राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1574/2012
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय बरेली द्वारा परिवाद संख्या-217/2007 में पारित आदेश दिनांक 23.06.2012 के विरूद्ध)
अधीन पाल सिंह पुत्र सियाराम निवासी खमरिया थाना फरीदपुर जिला बरेली।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
- जागन लाल मौर्य पार्टनर तिरूपति बाला जी कोल्ड स्टोर फरीदपुर जिला बरेली।
2-पार्टनर तिरूपति बाला जी कोल्ड स्टोर फरीदपुर जिला बरेली।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इकबाल हुसैन।
दिनांक: 17-02-2016
माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय बरेली द्वारा परिवाद संख्या-217/2007 में पारित आदेश दिनांक 23.06.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्नवत् है:-
'' परिवादी का प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है। पक्षकार वाद व्यय स्वं वहन करेंगे।'' इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का काश्तकार है और उसने अपनी कृषि योग्य भूमि में वर्ष 2006-07 में आलू की खेती की व जिसमें उसका करीब 76 बोरी आलू की पैदावार हुई। परिवादी उपभोक्ता है तथा परिवादी ने विपक्षी को किराया अदा किया है जिसकी आलू की जिम्मेदारी विपक्षी की है। परिवादी ने आलू सुरक्षित भण्डारण हेतु विपक्षी के कोल्ड स्टोर तिरूपति बाला जी फरीदपुर जिला बरेली में कुल 76 बोरी आलू 103 रूपये प्रति बोरी किराये के हिसाब से दिनांक 07-03-07 को जमा किया व विपक्षी ने आलू जमा करने की रसदी क्रमांक 471/76 दिया। जब परिवादी दिनांक 07-11-07 को उक्त जमा आलू विपक्षी के कोल्ड स्टोर से निकालने गया तो देखा कि परिवादी का पूरा आलू सडा हुआ था जिस कारण परिवादी ने आलू नहीं उठाया व तुरन्त विपक्षी से आलू खराब होने की बाबत शिकायत की तो विपक्षी ने वादी को गन्दी गालियॉं दी और कहा कि आलू सड गया है तो क्या करें। परिवादी ने आलू का जमा किराया वापस मांगा जो विपक्षी ने वापस नहीं किया। विपक्षी ने आलू के नुकसान की कीमत व किराया वापस करने से इंकार कर दिया। परिवादी ने रजिस्टर्ड नोटिस दिया लेकिन विपक्षी ने कोई उत्तर नहीं दिया और न ही आलू की कीमत व किराया ही वापस किया इसलिए यह परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी संख्या-1 ने अपनेउत्तर में कहा कि तिरूपति बाल जी कोल्ड स्टोर लाईसेंस याफता है और कोल्ड स्टोरेज से संबंधित उ0प्र0 एक्ट संख्या-11 सन् 1976 के अधीन काम करता चला आ रहा है। विपक्षी का कथन है कि परिवादी का आलू तिरूपति बाला जी कोल्ड स्टोर में व्यापारिक उद्देश्य से रखा था। परिवादी एक व्यापारीहै जो आलू की खरीद फरोख्त करता है ओर उसने आलू इस आशय से कोल्ड स्टोरेज में यरखा तथा आलू की कीमत बढ़ने पर उसे बाजार में बेचकर लाभ कमायेगा। इस कारण उसका यह कार्य व्यापारिक है लिहाजा परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादी ने दिनांक 07-11-07 को जमा आलू का किराया अदा करवा दिया और स्वयं दिनांक 08-11-07 को शीतगृह से अपना उपरोक्त आलू निकलवा लिया और कोल्ड स्टोरेज के परिसर में एक तरफ सुरक्षित यह कहकर रखवा दिया कि वह अपने आलू को उठवाने के लिए सवारी का इन्तजाम करने जा रहा है परन्तु परिवादी इसके बाद कई दिन तक नहीं आया। विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में आलू खराब हो जाने व विपक्षी उत्तरदाता द्वारा गाली गलौज करने के संबंध में में सरासर गलत व बेबुनियाद बाते कही है। विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह कानूनी आपत्ति उठायी गयी है कि वह इस कोल्ड स्टोरेज का न तो प्रबन्धक है और न ही इस फर्म का साझीदार है उसे गलत तरीके से इस केस में पक्षकार बनाया गया है।
विपक्षी संख्या-2 ने अपने उत्तर में कहा कि तिरूपति बाला जी कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री शाहजहॉपुर रोड, फरीदपुर जिला बरेली में विगत कई वर्षों से काम करता चला आ रहा है और उत्तरदाता इसका पार्टनर है। उत्तरदाता के उक्त कोल्ड स्टोरेज में आलू अन्य उत्पादक भण्डारण हेतु रखे जाते है आलू रखे जाते समय आलू जमाकर्ता को यह भलीभॉंति बता व समझा दिया जाता है कि उन्हें हर दशा में कलेन्डर वर्ष के माह अक्टूबर के अंत तक अपना आलू निकाल लेना होगा और ऐसी ही जानकारी परिवादी को भी दी गयी थी, लेकिन उसने आलू नहीं निकाला।विपक्षी संख्या-2 का यह भी कथन है कि विपक्षी ने उसके नोटिस का जवाब नहीं दिया सरासर गलत व भ्रामकहै। तिरूपति कोल्ड स्टोरेज के पार्टनर द्वारा उक्त नोटिस का मुनासिब जवाब फौरन दिनांक 20-11-07 को दे दिया गया था। विपक्षीगण द्वारा उसकी सेवाओं में कमी व त्रुटि नहीं की गयी है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा यह आपत्ति भी की गयी कि जागन लाल मौर्य को परिवादी ने अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया है। वह इस कोल्ड स्टोरेज का न तो प्रबन्धक और न ही इस फर्म का साझीदार है। विपक्षी संख्या-2 ने यह भी कानूनी आपत्ति उठायी है कि उत्तर प्रदेश कोल्ड रेगूलेटिंग एक्ट 1976 के अन्तर्गत भंडारित माल के क्षतिग्रस्त होने की दशा में क्षतिपूर्ति के निर्धारण का अधिकार केवल लाईसेंसिंग अधिकारी को है। इस आधार पर जिला फोरम में परिवाद संधारणीय नहीं है। अत: परिवादी का परिवाद खारिज करने का अनुरोध किया है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री इकबाल हुसैन उपस्थित आए। हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया और अभिलेख का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल की गयी और यह कहा गया कि उसने 76 बोरी आलू रखे थे और जब अपीलार्थी/परिवादी आलू निकालने गया तो उससे 7828/-रू0 जमा करने हेतु कहा गया और परिवादी/अपीलार्थी ने धनराशि जमा कर दी। और जब वह आलू लेने गया तो पूरा आलू सड़ा हुआ था। जिस पर परिवादी/अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी धनराशि व आलू वापस मांगा जिसे प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया। इसलिए यह अपील योजित की गयी है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से लिखित बहस दाखिल की गयी और कहा गया कि परिवादी/अपीलार्थी द्वारा अपील गलत तरीके से दाखिल की गयी है और जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है।
आधार अपील में मुख्य रूप से यह अभिवचति किया गया कि परिवादी/अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत कोल्ड स्टोरेज से आलू प्रापत नहीं किया गया था और इस संदर्भ में जिला मंच द्वारा दिया गया निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण है। इस संदर्भ में उभयपक्ष का अभिकथन उल्लेखनीय है।परिवाद पत्र की धारा-3 में स्पष्ट रूप से यह अभिवचित किया गया कि दिनांक 07-11-07 को परिवादी/अपीलार्थी विपक्षी/प्रत्यर्थी के कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने गया और कोल्ड स्टोरेज का पूरा किराया 7828/-रू0 जमा किया और परिवाद पत्र की धारा-4 में स्पष्ट रूप से अभिवचित किया गया कि जब वह आलू निकालने कोल्ड स्टोरेज में गया तो वहॉं देखा कि परिवादी का पूरा आलू सड़ा हुआ था जिस कारण परिवादी ने खराब आलू नहीं उठाया और तुरन्त विपक्षी से आलू खराब होने की बावत शिकायत की, तो विपक्षी ने परिवादी को गन्दी-गन्दी गालियॉं दी और कहा कि आलू सड़ गया तो वह क्या करें, तब परिवादी ने अपनी आलू का जमा किराया वापस मांगा तो वह भी विपक्षी ने वापस देने से मना कर दिया। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लिखित आपित्त में धारा-4 को अस्वीकार किया गया है परन्तु यह स्वीकार किया गया कि परिवादी ने कोल्ड स्टोरेज का किराया 7828/-रू0 दिनांक 07-11-07 को अदा कर दिया था। लिखित आपत्ति के अतिरिक्त कथन की धारा-8 में यह अभिवचित किया गया कि दिनांक07-11-07 को जमा आलू का किराया परिवादी ने अदा कर दिया था और दिनांक 08-11-07 को शीतगृह से अपना उपरोक्त आलू निकलवा लिया और कोल्ड स्टोरेज के परिसर में एक तरफ सुरक्षित यह कहकर रखवा दिया कि वह अपने आलू को उठवाने के लिए सवारी का इन्तजाम करने जा रहा है, परन्तु परिवादी इसके बाद कई दिनों तक आलू लेने नहीं आया और काफी इन्तजार के बाद विपक्षी ने परिवादी को 12/13-11-07 को रजिस्ट्री डाक से सूचित किया कि वह अपना आलू उठा ले, परन्तु परिवादी ने आलू नहीं उठाया। इस संदर्भ में जिलाधिकारी आदि को भी सूचित किया और इस पर उभयपक्ष के अभिवचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा आलू नहीं ले जया गया। उपरोक्त अभिवचन के संदर्भ में उभयपक्ष द्वारा शपथ पत्र और साक्ष्य भी प्रस्तुत किया गया।
परिवादी द्वारा जिला उघान अधिकारी को दिनांक01-12-07 को शिकायती पत्र भी भेजा गया जिसकी प्रतिलिपि पत्रावली पर है। इसके अतिरिक्त शपथ पत्र की फोटोप्रतियॉं भी प्रस्तुत की गयी है। जिला मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित अभिलेखों पर विचार करना नहीं पाया जाता एवं प्रश्नगत जिला मंच द्वारा पारित निर्णय में इस आशय का उल्लेख है कि परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसने ''भण्डारित आलू की डिवीवरी प्राप्त कर ली है'' जबकि अपीलार्थी के अभिवचन से यह स्पष्ट है कि उसने आलू प्राप्त नहीं किया था और विपक्षी द्वारा यह अभिवचित किया गया कि आलू शीतत के प्रांगण में ही रखा था और परिवादी उसे नहीं ले गया। अत: पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि मामले को जिला मंच के समक्ष इस टिप्पणी के साथ प्रतिप्रेषित किया जाए कि वह उभयपक्ष को साक्ष्य का अवसर देते हुए मामले को त्वरित गति से निर्णीत करें। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार करते हुए विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय बरेली द्वारा परिवाद संख्या-217/2007 में पारित आदेश दिनांक 23.06.2012 अपास्त किया जाता है और इस प्रकरण को विद्धान जिला मंच के समक्ष इस निर्देश से प्रतिप्रेषित किया जाता है वह उभयपक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए इस प्रकरण को त्वरित गति से निस्तारित करें।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-2 प्रदीप मिश्रा