत पौधों में जो भुटटे लगे हैं उनमें दाने नाम मात्र के बहुत कम पडे हैं। अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी ने अपनी आख्या में बीज की गुणवत्ता को संदिग्ध माना है। अपीलार्थी द्वारा बीज की गुणवत्ता के सम्बन्ध में लेबोरेट्ररी की जॉच आख्या प्रस्तुत न किये जाने के कारण अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की ऑख्या पर विश्वास न किया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्य और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी के मक्का के बीज को मानक के अनुरूप नहीं माना है और दोषपूर्ण माना है उसे अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी सं0-2 से 31वाई 45 पाइनियर 40 किलो मक्का बीज की खरीद की रसीद प्रस्तुत किया है जिससे स्पष्ट है कि उसने 10,000.00 रू0 में यह बीज खरीदा है और अपर जिला कृषि अधिकारी मैनपुरी की आख्या से स्पष्ट है कि मक्का की फलस में 50 प्रतिशत पौधों में भुटटा नहीं आया है। 50 प्रतिशत पौधों में ही भुटटा आया है और जिन 50 प्रतिशत पौधों में भुटटा आया है उनमें दाने ठीक से नहीं पडे हैं। अत: बीज की गुणवत्ता में कमी के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा क्षति की पूर्ति दिलाया जाना उचित है। सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करते हुए जिला फोरम
-13-
द्वारा आदेशित क्षतिपूर्ति की धनराशि 75,000.00 रू0 अधिक नहीं कही जा सकती है। जिला फोरम ने जो 500.00 रू0 वाद व्यय एवं 2,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति मानसिक कष्ट हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह भी अधिक नहीं है।
सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो आदेशित धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज आदेशित धनराशि का भुगतान जिला फोरम के निर्णय से एक मास के अन्दर न करने पर निर्णय की तिथि से दिया है उसे संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाना उचित है कि इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर आदेशित धनराशि का भुगतान जिला फोरम के निर्णय के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी को किया जाये और यदि इस अवधि में आदेशित धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं किया जाता है तब प्रत्यर्थी/परिवादी को आदेशित धनराशि पर 06 प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज जिला फोरम के निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक दिलाया जाये।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश को संशोधित करते हुए आदेशित किया जाता है कि जिला फोरम द्वारा आदेशित सम्पूर्ण धनराशि इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर जिला फोरम के निर्णय के अनुसार अपीलार्थी और प्रत्यर्थी सं0-2
-14-
प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करे। यदि इस तीन मास की अवधि में जिला फोरम द्वारा आदेशित धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं किया जाता है तब प्रत्यर्थी/परिवादी आदेशित धनराशि पर जिला फोरम के निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-2 से पाने का अधिकारी होगा।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु जिला फोरम को प्रेषित की जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (गोवर्धन यादव)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1