Uttar Pradesh

StateCommission

RP/28/2019

Lucknow Development Authority - Complainant(s)

Versus

Tirath Raj Singh - Opp.Party(s)

S.N. Tewari

16 Jun 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/28/2019
( Date of Filing : 23 Apr 2019 )
(Arisen out of Order Dated 12/07/2016 in Case No. C/513/2016 of District Lucknow-II)
 
1. Lucknow Development Authority
Naween Bhawan Vipin Khand Gomti Nagar Lucknow To Upadhyaksh
...........Appellant(s)
Versus
1. Tirath Raj Singh
To ukhtare Aam Sunil Kumar S/O Late Harinarayan Niwasi 3/55 Vinmra Khand Gomti nagar Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Jun 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

पुनरीक्षण सं0- 28/2019

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 513/2016 में पारित आदेश दिनांक 12.07.2016 के विरुद्ध)

 

1. लखनऊ विकास प्राधिकरण नवीन भवन विपिन खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा उपाध्‍यक्ष।

2. लखनऊ विकास प्राधिकरण नवीन भवन विपिन खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा सचिव।                                          

                                     ........पुनरीक्षणकर्तागण।

बनाम

तीर्थराज सिंह द्वारा मुख्‍तारेआम सुनील कुमार पुत्र स्‍व0 हरिनारायण निवासी-3/55, विनम्र खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।

                                           ...........विपक्षी।   

 

समक्ष:-                       

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से : श्री एस0एन0 तिवारी,

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से          : श्री राजेश चड्ढा एवं

                          श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव,                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक:- 30.06.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय/आदेश

          प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका लखनऊ विकास प्राधिकरण/पुनरीक्षणकर्तागण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश दि0 12.07.2016 के विरुद्ध इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गई है।

          पुनरीक्षणकर्तागण/प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि विपक्षी/परिवादी द्वारा परिवाद सं0- 513/2016 विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष इस आशय का प्रस्‍तुत किया गया कि उसे लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा पूर्व आवंटित भवन सं0- 2/560, विनीत खण्‍ड, गोमती नगर योजना, लखनऊ (जिसका आवंटन वांछित धनराशि विपक्षी/परिवादी द्वारा जमा न किये जाने के कारण निरस्‍त हो गया था) के स्‍थान पर अन्‍य रिक्‍त भवन सं0- 3/299 विनम्र खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ समायोजित करते हुए पंजीकरण की औपचारिकतायें पूर्ण करवाकर विक्रय विलेख विपक्षी/परिवादी के पक्ष में निष्‍पादित किये जाने हेतु आदेशित किया जावे।

          विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख उपरोक्‍त वाद सं0- 513/2016 में विपक्षी/परिवादी द्वारा अंतरिम अनुतोष प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 13 (3)बी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम भी प्रस्‍तुत किया गया जिसमें प्रार्थना की गई कि उपरोक्‍त रिक्‍त भवन सं0- 3/299 विनम्र खण्‍ड, गोमती नगर योजना को किसी तृतीय पक्ष को आवंटित न किया जावे।

          लखनऊ विकास प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा पुनरीक्षण याचिका में बहस के समय यह तथ्‍य मुख्‍य रूप से कथित किया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पुनरीक्षणकर्तागण लखनऊ विकास प्राधिकरण को सुनवाई का अवसर दिये बिना दि0 12.07.2016 को आदेश पारित किया गया तथा यह आदेशित किया गया कि विकास प्राधिकरण सभी औपचारिकतायें पूर्ण करवाकर रजिस्‍ट्री, पंजीकरण विपक्षी/परिवादी के पक्ष में करे, जब कि परिवाद पत्र में विपक्षी/परिवादी द्वारा मात्र स्‍थगन आदेश के माध्‍यम से उपरोक्‍त अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गई थी। साथ ही यह कि उपरोक्‍त भवन सं0- 3/299 को किसी अन्‍य व्‍यक्ति को आवंटित न किया जावे।

          प्राधिकरण/पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्‍त आदेश दि0 12.07.2016 के अनुपालन हेतु जब निष्‍पादनवाद सं0- 109/2018 विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया तथा उपरोक्‍त निष्‍पादनवाद की नोटिस प्राप्‍त होने पर ही विकास प्राधिकरण को उपरोक्‍त आदेश दि0 12.07.2016 की जानकारी प्राप्‍त हुई। तदनुसार इस न्‍यायालय के सम्‍मुख पुनरीक्षण याचिका प्रस्‍तुत की गई।

          पुनरीक्षण याचिका में लखनऊ विकास प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित अंतरिम आदेश दि0 12.07.2016 पूर्णत: मनमाना एवं पक्षपात पूर्ण है तथा यह कि अंतरिम प्रार्थना पत्र में जो अनुतोष विपक्षी/परिवादी द्वारा मांगा भी नहीं गया था वह अनुतोष भी विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा स्‍वीकार करते हुए त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया गया जो पूर्णत: अविधिक है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि भवन सं0- 3/299 विनम्र खण्‍ड का पंजीकरण आदेश पूर्णत: अविधिक एवं विपक्षी/परिवादी के पक्ष में बेजालाब है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के अधिकारों से परे है। यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त परिवाद सं0- 513/2016 विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विचाराधीन है तथा यह कि आदेश दि0 12.07.2016 अविधिक होने के कारण निरस्‍त किये जाने योग्‍य है, अन्‍यथा प्राधिकरण को अपूर्णनीय क्षति होगी व प्राधिकरण का उद्देश्‍य ही विफल हो जायेगा।

          विपक्षी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा एवं श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव को सुना गया, जिनके द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश दि0 12.07.2016 का समर्थन किया गया तथा कथन किया गया कि प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका अति‍ विलम्‍ब से योजित की गई है एवं यह कि प्राधिकरण का उद्देश्‍य विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित न किया जाना स्‍पष्‍टत: प्रतीत होता है।

          हमने पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0एन0 तिवारी और विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा एवं श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव को सुना। प्रश्‍नगत आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि वास्‍तव में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अंतरिम आदेश प्रार्थना पत्र पर जो आदेश दि0 12.07.2016 को पारित किया गया है वह पूर्णत: अनुचित है तथा उक्‍त आदेश का अर्थ परिवाद पत्र में मांगे गये अन्तिम अनुतोष को प्रदान किये जाने के समान है।

          निर्विवादित रूप से पुनरीक्षणकर्तागण लखनऊ विकास प्राधिकरण को विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समुचित सुअवसर भी प्रदान नहीं किया गया न ही तथ्‍यों का सम्‍यक परीक्षण किया गया एवं बिना परीक्षण के प्रश्‍नगत आदेश पारित किया गया जो कदापि विधि अनुसार सुसंगत प्रतीत नहीं होता है।

          समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुये बिना गुण-दोष पर विचार प्रकट करते हुए आदेश दि0 12.07.2016 परिवाद सं0- 513/2016 अपास्‍त किया जाता है तथा पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार की जाती है। परिवाद सं0- 513/2016 तीर्थराज सिंह बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण व अन्‍य को यथासम्‍भव विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा 06 माह की अवधि में उभयपक्ष को समुचित अवसर प्रदान करने के उपरांत गुण-दोष के आधार पर विधि अनुसार निस्‍तारित किया जावे।

          उभयपक्ष विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष दि0 25.07.2022 को उपस्थित हों। 

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                             

        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (विकास सक्‍सेना)

                 अध्‍यक्ष                          सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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